बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर

(बच्चों में हाइपरटेंशन)

इनके द्वाराBruce A. Kaiser, MD, Nemours/Alfred I. DuPont Hospital for Children
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया दिस॰ २०२१ | संशोधित अक्तू॰ २०२२

उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) मैं धमनियों में लगातार रूप से उच्च दबाव होता है।

विषय संसाधन

  • आम तौर पर, वयस्कों की तरह, बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का कोई पहचान योग्य कारण नहीं होता है।

  • बचपन में, हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित अधिकांश बच्चों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, हालांकि लक्षण बाद में विकसित हो जाते हैं।

  • डॉक्टर स्फिग्मोमैनोमीटर (रबड़ के बल्ब से जुड़ा रबड़ का नर्म कफ जिसका इस्तेमाल कफ को फुलाने के लिए किया जाता है और एक मीटर जो कफ के दबाव को दर्ज करता है) या कभी-कभी एक ऑसिलोमीटर नामक एक स्वचालित उपकरण के साथ ब्लड प्रेशर को कई बार मापते हैं

  • यदि बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर है, तो डॉक्टर संभावित कारणों का पता लगाने के लिए परीक्षण करते हैं।

  • आम तौर पर उपचार की शुरुआत जीवनशैली परिवर्तनों से होती है, लेकिन कभी-कभी दवाओं की भी ज़रूरत होती है।

जब रक्तचाप जाँचा जाता है, तब दो मान रिकॉर्ड किए जाते हैं। ऊपरी मान धमनियों के अधिकतम दबाव को प्रदर्शित करता है, जो हृदय के संकुचित होने (सिस्टोल के दौरान) पर उत्पन्न होता है। निचला मान धमनियों के निम्नतन दबाव को प्रदर्शित करता है, जो हृदय के फिर से संकुचित होना शुरू करने से ठीक पहले उत्पन्न होता है। ब्लड प्रेशर को सिस्टोलिक प्रेशर/डायस्टोलिक प्रेशर के रूप में लिखा जाता है—उदाहरण के लिए 120/80 मिमी Hg (मिलीमीटर्स ऑफ मर्करी), जिसे 80 के ऊपर 120 के रूप में संदर्भित किया जाता है।

अक्सर हाई ब्लड प्रेशर की शुरुआत बचपन में होती है। अमेरिका में, लगभग 2 से 4% बच्चों को हाई ब्लड प्रेशर होता है। अन्य 3 से 4% ऐसे हैं जिनको ऐसा ब्लड प्रेशर है जो सामान्य के उच्च सिरे पर है। पूरी दुनिया में, ऐसा अनुमान है कि 4% बच्चों को हाई ब्लड प्रेशर है। ऐसा लगता है कि हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित बच्चों के प्रतिशत में बढ़ोतरी हो रही है, शायद इसलिए क्योंकि अधिक से अधिक बच्चे तय से अधिक वजन वाले या मोटे होते जा रहे हैं।

13 वर्ष से कम आयु के बच्चों में, वे मान जिन्हें उच्च माना जाता है, वे लिंग, आयु और कद पर आधारित होते हैं। इस प्रकार, कोई स्पष्ट ब्लड प्रेशर नहीं है जो सभी बच्चों के लिए हाई ब्लड प्रेशर को दर्शाता है। इसके बजाए, बढ़े हुए ब्लड प्रेशर का तब निदान किया जाता है जब बच्चे का ब्लड प्रेशर समान लिंग, आयु और कद वाले 90% बच्चों के ब्लड प्रेशर की तुलना में समान है या उच्च होते हैं।

किशोरों में (13 वर्ष की आयु और अधिक), ब्लड प्रेशर को वयस्कों की तरह वर्गीकृत किया जाता है:

  • सामान्य: 120 सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर से कम तथा 80 डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर से कम

  • बढ़ा हुआ: 120 से 129 सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर तथा 80 डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर से कम

  • चरण 1 (हलका) हाई ब्लड प्रेशर: 130/80 से 139/89)

