अक्यूट करोनरी सिंड्रोम (दिल का दौरा; मायोकार्डियल इनफार्क्शन; अनस्टेबल एंजाइना)

इनके द्वाराRanya N. Sweis, MD, MS, Northwestern University Feinberg School of Medicine;
Arif Jivan, MD, PhD, Northwestern University Feinberg School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया फ़र॰ २०२४

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम करोनरी धमनी में अचानक ब्लॉकेज से होते हैं। इस ब्लॉकेज से अनस्टेबल एंजाइना या दिल का दौरा (मायोकार्डियल इनफार्क्शन) होता है, जो ब्लॉकेज की स्थिति और मात्रा पर निर्भर करता है। दिल के दौरे में रक्त की आपूर्ति के अभाव के कारण हृदय के ऊतक की मृत्यु हो जाती है।

  • जिन लोगों को अक्यूट करोनरी सिंड्रोम होता है उनको आमतौर पर सीने में दबाव या पीड़ा, सांस फूलने, और/या थकान का अनुभव होता है।

  • जिन लोगों को लगता है कि उन्हें अक्यूट करोनरी सिंड्रोम हो रहा है उन्हें आपातकालीन मदद बुलानी चाहिए और फिर एक एस्पिरिन की गोली चबानी चाहिए।

  • डॉक्टर यह पता लगाने के लिए कि क्या व्यक्ति को अक्यूट करोनरी सिंड्रोम है इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी का उपयोग और रक्त में कुछ पदार्थों का मापन करते हैं।

  • उपचार सिंड्रोम के प्रकार पर निर्भर करते हुए भिन्न होता है लेकिन आमतौर पर उसमें हृदय के प्रभावित क्षेत्रों को रक्त प्रवाह बढ़ाने के प्रयास शामिल होते हैं।

(करोनरी धमनी रोग (CAD) का अवलोकन भी देखें।)

अमेरिका में हर वर्ष दिल के दौरों से या हृदय से जुड़ी समस्याओं के कारण अचानक मृत्यु के लगभग 1 मिलियन मामले सामने आते हैं। और अक्यूट करोनरी सिंड्रोमों से प्रति वर्ष लगभग 400,000 मौतें होती हैं।

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम के कारण

हृदय की मांसपेशी को ऑक्सीजन से प्रचुर रक्त की लगातार आपूर्ति की जरूरत होती है। करोनरी धमनियाँ, जो महाधमनी के हृदय से बाहर निकलने के तुरंत बाद उससे निकलती हैं, इस रक्त का वितरण करती हैं। अक्यूट करोनरी सिंड्रोम तब होता है जब करोनरी धमनी का अचानक ब्लॉकेज हृदय की मांसपेशी (मायोकार्डियम) के एक क्षेत्र को रक्त की आपूर्ति कम कर देता है या रोक देता है। किसी भी ऊतक को रक्त की आपूर्ति के अबाव को इस्कीमिया कहते हैं। अगर रक्त की आपूर्ति कुछ मिनट से अधिक समय तक बहुत कम हो जाती है या बंद हो जाती है, तो हृदय का ऊतक मरने लगता है। दिल का दौरा, जिसे मायोकार्डियल इनफार्क्शन (MI) भी कहते हैं, इस्कीमिया के कारण हृदय के ऊतक की मृत्यु है।

रक्त का थक्का अवरुद्ध करोनरी धमनी का सबसे आम कारण है (करोनरी धमनी रोग का अवलोकन भी देखें)। आमतौर पर, धमनी धमनी की दीवार में कोलेस्ट्रॉल और अन्य वसीय पदार्थों के जमाव (एथरोमा) से पहले ही आंशिक रूप से संकरी होती है। एथरोमा फूट या फट सकता है, जिससे ऐसे पदार्थ मुक्त होते हैं जो प्लेटलेटों को अधिक चिपचिपा बनाते हैं, जिससे वे थक्कों का निर्माण करते हैं। लगभग दो तिहाई लोगों में, रक्त का थक्का, आमतौर पर एकाध दिन में, अपने आप घुल जाता है। हालांकि, इस समय तक, आमतौर पर हृदय को कुछ क्षति हो जाती है।

कभी-कभार, जब स्वयं हृदय में थक्का बनता है, टूट कर अलग हो जाता है, और करोनरी धमनी में बैठ जाता है, तब दिल का दौरा पड़ता है। एक और असामान्य कारण है करोनरी धमनी में ऐंठन होना जिससे रक्त का प्रवाह रुक जाता है। ऐंठन कोकेन जैसी दवाइयों से हो सकती है। कभी-कभी कारण अज्ञात होता है।

