माइटोकॉन्ड्रियल से जुड़ी बीमारियाँ

इनके द्वाराMatt Demczko, MD, Mitochondrial Medicine, Children's Hospital of Philadelphia
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मार्च २०२४

माइटोकॉन्ड्रियल की बीमारी, मेटाबॉलिज़्म से जुड़ी आनुवंशिक बीमारियाँ हैं, जो तब होती हैं, जब शरीर में माइटोकॉन्ड्रिया ठीक ढंग से काम नहीं करता। वंशानुगत विकार तब होते हैं, जब माता-पिता से ऐसे खराब जीन बच्चों में आते हैं, जिनसे उनमें ये विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया सेल के अंदर छोटी-छोटी सरंचनाएं होती हैं जिनसे सेल को ऊर्जा प्रदान करते हैं। लाल ब्लड सेल के अलावा, माइटोकॉन्ड्रिया हर सेल में मौजूद होता है। कोशिकाओं के अंदर अन्य संरचनाओं के विपरीत, माइटोकॉन्ड्रिया की अपनी कुछ आनुवंशिक सामग्री होती है, जो केवल मां से विरासत में मिलती है। माइटोकॉन्ड्रिया के लिए अन्य आनुवंशिक सामग्री सेल, नाभिक में शेष कोशिका की आनुवंशिक सामग्री के साथ होती है और बीमारी वाले बच्चों को माता और पिता, दोनों से असामान्यता प्राप्त होती है।

माइटोकॉन्ड्रियल से जुड़ी बीमारियों के कारण माइटोकॉन्ड्रिया ठीक से काम करना बंद कर देता है, जिससे कोशिकाओं के अंदर कम से कम ऊर्जा पैदा होती है। इससे कोशिकाओं को चोट पहुंच सकती है या कोशिकाओं की मृत्यु भी हो सकती है और शरीर का तंत्र ठीक से काम नहीं करता है।

माइटोकॉन्ड्रिया से शरीर के कई अंगों को ऊर्जा मिलती है। इनमें से कुछ अंगों को दूसरे अंगों के मुकाबले ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है, जैसे दिमाग, तंत्रिकाएं, मांसपेशियाँ और रेटिना। ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत वाले इन अंगों में माइटोकॉन्ड्रियल की बीमारियों की वजह से, समस्याएँ और ज़्यादा बढ़ जाती हैं। किन सेल पर असर पड़ा है इसके मुताबिक ये समस्याएं हो सकती हैं:

जब माइटोकॉन्ड्रिया ठीक से काम नहीं करता, तो ब्लडस्ट्रीम में लैक्टिक एसिड नाम का एक अपशिष्ट पदार्थ बन सकता है (जिसे लैक्टिक एसिडोसिस कहते हैं)। इस लैक्टिक एसिड के बनने से माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी को अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों से अलग करने में मदद मिल सकती है।

ये मिटोकॉन्ड्रियल बीमारियों के कुछ उदाहरण हैं।

लीबर वंशानुगत ऑप्टिक न्यूरोपैथी (LHON)

लेबर हेरेडिटरी ऑप्टिक न्यूरोपैथी से धीरे-धीरे दोनों आँखों की रोशनी जा सकती है। कुछ लोगों को हृदय या मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएँ होती हैं (जैसे मांसपेशियों का अपने आप संकुचन, मांसपेशियों में कमज़ोरी या मांसपेशियों में ऐंठन)। पुरुषों में यह बीमारी आम है और आमतौर पर इसके लक्षण 20 या 30 की उम्र में शुरू होते हैं।

इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अल्कोहल का सेवन कम करना, जिससे माइटोकॉन्ड्रिया पर असर पड़ता है और तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल न करने से लक्षणों के बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है। आँखों के पिछले हिस्से में मौजूद खाली जगह में इंजेक्शन के ज़रिए दी जाने वाले एक दवाई के बारे में रिसर्च की जा रही है।

लीह सिंड्रोम

लीह सिंड्रोम एक ऐसा विकार है, जो आम तौर पर जीवन के पहले वर्ष में शुरु होता है। किशोरों और वयस्कों में यह बहुत कम होता है।

जिन शिशुओं को लेह सिंड्रोम है उन्हें खाने में परेशानी, सिर न संभाल पाना और विकास में देरी हो सकती है। उन्हें उल्टी, चिड़चिड़ापन, लगातार रोना और सीज़र्स भी हो सकते हैं जो बीमारी के समय और बढ़ जाते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षणों में सामान्य कमजोरी, मांसपेशियों की टोन की कमी और लैक्टिक एसिडोसिस होना भी शामिल हो सकता है, जिससे सांस लेने और किडनी की समस्याएं हो सकती हैं।

लेह सिंड्रोम के लिए कोई इलाज नहीं हैं। लेकिन बहुत कम बच्चों में एक खास तरह का लीह सिंड्रोम पाया जाता है, जिसमें थायामिन (विटामिन B1) और बायोटिन के सप्लीमेंट से फ़ायदा मिलता है।

माइटोकॉन्ड्रियल एन्सेफ़ेलोमायोपैथी, लैक्टिक एसिडोसिस और स्ट्रोकलाइक एपिसोड (MELAS)

जिन बच्चों में MELAS होता है, उनमें मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द, बार-बार होने वाला सिरदर्द, कम सुनाई देना, भूख न लगना, उल्टी और दौरे पड़ सकते हैं।

इससे पीड़ित ज़्यादातर लोगों में, 40 साल की उम्र से पहले आघात लगने शुरू हो जाते हैं। इन आघातों से अक्सर शरीर के एक तरफ अस्थायी मांसपेशियों की कमजोरी, चेतना में असामान्यता, नज़र से जुड़ी असामान्यताएं, दौरे और माइग्रेन के जैसे गंभीर सिरदर्द होता है। बार-बार आघात लगने से दिमाग को लगातार नुकसान हो सकता है, जिससे आँखों की रोशनी चले जाना, चलने-फिरने में समस्या और डेमेंशिया हो सकता है। MELAS के लक्षण अक्सर बचपन के आखिर और किशोरावस्था में दिखाई देते हैं, लेकिन ये किसी भी उम्र में शुरू हो सकते हैं।

MELAS के लिए कोई खास उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसमें लक्षणों को कम करने के लिए कई दवाइयों और उपचारों का उपयोग किया जाता है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. National Organization for Rare Disorders (NORD): इस संसाधन से माता-पिता और परिवार को दुर्लभ बीमारियों के बारे में जानकारी मिलती है, जिसमें दुर्लभ बीमारियों की एक सूची, सहायता समूह और क्लिनिकल ट्रायल रिसोर्स शामिल हैं।

  2. जेनेटिक एंड रेयर डिजीज इंफ़ॉर्मेशन सेंटर (GARD): इस संसाधन से आनुवंशिक और दुर्लभ बीमारियों के बारे में आसानी से समझ आने वाली जानकारी मिलती है।

quizzes_lightbulb_red
अपना ज्ञान परखेंएक क्वज़ि लें!
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
अभी डाउनलोड करने के लिए कोड को स्कैन करेंiOS ANDROID