  • चरण 2 हाई ब्लड प्रेशर: 140/90 या उच्चतर

शरीर में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए अनेक तंत्र हैं। शरीर निम्नलिखित को बदल सकता है:

  • हृदय द्वारा पंप किए जाने वाले रक्त की मात्रा

  • धमनियों का व्यास

  • रक्त के प्रवाह में रक्त की मात्रा

ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के लिए, हृदय अधिक जोर से या अधिक रफ्तार के साथ पंप करके अधिक रक्त पंप कर सकता है। छोटी धमनियां संकीर्ण (संकुचित) हो सकती हैं, जिसके कारण सामान्य की तुलना में अधिक संकीर्ण स्थान से दिल की प्रत्येक धड़कन के साथ रक्त को फोर्स करना। क्योंकि धमनियों में मौजूद जगह संकरी होती है, उनमें से गुजरने वाले रक्त की वही मात्रा रक्तचाप को बढ़ाती है। रक्त को धारित करने के लिए शिराओं की क्षमता को कम करने के लिए शिराएं संकुचित हो सकती हैं, जिसकी वजह से धमनियों में अधिक रक्त जाता है। परिणामस्वरूप, रक्तचाप बढ़ जाता है। कम पानी और सोडियम (लवण) को बाहर निकाल कर किडनी रक्त की धारा में अधिक फ़्लूड जोड़ सकती हैं। परिणामस्वरूप, रक्त की मात्रा और इस तरह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए, हृदय कम बल के साथ या कम तीव्रता के साथ पम्प कर सकता है, छोटी धमनियां और शिराएं विस्तारित (डायलेट) हो सकती हैं, और किडनी रक्त की धारा से फ़्लूड और सोडियम को हटा सकती हैं।

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के कारण

उच्च रक्तचाप निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है

  • प्राथमिक (कोई ज्ञात कारण नहीं)

  • सेकेण्डरी (किसी अन्य विकार के कारण होता है जैसे किडनी विकार)

6 वर्ष और उससे अधिक आयु के बच्चो में, प्राथमिक हाई ब्लड प्रेशर को सर्वाधिक आम कारण माना जाता है, खास तौर पर किशोरों में। 6 वर्ष की आयु से कम आयु के बच्चों में, विशेष रूप से जो 3 वर्ष से कम आयु के हैं, सेकेण्डरी हाई ब्लड प्रेशर अधिक आम होता है।

प्राइमरी हाइपरटेंशन

हालांकि कारण अज्ञात है, प्राथमिक हाइपरटेंशन उन बच्चों में अधिक सामान्य होता है जिनमें निम्नलिखित जोखिम कारक हैं:

  • तय से अधिक वज़न या मोटापा (सर्वाधिक महत्वपूर्ण जोखिम कारक)

  • हाई ब्लड प्रेशर का पारिवारिक इतिहास

  • पुरुष लिंग

  • मेक्सिकन-अमेरिकन या अश्वेत (अमेरिका में)

  • शारीरिक गतिविधि का निम्न स्तर

  • उनके आहार में लवण तथा कैलोरी की उच्च मात्रा

  • जन्म के समय अंडरवेट या समयपूर्व जन्म

  • सामाजिक जोखिम कारक जैसे बाल शोषण, परिवार के सदस्यों के बीच में हिंसा, तथा खाद्य और/या आवास संबंधी असुरक्षा

  • मधुमेह

धूम्रपान करना या किसी निकोटीन-युक्त उत्पाद (जैसे वैपिंग उत्पाद) का प्रयोग करना और सेकण्डहैंड स्मोक के संपर्क में आने से भी उच्च ब्लड प्रेशर हो सकता है।

सेकंडरी हाइपरटेंशन

सेकेण्डरी हाइपरटेंशन का पहचान योग्य कारण होता है। कभी-कभी जब कारण का उपचार किया जाता है, ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

