- नवजात शिशुओं में संक्रमण का विवरण
- नवजात शिशुओं में बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस
- नवजात शिशुओं में कंजंक्टिवाइटिस
- नवजात शिशुओं में साइटोमेगालोवायरस (CMV) संक्रमण
- नवजात शिशुओं में हैपेटाइटिस B वायरस (HBV) संक्रमण
- नवजात शिशुओं में हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV) संक्रमण
- नवजात शिशुओं में अस्पताल-प्राप्त संक्रमण
- नवजात शिशु में लिस्टिरियोसिस
- नवजात शिशुओं में निमोनिया
- नवजात शिशुओं में रूबेला
- नवजात शिशुओं में सेप्सिस
- नवजात शिशु में सिफ़िलिस
- नवजात शिशुओं में टोक्सोप्लाज़्मोसिस
- नवजात शिशु में ट्यूबरक्लोसिस (TB)
हैपेटाइटिस B वायरस के संक्रमण से लिवर में सूजन आ जाती है।
नवजात शिशु जन्म के समय या बहुत कम ही जन्म के बाद संक्रमित हो सकते हैं।
जिन नवजात शिशुओं में लक्षण विकसित होते हैं उनमें पीलिया, सुस्ती और विकास में गिरावट देखी जाती है।
निदान आमतौर पर ब्लड परीक्षण पर आधारित होता है।
बच्चों को जीवन में बाद में लिवर की समस्याओं का खतरा होता है।
नवजात शिशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए हैपेटाइटिस B का टीका और कभी-कभी हैपेटाइटिस B इम्यून ग्लोब्युलिन दिया जाता है।
(नवजात शिशुओं में संक्रमण का विवरण और हैपेटाइटिस का विवरण भी देखें।)
हैपेटाइटिस B एक प्रकार का हैपेटाइटिस वायरस है जिसके संपर्क में नवजात शिशु आ सकते हैं और नवजात शिशुओं में यह बड़ी चिंता का कारण है।
यदि मां संक्रमित है, तो प्रसव के दौरान बच्चे में भी संक्रमण होता है। हालांकि, नवजात शिशु जन्म के बाद अन्य स्रोतों से संक्रमित हो सकते हैं, जैसे कि मां की लार, स्टूल, पेशाब या स्तन का दूध।
नवजात शिशुओं में HBV संक्रमण के लक्षण
हैपेटाइटिस B वायरस (HBV) के संक्रमण से पीड़ित ज़्यादातर नवजात शिशुओं में जन्म के समय कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन उनके शरीर में संक्रमण बना रहता है।
जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान एक्यूट हैपेटाइटिस B होता है, तो उनके नवजात शिशुओं का जन्म के समय कम वज़न होता है, भले ही वे संक्रमित हों या ना हों।
कभी-कभी, संक्रमित नवजात शिशुओं को एक्यूट हैपेटाइटिस B होता है, जो आमतौर पर हल्का होता है और बिना इलाज के चला जाता है। उनमें पीलिया (त्वचा या आँखों का पीलापन), सुस्ती, विकास ना होना, पेट में सूजन और मिट्टी के रंग का मल होना शुरू हो जाता हैं। शायद ही कभी संक्रमण इतना गंभीर होता है, कि मृत्यु का कारण बन जाए।
लिवर की क्रोनिक बीमारी (जैसे क्रोनिक हैपेटाइटिस या सिरोसिस) विकसित हो सकती है, लेकिन आमतौर पर युवावस्था तक इसके लक्षण नहीं होते हैं।
नवजात शिशुओं में HBV संक्रमण का निदान
रक्त की जाँच
डॉक्टर हैपेटाइटिस B वायरस के साथ-साथ वायरस के प्रति एंटीबॉडीज़ देखने के लिए ब्लड परीक्षण करते हैं। डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए ब्लड परीक्षण भी करते हैं कि कहीं लिवर की बीमारी तो विकसित नहीं हो गयी (लिवर ब्लड परीक्षण देखें)।
लिवर की तस्वीरें लेने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफ़ी की जाती है।
नवजात शिशुओं में HBV संक्रमण के लिए पूर्वानुमान
हालांकि क्रोनिक हैपेटाइटिस B वायरस के संक्रमण के लिए बहुत पहले से प्रॉग्नॉसिस की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, लेकिन यह ज्ञात है कि जीवन की शुरुआती दौर में क्रोनिक संक्रमण से बाद में लिवर की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें क्रोनिक हैपेटाइटिस, सिरोसिस, ट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता वाले अंतिम चरण के लिवर रोग और लिवर कैंसर शामिल हैं।
इलाज और बचाव
लक्षणों का इलाज और अच्छा आहार-पोषण
टीकाकरण
कभी-कभी इम्यून ग्लोब्युलिन
डॉक्टर हैपेटाइटिस B वायरस के संक्रमण से होने वाली समस्याओं का इलाज करते हैं। प्रभावित नवजात शिशुओं के लिए अच्छा आहार-पोषण प्राप्त करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
हैपेटाइटिस B का टीका सभी बच्चों के लिए एक अनुशंसित नियमित टीकाकरणों में से एक है। सभी नवजात शिशुओं, चाहे संक्रमित हों या नहीं, को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले हैपेटाइटिस B वायरस के टीके की पहली खुराक दी जाती है।
एक संक्रमित मां से पैदा हुए नवजात शिशु को भी हैपेटाइटिस B इम्यून ग्लोब्युलिन दिया जाता है, जो हैपेटाइटिस B से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ तैयार करते है। टीके की पहली खुराक और इम्यून ग्लोब्युलिन जन्म के 12 घंटे के भीतर दी जाती है।