अटॉपिक डर्माटाईटिस (जिसे आम तौर पर एक्जिमा कहते हैं) त्वचा की ऊपरी परतों की क्रोनिक और खुजलीदार सूजन होती है जो अक्सर ऐसे लोगों में होता है जिन्हें हे फ़ीवर या दमा होता है और ऐसे लोगों में होता है जिनके परिवार में ऐसी स्थितियों से ग्रस्त सदस्य होते हैं।
विशेष रूप से उच्च आय वाले देशों में और एलर्जी विकसित करने की प्रवृत्ति वाले लोगों में एटोपिक डर्माटाईटिस बहुत आम है।
नवजात शिशुओं में अक्सर चेहरे, सिर की त्वचा, हथेलियों, बाँहों, पंजों, या पैरों पर लाल और पपड़ीदार निशान हो जाते हैं जिनसे तरल का रिसाव होता है।
बड़े बच्चों और वयस्कों में अक्सर एक या कुछ धब्बे बनते हैं जो आम तौर पर हथेलियों पर, ऊपरी बाँहों पर, कुहनियों के सामने, या घुटनों के पीछे बनते हैं।
डॉक्टर निशान के स्वरूप और व्यक्ति के व्यक्तिगत और पारिवारिक मेडिकल इतिहास के आधार पर निदान करते हैं।
उपचार में त्वचा की सामान्य देखभाल का अभ्यास करना, त्वचा पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड लगाना, और कभी-कभी अन्य उपचारों जैसे फ़ोटोथेरेपी या प्रतिरक्षा तंत्र में फेर-बदल करने वाली दवाओं का उपयोग करना शामिल है।
(डर्माटाईटिस का विवरण भी देखें।)
एटोपिक डर्माटाईटिस सबसे आम त्वचा विकारों में से एक है, खासकर शहरी क्षेत्रों या उच्च आय वाले देशों में रहने वाले बच्चों में। हर वर्ष, लगभग 10% तक वयस्क और 20% तक बच्चों में एटोपिक डर्माटाईटिस का निदान किया जाता है।
अधिकतर लोगों में यह विकार 5 वर्ष की आयु से पहले होता है और कई लोगों में यह 1 वर्ष की आयु से पहले होता है। बचपन में होने वाला एटोपिक डर्माटाईटिस अधिकतर मामलों में वयस्क अवस्था आते-आते चला जाता है या काफ़ी हद तक घट जाता है। एटोपिक डर्माटाईटिस प्रौढ़ावस्था में या उसके बाद भी शुरू हो सकता है।
एटोपिक डर्माटाईटिस त्वचा की सबसे बाहरी परत के एक आनुवंशिक दोष के कारण होता है जो त्वचा को सूजन की ओर प्रवृत्त करता है। यह अक्सर एक से दूसरी पीढ़ी में जाता है और एटोपिक डर्माटाईटिस से ग्रस्त लोगों या उनके परिजनों को दमा, हे फीवर या दोनों समस्याएं होती हैं। एटोपिक डर्माटाईटिस किसी पदार्थ विशेष से एलर्जी नहीं है, बल्कि एटोपिक डर्माटाईटिस के होने से दमा और हे बुखार भी होने की संभावना बढ़ जाती है (डॉक्टर इसे अटॉपिक ट्राएड कहते हैं)।
एटोपिक डर्माटाईटिस छूत का रोग नहीं है।
एटोपिक डर्माटाईटिस के लक्षण
एटोपिक डर्माटाईटिस आम तौर पर नवजातों में 3 माह जितनी छोटी आयु से शुरू होती है।
इसके शुरुआती (एक्यूट) चरण में, लाल और पपड़ीदार स्थान बनते हैं जिनसे तरल रिसता है और कभी-कभी फफोले भी पड़ जाते हैं। खुजली अक्सर बहुत तेज़ होती है।
क्रोनिक (बाद के) चरण में, खुजाने और रगड़ने के कारण ऐसे स्थान बन जाते हैं जो देखने में खुश्क और (लाइकेनिफ़ाइड) मोटे दिखते हैं।
आमतौर पर एटोपिक डर्माटाईटिस शैशवावस्था में विकसित होती है। प्रारम्भिक (एक्यूट) चरण में, चकत्ते, चेहरे पर दिखाई देते हैं और फिर गर्दन, खोपड़ी, बाजुओं और टांगों पर फैल जाते हैं।
थॉमस हबीफ, MD द्वारा प्रदान की गई छवि।
एटोपिक डर्माटाईटिस के क्रोनिक (बाद के) चरण में, दाने अक्सर केवल एक या दो स्थानों पर होते हैं, जैसे यहां वे कुहनी की अंदरूनी तह में देखे जा सकते हैं।
छवि को थॉमस हबीफ, MD द्वारा उपलब्ध कराया गया।
