गुइलेन बार्र सिंड्रोम (GBS)

(एक्यूट इनफ्लेमेटरी डिमाइलिनेटिंग पॉलीरेडिक्युलोन्यूरोपैथी; एक्यूट आइडियोपैथिक पॉलीन्यूरिटिस)

इनके द्वाराMichael Rubin, MDCM, New York Presbyterian Hospital-Cornell Medical Center
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मार्च २०२४

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम मांसपेशियों की कमजोरी पैदा करने वाली पोलीन्यूरोपैथी का एक रूप है, जो आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर आने वाले हफ्तों में बदतर हो जाता है, और फिर धीरे-धीरे सुधार होता है या अपने आप सामान्य हो जाता है। उपचार से, लोगों में अधिक तेज़ी से सुधार हो सकता है।

  • गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का होना, ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण माना जाता है।

  • आमतौर पर, कमजोरी दोनों पैरों में शुरू होती है और शरीर के ऊपर तक जाती है।

  • इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी और तंत्रिका कंडक्शन अध्ययन निदान की पुष्टि करने में मदद कर सकते हैं।

  • गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाता है क्योंकि लक्षण तेजी से बदतर हो सकते हैं।

  • इम्यून ग्लोबुलिन को शिरा द्वारा दिया जाता है या फिर प्लाज़्मा विनिमय सुधार की प्रक्रिया बढ़ाता है।

(पेरीफेरल तंत्रिका तंत्र का विवरण भी देखें।)

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम पूरे शरीर में बहुत सी पेरीफेरल तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है (एक पोलीन्यूरोपैथी)।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का पूर्वअनुमानित कारण एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली निम्नलिखित में से एक या दोनों पर हमला करती है:

  • मायलिन आवरण, जो तंत्रिका को घेरता है और तंत्रिका आवेगों को जल्दी से पहुँचाने में सक्षम बनाता है

  • तंत्रिका का वह भाग जो संदेश भेजता है (जिसे एक्सॉन कहा जाता है)

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित लगभग दो तिहाई लोगों में लक्षण, हल्के संक्रमण (जैसे कि कैम्पाइलोबैक्टर संक्रमण, मोनोन्यूक्लियोसिस या एक अन्य वायरल संक्रमण), सर्जरी, या टीकाकरण के लगभग 5 दिन से 3 सप्ताह बाद शुरू होते हैं।

कुछ लोगों में, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ज़ीका वायरस संक्रमण के बाद या कोविड-19 के बाद विकसित हुआ है।

तंत्रिका तंतु को इन्सुलेट करना

मस्तिष्क के अंदर और बाहर अधिकांश तंत्रिका तंतु मायलिन नामक वसा (लिपोप्रोटीन) से बने ऊतक की कई परतों से घिरे होते हैं। ये परतें मायलिन शीथ बनाती हैं। बिजली के तार के चारों ओर इन्सुलेशन की तरह, मायलिन शीथ, तंत्रिका संकेतों (विद्युत आवेगों) को गति और सटीकता के साथ तंत्रिका तंतुओं में प्रवाहित करने में सक्षम बनाता है। जब मायलिन शीथ में खराबी आ जाती है (जिसे डिमाइलीनेशन कहा जाता है), तो तंत्रिकाएं सामान्य रूप से विद्युत आवेगों का संवहन नहीं करती हैं।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के कारण होने वाली कमजोरी आमतौर पर 3 या 4 सप्ताह में बदतर हो जाती है, फिर वैसी ही रहती है या सामान्य होने लगती है। यदि यह 8 सप्ताह से अधिक समय तक बदतर रहता है, तो इसे क्रोनिक इनफ्लेमेटरी डिमाइलिनेटिंग पोलीन्यूरोपैथी (CIDP) माना जाता है, न कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर दोनों पैरों में शुरू होते हैं, फिर बाहों में ऊपर की ओर बढ़ते हैं। कभी-कभी, लक्षण बाहों या सिर में शुरू होते हैं और नीचे की ओर बढ़ते हैं।

