लिपिड मेटाबोलिज़्म के अन्य बहुत कम पायी जाने वाली आनुवंशिक बीमारियाँ

इनके द्वाराMatt Demczko, MD, Mitochondrial Medicine, Children's Hospital of Philadelphia
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मार्च २०२४

लिपिड मेटाबोलिज़्म विकार मेटाबोलिज़्म से जुड़े आनुवंशिक बीमारियाँ होती हैं। वंशानुगत विकार तब होते हैं, जब माता-पिता से ऐसे खराब जीन बच्चों में आते हैं, जिनसे उनमें ये विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

आनुवंशिक बीमारियों के कई प्रकार होते हैं। मेटाबोलिक से जुड़े कई वंशानुगत विकारों में, प्रभावित बच्चे के माता-पिता दोनों में असामान्य जीन की 1 प्रति होती है। क्योंकि इस विकार के विकसित होने के लिए, असामान्य (रिसेसिव) जीन की 2 प्रतियाँ ज़रूरी होती हैं, इसलिए आम तौर पर माता और पिता दोनों में से किसी को यह विकार नहीं होता है।

लिपिड, ऐसे फ़ैट हैं, जो शरीर में ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। मौजूदा खाने के साथ शरीर की ऊर्जा की ज़रूरतों को संतुलित करने के लिए, शरीर के फ़ैट के भंडार को लगातार तोड़ा जाता है और फिर से इकट्ठा किया जाता है। खास एंज़ाइम के समूह फ़ैट को तोड़ने (मेटाबोलाइज़) और प्रोसेस करने में मदद करते हैं। एंज़ाइम से जुड़ी कुछ असामान्यताओं से खास फ़ैटी पदार्थ बनना शुरू हो सकता है, जिन्हें आमतौर पर एंज़ाइम तोड़ते हैं। समय बीतने के साथ, इन पदार्थों का बनना शरीर के कई अंगों के लिए नुकसानदायी हो सकता है। लिपिडोसेस से जुड़ी बीमारी लिपिड के जमा होने की वजह से होती हैं।

फ़ैटी पदार्थों के जमा होने से ये बीमारियाँ हो सकती हैं

एंज़ाइम से जुड़ी अन्य बीमारियों के कारण शरीर के फ़ैट से ऊर्जा नहीं बन पाती है। इन असामान्यताओं को फ़ैटी एसिड ऑक्सीडेशन की बीमारी कहते हैं।

लाइसोसोमल जमा होने से जुड़ी कई बीमारियों से भी लिपिड मेटाबोलिज़्म से जुड़ी समस्याएं होती हैं।

जन्म से पहले, डॉक्टर एम्नियोसेंटेसिस या कोरियोनिक विलस सैंपलिंग प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट की मदद से, लिपिड मेटाबोलिज़्म से जुड़ी कुछ बीमारियों का निदान करते हैं। जन्म के बाद, लिपिड मेटाबोलिज़्म से जुड़ी कुछ बीमारियों का निदान नियमित नवजात के स्क्रीनिंग टेस्ट या अन्य टेस्ट की मदद से किया जाता है।

लिपिड मेटाबोलिज़्म से जुड़ी कुछ बीमारियों का इलाज, ब्लड और ऊतकों में जमा होने वाले फ़ैटी पदार्थों के प्रकार के आधार पर होता है।

सेरेब्रोटेंडिनस ज़ैंथोमैटोसिस

यह बीमारी तब होती है, जब ऊतकों में कोलेस्टेनोल जमा होने लगता है, जो कि कोलेस्ट्रॉल मेटाबोलिज़्म का एक प्रॉडक्ट होता है। इस बीमारी से आखिरकार शारीरिक गतिविधियों में तालमेल की कमी, डेमेंशिया, मोतियाबिंद, छोटी उम्र में कोरोनरी धमनी की बीमारी, और टेंडन में फ़ैट बढ़ना (ज़ैंथोमस) होने लगता है। अक्षमता के लक्षण अक्सर किशोरावस्था के दौरान दिखाई देते हैं।

अगर कीनोडाइऑल (कीनोडिऑक्सीकोलिक एसिड) दवाई को जल्दी देना शुरु कर दिया जाए, तो इस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है, लेकिन इससे पहले के हुए नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता। लोगों को स्टेटिन भी दिए जा सकते हैं, क्योंकि इन दवाइयों से रक्त में लिपिड की मात्रा कम हो जाती है।

सिटोस्टेरोलेमिया

इस विकार में रक्त और ऊतकों में वनस्पतिक फैट (जिन्हें स्टेरॉल कहा जाता है) इकट्ठे हो जाते हैं। ये फैट कई खाद्य पदार्थों, जैसे नट्स, वनस्पतिक तेलों और चॉकलेट में पाए जाते हैं। फैट इकट्ठा होने से एथेरोस्क्लेरोसिस, छोटी उम्र में कोरोनरी धमनी का रोग, असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं और टेंडन पर फैट की वृद्धि (ज़ैंथोमस) हो जाती है।

सिटोस्टेरोलेमिया का इलाज करने के लिए ऐसी चीज़ों का सेवन कम किया जाता है जिनमें प्लांट फ़ैट हो, जैसे कि वनस्पति तेल और कोलेस्टाइरामीन रेसिन लेना शुरू किया जाता है। डॉक्टर एज़ेटिमाइब दवाई भी दे सकते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रोल के अवशोषण को कम करती है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. National Organization for Rare Disorders (NORD): इस संसाधन से माता-पिता और परिवार को दुर्लभ बीमारियों के बारे में जानकारी मिलती है, जिसमें दुर्लभ बीमारियों की एक सूची, सहायता समूह और क्लिनिकल ट्रायल रिसोर्स शामिल हैं।

  2. जेनेटिक एंड रेयर डिजीज इंफ़ॉर्मेशन सेंटर (GARD): इस संसाधन से आनुवंशिक और दुर्लभ बीमारियों के बारे में आसानी से समझ आने वाली जानकारी मिलती है।