बच्चों में सेकेण्डरी हाइपरटेंशन के सर्वाधिक आम कारण

सेकेण्डरी हाइपरटेंशन के अन्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं

तनाव या दर्द के कारण अस्थाई रूप से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, तथा तनाव या दर्द के दूर हो जाने से आम तौर पर ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

अन्य स्थितियां जो ब्लड प्रेशर को अस्थायी रूप से बढ़ाती हैं, उनमें हाल ही में सेवन किए गए कैफ़ीनयुक्त पेय, हाल में की गई शारीरिक गतिविधि, तथा व्हाइट कोट हाइपरटेंशन, जो डॉक्टर के कार्यालय में मुलाकात के कारण होने वाले तनाव के कारण होती है।

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण

आम तौर पर, बच्चो में हाई ब्लड प्रेशर के कोई लक्षण नहीं होते हैं। खास तौर पर हाई ब्लड प्रेशर के कारण उस समय नज़र आते हैं जब कोई महत्वपूर्ण अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है, आमतौर पर ब्लड प्रेशर के उच्च होने के बाद अनेक वर्षों तक ऐसा नहीं होता है।

इस प्रकार, हाई ब्लड प्रेशर के कारण समस्याएं बचपन में विकसित नहीं होती हैं।

बहुत ही कम बार, बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के कारण महत्वपूर्ण अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं क्योंकि अचानक हाइपरटेंसिव आपात स्थिति पैदा हो जाती है। वह अंग जो प्रभावित हो सकते हैं, उनमें निम्नलिखित शामिल होते हैं

  • मस्तिष्क, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क के कार्य खराब हो सकते हैं, जिसमें निद्रालुता, भ्रम, सीज़र्स तथा कोमा तक भी शामिल होते हैं

  • हृदय, जिसके परिणामस्वरूप हृदय की विफलता हो सकती है

  • आँख, जिनमें पैपिलेडेमा (ऑप्टिक तंत्रिका की सूजन) तथा रेटिना से रक्तस्राव हो सकता है

  • किडनी, जिसके परिणामस्वरूप किडनी की विफलता हो सकती है

यदि उपचार न किया जाए, तो हाइपरटेंसिव इमरजेंसी जानलेवा हो सकती है।

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का निदान

  • रक्तचाप का मापन

  • कभी-कभी कारण की पहचान करने के लिए परीक्षण

क्योंकि बच्चों में उच्च ब्लड प्रेशर की परिभाषा बच्चे की आयु, लिंग तथा कद पर निर्भर करती है, इसलिए कोई ऐसा मान नहीं है जिसे उच्च माना जाए। परिणामस्वरूप, डॉक्टर आयु और कद के अनुसार चार्ट का इस्तेमाल करते हैं जिनमें लड़कों और लड़कियों के लिए मान दिए गये होते हैं। इन चार्ट से डॉक्टर उच्च ब्लड प्रेशर का निदान कर लेते हैं और यह वर्गीकृत करते हैं कि यह कितना गंभीर है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि उच्च ब्लड प्रेशर अस्थाई दशा (जैसे कैफ़ीन का सेवन करने के बाद) नहीं है, डॉक्टर तीन पृथक मुलाकातों के दौरान कम से कम दो बार ब्लड प्रेशर की माप करते हैं।

सर्वाधिक सटीक रीडिंग के लिए, ब्लड प्रेशर की माप बच्चों को शांतिपूर्वक 3 से 5 मिनट तक कुर्सी में बैठाने का बाद की जाती है। उनकी पीठ को सहारा मिलना चाहिए और आदर्श रूप से उनके पैर फर्श पर होने चाहिए।