वर्गीकरण

डॉक्टर अक्यूट करोनरी सिंड्रोम का वर्गीकरण निम्नलिखित के आधार पर करते हैं

  • क्षतिग्रस्त हृदय द्वारा रक्त में छोड़े गए पदार्थों (कार्डियक बायोमार्कर) की उपस्थिति

  • लक्षण

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ECG) के परिणाम

वर्गीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि उपचार विशिष्ट अक्यूट करोनरी सिंड्रोम पर निर्भर करते हुए अलग होते हैं। वर्गीकरण में अनस्टेबल एंजाइना और दो प्रकार के दिल के दौरे शामिल हैं।

  • अनस्टेबल एंजाइना में एंजाइना के लक्षणों (सीने में असहजता) के पैटर्न में बदलाव होता है, जिसमें एंजाइना का लंबे समय तक रहना या बदतर हो जाना और एंजाइना के नए गंभीर लक्षणों का शुरू होना शामिल है। जिन लोगों को अनस्टेबल एंजाइना होता है उनके ECG या रक्त के परीक्षणों में दिल के दौरे के संकेत नहीं होते हैं।

  • नॉन-ST सेगमेंट एलीवेशन MI दिल का दौरा ऐसा होता है, जिसे डॉक्टर रक्त के परीक्षणों से पहचान सकते हैं, लेकिन इससे ECG पर सामान्य बदलाव (ST-सेगमेंट एलीवेशन) प्रकट नहीं होते हैं।

  • ST सेगमेंट एलीवेशन MI वह दिल का दौरा है जिसे डॉक्टर रक्त के परीक्षणों से पहचान सकते हैं और ECG पर विशिष्ट परिवर्तन (ST-सेगमेंट एलीवेशन) भी पैदा करता है।

क्या आप जानते हैं...

  • दिल के दौरे से ग्रस्त लगभग एक तिहाई लोगों को सीने में दर्द नहीं होता है।

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम के लक्षण

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम के लक्षण एक जैसे होते हैं, और आमतौर पर केवल लक्षणों के आधार पर सिंड्रोमों की पहचान करना असंभव होता है।

अनस्टेबल एंजाइना के लक्षणएंजाइना पेक्टोरिस के लक्षणों के समान होते हैं–-लोगों को आमतौर पर उरोस्थि (स्टर्नम) के नीचे रुक-रुक कर दबाव, या पीड़ा महसूस होती है। लोग अक्सर इस अनुभूति को दर्द की बजाय असहजता या भारीपन समझते हैं। असहजता कंधे में या बांह के भीतरी ओर, पीठ में, और गले, जबड़े, या दाँतों में भी हो सकती है। हालांकि, अनस्टेबल एंजाइना वाले लोगों में यह पैटर्न बदलता है। लोगों को एंजाइना की अधिक आवृति या अधिक तीव्र प्रकरणों का अनुभव होता है, या ये प्रकरण विश्राम के दौरान या कम शारीरिक श्रम के बाद होने लगते हैं। दिल के दौरों से पीड़ित लगभग हर 3 में से 2 लोग को कुछ दिन या कुछ सप्ताह पहले अस्थिर एनजाइना, साँस फूलने या थकान का अनुभव होता है। सीने में दर्द या असहजता के पैटर्न में ऐसा बदलाव अंत में दिल के दौरे में बदल सकता है।

दिल के दौरे के साथ, सबसे स्पष्ट लक्षण आमतौर पर सीने के बीचोंबीच दर्द होता है जो पीठ, जबड़े, या बायीं बांह तक फैल सकता है। कभी-कभी, दर्द दायीं बांह तक फैल जाता है। दर्द इन में से एक या अधिक स्थानों में हो सकता है और सीने में बिल्कुल भी नहीं होता है। दिल के दौरे का दर्द एंजाइना के दर्द के समान होता है लेकिन आमतौर पर अधिक तीव्र होता है, अधिक देर तक रहता है, और विश्राम या नाइट्रोग्लिसरीन से कम नहीं होता है। कभी-कभार, दर्द पेट में महसूस होता है, जहाँ उसे अपच समझा जा सकता है, खास तौर से इसलिए क्योंकि डकार लेने से आंशिक या अस्थायी राहत मिल सकती है। अज्ञात कारणों से, महिलाओं को अक्सर अलग लक्षण होते हैं, जिनका वर्णन कभी-कभी सीने के अविशिष्ट दर्द के रूप में किया जाता है, जिनका हृदय की समस्या के रूप में सटीक रूप से निदान किए जाने की कम संभावना होती है।

दिल के दौरे से ग्रस्त लगभग एक तिहाई लोगों को सीने में दर्द नहीं होता है। ऐसे लोगों में महिलाओं, अश्वेत लोगों, 75 से अधिक उम्र के लोगों, हार्ट फेल या डायबिटीज से पीड़ित लोगों और उन आघात को झेल चुके लोगों के शामिल होने की अधिक संभावना होती है।

