कुछ दवाओं से विशेषकर वृद्ध लोगों में समस्याएं होने की संभावना हो सकती है

दवा

उपयोग

समस्या

हाई ब्लड प्रेशर के उपचार के लिए अल्फ़ा एड्रेनर्जिक ब्लॉकर्स (जैसे डोक्साज़ोसिन, प्राज़ोसिन, और टेराज़ोसिन)

हाई ब्लड प्रेशर का उपचार करने के लिए

इन दवाओं का उपयोग हाई ब्लड प्रेशर का उपचार करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

इन दवाओं के उपयोग से ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन होने का जोखिम बढ़ जाता है (व्यक्ति के खड़े होने पर ब्लड प्रेशर अचानक कम हो जाता है)।

इन दवाओं से महिलाओं को मूत्र रोकने में मुश्किल हो सकती है।

अल्फ़ा-एड्रेनर्जिक एगोनिस्ट (जैसे क्लोनिडाइन, गुआनाबेंज़, गुआनाफ़ैसिन, मिथाइलडोपा, और रेसर्पिन)

हाई ब्लड प्रेशर का उपचार करने के लिए

इन दवाओं का उपयोग आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर के उपचार के लिए तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि अन्य दवाएँ अप्रभावी न हों।

इन दवाओं के उपयोग से ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन और असामान्य रूप से धीमी हृदय दर हो सकती है तथा ये मस्तिष्क क्रिया को भी धीमा कर सकती हैं।

मिथाइलडोपा और रेसर्पिन से डिप्रेशन होने की शिकायत हो सकती है।

रेसर्पिन से इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन (नपुंसकता) हो सकता है।

मेपरिडीन

दर्द में राहत के लिए

मपेरेडीन, ओपिओइड, से मतिभ्रम होने की शिकायत हो सकती है और कभी-कभी इनसे दौरे भी पड़ सकते हैं। सभी ओपिओइड्स की तरह, इससे कब्ज, मूत्र अवरोधन, आलस, और मतिभ्रम हो सकता है। मुंह से लिए जाने पर, मपेरेडीन अधिक प्रभावी नहीं होती।

एमीओडारोन

असामान्य धड़कन के उपचार के लिए

एमीओडारोन को एट्रियल फ़िब्रिलेशन (असामान्य धड़कन) का उपचार करने के लिए, विशेष परिस्थितियों को छोड़कर, आमतौर पर प्रथम विकल्प के रूप में नहीं चुना जाना चाहिए।

एमीओडारोन से थायरॉइड संबंधी विकार, फेफड़ों से संबंधित विकार, और लंबे QT सिंड्रोम (जो अपने आप में गंभीर असामान्य धड़कन रोग का कारण हो सकता है) होने का जोखिम बढ़ सकता है।

एंटीडिप्रेसेंट (पुरानी वाली दवाएँ, जैसे एमीट्रिप्टाइलिन, एमोक्सापिन, क्लोमिप्रामाइन, डेसीप्रेमीन, उच्च खुराकों में डॉक्सेपिन, इमीप्रामिन, नॉरट्रिपटलीन, पैरोक्सेटीन, प्रोट्रिप्टिलीन, और ट्रिमीप्रैमीन)

डिप्रेशन का उपचार करने के लिए

इन पुरानी वाली एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के कठोर एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव होते हैं।* इनसे गिरने, कब्ज होने, मुंह में सूखापन, अत्यधिक आलस, और असामान्य धड़कन होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

एंटीहिस्टामाइन (पुरानी वाली दवाएँ) जिनके एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव होते हैं* (जैसे ब्रोमफ़ेनिरामिन, कार्बिनोक्सामिन, क्लोरफ़ेनिरामिन, क्लेमैस्टिन, सिप्रोहेप्टाडिन, डेक्सब्रोमफ़ेनिरामिन, डेक्सक्लोरफ़ेनिरामिन, डाइमेनहाइड्रीनेट, डाइफ़ेनिलहाइड्रामिन, डॉक्सीलामिन, हाइड्रॉक्ज़ाइन, मेक्लिज़ीन, प्रोमेथाज़िन, और ट्रिपरोलिडिन)