आम तौर पर ब्लड प्रेशर की माप स्फिग्मोमैनोमीटर (रबड़ के बल्ब से जुड़ा रबड़ का नर्म कफ जिसका इस्तेमाल कफ को फुलाने के लिए किया जाता है और एक मीटर जो कफ के दबाव को दर्ज करता है) से की जाती है। स्वास्थ्य देखभाल प्रेक्टिशनर्स यह सुनिश्चित करते हैं कि कफ बच्चे की बाजू पर फिट बैठता है। रक्त का प्रवाह रोकने के लिए कफ को पर्याप्त फुलाया जाता है। फिर प्रेक्टिशनर कप को डिफ्लेट करता है तथा कफ के नीचे धमनी के ऊपर स्टेथोस्कोप लगाकर पहले धड़कन को सुनता है और फिर रक्त प्रवाह के न होने के ध्वनि को सुनता है (जब हृदय रिलेक्स करता है, धड़कनों के बीच की अवधि में)। कभी-कभी डॉक्टर एक इंस्ट्रुमेंट जिसे ऑसिलोमीटर कहा जाता है, का इस्तेमाल स्फिग्मोमैनोमीटर या किसी स्टेथोस्कोप के बजाए ब्लड प्रेशर की माप करने के लिए करते हैं। ऑसिलोमीटर ब्लड प्रेशर को ऑटोमैटिक तथा शीघ्रतापूर्वक माप लेता है। यदि कोई असमान्यता है, तो माप की पुष्टि के लिए ब्लड प्रेशर को फिर से स्फिग्मोमैनोमीटर या स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल करके मापा जाता है।

डॉक्टर यह सिफारिश करते हैं कि ब्लड प्रेशर माप की शुरूआत तब करनी चाहिए जब बच्चे 3 वर्ष की आयु के हो जाते हैं। यदि छोटे बच्चों में ऐसे जोखिम कारक हैं जिनके कारण उनको उच्च ब्लड प्रेशर का जोखिम अधिक होता है (जैसे किडनी या हृदय विकार, या बहुत ही समय पूर्व जन्म होना) तो डॉक्टर जितनी जल्दी हो सकता है ब्लड प्रेशर की माप शुरु कर देते हैं तथा वे ऐसा प्रत्येक वेल-चाइल्ड विज़िट में करते हैं।

यदि मध्यम रूप से उच्च ब्लड प्रेशर का निदान किया जाता है, तो डॉक्टर फिर से 6 महीनों में ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं। यदि ब्लड प्रेशर अभी भी उच्च है, तो जीवनशैली परिवर्तन जैसे आहार में सुधार, अधिक शारीरिक गतिविधि तथा वजन कम करने के प्रयास (यदि ज़रूरत है) शुरू किए जाते हैं। यदि अगले 6 महीनों के दौरान ब्लड प्रेशर अभी भी उच्च बना रहता है, तो बच्चों को एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटर एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटर। एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटर एक पोर्टेबल बैटरी-ऑप्रेटेड डिवाइस होता है, जो बाजू पर पहने ब्लड प्रेशर कफ के साथ जुड़ा रहता है। मॉनिटर द्वारा पूरे दिन तथा रात को 24 घंटों की अवधि के दौरान बार-बार ब्लड प्रेशर को रिकार्ड किया जाता है। रीडिंग से डॉक्टर को यह तय करने में मदद मिलती है कि क्या उच्च ब्लड प्रेशर मौजूद है, कब-कब उच्च रीडिंग आती हैं, तथा वे कितनी गंभीर हैं।

यदि चरण 1 हाइपरटेंशन का निदान किया जाता है, तो डॉक्टर 1 से 2 सप्ताहों के दौरान फिर से ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं। यदि ब्लड प्रेशर चरण 1 पर बना रहता है, तो बाजू और टांग से प्रेशर माप ली जाती हैं ताकि यह देखा जा सके कि क्या उनके बीच में अंतर है, यूरिनेलिसिस किया जाता है, तथा जीवनशैली परिवर्तनों की सिफारिश की जाती है। डॉक्टर 2 से 3 महीनों में ब्लड प्रेशर की फिर से जांच करते हैं, यदि यह अभी भी चरण 1 में है, तो बच्चे को विशेषज्ञ के पास भेजा जाना चाहिए।