अन्य लक्षणों में बेहोश होने की अनुभूति या वास्तव में बेहोश होना, अचानक बहुत पसीना आना, मतली, सांस फूलना, और हृदय का तेजी से धड़कना (पाल्पिटेशन) शामिल हैं।

दिल के दौरे के दौरान, व्यक्ति बेचैन, पसीने से तर, और व्यग्र हो सकता है तथा उसे अंत समय के आने की अनुभूति हो सकती है। होंठ, हाथ या पैर थोड़े नीले या भूरे पड़ सकते हैं।

वयोवृद्ध वयस्कों में असामान्य लक्षण हो सकते हैं। कई लोगों में, सबसे स्पष्ट लक्षण सांस न ले पाना होता है। लक्षण पेट की गड़बड़ या स्ट्रोक के लक्षणों से मिलते-जुलते हो सकते हैं। वयोवृद्ध वयस्कों में मतिभ्रम हो सकता है। वैसे लगभग दो तिहाई वयोवृद्ध वयस्कों को युवाओं की तरह ही सीने में दर्द होता है। वयोवृद्ध वयस्कों और खास तौर पर महिलाओं को अक्सर चिकित्सीय सहायता लेने या यह स्वीकार करने में युवाओं से अधिक समय लगता है कि वे बीमार हैं।

सभी संभव लक्षणों के बावजूद, दिल के दौरे से पीड़ित हर 5 लोगों में से 1 एक व्यक्ति को केवल हल्के लक्षण होते हैं या कोई भी लक्षण नहीं होते हैं। ऐसे साइलेंट दिल के दौरे की पहचान केवल तभी होती है जब कुछ समय बाद नियमित रूप से ECG किया जाता है।

दिल के दौरे के शुरुआती कुछ घंटों के दौरान, स्टेथोस्कोप से हृदय की घरघराहट और हृदय की अन्य असामान्य ध्वनियाँ सुनी जा सकती हैं।

जटिलताएँ

अस्थिर एनजाइना या दिल के दौरे से पीड़ित लोगों को ऐसी समस्याएँ भी हो सकती हैं, जो लंबे समय तक बनी रह सकती हैं। समस्याएँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि हृदय की मांसपेशी कितनी क्षतिग्रस्त हुई है, जो कोरोनरी धमनी के अवरुद्ध होने के स्थान और उसके अवरुद्ध रहने की अवधि का सीधा परिणाम होती हैं। यदि ब्लॉकेज हृदय की मांसपेशी के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है, तो हृदय प्रभावी ढंग से पंप नहीं कर सकता है और आकार में बढ़ सकता है, जिससे हार्ट फेल्यूर के उत्पन्न होने की संभावना होती है। यदि ब्लॉकेज हृदय की विद्युतीय प्रणाली को रक्त का प्रवाह बंद कर देता है, तो हृदय की ताल प्रभावित हो सकती है, जिससे एरिद्मिया और अकस्मात मृत्यु (कार्डियक एरेस्ट) के होने की संभावना होती है।

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम का निदान

  • लक्षण

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ़ी (ECG)

  • रक्त की जाँच

जब भी कभी 30 वर्ष से अधिक उम्र का कोई पुरुष या 40 से अधिक उम्र की कोई महिला सीने में दर्द की शिकायत करती है, तो डॉक्टर आमतौर पर एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के होने की संभावना पर विचार करते हैं। लेकिन कई अन्य अवस्थाओं में ऐसा ही दर्द हो सकता है, जैसे कि निमोनिया, फेफड़े में रक्त का थक्का (प्लमोनरी एम्बॉलिज्म), पेरिकार्डाइटिस, पसली का फ्रैक्चर, आहार नली की ऐंठन, अपच, या चोट लगने या श्रम करने के बाद सीने की मांसपेशी की कोमलता।

ECG और कुछ रक्त परीक्षण आमतौर पर कुछ ही घंटों के भीतर निदान की पुष्टि कर सकते हैं।

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी

जब डॉक्टर को एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम का संदेह होता है, तब ECG सबसे महत्वपूर्ण शुरुआती नैदानिक परीक्षण होता है। यह परीक्षण, हृदय की प्रत्येक धड़कन को उत्पन्न करने वाली इलेक्ट्रिक करेंट का ग्राफ़िक विवरण प्रदान करता है। कई मामलों में, यह तत्काल दर्शाती है कि व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ रहा है। ECG द्वारा पता चलने वाली असामान्यताएं आवश्यक उपचार के प्रकार का निर्धारण करने में डॉक्टरों की मदद करती हैं। ECG की असामान्यताएँ यह भी दिखाती हैं कि हृदय की मांसपेशी क्षतिग्रस्त हुई है या नहीं और वह किस स्थान पर क्षतिग्रस्त हुई है। यदि व्यक्ति को पहले कभी हृदय की समस्याएं हुई थीं, जिनसे ECG में परिवर्तन हो सकते थे, तो डॉक्टरों को सबसे हाल की हृदय की क्षति को पहचानने में कठिनाई हो सकती है। ऐसे लोगों को हमेशा अपने साथ अपने ECG की एक छोटी कॉपी रखनी चाहिए, ताकि अगर उन्हें एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर पुराने ECG के साथ नए ECG की तुलना कर सकें। यदि कई घंटों की अवधि में लिए गए कुछ ECG पूर्णतया सामान्य होते हैं, तो डॉक्टर मान लेते हैं कि दिल के दौरे की संभावना नहीं है।