एलर्जी या सर्दी-जुकाम के लक्षणों को दूर करने के लिए, या नींद लाने में सहायता करने के लिए

बहुत सी बिना प्रिस्क्रिप्शन (बिना पर्चे वाली) और प्रिस्क्रिप्शन वाली एंटीहिस्टामाइन के कठोर एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव होते हैं।*

इन एंटीहिस्टामाइन दवाओं से आलस और मतिभ्रम होने की शिकायत हो सकती है, और नियमित रूप से इसका सेवन किए जाने पर, इनसे कब्ज होने, मुंह में सूखापन आने, और मूत्र त्याग करने में कठिनाई हो सकती है।

एंटीहिस्टामाइन का उपयोग आमतौर पर रात को सोने से पहले ली जाने वाली खांसी-जुकाम की दवाओं और दर्द निवारक दवाओं को बनाने में किया जाता है।

इन दवाओं का उपयोग नींद की दवाओं के रूप में किए जाने पर, लोगों में उनके प्रभावों के प्रति सहनशीलता भी विकसित हो सकती है।

एंटीपार्किंसन दवाएँ (बेंज़ट्रॉपीन और ट्राईहैक्सिफेनीडिल)

पार्किंसन रोग का उपचार करने के लिए

पहले से अधिक प्रभावी दवाएँ उपलब्ध हैं।

बेंज़ट्रॉपीन और ट्राईहैक्सिफेनीडिल वाली दवाओं के कठोर एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव होते हैं।*

एंटीसाइकोटिक दवाएँ (जैसे क्लोरप्रोमाज़िन, हैलोपेरिडोल, थायोथिक्सिन, रिसपेरीडोन, ओलेंज़ापिन, क्वेटायपिन, और एरिपिप्रज़ोल)

वास्तविकता से संपर्क टूटने की समस्या (मनोविक्षिप्ति) का उपचार करने के लिए, या किसी हद तक विवादास्पद रूप से, डेमेंशिया से ग्रस्त लोगों में होने वाली व्यवहार-संबंधी समस्याओं का उपचार करने के लिए

कभी-कभी मतली का उपचार करने के लिए (आमतौर पर केवल क्लोरप्रोमाज़िन)

एंटीसाइकोटिक दवाओं से आलसपन, संचलन संबंधी विकार (जो पार्किंसन रोग जैसे होते हैं), और अनियंत्रित रूप से चेहरे पर फड़कन होने की समस्या हो सकती है। इनमें से कुछ दवाओं के एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव हो सकते हैं।* इनसे होने वाले कुछ अन्य दुष्प्रभाव संभावित रूप से घातक होते हैं। एंटीसाइकोटिक दवाओं का उपयोग केवल तब ही किया जाना चाहिए जब व्यक्ति में कोई मनोविक्षिप्ति विकार मौजूद हो और उसकी डॉक्टर द्वारा निगरानी किए जाने की आवश्यकता हो।

डेमेंशिया से ग्रस्त लोगों को एंटीसाइकोटिक दवाएँ दिए जाने पर उनमें आघात और मृत्यु होने का खतरा बढ़ जाता है।

मेटोक्लोप्माराइड

कभी-कभी डायबिटीज वाले लोगों में गंभीर एसिड रिफ़्लक्स, मतली, सिरदर्द, या धीरे-धीरे पेट खाली होने की समस्या का उपचार करने के लिए

मेटोक्लोप्रमाइड से आलसपन और संचलन संबंधी विकार (जो पार्किंसन रोग जैसे होते हैं) उत्पन्न हो सकते हैं। सामान्य तौर पर, मेटोक्लोप्रमाइड का 3 महीने से अधिक समय तक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

