कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT)

इनके द्वाराMustafa A. Mafraji, MD, Rush University Medical Center
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया नव॰ २०२३ | संशोधित दिस॰ २०२३

कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) इस प्रकार की एक चिकित्सा इमेजिंग तकनीक है, जिसमें एक्स-रे की एक श्रृंखला के ज़रिए आंतरिक संरचनाओं की विभिन्न कोणों से बहुत सी इमेज बनाई जाती हैं।

कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) में, जिसे कंप्यूटेड एक्सियल टोमोग्राफ़ी (CAT) कहा जाता था, एक एक्स-रे सोर्स और एक्स-रे डिटेक्टर व्यक्ति के चारों ओर घूमते हैं। आधुनिक स्कैनरों में, एक्स-रे डिटेक्टर में आमतौर पर सेंसर की 4 से 64 या अधिक पंक्तियां होती हैं जो शरीर से होकर गुज़रने वाली एक्स-रे को रिकॉर्ड करती हैं। सेंसर से मिलने वाला डेटा, व्यक्ति के चारों ओर कई कोणों से लिए गए एक्स-रे मेज़रमेंट को दर्शाता है। हालांकि, ये मेज़रमेंट सीधे देखे जाने के बजाय कंप्यूटर पर भेजे जाते हैं। कंप्यूटर उन्हें इमेज में बदलता है जो शरीर के 2-डायमेंशनल स्लाइस (क्रॉस-सेक्शन) जैसा दिखता है। कंप्यूटर, रिकॉर्ड की गई इमेज से 3-डायमेंशनल इमेज भी बना सकता है।

(इमेजिंग जांचों का विवरण भी देखें।)

CT की प्रक्रिया

CT के लिए, रोगी को एक मोटर से चलने वाली टेबल पर लेटने को कहा जाता है जिसे डोनट के आकार के स्कैनर की ओपनिंग के अंदर ले जाया जाता है। डिवाइस रोगी के चारों तरफ़ घुमते हुए उसका स्कैन करती है। कुछ CT स्कैन के लिए, टेबल थोड़ा-थोड़ा हिलती है और प्रत्येक स्कैन (स्लाइस) लेते समय रुक जाती है। अन्य CT स्कैन के लिए, स्कैनिंग के दौरान टेबल लगातार हिलती रहती है। चूंकि व्यक्ति एक सीधी रेखा में आगे पीछे जाता है और डिटेक्टर गोल घूमते हैं, इसलिए ऐसा लगता है जैसे विभिन्न तस्वीरों को उस व्यक्ति के चारों ओर सर्पिलाकार तरीके से लिया गया है।

लोगों को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिनमें स्कैन किए जाने वाली जगह में मैटल के बटन, स्नैप, ज़िप्पर या अन्य धातु न हो और किसी भी ज़ेवर को हटा देना चाहिए। ऐसी वस्तुएं खतरनाक नहीं हैं लेकिन एक्स-रे को ब्लॉक कर सकती हैं और इमेज बिगड़ सकती है। जांच के दौरान, एक्स-रे लेते समय लोगों को हिलना-डुलना नहीं चाहिए और समय-समय पर अपनी सांस रोकनी चाहिए ताकि इमेज धुंधली न हों। इस प्रक्रिया के दौरान सीटी की आवाज़ सुनाई देती है।

जांच किए गए हिस्से के आधार पर और स्कैनर कितना आधुनिक है, इस पर निर्भर करते हुए प्रक्रिया में आमतौर पर कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक का समय लगता है। छाती की CT में एक मिनट से भी कम समय लगता है, और लोगों को केवल एक बार, और बस कुछ सेकंड के लिए अपनी सांस रोकनी पड़ती है।

CT के लिए, रोगी को रेडियोपैक कंट्रास्ट एजेंट दिया जा सकता है। कंट्रास्ट एजेंट्स ऐसे पदार्थ होते हैं जिन्हें एक्स-रे पर देखा जा सकता है और ये एक ऊतक को दूसरे से अलग करने में मदद करते हैं। कंट्रास्ट एजेंट को नस में इंजेक्ट किया जा सकता है, मुंह से लिया जा सकता है या गुदा के माध्यम से डाला जा सकता है। कौन-सा कंट्रास्ट एजेंट इस्तेमाल करना है यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार की जांच की जा रही है और शरीर के किस अंग का मूल्यांकन किया जा रहा है।