कार्डियक बायोमार्कर

रक्त में कुछ पदार्थों (जिन्हें कार्डियक बायोमार्कर कहा जाता है) के स्तरों को मापने से भी डॉक्टर को एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम का पता लगाने में मदद मिलती है। ये पदार्थ हृदय की मांसपेशी में सामान्य रूप से पाए जाते हैं लेकिन केवल तभी रक्त में मुक्त होते हैं जब हृदय की मांसपेशी क्षतिग्रस्त होती है या मर जाती है। ट्रोपोनिन I और टोपोनिन T नामक हृदय की मांसपेशी के प्रोटीनों और CK-MB (क्रिएटिनाइन काइनेज़, मायोकार्डियल बैंड सबयूनिट) नामक एक एंज़ाइम को सबसे आमतौर से मापा जाता है। रक्त में इनके स्तर दिल के दौरे के 6 घंटों के भीतर बढ़ जाते हैं और कई दिनों तक बढ़े रहते हैं। कार्डियक मार्करों के स्तरों को आमतौर पर व्यक्ति के अस्पताल में भर्ती होने के समय और अगले 24 घंटों में 6 से 12 घंटों के अंतरालों पर मापा जाता है।

प्रयोगशाला परीक्षण

अन्य परीक्षण

जब ECG और कार्डियक मार्करों का मापन पर्याप्त जानकारी प्रदान नहीं करते हैं, तो इकोकार्डियोग्राफी या रेडियोन्यूक्लाइड इमेजिंग की जा सकती है। इकोकार्डियोग्राफी बायें निलय (हृदय का वह कक्ष जो शरीर को रक्त पंप करता है) की दीवार के हिस्से में गतिविधि की कमी दर्शा सकती है। यह निष्कर्ष कभी-कभी दिल के दौरे के कारण क्षति का संकेत होता है।

अस्पताल में भर्ती के दौरान या थोड़े समय बाद अन्य परीक्षण किए जा सकते हैं। इन परीक्षणों का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या व्यक्ति को अतिरिक्त उपचार की जरूरत है या उसे हृदय की और भी समस्याएं होने की संभावना है। उदाहरण के लिए, व्यक्ति को होल्टर मॉनीटर लगाया जा सकता है, जो 24 घंटे या इससे अधिक समय तक हृदय की इलेक्ट्रिक गतिविधि को रिकॉर्ड करता है। इस परीक्षण के ज़रिए डॉक्टर यह पता लगा पाते हैं कि कहीं व्यक्ति को हृदय की असामान्य लय (एरिदमियास) या लक्षणों के बिना अपर्याप्त रक्त आपूर्ति की घटनाओं (साइलेंट इस्केमिया) की समस्या तो नहीं है। डिस्चार्ज से पहले या उसके कुछ ही समय बाद एक्सरसाइज़ स्ट्रेस टेस्ट (कसरत के दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी) से यह तय करने में मदद मिल सकती है कि दिल के दौरे के बाद व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसा है और क्या इस्कीमिया अब भी जारी है। अगर इन परीक्षणों से असामान्य हृदय ताल या इस्केमिया का पता चलता है, तो दवाइयाँ लेने का सुझाव दिया जा सकता है। यदि इस्कीमिया बना रहता है, तो डॉक्टर करोनरी एंजियोग्राफी का सुझाव दे सकते हैं ताकि हृदय को रक्त का प्रवाह बहाल करने के लिए पर्क्युटेनियस करोनरी हस्तक्षेप या करोनरी धमनी बायपास ग्राफ्टिंग करने की संभावना का मूल्यांकन किया जा सके।

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम का उपचार

  • दवाएँ

  • अवरुद्ध धमनियों को फिर से खोलना या बायपास करना

  • जीवनशैली में परिवर्तन

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम चिकित्सीय इमरजेंसी होते हैं। दिल के दौरे के कारण होने वाली आधी मौतें लक्षणों के शुरू होने के बाद के पहले 3 या 4 घंटों में होती है। उपचार जितना जल्दी शुरू होता है, बचने की संभावना उतनी ही बेहतर होती है। अक्यूट करोनरी सिंड्रोम के सदृश लक्षणों से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को तुरंत चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए। व्यक्ति को प्रशिक्षित कर्मचारियों से लैस एम्बुलैंस द्वारा अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में तत्काल ले जाने से उसकी जान बच सकती है। व्यक्ति के डॉक्टर, संबंधियों, मित्रों, या पड़ोसियों से संपर्क करने की कोशिश समय की खतरनाक बर्बादी है।

क्या आप जानते हैं...