लक्षणों में कमजोरी और एक असहज झनझनाहट या चुभन की अनुभूति या संवेदना की क्षति शामिल है। असामान्य संवेदना की तुलना में कमजोरी अधिक प्रमुख होती है। प्रतिक्रिया कम या मौजूद ही नहीं होती हैं। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित 90% लोगों में, लक्षण शुरू होने के 3 से 4 सप्ताह बाद कमजोरी सबसे गंभीर होती है। 5 से 10% लोगों में सांस को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियाँ इतनी कमजोर हो जाती हैं कि मैकेनिकल वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।

जब विकार गंभीर होता है, तो आधे से अधिक प्रभावित लोगों में चेहरे और निगलने की मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं। जब ये मांसपेशियाँ कमजोर होती हैं, तो लोगों का खाते समय दम घुट सकता है, और वे डिहाइड्रेटिड हो सकते हैं अथवा कुपोषित हो सकते हैं।

यदि विकार बहुत गंभीर है, तो स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित आंतरिक कार्य बाधित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, ब्लड प्रेशर में व्यापक रूप से उतार-चढ़ाव हो सकता है, दिल की धड़कन असामान्य हो सकती है, लोग मूत्र को रोके रख सकते हैं, और गंभीर कब्ज बढ़ सकती है।

मिलर-फ़िशर सिंड्रोम नामक एक वैरिएंट में, केवल कुछ लक्षण विकसित होते हैं: आँखों की गतिविधि लकवाग्रस्त हो जाती है, चलना अस्थिर हो जाता है, और सामान्य सजगता गायब हो जाती है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी और तंत्रिका कंडक्शन अध्ययन, मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग, रक्त परीक्षण, और स्पाइनल टैप

डॉक्टर आमतौर पर लक्षणों के पैटर्न के आधार पर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का निदान कर सकते हैं। हालांकि, निदान की पुष्टि करने के लिए परीक्षण किए जाते हैं। यदि डॉक्टरों को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम होने का संदेह है, तो लोगों को परीक्षण करने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाता है क्योंकि सिंड्रोम तेजी से बिगड़ सकता है और सांस लेने में शामिल मांसपेशियों को खराब कर सकता है। सांस लेने का अक्सर मूल्यांकन किया जाता है।

परीक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

ये परीक्षण डॉक्टरों को गंभीर कमजोरी के अन्य संभावित कारणों को हटाने में मदद कर सकते हैं, जो गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से मिलते जुलते हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, MRI संपीड़न के कारण स्पाइनल कॉर्ड की क्षति (उदाहरण के लिए, एक ट्यूमर या एक ऐब्सेस द्वारा) और ट्रांसवर्स मायलाइटिस (स्पाइनल कॉर्ड की सूजन) के होने की संभावना को हटाने में मदद कर सकता है।

सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड में उच्च प्रोटीन स्तर और कुछ या एक भी श्वेत रक्त कोशिकाओं के न होने का संयोजन एवं इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी के विशिष्ट परिणाम दृढ़ता से गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का संकेत देते हैं।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का उपचार

  • अस्पताल में भर्ती और सहायक देखभाल

  • यदि आवश्यक हो, तो सांस लेने में मदद करने के लिए वेंटिलेटर का उपयोग करें

  • इम्यून ग्लोबुलिन या प्लाज़्मा एक्सचेंज

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम तेजी से बिगड़ सकता है और एक चिकित्सीय रूप से आपातकालीन स्थिति हो सकती है। जिन लोगों में यह सिंड्रोम विकसित होता है, उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए। जितनी जल्दी उचित उपचार शुरू होता है, उतने ही अच्छे परिणाम की संभावना होती है। यदि लक्षण दृढ़ता से गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का संकेत देते हैं, तो उपचार आमतौर पर परीक्षण के परिणामों की प्रतीक्षा किए बिना शुरू कर दिया जाता है।

सहायक देखभाल

अस्पताल में, लोगों पर कड़ी नजर रखी जाती है ताकि जरूरत पड़ने पर वेंटिलेटर से सांस लेने में मदद की जा सके।

कमजोर चेहरे और गर्दन की मांसपेशियों वाले लोगों को एक शिरा (इंट्रावीनस फीडिंग) में डाले गए कैथेटर के माध्यम से या सीधे पेट में डाली गयी एक ट्यूब (गैस्ट्रोस्टोमी ट्यूब) के द्वारा या पेट में एक छोटे चीरे के द्वारा छोटी आंत (एक पर्क्यूटेनियस एंडोस्कोपिक गैस्ट्रोस्टोमी या PEG ट्यूब) में डाली गई ट्यूब के माध्यम से खिलाया जा सकता है। फ़्लूड को शिरा द्वारा दिया जा सकता है।

मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण हिलने-डुलने में असमर्थ होने से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसे कि दबाव पड़ने से होने वाले घाव और कठोर, स्थायी रूप से छोटी मांसपेशियाँ (क्रॉन्ट्रेक्चर)। इसलिए नर्सें नरम गद्दे प्रदान करके और हर 2 घंटे में गंभीर कमजोरी वाले लोगों को पलटकर, दबाव से होने वाले घावों और चोटों को रोकने के लिए सावधानी बरतती हैं।

शारीरिक थेरेपी, क्रॉन्ट्रेक्चर को रोकने और जोड़ों तथा मांसपेशियों के कार्य और चलने की क्षमता को संरक्षित करने में मदद करने के लिए शुरू की जाती है। शारीरिक थेरेपी को और अधिक आरामदायक बनाने के लिए हीट थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। शारीरिक थेरेपी चिकित्सक द्वारा लोगों के लिए हाथ-पैरों को घुमाने के साथ शुरू की जा सकती है (निष्क्रिय व्यायाम)। जैसे ही कमजोरी कम हो जाती है, लोगों को अपने खुद के हाथ-पैरों को घुमाना चाहिए (सक्रिय व्यायाम)।

इम्यून ग्लोबुलिन या प्लाज़्मा एक्सचेंज

इम्यून ग्लोबुलिन (दाताओं के एक समूह से एकत्र किए गए कई अलग-अलग एंटीबॉडीज युक्त एक सॉल्यूशन) को जल्दी ही शिरा द्वारा (अंतःशिरा रूप से) दिया जाने लगता है, यह गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का सबसे ज़्यादा किया जाने वाला उपचार है। इसे 1 से 2 दिन या 5 दिनों तक दिया जा सकता है।

यदि इम्यून ग्लोबुलिन अप्रभावी है, तो प्लाज़्मा विनिमय (रक्त से मायलिन आवरण के एंटीबॉडीज सहित विषाक्त पदार्थों की फ़िल्टरिंग) मदद कर सकता है।

ये उपचार अस्पताल में रहने की अवधि कम करते हैं, तेजी से सुधार करते हैं, और मृत्यु तथा स्थायी विकलांगता के जोखिम को कम करते हैं। यदि लोगों की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है तो प्लाज़्मा विनिमय आमतौर पर जितनी जल्दी हो सके किया जाता है। हालांकि, किसी शिरा में डाली गई ट्यूब (कैथेटर) के माध्यम से बहुत सारे रक्त को हटाने और बदलने से निम्न ब्लड प्रेशर हो सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

चूंकि प्लाज़्मा विनिमय रक्त से इम्यून ग्लोबुलिन को हटा देता है, पर प्लाज़्मा विनिमय का उपयोग इम्यून ग्लोबुलिन के रूप में एक ही समय में नहीं किया जाता है। इम्यून ग्लोबुलिन देने के बाद प्लाज़्मा विनिमय में कम से कम 2 से 3 दिनों का समय लगता है।

अन्य उपचार

कॉर्टिकोस्टेरॉइड मदद नहीं करते हैं और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम को बदतर कर सकते हैं।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का पूर्वानुमान

8 सप्ताह के भीतर क्षति का बढ़ना बंद हो जाता है। उपचार के बिना, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित अधिकांश लोगों में कई महीनों में धीरे-धीरे सुधार होता है। हालांकि, शुरूआती उपचार से, लोग बहुत जल्दी—दिनों या हफ्तों में सुधार कर सकते हैं।

सिंड्रोम शुरू होने के 3 साल बाद लगभग 30% वयस्कों और विकार वाले अधिकांश बच्चों में बाद की कमजोरी रहती है। औसतन, 2% से कम लोगों की मौत हो जाती है।

शुरूआती सुधार के बाद, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित 3 से 10% लोगों में क्रोनिक इनफ्लेमेटरी डिमाइलिनेटिंग पोलीन्यूरोपैथी विकसित होती है।

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