यदि चरण 2 हाइपरटेंशन का निदान किया जाता है या बच्चों को चरण 1 हाइपरटेंशन तथा लक्षण हैं, तो बच्चों को तत्काल आपातकालीन विभाग या विशेषज्ञ के पास संभावित रूप से अस्पताल में भर्ती करने के लिए भेजा जाता है।

रक्तचाप मापना

कई उपकरण रक्तचाप को शीघ्रता से और थोड़ी सी असहजता के साथ माप सकते हैं। आमतौर पर स्फिग्मोमैनोमीटर का उपयोग किया जाता है। इसमें एक नर्म रबड़ के कफ से जुड़ा एक रबड़ से बल्ब जिसका उपयोग कफ को फुलाने के लिए किया जाता है, तथा एक मीटर होता है जो कफ के दबाव को प्रदर्शित करता है। यह मीटर डायल या पारे से भरा एक काँच का कॉलम हो सकता है। रक्तचाप को मिलीमीटर ऑफ मर्क्यूरी के रूप में मापा जाता है क्योंकि इसे मापने के लिए प्रयुक्त पहला उपकरण पारे का एक कॉलम था।

जब स्फिग्मोमैनोमीटर का उपयोग किया जाता है, तो व्यक्ति पैरों को क्रॉस किए बिना और पीठ को सहारा देकर बैठता है। बाजू से कपड़ा हटाया जाता है (यदि स्लीव को ऊपर की तरफ चढ़ाया जाता है, तो इस बात की सावधानी रखनी चाहिए कि यह बाजु के चारों ओर टाइट नहीं है), इसे मोड़ा जाता है, और मेज पर विश्राम की अवस्था में टिकाया जाता है, ताकि बाजू हृदय के समान स्तर पर ही रहे। बाजू के चारों तरफ कफ को लपेटा जाता है। बाजू के अनुपात के अनुसार ही कफ का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण होता है। यदि कफ बहुत छोटा है, तो ब्लड प्रेशर रीडिंग बहुत उच्च होगी। यदि कफ बहुत बड़ा है, तो ब्लड प्रेशर रीडिंग निम्न होगी।

कफ के नीचे धमनी के ऊपर रखे स्टेथोस्कोप से सुनते हुए, किसी स्वास्थ्य देखभाल प्रेक्टिशनर द्वारा तब तक बल्ब को दबाते हुए कफ को फुलाया जाता है जब तक कि कफ धमनी को इतनी कठोरता से संकुचित नहीं कर देता कि अस्थाई रूप से रक्त का प्रवाह रूक जाए, आमतौर पर यह दबाव व्यक्ति के सिस्टोलिक दबाव (जब दिल धड़कता है तो उस समय डाले जाने वाला दबाव) 30 मिमी मर्क्यूरी से ऊपर रखा जाता है। कफ को धीरे-धीरे डिफ्लेट किया जाता है। जिस दबाव पर प्रैक्टिशनर धमनी में पहली धड़कन को सुनता है, उसे सिस्टोलिक दबाव कहा जाता है। कफ को डिफ्लेट किया जाना जारी रखा जाता है, तथा किसी समय पर, रक्त के प्रवाह की ध्वनि बंद हो जाती है। इस पॉइंट पर दवाब डायस्टोलिक दबाव होता है (जब हृदय, धड़कनों के बीच में रिलेक्स करता है)।