  • दिल के दौरे का संकेत देने वाले लक्षणों से ग्रस्त व्यक्ति को प्रशिक्षित कर्मचारियों से लैस एम्बुलैंस द्वारा अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में तत्काल ले जाने से उसकी जान बच सकती है। व्यक्ति के डॉक्टर, संबंधियों, मित्रों, या पड़ोसियों से संपर्क करने की कोशिश समय की खतरनाक बर्बादी है।

दिल के दौरे से ग्रस्त होने के संदेह वाले लोगों को आमतौर पर ऐसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है जहाँ कार्डियक केयर यूनिट होती है। हृदय की ताल, रक्तचाप, और रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा की बारीकी से निगरानी की जाती है ताकि हृदय की क्षति का आकलन किया जा सके। इन यूनिटों की नर्सें हृदय की समस्याओं वाले लोगों की देखभाल करने और हृदय संबंधी इमरेजेंसी को संभालने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होती हैं।

अक्सर, नेज़ल प्रॉंग्स या फेस मास्क के माध्यम से ऑक्सीजन दी जाती है। हृदय को अधिक ऑक्सीजन प्रदान करने से हृदय के ऊतक को नुकसान को कम से कम करने में मदद मिल सकती है।

यदि पहले कुछ दिनों में कोई समस्याएं नहीं होती हैं, तो अधिकांश लोग कुछ और दिनों में अस्पताल से सुरक्षित रूप से घर जा सकते हैं। यदि असामान्य हृदय गति जैसी समस्याएं विकसित होती हैं या हृदय अब पर्याप्त रूप से पंप नहीं कर सकता है (हार्ट फेल्यूर), तो अस्पताल में अधिक समय तक रहना पड़ सकता है।

दवाइयों से उपचार

दिल के दौरे के उपचार के आरंभिक भाग में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा शीघ्रता से चिकित्सीय सहायता प्राप्त करना है ताकि डॉक्टर प्रभावित धमनी में रक्त का प्रवाह बहाल करने का प्रयास कर सकें। जिन लोगों को लगता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है उन्हें एम्बुलैंस बुलाने के तत्काल बाद एक एस्पिरिन की गोली चबानी चाहिए। यदि घर पर एस्पिरिन नहीं ली जाती है या इमरजेंसी कर्मचारियों द्वारा नहीं दी जाती है, तो उसे अस्पताल में तुरंत दिया जाता है। यह उपचार करोनरी धमनी में (यदि मौजूद है तो) थक्के के आकार को कम करके बचने की संभावनाओं को बढ़ाता है। एस्पिरिन से एलर्जी वाले लोगों को इसकी बजाय क्लोपिडोग्रेल, टिर्लोपिडीन, या टिकाग्रेलॉर दी जा सकती है। कुछ लोगों को एस्पिरिन के साथ-साथ क्लोपिडोग्रेल, टिक्लोपिडीन, या टिकाग्रेलॉर भी दी जाती हैं।

ब्लड क्लॉट बनने से रोकने, चिंता कम करने और हृदय के आकार को कम करने के लिए, लोगों को दवाइयाँ दी जाती हैं। दिल का दौरा ठीक होने के बाद, लोगों को कुछ समय तक ये दवाइयाँ लेते रहने की ज़रूरत पड़ सकती है। दिल के दौरे के दौरान और उसके बाद हृदय के काम के बोझ को कम करने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है।

क्योंकि हृदय के कार्य के बोझ को घटाने से ऊतकों की क्षति को सीमित करने में भी मदद मिलती है, इसलिए हृदय की दर को धीमा करने के लिए आमतौर पर एक बीटा-ब्लॉकर दवाई दी जाती है। दर को धीमा करने से हृदय को कम मेहनत करनी पड़ती है और क्षतिग्रस्त ऊतक का क्षेत्र कम हो जाता है।

अतिरिक्त ब्लड क्लॉट बनने से रोकने के लिए, अधिकांश लोगों को हैपेरिन जैसा एक एंटीकोग्युलेन्ट भी दिया जाता है।

