फ़ैर्बी की बीमारी लाइसोसोमल जमा होने से जुड़ी बीमारी का एक प्रकार है, जिसे स्फिंगोलिपिडोसिस कहते हैं। यह ऊतकों में ग्लिकोलिपिड बनने से होती है। इस बीमारी में त्वचा का बढ़ना, हाथ-पैरों में दर्द होना, नज़र कमज़ोर होना, बार-बार बुखार होना, किडनी फ़ेल होना और दिल की बीमारी होते हैं। फ़ैब्री रोग तब होता है, जब रोग उत्पन्न करने वाले दोषपूर्ण जीन माता-पिता से बच्चों में चले जाते हैं।
फ़ैर्बी की बीमारी तब होती है, जब शरीर में ग्लिकोलिपिड को तोड़ने के लिए ज़रूरी एंज़ाइम मौजूद नहीं होता।
इसके लक्षणों में त्वचा का बढ़ना, आँखों की समस्याएं, किडनी फ़ेल होना और दिल की बीमारी शामिल है।
इसका निदान प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट, नवजात स्क्रीनिंग टेस्ट और अन्य ब्लड टेस्ट के नतीजों के आधार पर किया जाता है।
इसके इलाज में एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी शामिल है।
फ़ैब्री बीमारी से पीड़ित ज़्यादातर बच्चे व्यस्कता तक ही जीवित रहते हैं।
आनुवंशिक बीमारियों के कई प्रकार होते हैं। मेटाबोलिज़्म से जुड़े कई वंशानुगत विकारों में आम तौर पर विकार उत्पन्न करने के लिए असामान्य जीन की 2 प्रतियाँ ज़रूरी होती हैं, इसलिए पीड़ित बच्चों को माता-पिता दोनों से असामान्य जीन मिलता है। (अक्सर माता-पिता, दोनों में से किसी को भी यह बीमारी नहीं होती।) मेटाबोलिज़्म से जुड़े कुछ वंशानुगत रोग X-लिंक्ड होते हैं, जिसका मतलब है कि लड़कों में असामान्य जीन की केवल 1 प्रति होने पर विकार उत्पन्न हो सकता है। (मेटाबोलिज़्म से जुड़े आनुवंशिक विकारों का विवरण भी देखें।)
स्फ़िंगोलिपिडोसेस तब होता है, जब शरीर में स्फ़िंगोलिपिड को तोड़ने (मेटाबोलाइज़) के लिए ज़रूरी एंज़ाइम मौजूद नहीं होते, स्फ़िंगोलिपिड ऐसे कंपाउंड होते हैं जो सेल की सतह की रक्षा करते हैं और यहाँ कुछ खास काम करते हैं। फ़ैब्री रोग के अलावा भी स्फ़िंगोलिपिडोसेस के कई प्रकार होते हैं।
फ़ैब्री की बीमारी में, फ़ैट मेटाबोलिज़्म का एक प्रॉडक्ट ग्लिकोलिपिड ऊतकों में जमा होता है। ग्लाइकोलिपिड को तोड़ने के लिए ज़रूरी एंज़ाइम, अल्फ़ा-गैलेक्टोसाइडेज़ A, ठीक से काम नहीं करता है। इस बहुत कम होने वाले आनुवांशिक विकार के लिए खराब जीन का कैरियर एक्स क्रोमोसोम होता है, इसलिए पूरी तरह फैली हुई बीमारी सिर्फ़ लड़कों में होती है (एक्स-लिंक्ड इनहेरिटेंस देखें)। लड़कियों में 2 X क्रोमोसोम होते हैं, इसलिए प्रभावित लड़कियों में रोग के लक्षण तो होते हैं, लेकिन फ़ैब्री रोग पूरी तरह से नहीं होता है।
ग्लाइकोलिपिड के जमा होने से धड़ के निचले हिस्से में त्वचा बढ़ने (एंजियोकेराटोमस) लगती है जो कैंसर-रहित (मामूली) होती है। कॉर्निया धुंधली होने लगती हैं, जिससे नज़र कमज़ोर हो जाती है। हाथों और पैरों में जलन जैसा दर्द हो सकता है और बच्चों को बुखार हो सकता है।
फ़ैब्री की बीमारी का निदान
प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट
नवजात शिशु स्क्रीनिंग जांच
अन्य ब्लड टेस्ट
जन्म से पहले भ्रूण में फ़ैब्री की बीमारी का निदान करने के लिए, कोरियोनिक सैंपलिंग या एम्नियोसेंटेसिस जैसे प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट किए जाते हैं।
अमेरिका के कुछ राज्यों में जन्म के बाद, नवजात शिशु के सामान्य स्क्रीनिंग परीक्षण करके फ़ैब्री रोग का निदान किया जा सकता है।
डॉक्टर रक्त या श्वेत रक्त कोशिकाओं में अल्फ़ा-गैलेक्टोसाइडेज़ A की मात्रा मापते हैं।
फ़ैब्री की बीमारी का इलाज
एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी
कभी-कभी किडनी ट्रांसप्लांट
फ़ैब्री की बीमारी को ठीक करने के लिए, डॉक्टर एंज़ाइम रिप्लेसमेंट (अगालसिडेस बीटा) थेरेपी करते हैं। उपचार में दर्द और बुखार से राहत पाने के लिए दवाइयाँ लेना भी शामिल होता है।
जिन लोगों की किडनी फ़ेल हो जाए उनकी किडनी ट्रांसप्लांट करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
फ़ैब्री रोग का पूर्वानुमान
फ़ैब्री रोग से पीड़ित बच्चों की बाद में किडनी फेल हो जाती हैं और उन्हें हृदय रोग हो जाता है, लेकिन वे अक्सर वयस्कता की उम्र तक जीवित रहते हैं। किडनी फ़ेल होने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे आघात लग सकता है।
अधिक जानकारी
निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।
National Organization for Rare Disorders (NORD): इस संसाधन से माता-पिता और परिवार को दुर्लभ बीमारियों के बारे में जानकारी मिलती है, जिसमें दुर्लभ बीमारियों की एक सूची, सहायता समूह और क्लिनिकल ट्रायल रिसोर्स शामिल हैं।
जेनेटिक एंड रेयर डिजीज इंफ़ॉर्मेशन सेंटर (GARD): इस संसाधन से आनुवंशिक और दुर्लभ बीमारियों के बारे में आसानी से समझ आने वाली जानकारी मिलती है।