ट्यूबरक्लोसिस एक छुआछूत वाला संक्रमण है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिसबैक्टीरिया के कारण होता है।
नवजात शिशु विभिन्न तरीकों से बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकते हैं।
इसके लक्षणों में बुखार, सुस्ती और सांस लेने संबंधी दिक्कत शामिल हैं।
निदान के लिए सीने का एक्स-रे, ब्लड टेस्ट, फ़्लूड और ऊतक के नमूनों का टेस्ट और कल्चर और स्पाइनल टैप शामिल हो सकते हैं।
सक्रिय संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले शिशुओं को एंटीबायोटिक दिया जा सकता है, भले ही वे बीमार ना हों।
संक्रमण के इलाज के लिए संक्रमित नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं।
(नवजात शिशुओं में संक्रमण और वयस्कों में ट्यूबरक्लोसिस का विवरण भी देखें।)
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस के संपर्क में आने पर शिशु संक्रमित हो जाते हैं। बहुत तरह से शिशु इनके संपर्क में आ सकते हैं:
जन्म से पहले: बैक्टीरिया के गर्भनाल (जो भ्रूण को पोषण प्रदान करने वाला अंग) को पार कर जाने और भ्रूण को संक्रमित कर देने पर संक्रमण हो जाता है।
जन्म के दौरान: नवजात शिशु प्रसव नाल में संक्रमित फ़्लूड में सांस लेने या उसे गटक लेने पर संक्रमण हो जाता है।
जन्म के बाद: नवजात शिशु ऐसे संक्रमित सूक्ष्म बूंदों में सांस लेने पर, जो परिवार के सदस्यों या नर्सरी के कर्मचारियों के खुले में खांसने या छींकने से निकली होती हैं, संक्रमण हो जाता है।
जिन मां के फेफड़ों में सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस का संक्रमण होता है, उनसे पैदा होने वाले लगभग 50% बच्चों में जीवन के पहले वर्ष के दौरान संक्रमण हो जाता है, जब तक कि इससे बचाव करने वाले एंटीबायोटिक्स या बैसिल कैल्मेट-गुरिन (BCG) नामक टीका नहीं दे दिया जाता है। जिनके फेफड़ों में सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण होता है, वे खुद तो बीमार होते हैं और दूसरों में भी यह बीमारी फैला सकते हैं।
नवजात शिशु में TB के लक्षण
कुछ नवजात शिशु में हो सकता है कोई लक्षण ना हो।
हो सकता है नवजात शिशु बीमार दिखे और हो सकता है उसे बुखार हो, सुस्त हो, सांस लेने में दिक्कत हो या निमोनिया हो जिसका इलाज कठिन हो जाता है। उनका वज़न बढ़ने और शारीरिक विकास (वृद्धि का रुक जाना) में देरी हो सकती है। चूंकि ट्यूबरक्लोसिस आमतौर पर कई अंगों को प्रभावित करता है, इसलिए नवजात शिशुओं में लिवर और स्प्लीन की समस्या भी बढ़ सकती है।
नवजात शिशु में TB का निदान
छाती का एक्स-रे
फ़्लूड और ऊतक के नमूनों की जांच और कल्चर करना
कभी-कभी त्वचा का टेस्ट
कुछ नवजात शिशुओं का टेस्ट करना ज़रूरी होता है और कुछ का नहीं।
वे नवजात शिशु जिनका टेस्ट ज़रूरी है
कोई नवजात शिशु, जिसमें ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण दिखाई पड़ते हैं या जो सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण से पीड़ित मां से पैदा हुआ है, उसके निम्न टेस्ट किए जाते हैं:
छाती का एक्स-रे
फ़्लूड और ऊतक के नमूनों की जांच और कल्चर करना
स्पाइनल टैप
रक्त की जाँच
कभी-कभी ट्यूबरक्लोसिस त्वचा परीक्षण
सीने का एक्स-रे ट्यूबरक्लोसिस के संकेत दिखा सकता है।
गले, पेट, यूरिन और गर्भनाल से फ़्लूड और ऊतक के नमूने लिए जाते हैं। इन नमूनों को माइक्रोस्कोप के नीचे रख कर ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया का पता लगाया जाता है और इनका कल्चर करके इन बैक्टीरिया को विकसित किया जाता है।
टेस्ट के लिए स्पाइनल फ़्लूड का नमूना निकालने के लिए स्पाइनल टैप (लंबर पंचर) किया जाता है।
यह पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किए जाते हैं कि नवजात शिशु में कोई अन्य संक्रमण है या नहीं, जैसे ह्यूमन इम्यूनोडिफ़िशिएंसी वायरस (HIV) संक्रमण।
