तुलसी का वैज्ञानिक नाम ऑसीमम टैन्यूइफ़्लोरम है।
हिन्दू धर्म में होली बेसिल का नाम तुलसी है, जिसका मतलब है अतुलनीय।
इस पौधे के अन्य नाम हैं थाई बेसिल और ब्रश-लीफ़ टी।
तुलसी एक भारतीय मूल का पौधा है, लेकिन यह ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम अफ़्रीका और कुछ मध्य पूर्वी देशों में भी उगता है।
इस जड़ी बूटी का उपयोग भारत में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में 3,000 से भी अधिक वर्षों से किया जा रहा है।
हिंदू तुलसी को एक पवित्र पौधे के रूप में देखते हैं और वे अक्सर इसे हिंदू मंदिरों के आसपास लगाते हैं।
तुलसी के पौधों की पत्तियों, तनों और बीजों से औषधि बनाई जाती है।
कुछ लोग इसके अलग, मसालेदार स्वाद के कारण खाना पकाने में तुलसी का उपयोग करते हैं (और इसे कभी-कभी कुकबुक्स में "हॉट बेसिल" भी कहा जाता है)।
तुलसी गोलियों और कैप्सूल के रूप में डाइटरी सप्लीमेंट के रूप में उपलब्ध होती है और इसका एसेंशियल ऑइल, पौधे की पत्तियों और फूलों से आसवित किया जाता है।
(डाइटरी सप्लीमेंट का विवरण भी देखें।)
तुलसी के लिए दावे
इसका समर्थन करने वालों का मानना है कि तुलसी एक एडाप्टोजेन है। हर्बल दवाओं के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस शब्द का अर्थ यह है कि यह पदार्थ, शरीर को तनाव से लड़ने और शरीर की सामान्य कार्यशीलता को बहाल करने में मदद करता है। तुलसी के अन्य लाभ इस प्रकार हैं:
चिंता और तनाव कम करती है
डायबिटीज के रोगियों में ब्लड शुगर के स्तर को घटाती है
कोलेस्ट्रोल का स्तर कम करती है
बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण से सुरक्षा देती है
घाव भरने में मदद करती है
सूजन को कम करती है
तुलसी के लिए प्रमाण
तुलसी या किसी भी अन्य यौगिक से कई सारे स्वास्थ्य लाभ होने की संभावना बहुत कम है। इसलिए, ऐसे अनगिनत लाभों की पुष्टि करने वाले प्रमाण बहुत कम हैं। लोगों पर ऐसा कोई उच्च-स्तरीय अध्ययन नहीं है जो दर्शाता हो कि तुलसी किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के उपचार के लिए प्रभावी है।
जानवरों पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि तुलसी के बीज का तेल ये काम कर सकता है:
तनाव के कारण अल्सर और हृदय और रक्त वाहिकाओं में होने वाले परिवर्तनों को रोक सकता है
कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा कर सकता है और कैंसर से पीड़ित जानवरों को ज़्यादा दिनों तक जीवित रहने में मदद कर सकता है
घबराहट को घटाती है
माउथवॉश में तुलसी के पत्ते को अर्क के रूप में लेने पर मुंह में प्लाक और मसूड़ों की सूजन कम हो जाती है
हालांकि, इनमें से किसी भी निष्कर्ष को मनुष्यों में दोहराया नहीं गया है।
लोगों में किए गए अध्ययनों से यह पता चलता है कि तुलसी से स्वास्थ्य लाभ मिलने के दावों के ज़्यादा प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इनमें से ज़्यादातर या सभी अध्ययन छोटे पैमाने पर किए गए हैं और खराब गुणवत्ता वाले हैं। इन अध्ययनों से पता चलता है कि स्वास्थ्य पर तुलसी से नीचे बताए गए प्रभाव भी हो सकते हैं, लेकिन इन शुरुआती निष्कर्षों की पुष्टि के लिए बड़े पैमाने पर और बेहतर डिज़ाइन वाले अध्ययन करने की आवश्यकता है:
चिंता कम करती है और चिंता के साथ होने वाले तनाव और डिप्रेशन को दूर करती है
ब्लड शुगर के स्तर को कम करती है