अधिकांश लोगों को नाइट्रोग्लिसरीन दी जाती है, जो हृदय के कार्य के बोझ को कम करके और संभावित रूप से धमनियों को चौड़ा करके दर्द से राहत दिलाती है। आमतौर पर, इसे सबसे पहले जीभ के नीचे, और फिर शिरा के माध्यम से दिया जाता है। कभी-कभी, जब नाइट्रोग्लिसरीन का उपयोग नहीं किया जा सकता या जब वह प्रभावी नहीं होती है, तब डॉक्टर बेचैनी और चिंता को कम करने के लिए मॉर्फ़ीन देते हैं।

एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंज़ाइम (ACE) इन्हिबिटर हृदय के आकार में वृद्धि को कम कर सकते हैं और कई लोगों में बचने की संभावना को बढ़ाते हैं। इसलिए, इन दवाइयों को आमतौर पर दिल के दौरे के बाद के पहले कुछ दिनों में दिया जाता है और इन्हें अनिश्चित काल तक लेने का सुझाव दिया जाता है।

स्टेटिन का उपयोग लंबे समय से कोरोनरी धमनी रोग की रोकथाम के लिए किया जाता रहा है, लेकिन डॉक्टर को हाल ही में पता चला है कि एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में भी इससे थोड़े समय के लिए लाभ मिलता है। डॉक्टर ऐसे लोगों को स्टैटिन देते हैं जो इसे पहले से नहीं ले रहे हैं।

दिल के दौरे का उपचार करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयों के बारे में अधिक जानकारी, कोरोनरी धमनी रोग का उपचार करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयाँ की टेबल में देखी जा सकती हैं।

धमनियों को खोलना

अवरुद्ध धमनी को खोलने का समय और पद्धति अक्यूट करोनरी सिंड्रोम के प्रकार और इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति कितनी शीघ्रता से अस्पताल पहुँचता है। अवरुद्ध करोनरी धमनियों को खोलने के कई तरीके हैं:

ST-सेगमेंट एलीवेशन MI वाले लोगों में, करोनरी धमनी के ब्लॉकेज को तत्काल साफ करने से हृदय के ऊतक की रक्षा होती है और जीवित रहने की संभावना बढ़ती है। डॉक्टर व्यक्ति के अस्पताल पहुँचने के बाद 90 मिनट के भीतर ब्लॉकेज को साफ करने का प्रयास करते हैं। क्योंकि धमनी को जितना जल्दी साफ किया जाता है, परिणाम उतना ही बेहतर होता है, इसलिए साफ करने की पद्धति का उसे करने के समय से अधिक महत्व नहीं होता है।

अगर यह प्रक्रिया व्यक्ति के अस्पताल पहुँचने के समय से 90 मिनट के अंदर की जा सके तो, पर्क्युटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (PCI), जैसे कि एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट, ST-सेगमेंट एलीवेशन MI के दौरान अवरुद्ध धमनियों को खोलने का सबसे अच्छा तरीका होते हैं।

अगर PCI प्रक्रियाएँ 90 मिनट की समय सीमा के भीतर उपलब्ध नहीं हों, तो क्लॉट को पिघलाने वाली दवाइयाँ (जिन्हें थ्रॉम्बोलाइटिक या फ़ाइब्रिनोलाइटिक दवाइयाँ भी कहा जाता है—कोरोनरी धमनी रोग का उपचार करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयाँ टेबल देखें), धमनियों को खोलने के लिए शिरा द्वारा (नस के माध्यम से) दी जाती हैं। थ्रॉम्बोलाइटिक दवाइयों में स्ट्रेप्टोकिनेज, टेनेक्टेप्लेज़ (TNK-tPA), आल्टेप्लेज़ और रेटेप्लेज़ शामिल होती हैं। हालांकि, इन्हें तत्काल देना बेहतर होता है, लेकिन ये दवाइयाँ 3 घंटे के भीतर अच्छी तरह काम कर सकती हैं और व्यक्ति के अस्पताल पहुँचने के बाद 12 घंटे तक कुछ लाभ प्रदान कर सकती हैं। कुछ क्षेत्रों में, अस्पताल में पहुँचने से पहले खास तौर पर प्रशिक्षित पैरामेडिक कर्मियों द्वारा थ्रॉम्बोलाइटिक दवाइयाँ दी जाती हैं। थ्रॉम्बोलाइटिक दवाई लेने वाले अधिकांश लोगों को इसके बावजूद अस्पताल छोड़ने से पहले PCI करवानी पड़ती है।

चूंकि थ्रॉम्बोलाइटिक दवाइयों से रक्तस्राव हो सकता है, इसलिए उन्हें आमतौर पर उन लोगों को नहीं दिया जाता है, जिनके पाचन तंत्र में रक्तस्राव हो रहा हो, जिन्हें गंभीर हाई ब्लड प्रेशर हो, जिन्हें हाल ही में आघात हुआ हो या जिनकी दिल का दौरा पड़ने वाले महीने में ही सर्जरी की गई हो।