आमतौर पर CT एक आउट पेशेंट (बाह्यरोगी) प्रक्रिया के रूप में किया जाता है। लोग जांच के तुरंत बाद अपनी सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू कर सकते हैं।

अंदर की इमेजिंग: कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी

कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी में, जैसे-जैसे स्कैनर व्यक्ति के चारों ओर घूमता है, यह एक्स-रे बनाता है और रिकॉर्ड करता है, रोगी को एक मोटर से चलने वाली टेबल पर लेटने को कहा जाता है जिसे स्कैनर के अंदर ले जाया जाता है। स्कैनर के एक तरफ एक एक्स-रे ट्यूब होती है, जो एक्स-रे उत्पन्न करती है, और दूसरी तरफ एक एक्स-रे डिटेक्टर होता है।

CT के फ़ायदे

एक्स-रे की तुलना में इन स्पष्ट तस्वीरों से ऊतकों की सघनता और असामान्यताओं की जगह के बारे में अधिक जानकारी मिल जाती है, इसलिए इसकी मदद से डॉक्टर संरचनाओं और असामान्यताओं का सटीक पता लगा सकते हैं। CT के इस्तेमाल से एग्ज़ामिनर को कई तरह के ऊतकों, जैसे मांसपेशियों, वसा और संयोजी ऊतकों (कनेक्टिव टिशू) के बीच अंतर करने में मदद मिलती है। इस तरह से CT उन विशेष अंगों की स्पष्ट तस्वीरें बना सकता है, जो एक्स-रे पर नहीं दिखाई देते और यह मस्तिष्क, सिर, गर्दन, छाती और पेट की ज़्यादातर संरचनाओं की इमेजिंग के लिए अधिक उपयोगी होता है।

CT से शरीर के लगभग हर हिस्से के विकारों का पता लग सकता है और जानकारी मिल सकती है। उदाहरण के लिए, डॉक्टर ट्यूमर का पता लगाने, उसके आकार को मापने, उसकी सही जगह के बारे में जानने और यह पता करने के लिए CT का उपयोग कर सकते हैं कि यह आस-पास के ऊतकों में कितनी दूर तक फैल गया है। CT के इस्तेमाल से डॉक्टरों को इस बात की निगरानी करने में भी मदद मिल सकती है कि उपचार कितना काम कर रहा है (जैसे ब्रेन ऐब्सेस के लिए एंटीबायोटिक्स या ट्यूमर के लिए रेडिएशन थेरेपी)।

टेबल
टेबल

CT के प्रकार

CT एंजियोग्राफ़ी

CT एंजियोग्राफ़ी में CT और एक रेडियोपैक कंट्रास्ट एजेंट का इस्तेमाल करके रक्त वाहिकाओं की 2- और 3-डायमेंशनल इमेज बनाई जाती हैं, जिनमें वो धमनियां भी शामिल हैं (कोरोनरी धमनियां) जो हृदय में रक्त की आपूर्ति करती हैं। कंट्रास्ट एजेंट को आमतौर पर बांह में एक नस (बरसों से की जाने वाली एंजियोग्राफ़ी की तरह धमनी में नहीं) में इंजेक्ट किया जाता है। इन इमेज को तेज़ी से लिया जाता है और इमेज पर समय भी डाला जाता है ताकि मूल्यांकन की जा रही रक्त वाहिकाओं से होकर बहने वाले रेडियोपैक कंट्रास्ट एजेंट को इन इमेज में दिखाया जा सके। कंप्यूटर इन इमेज से सभी ऊतकों को डिजिटल रूप से हटा देता है, रक्त वाहिकाओं को छोड़कर। (कोरोनरी एंजियोग्राफ़ी भी देखें।)