कभी-कभी नवजात शिशुओं में ट्यूबरक्लोसिस का टेस्ट त्वचा पर किया जाता है। इस टेस्ट में ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया (ट्यूबरकुलिन) से निकाले गए प्रोटीन की एक छोटी मात्रा को त्वचा के ठीक नीचे इंजेक्ट किया जाता है। करीब 2 दिन बाद इंजेक्शन वाली जगह की जांच की जाती है। अगर इंजेक्शन वाली जगह में सूजन आ जाती है, तो टेस्ट पॉजिटिव माना जाता है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि नवजात शिशु ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया से संक्रमित हो गया है। हालांकि, कभी-कभी टेस्ट संक्रमण नहीं दिखाता है, भले ही नवजात शिशु संक्रमित हो। इसके बावजूद अगर डॉक्टर को कोई संदेह होता है, तो ऐसे मामलों में वे अतिरिक्त टेस्ट कर सकते हैं।
ऐसे नवजात शिशु जिनमें परीक्षण करने की जरूरत हो सकती है
कोई भी नवजात शिशु जो स्वस्थ दिखता है और जिसकी मां का त्वचा परीक्षण पॉजिटिव है, लेकिन सीने के एक्स-रे में ट्यूबरक्लोसिस के कोई लक्षण नहीं हैं और ना ही सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण का कोई संकेत है, तो ऐसे मामले में डॉक्टरों को बड़ी बारीकी से निगरानी करनी चाहिए। उनके परिवार के सभी सदस्यों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। अगर मूल्यांकन के बाद डॉक्टर को यह पता चलता है कि नवजात शिशु, सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण के संपर्क में नहीं आया है, तो नवजात शिशु को किसी इलाज या परीक्षण की ज़रूरत नहीं है। अगर मूल्यांकन के बाद डॉक्टर को यह पता चलता है कि नवजात शिशु सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण के संपर्क में आया है, तो नवजात शिशु में ऊपर बताए गए परीक्षण किए जाते हैं।
नवजात शिशुओं में TB से बचाव
आमतौर पर आइसोनियाज़िड एंटीबायोटिक, डॉक्टर उन्हीं शिशुओं को देते हैं जिन्हें सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस का संक्रमण हुआ है, फिर भले ही वे बीमार न हुए हों; क्योंकि संक्रमण को सक्रिय होने से रोकने में यह दवा मदद करती है।
दुनिया के उन हिस्सों में जहां मेडिकल सेवाएं कम हैं और जहां ट्यूबरक्लोसिस होने का खतरा ज़्यादा होता है, वहाँ नवजात शिशुओं को नियमित रूप से चाइल्डहुड ट्यूबरक्लोसिस को रोकने में मदद करने के लिए बैसिल कैल्मेट-गुरिन (BCG) नाम का टीका दिया जाता है। डॉक्टर आमतौर पर ऐसे देशों में जहां संसाधन की कमी नहीं है BCG का टीका लेने की सिफारिश नहीं करते हैं, क्योंकि वहां संक्रमण का जोखिम कम होता है।
नवजात शिशुओं में TB का इलाज
आइसोनियाज़िड
अन्य दवाएं
सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण से पीड़ित नवजात शिशुओं का इलाज आइसोनियाज़िड, रिफ़ैम्पिन, पायराज़ीनामाईड, इथियानामाइड और एथेमब्यूटॉल एंटीबायोटिक्स और कभी-कभी अन्य दवाओं के कॉम्बिनेशन से किया जा सकता है।
जिन नवजात शिशुओं के त्वचा परीक्षण का नतीजा पॉजिटिव होता है या जो जन्म के बाद सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस के संपर्क में आते हैं, तो उस संक्रमण को विकासित होने से रोकने के लिए आइसोनियाज़िड दिया जाता है।
नवजात शिशुओं में ट्यूबरक्लोसिस के लिए सभी दवाएँ 6 महीने या उससे ज़्यादा समय तक के लिए दी जाती हैं।
ऐसी गर्भवती महिलाएं जिनमें ट्यूबरक्लोसिस के विकसित होने का बहुत ज़्यादा खतरा होता है उन्हें 9 महीने तक पूरक विटामिन B6 (पाइरीडॉक्सीन) के साथ आइसोनियाज़िड दिया जाता है। गर्भावस्था के दौरान ट्यूबरक्लोसिस के संपर्क में आने वाली कुछ महिलाओं में सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस के विकसित होने का कितना खतरा होने के आधार पर पहली तिमाही के बाद या जब तक प्रसव नहीं हो जाता है तब तक आइसोनियाज़िड और विटामिन B6 नहीं दिया जा सकता है।
सक्रिय ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को आइसोनियाज़िड, एथेमब्यूटॉल और रिफ़ैम्पिन का कॉम्बिनेशन कम से कम 9 महीने या उससे भी ज़्यादा समय तक दिया जाता है।