उच्च रक्तचाप वाले लोगों के द्वारा घर पर रक्तचाप मापने के लिए उपकरण उपलब्ध हैं।

डॉक्टर चिकित्सा इतिहास, भी प्राप्त करते हैं, जिसमें बच्चे के मौजूदा लक्षणों, आहार (जिसमें नमक का सेवन, मोटे बच्चो में कैलोरी का सेवन, कैफ़ीन तथा एनर्जी ड्रिंक्स का उपभोग), गतिविधि स्तर, तथा बच्चे द्वारा ली जाने वाली किसी दवा से संबंधित प्रश्न भी शामिल होते हैं। उच्च ब्लड प्रेशर पैदा करने वाली या उसमें योगदान करने वाली दशाओं की पहचान करने के लिए (जोखिम कारक), डॉक्टर यह पूछते हैं कि क्या परिवार के सदस्यों को कोई ऐसे विकार हैं जो उच्च ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ाते हैं, जैसे कुछ खास प्रकार की किडनी समस्याएं या हृदय की विफलता। डॉक्टर यह निर्धारित करने की कोशिश करते हैं कि क्या बच्चे द्वारा धूम्रपान किया जाता है या वह निकोटीन युक्त उत्पाद का सेवन करता है अथवा वह अल्कोहल का सेवन करता है।

गहन शारीरिक परीक्षण और मानक रक्त तथा मूत्र परीक्षण किए जाते हैं। किडनी कार्य का मूल्यांकन करने के लिए परीक्षण और उच्च कोलेस्ट्रॉल की जांच करने के लिए भी परीक्षण किए जाते हैं। चिकित्सा इतिहास तथा शारीरिक परीक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर विशिष्ट विकारों की जांच करने के लिए भी अन्य परीक्षण किए जा सकते हैं।

बच्चों में उच्च ब्लड प्रेशर की रोकथाम

  • वजन कम करना

  • व्यायाम

  • नमक (सोडियम) का सेवन कम करना

मोटापा (BMI द्वारा तय), शारीरिक गतिविधि का न होना, तथा उच्च नमक और/या कैलोरी युक्त आहार उच्च ब्लड प्रेशर के जोखिम कारक हैं (और कोरोनरी धमनी रोग के लिए)। अर्थात ये कारक उच्च ब्लड प्रेशर में योगदान कर सकते हैं या उसका कारण बन सकते हैं। इस प्रकार, उनमें संशोधन करने से उच्च ब्लड प्रेशर की रोकथाम की जा सकती है।

अधिक से अधिक बच्चे ओवरवेट या मोटे होते जा रहे हैं। एक कारण यह है कि बच्चे स्क्रीन के सामने बैठ कर बहुत अधिक समय बिता रहे हैं। विशेषज्ञ स्क्रीन के सामने घंटों समय बिताकर निम्‍न औसत संख्‍या का अनुमान लगाते हैं:

  • 8 से 10 वर्ष के बच्चे: 6 घंटे प्रति दिन

  • 11 से 14 वर्ष के बच्चे: 9 घंटे प्रतिदिन

  • 15 से 18 वर्ष के बच्चे: 7½ घंटे प्रतिदिन

इन औसतों में स्क्रीन के सामने केवल मनोरंजन के लिए बिताया गया समय शामिल है। इनमें शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए स्कूल में या घर पर होम वर्क के लिए कंप्यूटर के इस्तेमाल का समय शामिल नहीं है। इस स्क्रीन समय को एक्सरसाइज़ की लागत पर व्यतीत किया जाता है और इस प्रकार से इसके द्वारा ओवरवेट तथा मोटापे में योगदान किया जाता है।

जब स्क्रीन को देखने में इतना अधिक समय व्यतीत किया जाता है, तो शारीरिक गतिविधि के लिए कम समय बचता है। विशेषज्ञ निम्नलिखित की सिफारिश करते हैं

  • 6 से 17 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए: हर रोज़ 30 से 60 मिनट की मध्यम से श्रमसाध्य शारीरिक गतिविधि या कम से कम हर सप्ताह 3 से 5 दिन

  • 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए: पूरे दिन शारीरिक गतिविधि

सोडियम से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। जब लोग बहुत अधिक लवण (सोडियम) का सेवन करते हैं, तो शरीर द्वारा अधिक फ़्लूड को धारित किया जाता है, जिसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अमेरिका में, अधिकांश बच्चे सिफारिश की गई मात्रा की तुलना में अधिक लवण का सेवन करते हैं। अमेरिका में, 6 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे अनुमानतः 3,300 मिलीग्राम सोडियम प्रतिदिन का सेवन करते हैं, जिसमें टेबल पर शामिल किए जाने वाले नमक को शामिल नहीं किया गया है। विशेषज्ञ यह सिफारिश करते हैं कि बच्चों को 2,300 मिलीग्राम से अधिक हर रोज़ सोडियम का सेवन नहीं करना चाहिए, तथा 13 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यह और भी कम है।