तनाव के लक्षणों (उदाहरण के लिए, नींद की समस्या, थकावट, भुलक्कड़पन) को कम करती है
सांस लेने की क्रिया में सुधार करती है और अस्थमा के रोगी में अस्थमा के दौरों को कम करती है
वायरल संक्रमण से बचाव के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को मज़बूत बनाती है
सूजन और जोड़ों के दर्द को कम करती है
तुलसी के दुष्प्रभाव
ज़्यादातर लोगों में, 8 हफ़्ते तक मुंह से तुलसी का सेवन सुरक्षित लगता है। हालांकि, तुलसी के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे जी मिचलाना या दस्त होना।
इसका अध्ययन नहीं किया गया है कि तुलसी को 8 सप्ताह से अधिक समय तक लेना सुरक्षित है या नहीं।
गर्भवती महिलाओं या गर्भवती होने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए तुलसी का सेवन सुरक्षित नहीं भी हो सकता है। पशुओं में किए अध्ययनों में यह पाया गया कि तुलसी का ज़्यादा सेवन करने से निषेचित हुए अंडे की गर्भाशय से जुड़ने की संभावना कम हो जाती है, इसलिए गर्भावस्था पूरी अवधि तक नहीं चल पाता। मनुष्यों में ऐसे प्रभाव होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
अपने बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं में तुलसी का लेना सुरक्षित होने का कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
तुलसी से रक्त में थायरॉइड हार्मोन थायरोक्सिन का स्तर शायद कम हो सकता है, इसलिए इससे हाइपोथायरॉइडिज़्म की समस्या और बढ़ सकती है।
चूंकि तुलसी के सेवन से खून के थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, इसलिए सर्जरी के दौरान और बाद में खून बहने का खतरा बढ़ सकता है।
तुलसी के साथ दवा का इंटरैक्शन
चूँकि तुलसी रक्त के क्लॉट बनाने की क्षमता को धीमा कर सकती है, इसलिए तुलसी और रक्त की क्लॉटिंग की प्रक्रिया को धीमा करने वाली दवाएँ (उदाहरण के लिए, एस्पिरिन, क्लोपिडोग्रेल, डाल्टेपैरिन, हैपेरिन और वारफ़ेरिन), दोनों को लेने से चोट लगने और रक्तस्राव होने की संभावना बढ़ सकती है। पशुओं में किए गए अध्ययनों में यह पाया गया है कि तुलसी के सेवन से कुछ खास सिडेटिव का प्रभाव और बढ़ सकता है।
जब तुलसी को कुछ एंटीहाइपरग्लाइसेमिक (ग्लूकोज़-कम करने वाली) दवाओं जैसे कि इंसुलिन या सल्फ़ोनिलयूरियास (जैसे ग्लिमेपिराइड) के साथ में लिया जाता है, तो ऐसे में तुलसी रक्त शर्करा को कम कर सकती है और परिणामस्वरूप हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है।
तुलसी के लिए सुझाव
तुलसी लेने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि लोगों में किए गए उच्च-स्तरीय अध्ययनों में इससे स्वास्थ्य लाभ मिलने के दावों की पुष्टि नहीं की गई है।
तुलसी शायद ज़्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है, हालांकि निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए:
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं, जो महिलाएं गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, और टाइप 2 डायबिटीज, हाइपोथायरॉइडिज़्म के रोगी और जिन लोगों की सर्जरी होने वाली है उनको तुलसी के सेवन से बचना चाहिए।
जो लोग कुछ खास दवाएँ लेते हैं (रक्त की क्लॉटिंग बनाने की प्रक्रिया को धीमा करने वाली या रक्त शर्करा को कम करने वाली दवाओं सहित) उन्हें तुलसी लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।