विटामिन D ज़्यादा होना

(विटामिन D टॉक्सिसिटी/विषाक्तता)

इनके द्वाराLarry E. Johnson, MD, PhD, University of Arkansas for Medical Sciences
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अग॰ २०२४

विटामिन D सप्लीमेंट की बहुत ज़्यादा खुराक लेने से विटामिन D की विषाक्तता हो सकती है।

  • विटामिन D की विषाक्तता होने से रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है।

  • विटामिन D की विषाक्तता होने पर लोगों की भूख मिट सकती है, मतली, उल्टी और कमजोरी और घबराहट महसूस हो सकती है।

  • डॉक्टर रक्त में कैल्शियम और विटामिन D के स्तर को मापकर विषाक्तता का निदान करते हैं।

  • इसके उपचार में विटामिन D सप्लीमेंट को बंद करना और व्यक्ति को तरल पदार्थ और कभी-कभी दवाएँ देना शामिल है।

(विटामिन्स का अवलोकन भी देखें।)

विटामिन D की कई महीनों तक बहुत ज़्यादा दैनिक खुराक—उदाहरण के लिए, सुझाई गई आहार मात्रा (RDA) से 60 से 100 या गुणा ज़्यादा—लेने से की विषाक्तता और रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ सकता है (हाइपरकैल्सिमिया)। कैल्शियम का स्तर ऊंचा हो जाता है क्योंकि जब विटामिन D का स्तर ऊंचा होता है, तो निम्नलिखित घटनाएं होती हैं:

  • हड्डी बनने के बजाय ज़्यादा टूटने लग जाती है। (आम तौर पर, हड्डियां लगातार टूटती जाती हैं और फिर से बनती रहती हैं—रीमॉडेलिंग नामक प्रक्रिया में—अपनी बदलती ज़रूरतों के हिसाब से ढलने के लिए।) ऐसा होने पर, कैल्शियम हड्डी से निकलकर रक्तप्रवाह में आ जाता है।

  • आंत में पहुँचने वाले भोजन से, ज़्यादा कैल्शियम अवशोषित होने लगता है।

विटामिन D का इस्तेमाल सोरियसिस, हाइपोपैराथायरॉइडिज़्म और रीनल ओस्टियोडिस्ट्रॉफ़ी के इलाज के लिए किया जा सकता है। जीवन प्रत्याशा बढ़ाने या ल्यूकेमिया और स्तन, प्रोस्टेट, कोलोन या अन्य कैंसर को रोकने में इसकी प्रभाविता साबित नहीं हुई है। विटामिन D सप्लीमेंटेशन, डिप्रेशन या हृदय रोग का प्रभावी ढंग से इलाज या रोकथाम नहीं करता है और एक्यूट श्वसन तंत्र संक्रमण (जैसे निमोनिया या सामान्य जुकाम) की रोकथाम पर इसका बहुत कम प्रभाव पड़ता है। विटामिन D और कैल्शियम दोनों की संयुक्त सुझाई गई आहार मात्रा लेने से विटामिन D की कमी वाले लोगों में गिरने का जोख़िम थोड़ा कम हो सकता है, खासकर जो देखभाल के लिए संस्थान में भर्ती हैं। हालांकि, विटामिन D की बड़ी खुराक फ्रैक्चर के जोख़िम को बढ़ा सकती है।

विटामिन D की अधिकता के लक्षण

विटामिन D की विषाक्तता के शुरुआती लक्षण हैं भूख कम लगना, मतली और उल्टी आना, और बाद में कमज़ोरी, घबराहट और हाई ब्लड प्रेशर होना।

चूंकि कैल्शियम का स्तर ज़्यादा है, इसलिए कैल्शियम पूरे शरीर में जमा हो सकता है, खासकर गुर्दे, रक्त वाहिकाओं, फेफड़ों और हृदय में। गुर्दे हमेशा के लिए बेकार हो सकते हैं और उनकी कार्यशीलता बिगड़ सकती है, जिससे बाद में किडनी फेल हो सकती है।

विटामिन D की अधिकता का निदान

  • रक्त की जाँच

जब रक्त जांच में यह पता चलता है कि विटामिन D की ज़्यादा खुराक लेने वाले व्यक्ति के रक्त में कैल्शियम का स्तर ज़्यादा पाया गया है तो आमतौर पर इसे विटामिन D की अधिकता का निदान समझा जाता है। डॉक्टर रक्त में विटामिन D के स्तर की भी जांच करते हैं।

विटामिन D की अधिकता का उपचार

  • विटामिन D सप्लीमेंट्स को रोककर

  • अंतःशिरा रूप से दिए गए तरल पदार्थ

  • दवाएँ

विटामिन D की विषाक्तता के उपचार में रक्त में कैल्शियम के बढ़े स्तर के प्रभावों को मिटाने के लिए विटामिन D सप्लीमेंट को रोकना शामिल है। नसों में इंजेक्शन द्वारा (इंट्रावेनस रूट से) तरल पदार्थ दिए जाते हैं, ज़रूरत के हिसाब से।

हड्डियों से कैल्शियम के रिलीज़ को रोकने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड या बिसफ़ॉस्फ़ोनेट जैसी दवाइयाँ दी जाती हैं।

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