इस फोटो में घुटनों और पैरों के पीछे लाल पपड़ीदार धब्बे देखे जा सकते हैं।
© Springer Science+Business Media
नवजात शिशुओं में, चेहरे पर मौजूद दाने गर्दन, पलकों, सिर की त्वचा, हथेलियों, बांहों, पंजों और पैरों तक फैल जाते हैं। शरीर का बड़ा भाग प्रभावित हो सकता है।
बड़े बच्चों और वयस्कों में, अक्सर केवल एक या कुछ स्थानों पर एक दाना होता (और बार-बार होता है), विशेष रूप से गर्दन के आगे, कुहनियों की अंदरूनी तहों में और घुटनों के पीछे।
हालांकि दाने का रंग, तीव्रता और स्थान अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन उसमें खुजली हमेशा होती है। बड़े बच्चों और वयस्कों में, बहुत तेज़ खुजली इसका मुख्य लक्षण होती है। खुजली के कारण व्यक्ति अक्सर अनियंत्रित ढंग से खुजाने लगता है, जिससे खुजली-खुजाना-खुजली का एक चक्र शुरू हो जाता है जो समस्या को और बिगाड़ देता है। लगातार खुजाने से त्वचा मोटी हो जाती है (लाइकेनिफ़िकेशन)।
खुश्क हवा, उत्तेजना और भावनात्मक तनाव से खुजली और बदतर हो जाती है।
लक्षणों के आम पर्यावरणीय ट्रिगर में शामिल हैं
बहुत अधिक नहाना या धोना
तेज़ साबुन
त्वचा पर बैक्टीरियम स्टेफ़ाइलोकोकस ऑरियस का होना
पसीना आना
खुरदरे कपड़े और ऊन
एटोपिक डर्माटाईटिस की जटिलताएं
खुजाने और रगड़ने से त्वचा कट-फट भी सकती है, जिससे एक प्रवेश द्वार बन जाता है जिसमें बैक्टीरिया प्रवेश करके त्वचा में, त्वचा के नीचे के ऊतकों में और आस-पास के लसीका ग्रंथियों में संक्रमण पैदा कर सकते हैं। त्वचा के बड़े भाग में सूजन और पपड़ी उतरने की समस्या भी हो सकती है।
हर्पीज़ सिंप्लेक्स वायरस का संक्रमण अन्य लोगों में नन्हे और हल्का दर्द करने वाले फफोले करता है, लेकिन एटोपिक डर्माटाईटिस से ग्रस्त लोगों में इस संक्रमण से गंभीर अस्वस्थता और त्वचा के बड़े भाग पर डर्माटाईटिस, फफोले और तेज़ बुखार हो सकता है (इस स्थिति को एक्जिमा हर्पेटिकम कहते हैं)।
एटोपिक डर्माटाईटिस से ग्रस्त लोगों में त्वचा के अन्य वायरस संक्रमण (जैसे आम मस्से और मोलस्कम कंटेजियोसम) और त्वचा के फ़ंगल संक्रमण भी होने की संभावना अधिक होती है।
एटोपिक डर्माटाईटिस से ग्रस्त लोगों में एलर्जिक संपर्क प्रतिक्रियाएं होने का जोखिम भी अधिक होता है। ये संपर्क प्रतिक्रियाएं तब होती हैं, जब त्वचा किसी एलर्जिन के संपर्क में आती है, जो एक ऐसा पदार्थ है जो त्वचा को संवेदनशील बनाता है। उदाहरण के लिए, एटोपिक डर्माटाईटिस से ग्रस्त लोगों में निकल, जो सबसे आम संपर्क एलर्जिन है, उसके संपर्क से एलर्जी होने की संभावना इस रोग से मुक्त लोगों की तुलना में दोगुनी होती है।
एटोपिक डर्माटाईटिस का निदान
दाने का स्वरुप और व्यक्ति का पारिवारिक इतिहास
डॉक्टर एटोपिक डर्माटाईटिस का निदान दाने के स्वरुप के आधार पर और अक्सर इस बात के आधार पर करते हैं कि व्यक्ति को या उसके परिजनों को एलर्जी, हे फ़ीवर या दमा हैं या नहीं।
एटोपिक डर्माटाईटिस की रोकथाम
बहुत अधिक नहाने या धोने से बचने, साबुन का इस्तेमाल घटाने, नहाते या धोते समय गुनगुने पानी का इस्तेमाल करने और बार-बार मॉइस्चराइजर लगाने से रोग के भड़कने की रोकथाम हो सकती है या कम-से-कम उनकी संख्या तो घट ही सकती है।
स्थिति को बदतर करने वाले ट्रिगर की पहचान करके उनसे बचने से भी मदद मिलती है। ट्रिगर में पसीना, तनाव, साबुन और डिटर्जेंट शामिल हैं।