बार्बीट्यूरेट्स (जैसे एमोबार्बिटल, ब्यूटाबार्बिटल, ब्यूटालबिटल, मेफोबार्बिटल, पेंटोबार्बिटल, फ़ेनोबार्बिटल, और सेकोबार्बिटल)

शांत करने के लिए चिंता को दूर करने के लिए, या नींद लाने में सहायता करने के लिए

लोग इन दवाओं पर निर्भर हो सकते हैं, ये दवाएँ नींद लाने में लोगों की मदद करने में अप्रभावी हो सकती हैं, और इन दवाओं की कम खुराकें लेने पर भी लोगों में इनकी मात्रा बढ़ सकती है।

बेंज़ोडाइज़ेपाइन (जैसे अल्प्राज़ोलेम, क्लोरडाइज़ेपॉक्साइड, एमीट्रिप्टाइलिन के साथ क्लोरडाइज़ेपॉक्साइड, क्लिडीनियम के साथ क्लोरडाइज़ेपॉक्साइड [अकेले या एमीट्रिप्टाइलिन अथवा क्लिडीनियम के संयोजन में], क्लोनाज़ेपैम, क्लोराज़ेपेट, डाइआज़ेपैम, एस्टाज़ोलैम, फ़्लुराज़ेपैम, लोरेज़ेपैम, ऑक्साज़ेपैम, क्वाज़ेपैम, टेमाज़ेपाम, और ट्राइएज़ोलाम)

शांत करने के लिए चिंता को दूर करने के लिए, या नींद लाने में सहायता करने के लिए

इन दवाओं से आलसपन आने और व्यक्ति के पैदल चलते समय संतुलन खोने के समस्या हो सकती है। मोटर वाहन दुर्घटनाएं होने के जोखिम जैसे ही गिरने की घटनाएं और फ्रैक्चर होने का जोखिम बढ़ जाता है।

इनमें से कुछ दवाओं के प्रभाव वृद्ध लोगों में बहुत लंबे समय (अक्सर कई दिनों से अधिक समय) तक रहते हैं।

कुछ हिप्नोटिक दवाएँ (जैसे एस्ज़ोपिक्लोन, ज़ेलेप्लोन, और ज़ॉल्पीडेम)

नींद लाने में सहायता करने के लिए

इन दवाओं के दुष्प्रभाव बेंज़ोडाइज़ेपाइन से होने वाले दुष्प्रभावों के जैसे ही होते हैं। इसलिए इन दवाओं का उपयोग केवल थोड़े समय के लिए ही करना सर्वोत्तम है।

डेस्मोप्रेस्सिन

रात में मूत्र आने की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए

डेस्मोप्रेस्सिन से हाइपोनेट्रिमिया (रक्त में सोडियम का स्तर कम होना) होने का अधिक खतरा होता है। डेस्मोप्रेस्सिन को रात में अत्यधिक मूत्र आने की समस्या का उपचार करने के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसके लिए अधिक सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं।

एट्रियल फ़िब्रिलेशन या हृद्‌पात के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रथम उपचार के लिए डाइजोक्सिन

हृद्‌पात या असामान्य धड़कन (एरिदमियास) का उपचार करने के लिए

लोगों की आयु बढ़ने के साथ-साथ, उनकी किडनी शरीर से डाइजोक्सिन को पूरी तरह से निकाल नहीं पाती। इस दवा की अति खुराकें अधिक आसानी से हानिकारक (जहरीले) स्तर पर पहुंच सकती हैं। इसके दुष्प्रभावों में भूख न लगना, मतली होना, और मतिभ्रम होना शामिल है।

डिपिरिडामोल (तत्काल रिलीज़)

रक्त के थक्के बनने के जोखिम को कम करने के लिए या रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए

डिपिरिडामोल, वृद्ध लोगों में खड़े होने पर अक्सर ब्लड प्रेशर को कम कर देती है। यह दवा, रक्त के थक्के बनने की संभावना को कम करने वाली, एस्पिरिन या एंटीकोग्युलेन्ट वारफ़ेरिन जैसी, अन्य दवाओं के साथ लिए जाने पर, रक्तस्राव होने के जोखिम को बढ़ा सकती है।

पाचन नाल में ऐंठन को कम करने या रोकने वाली दवाएँ (एंटीस्पास्मोडिक दवाएँ, जैसे एट्रोपिन [आई ड्रॉप्स को छोड़कर], बेलाडोना एल्कोलॉइड्स, क्लिडीनियम/क्लोरडाइज़ेपॉक्साइड, डाइसाइक्लोमिन होमेट्रोपिन [आई ड्रॉप्स को छोड़कर], हायोसायमिन, मेथस्कोपोलामिन, प्रोपेंथेलिन, और स्कोपोलामाइन)

पेट की ऐंठन और दर्द को दूर करने के लिए

इन दवाओं के कठोर एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव* होते हैं और ये अक्सर वृद्ध लोगों में दुष्प्रभाव पैदा करती हैं। उनकी उपयोगिता—विशेषकर वृद्ध लोगों द्वारा सहन की जाने वाली कम खुराकों के संबंध में—संदेहास्पद है।

एर्गोट मेसिलेट और आइसोक्स्युप्रिन

रक्तवाहिकाओं को फैलाने के लिए

ये दवाएँ किसी भी आयु के लोगों के लिए प्रभावी नहीं हैं।

प्रोजेस्टिन के साथ या बिना एस्ट्रोजन

ऑस्टियोपोरोसिस का उपचार करने के लिए और हॉट फ़्ल्शेज़, रात में पसीना आने, एवं योनि में सूखापन आने जैसे रजोनिवृत्ति संबंधी लक्षणों में राहत पाने में मदद के लिए।

एस्ट्रोजन से स्तन और गर्भाशय (एंडोमेट्रियल) कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है और ये वृद्ध महिलाओं में आघात, हृदयघात, और डेमेंशिया होने के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं। वेजाइनल एस्ट्रोजेन उत्पाद, दर्दनाक संभोग, मूत्र पथ के संक्रमणों, और अन्य वेजाइना संबंधी लक्षणों के उपचार के लिए सुरक्षित और प्रभावी जान पड़ते हैं।

हिस्टामाइन-2 (H2) ब्लॉकर (जैसे सिमेटीडीन, फ़ेमोटिडीन, निज़ाटिडीन, और रैनिटिडिन)

सीने में जलन (एसिड रिफ़्लक्स), अपच, या अल्सर का उपचार करने के लिए

सिमेटीडीन की विशिष्ट खुराकों में दवा संबंधी पारस्परिक क्रियाएं हो सकती हैं जिनके कारण दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं, विशेष रूप से मतिभ्रम।

कुछ हद तक, फ़ेमोटिडीन, निज़ाटिडीन, और रैनिटिडिन की उच्च खुराकों से भी दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं, विशेष रूप से मतिभ्रम।

ये दवाएँ बोधात्मक विकार से ग्रस्त लोगों में याददाश्त और सोचने संबंधी समस्याओं को और अधिक बढ़ा सकती हैं।

स्लाइडिंग स्केल (इंसुलिन विधियां जिसमें वर्तमान ब्लड शुगर [ग्लूकोज] स्तरों के अनुसार केवल शॉर्ट- या रैपिड- एक्टिंग इंसुलिन की खुराक तब तक दी जाती है, जब तक कि इसे लंबे समय तक काम करने वाले इंसुलिन के साथ उपयोग न किया जाए) द्वारा दिया जाने वाला इंसुलिन

