विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम

इनके द्वाराJames Fernandez, MD, PhD, Cleveland Clinic Lerner College of Medicine at Case Western Reserve University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अक्तू॰ २०२४

विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम, आनुवंशिक इम्यूनोडिफ़िशिएंसी डिसऑर्डर है, जिसकी पहचान असामान्य एंटीबॉडीज़ (इम्युनोग्लोबुलिन) बनने, T सैल (लिम्फ़ोसाइट) की खराबी, कम प्लेटलेट काउंट और एक्ज़िमा से होती है।

  • विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में रक्तस्राव बहुत जल्दी होने लगता है, और आमतौर पर इसका शुरुआती लक्षण दस्त में खून आना होता है।

  • इसका निदान, रक्त जांच पर और कभी-कभी आनुवंशिक जांच के नतीजों पर आधारित होता है।

  • जीवन को बचाने के लिए स्टेम कोशिस्का ट्रांसप्लांटेशन ज़रूरी होता है।

(इम्यूनोडिफ़िशिएंसी डिसऑर्डर का ब्यौरा भी देखें।)

एंटीबॉडीज (इम्युनोग्लोबुलिन) प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए गए पदार्थ होते हैं जो किसी इंफ़ेक्शन, कैंसर और बाहरी पदार्थ के खिलाफ शरीर की रक्षा करने में मदद करते हैं। एंटीबॉडीज एक खास तरह की सफ़ेद रक्त कोशिकाओं द्वारा बनाई जाती हैं जिन्हें B कोशिकाएँ कहते हैं। T कोशिकाएँ ऐसी सफेद रक्त कोशिकाएँ होती हैं जो अनजान कोशिकाओं और पदार्थों की पहचान और उन पर हमला करती हैं। एक या ज़्यादा तरह के इम्युनोग्लोबुलिन या T कोशिकाओं की कमी से गंभीर इंफ़ेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम, प्राइमरी इम्यूनोडिफ़िशिएंसी डिसऑर्डर है। यह आमतौर पर सिर्फ़ लड़कों को ही प्रभावित करता है। यह X (लिंग) क्रोमोसोम (जिसे X-लिंक्ड डिसऑर्डर कहा जाता है) पर मौजूद जीन में म्यूटेशन की वजह से होता है। यह जीन T और B कोशिकाओं (सफेद रक्त कोशिकाओं के प्रकार) के काम करने के लिए ज़रूरी प्रोटीन के लिए कोड करता है। इस प्रकार, ये सैल्स गलत तरीके से काम करने लगती हैं। B सैल्स सामान्य तरीके से इम्युनोग्लोबुलिन नहीं बनाती हैं।

प्लेटलेट्स (सैल के ऐसे पार्टिकल, जिनसे रक्त का थक्का बनाने में मदद मिलती है) छोटे और विकृत हो जाते हैं। स्प्लीन उन्हें हटाकर खत्म कर देती है, जिसकी वजह से प्लेटलेट की संख्या कम (थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया) हो जाती है।

विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम के लक्षण

प्लेटलेट्स की संख्या कम होने के कारण रक्तस्राव की समस्या, आमतौर पर खूनी दस्त, इसका शुरुआती लक्षण हो सकता है। इससे कम उम्र में एक्ज़िमा भी हो जाता है।

वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स के प्रति खासतौर पर श्वसन तंत्र के ट्रैक्ट में, संवेदनशीलता, बढ़ जाती है क्योंकि इससे इम्युनोग्लोबुलिन का स्तर कम हो जाता है और T सैल्स गलत तरीके से काम करने लगती हैं। कैंसर (जैसे लिम्फ़ोमा और ल्यूकेमिया) और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (जैसे हीमोलिटिक एनीमिया, इंफ़्लेमेट्री पेट रोग और वैस्कुलाइटिस) होने का खतरा बढ़ जाता है।

