डर्माटाईटिस त्वचा की ऊपरी परतों का शोथ है जिससे खुजली, फफोले, लालिमा, व सूजन होती है और अक्सर उससे तरल रिसता है, परतें निकलती हैं, और पपड़ियाँ बनती हैं।
ज्ञात कारणों में ख़ुश्क त्वचा, किसी पदार्थ विशेष से संपर्क, कुछ ड्रग या दवाएँ और वेरिकोज़ शिराएं शामिल हैं।
आम लक्षणों में लाल खुजलीदार निशान, पपड़ी पड़ना, खुले घाव, तरल का रिसाव, और पपड़ी उतरना शामिल हैं।
निदान आम तौर पर लक्षणों पर आधारित होता है और उसकी पुष्टि स्किन टेस्ट या त्वचा के नमूनों के परिणामों से या संदिग्ध दवाओं या उत्तेजकों की उपस्थिति से होती है।
ज्ञात उत्तेजकों और एलर्जींस (एलर्जिक प्रतिक्रिया करने वाले पदार्थों) से बचने से डर्माटाईटिस का जोखिम घटता है।
उपचार, उभार होने के कारण पर निर्भर करता है।
(खुजली भी देखें।)
डर्माटाईटिस एक व्यापक शब्द है जिसमें ऐसे कई अलग-अलग विकार शामिल हैं जिन सभी में लाल, खुजलीदार निशान प्रकट होते हैं। एक्जिमा और डर्माटाईटिस एक-दूसरे के पर्याय हैं पर अक्सर इसका उपयोग अटॉपिक डर्माटाईटिस के अर्थ में किया जाता है। त्वचा संक्रमणों, जैसे फ़ंगल यानि कवक संक्रमणों को, डर्माटाईटिस की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
डर्माटाईटिस के कुछ प्रकार शरीर के कुछ विशिष्ट भागों को प्रभावित करते हैं (जैसे कॉन्टेक्ट डर्माटाईटिस, जिसमें पॉइज़न आइवी शामिल है; नूम्युलर डर्माटाईटिस; स्टेसिस डर्माटाईटिस; लाइकेन सिंप्लेक्स क्रोनिकस; सेबोरीएक डर्माटाईटिस; और हथेलियों व पंजों का डर्माटाईटिस), जबकि इसके कुछ अन्य प्रकार कहीं भी हो सकते हैं (जैसे अटॉपिक डर्माटाईटिस)।
डर्माटाईटिस के कुछ प्रकारों का एक ज्ञात कारण होता है (जैसे एलर्जिक कॉन्टेक्ट डर्माटाईटिस), जबकि कुछ अन्य प्रकारों का कोई ज्ञात कारण नहीं होता है (जैसे नूम्युलर डर्माटाईटिस)।
क्रोनिक डर्माटाईटिस लंबे समय तक बना रहता है। हथेलियाँ क्रोनिक डर्माटाईटिस के प्रति विशेष रूप से असुरक्षित होती हैं, क्योंकि हथेलियाँ बाहरी पदार्थों के साथ बारंबार संपर्क में आती हैं। क्रोनिक डर्माटाईटिस के कई अलग-अलग कारण होते हैं। खुजली के कारण लंबे समय तक खुजाने और रगड़ने के कारण अक्सर त्वचा मोटी हो जाती है (इसे लाइकेनिफ़िकेशन कहते हैं)।
डर्माटाईटिस के लक्षण
डर्माटाईटिस के कारण
लालपन
खुजली
पपड़ी छूटना
सूजन
तरल का रिसाव
पपड़ी पड़ना
फफोले (कभी-कभी)
त्वचा का मोटा होना, जिसे लाइकेनिफ़िकेशन कहते हैं (क्रोनिक डर्माटाईटिस में)
क्रोनिक डर्माटाईटिस के कारण अक्सर त्वचा मोटी हो जाती है और उसमें दरारें पड़ जाती हैं। किसी भी प्रकार का डर्माटाईटिस, संक्रमण के कारण और जटिल हो सकता है।
डर्माटाईटिस का निदान
डॉक्टर की जांच
त्वचा के टेस्ट या ब्लड टेस्ट या दोनों
कभी-कभी बायोप्सी
डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर और निशान की प्रतीति व शरीर में इसकी मौजूदगी के स्थान के आधार पर डर्माटाईटिस का निदान करते हैं। डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या व्यक्ति किसी उत्तेजक पदार्थ के संपर्क में आया है, क्या उसे कोई एलर्जी है, या क्या उसे कोई संक्रमण हुआ है।
निदान की पुष्टि के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकते हैं, जैसे पैच टेस्ट या ब्लड टेस्ट। वे त्वचा के नमूने लेकर उन्हें किसी लैबोरेटरी को भेज सकते हैं (बायोप्सी)।
डर्माटाईटिस की रोकथाम
समस्या के बढ़ने से बचना
डर्माटाईटिस का जोखिम घटाने के लिए लोगों को ज्ञात एलर्जींस और उत्तेजक पदार्थों (ट्रिगर) से बचना चाहिए।
डर्माटाईटिस का उपचार
सहायक देखभाल (जैसे मॉइस्चराइजर और ड्रेसिंग, और खुजली से राहत के लिए एंटीहिस्टामाइन)
टॉपिकल कॉर्टिकोस्टेरॉइड या अन्य इम्यूनोसप्रेसिव (प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रियाओं को घटाने वाली दवाओं की) क्रीम या ऑइंटमेंट
कभी-कभी एंटीबायोटिक्स
कभी-कभी सिस्टेमिक (संपूर्ण शरीर की) इम्यूनोसप्रेसिव दवाएँ या इंजेक्शन
कभी-कभी अल्ट्रावॉयलेट (UV) प्रकाश थेरेपी
डर्माटाईटिस का उपचार, कारण पर और उपस्थित लक्षणों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, खुजली से राहत के लिए डॉक्टर लोगों को मॉइस्चराइजर या कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम दे सकते हैं। कुछ लोगों को मुंह से एंटीबायोटिक्स या कुछ दवाओं के इंजेक्शन दिए जा सकते हैं। कुछ लोगों को अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश के संपर्क (फ़ोटोथेरेपी) से लाभ मिलता है।