डायबिटीज का उपचार करने के लिए

इस तरीके से दिए जाने पर, इंसुलिन से रक्त शर्करा का स्तर ख़तरनाक रूप से घट सकता है और डायबिटीज को नियंत्रित करने में भोजन के साथ नियत खुराकों में दिए जाने वाले इंसुलिन की तुलना में यह तरीका अधिक प्रभावी भी नहीं है।

मिनरल ऑइल

कब्ज का उपचार करने के लिए

मुंह से लिए जाने पर, मिनरल ऑइल सांस के द्वारा गलती से फेफड़ों में जा सकता है, जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है।

पुरुष सेक्स हार्मोन (जैसे टेस्टोस्टेरॉन और मेथिलटेस्टोस्टेरॉन)

निम्न टेस्टोस्टेरॉन स्तरों के लिए (जिसे मेल हाइपोगोनेडिज़्म कहा जाता है)

इन हार्मोन का उपयोग केवल तभी करना चाहिए जब किसी पुरुष के टेस्टोस्टेरॉन स्तर कम हों और उनके कारण लक्षण उत्पन्न हो रहे हों। इन हार्मोन का उपयोग करने से हृदय विकार उत्पन्न हो सकते हैं तथा ये प्रोस्टेट संबंधी विकारों को और बढ़ा सकते हैं (इन्हें प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त लोगों को देने से बचें)।

Megestrol

भूख बढ़ाने के लिए और कम हुए वजन को बढ़ाने में मदद के लिए

मेजेस्ट्रॉल रक्त के थक्के जमने का कारण बन सकता है और संभवतः मौत का खतरा बढ़ा सकता है और आम तौर पर यह वजन को बढ़ाने में लोगों की मदद करने में बहुत प्रभावी नहीं है।

मसल रिलेक्सेंट (जैसे कैरिसोप्रोडोल, क्लोरोज़ॉक्साज़ोन, साइक्लोबेंज़ाप्रीन, मेटेक्सालोन, मेथोकार्बामोल, और ऑर्फ़ेनाड्रीन)

मांसपेशियों की ऐंठन को दूर करने के लिए

अधिकांश मसल रिलेक्सेंट दवाओं के एंटीकोलिनर्जिक प्रभाव होते हैं।* इनके कारण आलसपन और कमजोरी भी आ जाती है और इसीलिए इनसे गिरने की घटनाएं और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। वृद्ध लोगों में दुष्प्रभाव होने से रोकने के लिए सभी मसल रिलेक्सेंट की आवश्यक निम्न खुराकों की उपयोगिता संदेहास्पद है। इनसे लाभों की अपेक्षा अधिक जोखिम होने की संभावना है।

निफ़ेडीपिन (तत्काल रिलीज़)

ब्लड प्रेशर कम करने के लिए

निफ़ेडीपिन को यदि तत्काल रिलीज़ कैप्सूल के रूप में लिया जाता है, तो इससे ब्लड प्रेशर अत्यधिक कम हो सकता है, कभी-कभी तो इससे हृदयघात होने जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं (उदाहरण के लिए सीने में भारीपन या दर्द होना)।

नाइट्रोफ्यूरेंटोइन

मूत्राशय के संक्रमणों का उपचार करने के लिए

लंबे समय तक उपयोग किए जाने से नाइट्रोफ्यूरन्टाइन के दुष्प्रभाव हो सकते हैं (जैसे फेफड़ों को क्षति पहुंचना)। यदि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही हैं तो मूत्राशय संक्रमण के लिए इस दवा को लेना, हो सकता है कि उतना प्रभावी न हो।

NSAID (जैसे एस्पिरिन, डाइक्लोफ़ेनैक, डाइफ़्लूनिसल, इटोडोलैक, फ़ीनोप्रोफ़ेन, आइबुप्रोफ़ेन, इंडोमिथैसिन, कीटोप्रोफ़ेन, कीटोरोलैक, मेक्लोफ़ेनेमेट, मेफ़ेनेमिक एसिड, मेलॉक्सीकैम, नेब्यूमेटॉन, नेप्रोक्सेन, ऑक्साप्रोज़िन, पाइरॉक्सीकैम, सुलिन्डैक, और टॉल्मेटिन)