धूम्रपान करना या किसी निकोटीन-युक्त उत्पाद का प्रयोग करना उच्च ब्लड प्रेशर का एक अन्य जोखिम कारक है। यदि बच्चे या किशोर धूम्रपान करते हैं, डॉक्टर धूम्रपान बंद करने के प्रोग्राम की सिफारिश कर सकते हैं।

माता-पिता अपने बच्चों में निम्नलिखित के द्वारा उच्च ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकते हैं

  • भोजन के समय तथा चाय-नाश्ते के तौर पर स्वास्थ्य से भरपूर, निम्न कैलोरी खाद्य पदार्थ जैसे फल, तथा सब्जियां प्रदान करवाना

  • ऐसे खाद्य पदार्थ प्रदान करना जिनमें लवण की मात्रा कम होती है

  • हमेशा पानी की उपलब्धता को तय करना (शर्करा युक्त पेय पदार्थों के बजाय, जिनमें एनर्जी ड्रिंक्स शामिल हैं) तथा फलों के रस को सीमित करना

  • अपने बच्चों को शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय बनने के लिए प्रोत्साहित करना

  • यह सिखाना कि ओवरवेट तथा मोटापा क्या होता है

  • अपने बच्चों की स्वस्थ वजन बनाए रखने में सहायता करना

  • स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन करना तथा हर रोज़ एक्सरसाइज़ करना ताकि वे अपने बच्चों के लिए आदर्श बन सकें

बच्चों में उच्च ब्लड प्रेशर का उपचार

  • यदि ज़रूरत है, तो वजन कम करना

  • आहार में परिवर्तन

  • बढ़ी हुई शारीरिक गतिविधि

  • कभी-कभी दवा से उपचार

हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित बच्चो में, उपचार में बढ़ी हुई शारीरिक गतिविधि, आहार में परिवर्तन ताकि नमक तथा कैलोरी सेवन को कम किया जा सके, वजन कम करना, तथा कभी-कभी दवाएँ, यह इस बात पर निर्भर है कि हाई ब्लड प्रेशर कितना गंभीर है।

आम तौर पर, हाई ब्लड प्रेशर के उपचार की शुरुआत जीवन शैली में परिवर्तन के साथ होती है जिससे ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिल सकती है, जैसे आहार, और यदि ज़रूरत है तो वजन मे कमी। गतिविधि स्तर, आयु और लिंग के आधार पर कैलोरी की संख्या सीमित होती है, तथा नमक का सेवन सीमित होता है। DASH (हाइपरटेंशन को रोकने के लिए आहार संबंधी पद्धतियां) आहार सहायक हो सकते हैं। इस आहार में फलों और सब्ज़ियों के बहुत अधिक सेवन और निम्न-वसा वाले डेयरी उत्पादों के इस्तेमाल पर बल दिया जाता है। इसमें पोल्ट्री, मछली, साबुत अनाज, तथा सूखे मेवे शामिल होते हैं, और इसमें लाल मांस, मिठाई तथा नमक के सेवन को सीमित किया जाता है। इस आहार में सेचुरेटेड वसा तथा कोलेस्ट्रॉल भी निम्न होते हैं।

विशेषज्ञ निम्नलिखित की सिफारिश करते हैं

  • वे बच्चे जिनकी आयु 6 से 17 वर्ष की है: हर रोज़ या एक सप्ताह में 3 से 5 दिन तक 30 से 60 मिनट के लिए मध्यम से श्रमसाध्य शारीरिक गतिविधि

  • 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए: पूरे दिन शारीरिक गतिविधि

यदि जीवन शैली परिवर्तनों के 6 महीनों के बाद ब्लड प्रेशर लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जाता है, तो कुछ बच्चों को दवाओं से उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

