मस्से

(वरूकी वल्गैरिस)

इनके द्वाराJames G. H. Dinulos, MD, Geisel School of Medicine at Dartmouth
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जून २०२३

मस्से (वरूकी) छोटी त्वचा वृद्धियां हैं जो ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के संक्रमण से होते हैं।

  • मस्से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से होते हैं।

  • उठी हुई या सपाट वृद्धियां त्वचा के किसी भी भाग पर होती हैं।

  • अधिकतर मस्सों में दर्द नहीं होता है।

  • डॉक्टर मस्सों के स्वरूप से उनकी पहचान करते हैं और वे दुर्लभ मामलों में ही बायोप्सी करते हैं।

  • जो मस्से अपने-आप ठीक नहीं होते हैं उन्हें रसायनों से, जमाकर और/या जलाकर व काटकर निकाला जा सकता है।

  • मस्से पैदा करने वाले कुछ प्रकार के मानव पैपिलोमा वायरस के विरुद्ध वैक्सीन सुरक्षा देते हैं।

मस्से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण से होते हैं। HPV के 100 से अधिक प्रकार हैं।

मस्से किसी भी आयु में हो सकते हैं, लेकिन वे बच्चों में सबसे आम हैं और बुज़ुर्गों में सबसे कम आम हैं। लोगों में मस्से एक-दो भी हो सकते हैं और सैकड़ों भी।

मस्से संपर्क से फैल जाते हैं। चूंकि वायरस के फैलने के लिए लंबे समय तक या बारंबार संपर्क ज़रूरी होता है, इसलिए मस्से आम तौर पर शरीर के एक से दूसरे भाग तक फैलते हैं, लेकिन वे एक से दूसरे व्यक्ति तक भी फैल सकते हैं। वायरस के फैलने के लिए आम तौर पर त्वचा में कोई टूट-फूट या दरार ज़रूरी होती है, लेकिन वह दरार बेहद छोटी भी हो सकती है। यौन संपर्क, जननांग मस्से फैलाने के लिए आम तौर पर काफ़ी होता है।

अधिकतर मस्से हानिरहित होते हैं, हालांकि वे काफ़ी परेशानी देने वाले हो सकते हैं। अपवाद स्वरूप कुछ प्रकार के जननांग मस्से होते हैं जो HPV प्रकारों के कारण होते हैं जो मुंह, गले या जननांगों के कैंसर का कारण बन सकते हैं।

मस्सों के लक्षण

मस्सों को त्वचा पर उनके स्थान और उनकी आकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

कुछ मस्से गुच्छों में होते हैं, जबकि अन्य मस्से अलग-थलग, एकल वृद्धियों के रूप में होते हैं।

अधिकतर मस्सों में दर्द नहीं होता है, लेकिन कुछ में छूने पर तकलीफ़ होती है। पंजों पर मौजूद मस्सों में खड़े रहने या चलने पर दर्द हो सकता है।

मस्सों में काले धब्बे हो सकते हैं, विशेष रूप से तब अगर उन्हें शेव किया जाए।

आम मस्से

आम मस्से (जिन्हें वरूकी वल्गैरिस भी कहते हैं), जो लगभग हर किसी को होते हैं, ऐसी ठोस वृद्धियां हैं जिनकी सतह आम तौर पर खुरदरी होती है।

वे गोल या अनियमित आकृति के होते हैं; हल्के स्लेटी, पीले, कत्थई या स्लेटी-काले होते हैं; और आम तौर पर 1/2 इंच (लगभग 1 सेंटीमीटर) से कम चौड़े होते हैं।

आम तौर पर वे अक्सर चोट खाने वाले स्थानों, जैसे घुटनों, चेहरे, अंगुलियों और कोहनियों पर होते हैं। आम मस्से आस-पास की त्वचा में फैल सकते हैं।

आम मस्सा
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इस फोटो में अंगुली पर एक बड़ा आम मस्सा देखा जा सकता है।
© Springer Science+Business Media