COX-2 इन्हिबिटर (सेलेकॉक्सिब)

दर्द और सूजन को दूर करने के लिए

NSAID का लंबे समय तक उपयोग करने से पेप्टिक अल्सर रोग हो सकता है, या पेट अथवा आंत से रक्तस्राव हो सकता है, जब तक कि पेट की इन समस्याओं को रोकने के लिए इन दवाओं के साथ कोई अन्य दवाई नहीं दी जाती। NSAID और सेलेकोक्सिब किडनी की क्रिया और हृद्पात होने के लक्षणों को और भी खराब कर सकते हैं।

सभी NSAID में से इंडोमिथैसिन के सबसे अधिक दुष्प्रभाव होते हैं। इससे मतिभ्रम होने या चक्कर आने की शिकायत भी हो सकती है।

प्रोटोन पम्प इन्हिबिटर

पेट में अम्ल के उत्पादन और एसिड रिफ़्लक्स और अल्सर को कम करने के लिए

लंबे समय तक प्रोटोन-पंप इन्हिबिटर का उपयोग करने से क्लोस्ट्रिडायोइड्स डिफ़िसाइल संक्रमण के कारण अत्यधिक दस्त लगने, हड्डी कमजोर होने और फ्रैक्चर होने, तथा विटामिन B12 की कमी होने के जोखिम बढ़ जाते हैं।

सल्फ़ोनिलयूरिया दवाएँ (वे दवाएँ जो लंबे समय तक काम करती हैं, जैसे क्लोरप्रोपेमाइड, ग्लिमेपिराइड, और ग्लाइबुराइड [जिसे ग्लाइबेंक्लामाइड के नाम से भी जाना जाता है])

डायबिटीज का उपचार करने के लिए

क्लोरप्रोपेमाइड के प्रभाव लंबे समय तक रहते हैं। वृद्ध लोगों में, इन दवाओं के कारण कई घंटों तक ब्लड शुगर के स्तर कम (हाइपोग्लाइसीमिया) रह सकते हैं। क्लोरप्रोपेमाइड, किडनी में बहुत अधिक पानी रोके रखने का कारण भी बन सकता है, जिससे रक्त में सोडियम का स्तर कम हो सकता है।

ग्लाइबुराइड और ग्लिमेपिराइड से भी कई घंटों तक ब्लड शुगर के स्तर कम रह सकते हैं।

* एंटीकोलिनर्जिक प्रभावों में मतिभ्रम, धुंधली नज़र, कब्ज, मुंह में सूखापन, सिर घूमना और संतुलन खोना, तथा मूत्र करना शुरू करने में कठिनाई होना शामिल है।

डिपिरिडामोल, एस्पिरिन के साथ एक एक्स्टेंडेड-रिलीज़ फ़ॉर्म्यूलेशन में भी उपलब्ध है। यह उत्पाद, जिसका उपयोग उन लोगों में आघात को रोकने के लिए किया जाता है जिन्हें पहले आघात आ चुका है, सूची में शामिल नहीं किया गया है।

COX-2 इन्हिबिटर = कॉक्सिब; NSAID = बिना स्टेरॉइड वाली एंटी-इन्फ़्लामेट्री दवाएँ।

अमेरिकन जेरिआट्रिक्स सोसाइटी 2019 बीयर्स क्राइटेरिया अपडेट एक्सपर्ट पैनल से रूपांतरित: अधिक आयु के वयस्कों में संभावित रूप से अनुचित दवा के उपयोग के संबंध में अमेरिकन जेरिआट्रिक्स सोसाइटी ने बीयर्स क्राइटेरिया® को अपडेट किया है। J Am Geriatr Soc 67(4):674-694, 2019. doi:10.1111/jgs.15767