जिन लोगों को नॉन-ST-सेगमेंट एलीवेशन MI या अस्थायी एनजाइना हो, उन्हें आमतौर पर तत्काल PCI या थ्रॉम्बोलाइटिक दवाइयाँ देने से लाभ नहीं होता है। हालांकि, डॉक्टर आमतौर पर, अस्पताल में भर्ती के पहले या दूसरे दिन PCI करते हैं। यदि व्यक्ति के लक्षण बदतर हो जाते हैं या कुछ समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो डॉक्टर PCI और भी जल्दी कर सकते हैं।

कुछ लोगों में, एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के दौरान PCI या थ्रॉम्बोलाइटिक दवाई का उपयोग करने की बजाय कोरोनरी धमनी बायपास ग्राफ्टिंग (CABG) की जाती है। उदाहरण के लिए, CABG को उपयोग उन लोगों के लिए किया जा सकता है जिन्हें थ्रॉम्बोलाइटिक दवाई नहीं दी जा सकती (उदाहरण के लिए, उन मामलों में जब उन्हें कोई रक्तस्राव विकार हो या हाल ही में आघात हुआ हो या उनकी बड़ी सर्जरी की गई हो)। CABG का इस्तेमाल उन लोगों के लिए भी किया जा सकता है जो उनके धमनी रोग की तीव्रता के कारण PCI नहीं करवा सकते हैं (जैसे, यदि उन्हें कई स्थानों में ब्लॉकेज है या हृदय की कार्यक्षमता कम है, खास तौर से यदि व्यक्ति को मधुमेह भी है)।

सामान्य उपाय

धूम्रपान, कोरोनरी धमनी रोग का एक बड़ा जोखिम कारक होता है, इसलिए धूम्रपान करने वाले लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

कब्ज की रोकथाम करने के लिए मल को नरम करने वाली दवाइयों और सौम्य रेचकों का प्रयोग किया जा सकता है, ताकि व्यक्ति को जोर न लगाना पड़े। यदि व्यक्ति पेशाब करने में असमर्थ है या यदि डॉक्टरों और नर्सों को मूत्र की मात्रा की सटीक जानकारी की जरूरत है, तो यूरिनरी कैथेटर का प्रयोग किया जा सकता है।

गंभीर चिंता या तनाव के लिए (जिससे हृदय पर दबाव पड़ सकता है), कोई हल्की चिंता-रोधी दवाई (उदाहरण के लिए, लोरेज़ेपैम जैसी कोई बेंज़ोडायज़ेपाइन) दी जा सकती है। हल्के अवसाद और बीमारी को स्वीकार न करने की स्थिति से निपटने के लिए, जो अक्यूट करोनरी सिंड्रोम के बाद आम है, लोगों को डॉक्टरों, नर्सों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, तथा परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ अपनी भावनाओं पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कुछ लोगों को अवसादरोधी दवाई की आवश्यकता होती है।

अस्पताल से छुट्टी

अस्पताल में लगभग 1 से 3 दिन रहने के बाद, जिन लोगों को मामूली सा दिल का दौरा पड़ा हो और जिनकी सफलतापूर्वक PCI कर दी गई हो, उन्हें आमतौर पर छुट्टी दे दी जाती है। अन्य लोगों को अधिक समय तक रुकना पड़ सकता है।

आमतौर पर नाइट्रोग्लिसरीन, एस्पिरिन, और कभी-कभी क्लोपिडोग्रेल, बीटा-ब्लॉकर, एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंज़ाइम (ACE) इन्हिबिटर, और लिपिड कम करने वाली दवाई (अधिकतर, कोई स्टैटिन दवाई) लिखी जाती है।

पुनर्वास

कार्डियक पुनर्वास, जो ठीक होने का एक महत्वपूर्ण भाग है, अस्पताल में शुरू होता है। 2 या 3 दिन से अधिक समय तक बिस्तर में रहने से शारीरिक डीकंडिशनिंग और कभी-कभी अवसाद और निस्सहायता की अनुभूति पैदा होने लगती है। जटिलताओं को छोड़कर, जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ता है वे आमतौर पर पहले दिन से कुर्सी में बैठना, निष्क्रिय व्यायाम, कमोड चेयर का उपयोग, और पढ़ना शुरू कर सकते हैं। दूसरे या तीसरे दिन तक, लोगों को बाथरूम जाने और तनावहीन गतिविधियाँ करने के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगता है, और वे हर रोज अधिक गतिविधियाँ कर सकते हैं। यदि सबकुछ ठीकठाक रहता है, तो लोग आमतौर पर लगभग 6 सप्ताह के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियों में लौट जाते हैं। व्यक्ति की आयु और हृदय के स्वास्थ्य के साथ सुसंगत नियमित कसरत कार्यक्रम में भाग लेना लाभदायक होता है।