प्लैंटर मस्से और पामर मस्से

प्लैंटर मस्से पंजे के तलवे पर होते हैं जहां वे चलने से पड़ने वाले दबाव के कारण सपाट हो जाते हैं और उनके चारों ओर की त्वचा मोटी हो जाती है।

प्लैंटर मस्से
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इस फोटो में पंजे के तलवे पर प्लैंटर मस्से देखे जा सकते हैं।
छवि को थॉमस हबीफ, MD द्वारा उपलब्ध कराया गया।

पामर मस्से हथेलियों पर होते हैं।

पामर मस्से
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इस फोटो में हथेली पर दो मस्से (वरुकाज़) दिख रहे हैं।
जेन शेमिल्ट/SCIENCE PHOTO LIBRARY

प्लैंटर और पामर मस्से कठोर और सपाट हुआ करते हैं, उनकी सतह खुरदरी होती है और किनारे स्पष्ट होते हैं। उनमें अक्सर छूने मात्र से दर्द होता है और खड़े होने या चलने से पड़ने वाले दबाव के कारण प्लैंटर मस्सों में काफ़ी दर्द हो सकता है।

ये मस्से पंजे के ऊपरी भाग या अंगुलियों में हो सकते हैं, जहां वे आम तौर पर उठे हुए और अधिक मांसल होते हैं।

ये मस्से अक्सर स्लेटी या कत्थई होते हैं और इनका मध्य भाग छोटा व काला होता है।

कॉर्न और कैलस (ठेक, गोखरू या घट्टा) के विपरीत, जब डॉक्टर सतह की शेविंग करते हैं या उसे चाकू से काटकर अलग करते हैं, तो प्लैंटर मस्सों से सुई की नोक जैसे कई नन्हे स्थानों से रक्त बहता है।

मोज़ेक मस्से

मोज़ेक मस्से, आपस में जुड़ चुके छोटे-छोटे प्लैंटर मस्सों के गुच्छे होते हैं। अन्य प्लैंटर मस्सों की ही तरह, इनमें अक्सर छूने मात्र से दर्द होता है।

पेरिअंगुअल मस्से

पेरिअंगुअल मस्से नाखूनों के आस-पास मोटी, फूलगोभी-जैसी वृद्धियां होते हैं। (नाखूनों के नीचे होने वाले मस्सों को सबंगुअल वार्ट्स कहा जाता है।)

नाखून की क्यूटिकल नष्ट हो सकती है और नाखून के आस-पास अन्य त्वचा संक्रमण (जैसे पैरोनिकिया) हो सकते हैं।

ये मस्से ऐसे लोगों में अधिक आम हैं जो अपने नाखून चबाते हैं या जो ऐसे पेशों में हैं जहां उनके हाथ लंबे समय तक गीले बने रहते हैं, जैसे डिशवॉशर और बारटेंडर।

फ़िलिफ़ॉर्म मस्से

ये मस्से लंबी, संकरी व छोटी वृद्धियां होते हैं जो आम तौर पर पलकों, चेहरे, गर्दन या होठों पर होते हैं।

इस प्रकार के मस्सों का आम तौर पर कोई लक्षण नहीं होता है और इनका इलाज आसान होता है।

फ़िलिफ़ॉर्म मस्से
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इस फोटो में कान पर एक फ़िलिफ़ॉर्म मस्सा दिख रहा है, जिससे शाखाओं जैसी संरचनाएं निकली हुई हैं।
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सपाट मस्से

सपाट मस्से, जो बच्चों और युवा वयस्कों में अधिक आम हैं, आम तौर पर चिकने, सपाट ऊपरी भाग वाले, पीले-कत्थई, गुलाबी या मांस जैसे रंग के धब्बों के समूह के रूप में और अधिकतर चेहरे व हाथों के ऊपरी भाग पर होते हैं। वे खरोंचों के निशानों के सहारे भी हो सकते हैं। पुरुषों में दाढ़ी वाला स्थान और महिलाओं के पैर भी सपाट मस्सों के आम स्थान हैं जहां वे शेविंग के कारण फैल सकते हैं।