एटोपिक डर्माटाईटिस का इलाज
खुजली से राहत के उपाय
त्वचा की देखभाल
कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
प्रतिरक्षा तंत्र में फेर-बदल करने वाली दवाएँ
क्रिसबोरैल
जैनस किनेज़ अवरोधक
फ़ोटोथेरेपी
बायोलॉजिक एजेंट
कभी-कभी एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल
इसका कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन त्वचा पर लगाई जाने वाली दवाओं (टॉपिकल दवाओं) या मुंह से ली जाने वाली दवाओं (मौखिक दवाओं) से खुजली में राहत मिल सकती है।
खुजली के इलाज आम तौर पर घर पर दिए जा सकते हैं, लेकिन जिन लोगों को एरिथ्रोडर्मा, सेल्युलाइटिस या एक्जिमा हर्पेटिकम है उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
डॉक्टर लोगों को त्वचा की देखभाल के अच्छे तौर-तरीके सिखाते हैं और खुजली-खुजाना चक्र को तोड़ने का महत्व बताते हैं।
सामान्य देखभाल और खुजली से राहत
त्वचा की देखभाल के कुछ उपायों से मदद मिलती है:
साधारण साबुन के स्थान पर साबुन के विकल्पों का इस्तेमाल करना
नहाने के तुरंत बाद, जब त्वचा नम हो, तभी मॉइस्चराइजर (ऑइंटमेंट या क्रीम) लगाना
नहाने की बारंबारता घटाना (दिन में अधिकतम एक बार नहाना/शॉवर लेना चाहिए और पूर्ण स्नान वाले दिनों की संख्या घटाने के लिए उनकी जगह स्पंज बाथ का इस्तेमाल किया जा सकता है)
नहाने के पानी का तापमान गुनगुना तक सीमित रखना
नहाने के बाद तौलिये से रगड़ने के बजाए त्वचा को हल्के हाथों से दबा-दबाकर सुखाना
पतले ब्लीच से नहाना (जिन लोगों को कुछ त्वचा संक्रमण हैं)
एंटीहिस्टामाइन, जैसे हाइड्रॉक्ज़ाइन और डाइफ़ेनिलहाइड्रामिन खुजली से राहत दे सकती हैं। दिन में आलस से बचने के लिए इन दवाओं को सोते समय लेना बेहतर है।
लोगों को अपना भावनात्मक तनाव घटाने की भी कोशिश करनी चाहिए।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
टॉपिकल कॉर्टिकोस्टेरॉइड इलाज का मुख्य आधार हैं।
विशिष्ट इलाजों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड ऑइंटमेंट या क्रीम लगाना शामिल है। लंबे समय के लिए इलाज पा रहे लोगों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इस्तेमाल सीमित करने के लिए (क्योंकि लंबे समय तक इस्तेमाल से त्वचा पतली हो सकती है, स्ट्रेच मार्क पड़ सकते हैं या मुंहासों जैसे उभार बन सकते हैं), डॉक्टर कभी-कभी कॉर्टिकोस्टेरॉइड के स्थान पर एक्जिमा के गैर-कॉर्टिकोस्टेरॉइड इलाज, एक बार में एक सप्ताह या अधिक समय के लिए, देते हैं।
अन्य उपचार
प्रतिरक्षा तंत्र में फेर-बदल करने वाली दवाएँ टेक्रोलिमस या पाइमक्रोलिमस भी लाभकारी हो सकती हैं और कॉर्टिकोस्टेरॉइड के लंबे समय तक इस्तेमाल की ज़रूरत को सीमित कर सकती हैं। ये दवाएँ आम तौर पर ऑइंटमेंट या क्रीम के रूप में दी जाती हैं।
खुजली, सूजन और लालिमा घटाने के लिए क्रिसबोरोल ऑइंटमेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जैनस किनेज़ (JAK) अवरोधक कोशिकाओं के बीच संचार में हस्तक्षेप करते हैं जो एंज़ाइम JAK को रोककर सूजन का समन्वय करते हैं। रुक्सोलिटिनिब क्रीम एक JAK इन्हिबिटर है जिसका उपयोग ऐसे 12 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर या खराब नहीं होती है, हल्के से मध्यम एटोपिक डर्माटाईटिस के इलाज के लिए किया जा सकता है। नए JAK अवरोधकों में युपेडेसिटिनिब और एब्रोसिटिनिब शामिल हैं। इन दो JAK अवरोधकों को मुंह से लिया जाता है।