CT एंजियोग्राफ़ी का उपयोग इनका पता लगाने के लिए किया जाता है:

  • धमनियों में सिकुड़न या रुकावट (जैसे रक्त के थक्के)

  • बड़ी धमनियों में उभार (एन्यूरिज्म) और उनका फटना (डिसेक्शन)

  • रक्त को ट्यूमर तक ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं में असामान्यताएं

पारंपरिक एंजियोग्राफ़ी के बजाय आमतौर पर CT एंजियोग्राफ़ी का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह सुरक्षित और कम आक्रामक है (इसमें धमनी में कैथेटर डालने की आवश्यकता नहीं होती है, जिसमें नस में कैथेटर डालने की तुलना में थोड़ा अधिक जोखिम होता है)। CT एंजियोग्राफ़ी रक्त वाहिकाओं की असामान्यताओं को मैग्नेटिक रीसोनेंस एंजियोग्राफ़ी जितना ही सटीक रूप से दिखाती है, लेकिन यह पहले से की जाने वाली एंजियोग्राफ़ी तकनीक की तुलना में थोड़ा कम सटीक है।

CT एंजियोग्राफ़ी में आमतौर पर केवल 1 से 2 मिनट का समय लगता है।

अन्य प्रकार

CT का उपयोग इनकी इमेज बनाने के लिए किया जा सकता है

CT के नुकसान

आमतौर पर, पेट के CT में रेडिएशन की मात्रा, छाती के एकल दृश्य वाले एक्स-रे में उपयोग किए जाने वाले रेडिएशन की मात्रा की तुलना में लगभग 300 से 400 गुना अधिक होती है। भले ही नई CT तकनीकें पहले से उपयोग की जाने वाली तकनीकों की तुलना में उनसे बहुत कम रेडिएशन की मात्रा का उपयोग करती हों, लेकिन आम आबादी में मानव निर्मित रेडिएशन से होने वाला सबसे ज़्यादा जोखिम और मेडिकल प्रैक्टिस में लगभग 70% रेडिएशन जोखिम CT की वजह से ही होता है। इसलिए, डॉक्टर और रोगी को प्रत्येक CT प्रक्रिया के फ़ायदे-नुकसान को भली-भांति जान लेना चाहिए (रेडिएशन के जोखिम देखें)। आमतौर पर, गर्भवती महिलाओं में CT करने से बचा जाता है जब तक कि इससे अच्छा कोई दूसरा विकल्प न बचा हो। बच्चों में CT का उपयोग जहां तक संभव हो सीमित रखा जाना चाहिए।

CT एंजियोग्राफ़ी में जो रेडियोपैक कंट्रास्ट एजेंट्स इस्तेमाल होते हैं उनमें आयोडीन होता है—इन्हें आयोडीन वाले कंट्रास्ट एजेंट्स कहा जाता है। ऐसे एजेंट्स के इंजेक्शन लगाने के बाद, कुछ लोगों को हल्की से लेकर गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया या किडनी को नुकसान पहुँचने जैसी घटनाएं होती हैं। जिन लोगों को इन एजेंट्स से प्रतिक्रिया हुई है, उन्हें CT एंजियोग्राफ़ी कराने से पहले अपने डॉक्टर को बताना चाहिए।

कुछ देशों में और अमेरिका के कुछ हिस्सों में CT आसानी से उपलब्ध नहीं है।

क्या आपको पता था

  • चिकित्सीय प्रक्रियाओं में रेडिएशन के संपर्क में आने का सबसे ज़्यादा जोखिम कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) से आता है।

  • CT कराने से पहले, लोगों को अपने डॉक्टर को यह बताना चाहिए कि क्या CT में इस्तेमाल किए गए किसी कंट्रास्ट एजेंट से उन्हें कभी कोई प्रतिक्रिया हुई है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. What Are the Radiation Risks from CT?: यह फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) का रिसोर्स, स्क्रीनिंग और निदान के लिए उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग तरह के इमेजिंग परीक्षणों और उन सभी के जोखिमों और लाभों के बारे में बताता है।

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