बच्चों और युवा वयस्कों में अधिक आम होते हैं।

इस प्रकार के मस्से में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होता है, लेकिन आमतौर पर इसका इलाज करना मुश्किल होता है।

सपाट मस्से
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इस फोटो में चेहरे पर सपाट मस्से दिख रहे हैं जिनमें कई, त्वचा जैसे रंग के और उठे हुए उभार हैं।
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जननांग के मस्से

यौन मस्से या कॉन्डिलोमेटा एक्यूमिनेटा भी कहलाने वाले जननांग मस्से शिश्न, गुदा, भग (योनिमुख), योनि और योनिग्रीवा (सर्विक्स) पर होते हैं।

वे सपाट, चिकनी और मखमली या अनियमित, उभार वाली वृद्धियां हो सकते हैं जिनकी सतही बनावट अक्सर छोटे-से फूल गोभी जैसी होती है।

जननांग के मस्से आमतौर पर लक्षण पैदा नहीं करते, लेकिन गुदा के आस-पास के मस्सों में अक्सर खुजली होती है।

शिश्न पर जननांग मस्से
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इस फोटो में शिश्न पर गुलाबी और उठे हुए जननांगों के मस्से (तीर से दिखाए गए) दिख रहे हैं।
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क्या आप जानते हैं...

  • मस्से अधिकतर शरीर के एक से दूसरे भाग तक फैलते हैं, पर वे एक से दूसरे व्यक्ति तक भी फैल सकते हैं।

मस्सों का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • दुर्लभ रूप से, बायोप्सी

डॉक्टर मस्सों की विशेष स्वरूप से उन्हें पहचान लेते हैं।

त्वचा की जिन वृद्धियों की निश्चयपूर्वक पहचान न हो सकती हो उन्हें निकालकर माइक्रोस्कोप से जांचने (बायोप्सी) की ज़रूरत पड़ सकती है।

मस्सों का इलाज

  • टॉपिकल (त्वचीय) रसायन

  • जमना

  • जलना या कटना

  • अन्य उपचार

कई मस्से, विशेष रूप से आम मस्से, एक या दो वर्ष के भीतर अपने-आप चले जाते हैं। चूंकि मस्से अपने-आप ठीक होने पर दुर्लभ मामलों में ही निशान छोड़ते हैं, इसलिए उनका इलाज तब तक ज़रूरी नहीं है, जब तक उनसे दर्द या मनोवैज्ञानिक तनाव न होता हो।

यौन साथी में फैलने से रोकने के लिए जननांग के मस्सों का उपचार किया जाता है (HPV संक्रमण का उपचार देखें)।

सभी प्रकार के मस्से निकाले जाने के बाद दोबारा हो सकते हैं। प्लैंटर मस्सों को ठीक करना सबसे कठिन होता है।

मस्सों को कई तरह से निकाला जा सकता है। इनमें से कुछ उपचार कुछ खास प्रकार के मस्सों के लिए अधिक प्रभावी होते हैं।

रसायन

टॉपिकल रसायन को सीधे मस्से पर लगाया जाता है। वे विभिन्न रूपों में मिलते हैं, जैसे क्रीम, जेल, लोशन, या सॉल्यूशन।

कुछ रसायन व्यक्ति खुद लगा सकता है, वहीं कुछ अन्य डॉक्टर द्वारा लगाए जाते हैं। इनमें से अधिकतर रसायन सामान्य त्वचा को जला सकते हैं, इसलिए घर पर लगाते समय निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन ज़रूरी है। रसायनों को आम तौर पर कई सप्ताह से कई माह तक कई बार लगाना पड़ता है। मस्से पर रसायन लगाने से पहले, मस्से को पहले गर्म पानी में डुबोया जा सकता है, ताकि रसायन उसमें आसानी से प्रवेश कर सकें। हर इलाज से पहले मृत ऊतक हटाने के लिए मस्से को या तो घर पर या क्लिनिक में खुरचा जाता है।