फ़ोटोथेरेपी (अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश से संपर्क) से मदद मिल सकती है, विशेष रूप से नैरोबैंड अल्ट्रावॉयलेट B प्रकाश का इस्तेमाल करने वाली थेरेपी से। अगर क्लिनिक में की जाने वाली फ़ोटोथेरेपी उपलब्ध न हो या बहुत असुविधाजनक हो, तो घर पर फ़ोटोथेरेपी एक अच्छा विकल्प होता है। घर पर फ़ोटोथेरेपी लेने के कई यंत्रों में प्रोग्राम की जा सकने वाली विशेषताएं होती हैं जिनसे विशेषज्ञ इलाजों की संख्या को नियंत्रित कर सकते हैं और व्यक्ति द्वारा यंत्र के इस्तेमाल की निगरानी कर सकते हैं। जब फ़ोटोथेरेपी उपलब्ध न हो, तो धूप लेना एक विकल्प होता है।
इम्यूनोसप्रेसेंट, जैसे साइक्लोस्पोरिन, माइकोफ़ेनोलेट, मीथोट्रेक्सेट और एज़ेथिओप्रीन, मुंह से ली जाती हैं। वे उन लोगों को दी जाती हैं जो शरीर के बड़े भाग में फैले, इलाज-में-कठिन या अक्षम करने वाले एटोपिक डर्माटाईटिस से ग्रस्त हैं जिसमें टॉपिक थेरेपी या फ़ोटोथेरेपी से लाभ नहीं मिल रहा है।
ड्यूपिलोमैब और ट्रालोकीनुमाब-ldrmजैविक एजेंट हैं जिन्हें इंजेक्ट किया जाता है। इसे उन लोगों को दिया जाता है जिनका एटोपिक डर्माटाईटिस अन्य इलाजों से पर्याप्त रूप से नियंत्रित नहीं होता है।
जिन लोगों को स्टेफ़ाइलोकोकस ऑरियस या किसी दूसरे बैक्टीरिया से हुआ त्वचा संक्रमण है उन्हें एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं। एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट सीधे त्वचा पर लगाए जा सकते हैं या दवाएँ मुंह से ली जा सकती हैं।
जिन लोगों की नाक में स्टेफ़ाइलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया का संक्रमण है उन्हें त्वचा के संक्रमण की रोकथाम के उद्देश्य से अपने नासाछिद्रों में लगाने के लिए मुपिरोसिन नामक एंटीबायोटिक दी जा सकती है।
माता-पिता को अपने बच्चों के नाखून छोटे रखने चाहिए, ताकि वे कम-से-कम खुजाएं जिससे संक्रमण का जोखिम घटे। अगर कोई त्वचा संक्रमण हो ही जाए, तो एंटीबायोटिक्स मुंह से दी जा सकती हैं, त्वचा पर लगाई जा सकती हैं या दोनों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक्जिमा हर्पेटिकम का इलाज वायरस-रोधी दवाओं जैसे एसाइक्लोविर या वैलसाइक्लोविर से किया जाता है। ये दवाएँ मुंह से ली जाती हैं, लेकिन वे इन्फ्यूजन के रूप में चढ़ाई भी जा सकती हैं।
एटोपिक डर्माटाईटिस का पूर्वानुमान
एटोपिक डर्माटाईटिस बच्चों के 5 वर्ष का होते-होते अक्सर घट जाता है। हालांकि, पूरी किशोरावस्था के दौरान और वयस्क होने तक इसका बीच-बीच में भड़कना आम है।
लड़कियों में और ऐसे लोगों में लंबे समय तक एटोपिक डर्माटाईटिस होने की अधिक संभावना होती है जिन्हें छोटी आयु में एटोपिक डर्माटाईटिस हुआ था, जिनका केस गंभीर है, जिनके परिवार में इस रोग का इतिहास है और जिन्हें राइनाइटिस या दमा है। हालांकि इन लोगों में भी, वयस्क अवस्था आते-आते एटोपिक डर्माटाईटिस अक्सर ठीक हो जाता है या घट जाता है।
चूंकि एटोपिक डर्माटाईटिस के लक्षण दिखाई देते हैं और कभी-कभी वे व्यक्ति को अक्षम बनाने में समर्थ होते हैं, अतः बच्चों में इससे लंबे समय की भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि उन्हें अपने विकास के वर्षों के दौरान इस विकार के साथ जीने की चुनौती झेलनी पड़ती है।