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम के लिए पूर्वानुमान

अनस्टेबल एंजाइना से ग्रस्त कई लोगों को लगभग 3 महीने के भीतर दिल का दौरा पड़ता है।

जिस व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ा हो, उसके लिए सबसे खतरनाक समय अस्पताल पहुँचने से पहले के शुरुआती कुछ घंटे होते हैं। इसलिए जब लोगों को यह संदेह हो कि उन्हें दिल का दौरा पड़ रहा है, तब तुरंत चिकित्सा सहायता लेना बहुत ज़रूरी होता है। दिल के दौरे के कुछ दिनों बाद तक जीवित बचे रहने वाले अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक होने की आशा कर सकते हैं, लेकिन लगभग 10% लोगों की एक वर्ष के भीतर मृत्यु हो जाती है। अधिकांश मौतें पहले 3 या 4 महीनों में होती हैं, आमतौर पर उन लोगों में जिन्हें एंजाइना जारी रहता है, निलयों से शुरू होने वाली असामान्य हृदय तालें (वेंट्रिकुलर एरिद्मिया) होती हैं, या हार्ट फेल्यूर होता है। दिल के दौरे के बाद, अगर हृदय का आकार बढ़ जाता है, तो इस रोग का पूर्वानुमान ठीक से नहीं हो पाता है।

दिल के दौरे के बाद, वयोवृद्ध वयस्कों की मृत्यु होने और हार्ट फेल होने जैसी समस्याएँ होने की अधिक संभावना होती है। महिलाएँ और डायबिटीज, हाइपरटेंशन या मोटापे से पीड़ित लोगों में भी इस रोग का पूर्वानुमान ठीक से न होने की संभावना ज़्यादा होती है।

क्या आप जानते हैं...

  • दिल के दौरे के कारण होने वाली आधी मौतें लक्षणों के शुरू होने के बाद के पहले 3 या 4 घंटों में होती है।

अक्यूट करोनरी सिंड्रोम की रोकथाम

जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ता है, उन्हें डॉक्टर हर रोज एक बेबी एस्पिरिन, आधी वयस्क एस्पिरिन, या एक पूरी वयस्क एस्पिरिन लेने की अनुशंसा करते हैं। क्योंकि एस्पिरिन प्लेटलेटों को थक्के बनाने से रोकती है, इसलिए वह मृत्यु के जोखिम और दूसरे दिल के दौरे के जोखिम को 15 से 30% तक कम करती है। एस्पिरिन से एलर्जी वाले लोग इसकी बजाय क्लोपिडोग्रेल ले सकते हैं। एस्पिरिन का सुझाव आजकल उन लोगों में एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम की रोकथाम के लिए नहीं दिया जाता है, जिन्हें पहले कभी दिल का दौरा नहीं पड़ा हो।

आमतौर पर, डॉक्टर दिल का दौरा झेल चुके लोगों को एक बीटा-ब्लॉकर (जैसे कि मेटोप्रोलोल) भी प्रिस्क्राइब करते हैं, क्योंकि ये दवाइयाँ मृत्यु के जोखिम को लगभग 25% तक कम कर देती हैं। दिल का दौरा जितना अधिक गंभीर होता है, बीटा-ब्लॉकर उतना ही अधिक लाभ प्रदान करते हैं। हालांकि, कुछ लोग दुष्प्रभावों (जैसे कि घरघराहट, थकावट, शिश्न के उत्त्थान की क्रिया में गड़बड़ी, और हाथों या पैरों का ठंड होना) को सहन नहीं कर सकते हैं, और हर किसी को लाभ नहीं मिलता है।

लिपिड को कम करने वाली दवाइयाँ लेने से दिल के दौरे के बाद मृत्यु का जोखिम कम हो जाता है।

दिल के दौरे के बाद अक्सर एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंज़ाइम (ACE) इन्हिबिटर दवाइयाँ, जैसे कि कैप्टोप्रिल, इनैलाप्रिल, पेरिंडोप्रिल अर्बूमाइन, ट्रैंडोलाप्रिल, लिसिनोप्रिल, और रैमिप्रिल, लिखी जाती हैं। ये दवाइयाँ मृत्यु और हार्ट फेल होना रोकती हैं, खास तौर पर उन लोगों में, जिन्हें दिल का बड़ा दौरा पड़ा हो या जिनमें हार्ट फेल की ज़्यादा संभावना हो।

लोगों को अपनी जीवनशैली में परिवर्तन भी करने चाहिए। उन्हें कम फैट वाला आहार खाना चाहिए और कसरत की मात्रा को बढ़ाना चाहिए। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप या मधुमेह है उन्हें इन विकारों को नियंत्रण में रखने का प्रयास करना चाहिए। धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ देना चाहिए।

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