जीवन की प्रत्याशा कम हो जाती है। समय से पहले मौत अक्सर रक्तस्राव की वजह से होती है, लेकिन यह इन्फेक्शन, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर या कैंसर की वजह से भी हो सकती है।

विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम का निदान

  • रक्त की जाँच

  • कभी-कभी आनुवंशिक जांच

रक्त जांचों से डॉक्टरों को विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम का निदान करने में मदद मिलती है। इन जांचों का इस्तेमाल यह पता लगाने के लिए किया जाता है:

  • सफेद रक्त कोशिकाएं की कुल संख्या और अलग-अलग प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं का प्रतिशत

  • प्लेटलेट्स की संख्या

  • इम्युनोग्लोबुलिन के स्तर

  • टीकों और अन्य पदार्थों की प्रतिक्रिया में बनने वाली ऐसी एंटीबॉडीज़ की मात्रा और प्रकार, जो आमतौर पर इम्यून रेस्पॉन्स (एंटीजन) को ट्रिगर करती हैं

  • T सैल का फ़ंक्शन

म्यूटेशन की पहचान करने और निदान की पुष्टि करने के लिए आनुवंशिक जांच किया जा सकता है। करीबी रिश्तेदारों के लिए इसका सुझाव दिया जाता है।

अगर विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम का निदान होता है तो डॉक्टर, ल्यूकेमिया और लिम्फ़ोमा की जांच के लिए नियमित रूप से रक्त जांच करके व्यक्ति की निगरानी करते हैं।

विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम का इलाज

  • स्टेम सैल ट्रांसप्लांटेशन

  • संक्रमणों से बचाव के लिए दवाएँ

  • ग़ैर-मौजूद एंटीबॉडीज़ को बदलने के लिए इम्यून ग्लोबुलिन

  • प्लेटलेट ट्रांसफ़्यूजन

  • कभी-कभी एल्ट्रोम्बोपैग

  • कभी-कभी जीन थेरेपी

जीवन को बचाने के लिए स्टेम कोशिस्का ट्रांसप्लांटेशन ज़रूरी होता है। इसके बिना, विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम से पीड़ित ज़्यादातर बच्चों की मौत 15 वर्ष की उम्र तक हो जाती है।

इन्फेक्शन को रोकने के लिए लगातार एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं और ग़ैर-मौजूद एंटीबॉडीज़ देने के लिए इम्यून ग्लोब्युलिन (सामान्य इम्यून सिस्टम वाले लोगों के रक्त से प्राप्त एंटीबॉडीज़) दिए जाते हैं और इस तरह इनसे इन्फेक्शन को रोकने में मदद मिलती है। वायरल संक्रमणों से बचने के लिए एक एंटीवायरल दवाई (एसाइक्लोविर) दी जाती है। ब्लीडिंग की समस्या से आराम देने के लिए प्लेटलेट ट्रांसफ़्यूजन किया जाता है।

यदि प्लेटलेट की संख्या बहुत कम है और रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है तो प्लेटलेट ट्रांसफ़्यूजन या एल्ट्रोम्बोपैग दवा दी जा सकती है। अगर रक्तस्राव की समस्या गंभीर है, तो डॉक्टर स्प्लीन (स्प्लेनेक्टॉमी) को निकाल सकते हैं। हालांकि, अगर संभव हो तो इस प्रक्रिया से बचा जाता है क्योंकि इससे गंभीर रक्त इन्फेक्शन (सेप्टिसीमिया) का खतरा बढ़ जाता है। जीन थेरेपी आनुवंशिक म्यूटेशन को ठीक कर सकती है और संक्रमणों की आवृत्ति को कम कर सकती है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की सामग्री के लिए मैन्युअल उत्तरदायी नहीं है।

  1. Immune Deficiency Foundation: Wiskott-Aldrich syndrome: विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम के निदान और इलाज की जानकारी और प्रभावित लोगों के लिए सलाह सहित इसके बारे में विस्तृत जानकारी

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