यदि उनके डॉक्टर को ड्रग थेरेपी को प्रिस्क्राइब करने में सहायता की आवश्यकता है तो बच्चों को खास तौर पर किसी विशेषज्ञ के पास भेजा जाता है अथवा यदि बच्चों में निम्नलिखित दोनो में से कुछ है:

  • चरण 1 हाइपरटेंशन विशेष रूप से लक्षणों, अंग क्षति, डायबिटीज या किडनी विकार के साथ

  • चरण 2 (गंभीर) हाइपरटेंशन

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का दवा से उपचार

यदि निम्नलिखित में से कुछ भी लागू होता है, तो तत्काल दवा उपचार (तथा जीवनशैली परिवर्तन) को खास तौर पर शुरू किया जाता है:

  • हाई ब्लड प्रेशर, फिर चाहे गंभीरता कितनी भी क्यों न हो, उसके कारण लक्षण पैदा होते हैं।

  • चरण 1 हाइपरटेंशन के कारण अंग दुष्क्रिया या क्षति होती है।

  • चरण 2 हाइपरटेंशन मौजूद है।

  • बच्चों को क्रोनिक किडनी रोग, डायबिटीज, या हृदय रोग होता है फिर चाहे हाई ब्लड प्रेशर का चरण कुछ भी क्यों न हो।

ऐसे बच्चे जिनको हलका हाई ब्लड प्रेशर होता है जिसे जीवनशैली संबंधी परिवर्तनों के 6 महीने बाद भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, तो उन्हें दवा से उपचार की आवश्यकता होगी।

हाई ब्लड प्रेशर के उपचार के लिए प्रयुक्त दवाओं को एंटीहाइपरटेंसिव दवाएँ कहा जाता है। उपचार उस समय सबसे अधिक प्रभावी होता है जब माता-पिता, बच्चा तथा डॉक्टर अच्छे से बातचीत करते हैं तथा दवा उपचार प्रोग्राम पर चर्चा करते हैं, जिसमें संभावित दुष्प्रभाव भी शामिल हैं। किसी भी एंटीहाइपरटेंसिव दवा के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए माता-पिता को उनके प्रति सजग रहना चाहिए। यदि दुष्प्रभाव विकसित हो जाता है, तो माता-पिता या बच्चे को डॉक्टर को बताना चाहिए, जो खुराक को एडजस्ट कर सकता है या कोई अन्य दवा से प्रतिस्थापन कर सकता है।

डॉक्टर खास तौर पर मौखिक एंटीहाइपरटेंसिव दवा की निम्न खुराक से शुरुआत करते हैं और ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए खुराक को तब तक बढ़ाया जाता है जब तक कि दवा की उच्चतम खुराक तक नहीं पहुंच जाती या कोई साइड इफेक्‍ट सामने नहीं आ जाता। यदि ब्लड प्रेशर अभी भी बहुत हाई है, तो डॉक्टर बच्चे को दूसरी दवा दे सकता है या दवा बदल सकता है।

अनेक प्रकार की एंटीहाइपरटेंसिव दवाएँ उपलब्ध हैं। श्रेणियों में निम्नलिखित शामिल हैं

अलग-अलग प्रकार की एंटीहाइपरटेंसिव दवाएँ भिन्न-भिन्न तरीकों से काम करती हैं, इसलिए उपचार के अनेक विकल्प उपलब्ध हैं। यह कोई असामान्य बात नहीं है कि हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित किसी व्यक्ति को इनमें से एक से अधिक दवाओं को प्रिस्क्राइब किया जाता है।

इन दवा प्रकारों पर अधिक विस्तृत चर्चा के लिए बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का दवा उपचार देखें।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. U.S. Department of Agriculture and U.S. Department of Health and Human Services: 2020–2025 Dietary Guidelines for Americans

  2. DASH (हाइपरटेंशन को रोकने के लिए आहार संबंधी पद्धतियां) आहार

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