इलाज के लिए आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले रसायनों में सैलिसिलिक एसिड, ट्राइक्लोरोएसिटिक एसिड, 5-फ़्लोरोयूरेसिल, कैंथरिडिन, ट्रेटिनॉइन, इमिक्‍विमोड, पोडोफिलॉक्स सॉल्यूशन, सिनेकैटेकिन्स और पोडोफिलम रेज़िन शामिल हैं। इनमें से कुछ रसायन ऐसे काम करते हैं कि मस्से के आस-पास की त्वचा छिल कर (पपड़ी बन कर) निकल जाती है या खुद मस्सा नष्ट हो जाता है, जिससे कारण वह ढीला हो जाता है और गिर जाता है। दूसरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करके काम करते हैं ताकि वह मस्सा पैदा करने वाले वायरस से लड़ सके।

जमाना (क्रायोथेरेपी)

मस्सों को बाज़ार में उपलब्ध विभिन्न फ़्रीज़िंग प्रोब से जमाया जा सकता है। हालांकि, लिक्विड नाइट्रोजन का स्प्रे करना या उसे रुई के फाहे से लगाना अधिक प्रभावी होता है।

प्रशिक्षित पेशेवर द्वारा किए जाने पर जमाना सुरक्षित होता है। स्थान को आम तौर पर सुन्न करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, लेकिन सुन्न किए बिना जमाने से बच्चों को असहनीय दर्द हो सकता है।

क्रायोथेरेपी का इस्तेमाल अक्सर प्लैंटर मस्सों, फ़िलिफ़ॉर्म मस्सों और हाथों के नाखूनों के नीचे वाले मस्सों के लिए किया जाता है।

अक्सर मासिक अंतराल पर कई बार इलाज की ज़रूरत पड़ती है, विशेष रूप से बड़े मस्सों के लिए।

जलाना (इलेक्ट्रोसर्जरी) और काटना

मस्सों को जलाने के लिए लेज़र का उपयोग किया जा सकता है। फ़्रीज़िंग के समान, आमतौर पर एक से ज़्यादा उपचारों की आवश्यकता होती है (त्वचा की समस्याओं के उपचार के लिए लेज़र का उपयोग करना देखें)।

मस्से को खुरचकर और इलेक्ट्रिक नीडिल से जलाकर निकाल सकते हैं (इस प्रक्रिया को क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन कहा जाता है)।

मस्से को सर्जिकल रूप से रेज़र से छील कर या स्कैल्पल चाकू का उपयोग करके काट कर भी निकाला जा सकता है।

ये विधियां प्रभावी हैं, लेकिन इनसे अधिक दर्द होता है और वे आम तौर पर निशान छोड़ जाती हैं। इनमें से कुछ प्रक्रियाओं में एनेस्थेटिक इंजेक्ट किया जाता है।

अन्य उपचार

कैंडिडा नामक यीस्ट से बना एक एंटीजन सीधे मस्सों में इंजेक्शन से दिया जा सकता है, विशेष रूप से उन मस्सों में जिनका इलाज कठिन है। इसे एंटीजन यीस्ट से प्राप्त किया जाता है। मस्से में इंजेक्शन से पहुंचाने पर वह एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सक्रिय करता है जो वायरस से लड़ती है।

HPV के 9 विभेदों के विरुद्ध सुरक्षा देने वाली HPV वैक्सीन उन बच्चों के लिए मददगार हो सकती है जिनके मस्सों का इलाज कठिन है।

मस्से का उपचार टॉपिकल एंटीवायरल दवाई सिडोफ़ोविर से भी किया जा सकता है।

मस्सों की रोकथाम

HPV वैक्सीन HPV के कुछ ऐसे प्रकारों से सुरक्षित रखते हैं जो मस्से और कैंसर पैदा करते हैं।