बच्चों में दैहिक लक्षण और संबंधित विकार

इनके द्वाराJosephine Elia, MD, Sidney Kimmel Medical College of Thomas Jefferson University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२३

शारीरिक लक्षण और संबंधित विकारों (इससे पहले इन्हें सोमेटोफॉर्म विकार कहा जाता था), में बच्चे अपने शारीरिक लक्षणों के प्रति अपवाद स्वरूप तीव्र प्रतिक्रिया कर सकते हैं, लक्षणों के बारे में अत्यधिक सोच रख सकते हैं, लक्षणों के बारे में बहुत अधिक चिंतित हो सकते हैं, चिकित्सा देखभाल का ज़रूरत से ज्यादा इस्तेमाल तथा स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को वे अपने जीवन का केन्द्रबिन्दु बनने देते हैं।

  • अनेक प्रकार के शारीरिक लक्षण और संबंधित विकार होते हैं।

  • लक्षण, न्यूरोलॉजिक विकार (जैसे पक्षाघात या नज़र की हानि) से मेल कर सकते हैं या अस्पष्ट हो सकते हैं (जैसे सिरदर्द या मतली), या बच्चे किसी कल्पित दोष से ग्रस्त हो सकते हैं या उनको यह विश्वास हो सकता है कि उनको गंभीर रोग है।

  • ऐसे शारीरिक विकार, जो लक्षणों का कारण हो सकते थे, उनके न होने की पुष्टि के लिए जांच करने के बाद, डॉक्टर अपने निदान को लक्षणों पर आधारित करते हैं।

  • व्यक्तिगत और पारिवारिक मनोचिकित्सा, अक्सर संज्ञानात्मक-व्यवहारजन्य तकनीकों के इस्तेमाल से सहायता मिल सकती है।

शारीरिक लक्षण और संबंधित विकारों के लक्षण और उपचार चिंता विकारों के लक्षणों और उपचारों से बहुत अधिक मेल खाते हैं।

शारीरिक लक्षण और संबंधित विकारों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  • कन्वर्जन विकार: लक्षण तंत्रिका तंत्र विकार से मेल खाते हैं। बच्चों को बाजु या टांग का पक्षाघात हो सकता है, वे बहरे या अंधे हो सकते हैं, या उन्हें इस प्रकार कंपन हो सकता है, जो दौरों जैसा दिखाई दे। लक्षणों की शुरूआत अक्सर मानसिक कारकों जैसे द्वंद या अन्य तनावों के कारण होती है।

  • किसी अन्य पर होने वाला काल्पनिक विकार (इसे पहले अन्य तौर पर मंचाउसेन सिंड्रोम के रूप में संदर्भित किया जाता था): देखभालकर्ता (खास तौर पर माता-पिता) जानबूझकर झूठ बोलते हैं या बच्चे में शारीरिक लक्षण पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, वे मूत्र के नमूने में रक्त या अन्य तत्वों को मिला सकते हैं ताकि मूत्र संक्रमण को उत्प्रेरित किया जा सके।

  • स्वयं पर अधिरोपित तथ्यात्मक विकार: बच्चा शारीरिक लक्षण होने का दिखावा कर सकता है या स्वयं ही शारीरिक लक्षण पैदा करने के लिए कुछ कर सकता है।

  • बीमारी चिंता विकार: बच्चों को बहुत अधिक चिंता होती है कि वे बीमार हैं या वे बीमार हो सकते हैं। उनमें शारीरिक लक्षण हो सकते हैं अथवा नहीं हो सकते हैं या वास्तविक चिकित्सा विकार हो सकता है। यदि उनमें लक्षण या विकार हैं, तो स्थिति की गंभीरता की तुलना में उनकी चिंताएं बहुत अधिक हैं। वे चिंतित और डिप्रेस्ड महसूस कर सकते हैं।

  • शारीरिक लक्षण विकार: बच्चे अनेक लक्षण या एक गंभीर लक्षण विकसित कर सकते हैं, खास तौर पर दर्द। लक्षण विशिष्ट (जैसे पेट में दर्द) या अस्पष्ट (जैसे थकान) हो सकते हैं। शरीर का कोई भी हिस्सा चिंता का केंद्र हो सकता है। बच्चे इस लक्षणों और उनके संभावित परिणामों के बारे में बहुत अधिक चिंतित हो सकते हैं।

शारीरिक लक्षण और संबंधित विकार युवा लड़कों और युवा लड़कियों में समान रूप से आम होते हैं लेकिन किशोर लड़को की तुलना में किशोर लड़कियो में अधिक आम होते हैं।

(वयस्कों में शारीरिक लक्षण और संबंधित विकारों का विवरण भी देखें।)

लक्षण

इनमें से किसी एक विकार से पीड़ित बच्चों में अनेक लक्षण हो सकते हैं, जिसमें दर्द, सांस लेने में कठिनाई, और कमजोरी शामिल हो सकते हैं। बच्चों को संभवतः कोई दूसरा विकार हो सकता है अथवा नहीं हो सकता है।

अक्सर बच्चों में शारीरिक लक्षण तब दिखाई देते हैं जब परिवार का कोई अन्य सदस्य गंभीर रूप से बीमार होता है। कभी-कभी लक्षण शरीर की सामान्य संवेदनाएं या असुविधाएं होती हैं जिनके मायने गलत मान लिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि शारीरिक लक्षण मनोवैज्ञानिक तनाव या समस्या से संबंधित प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप अनचाहे ही विकसित हो जाते हैं (मन और शरीर साइडबार देखें)। लक्षणों को जानबूझकर सृजित नहीं किया जाता है, और बच्चे जिन लक्षणों का वर्णन करते हैं, उनका वास्तव में अनुभव कर रहे होते हैं।

बच्चे अपने स्वास्थ्य और/या लक्षणों पर केन्द्रित होते हैं। वे अपने लक्षणों की गंभीरता के बारे में चिंतित होते हैं और/या वे अपने स्वास्थ्य या लक्षणों से संबंधित गतिविधियों पर बहुत अधिक समय और ऊर्जा व्यय करते हैं।

निदान

  • डॉक्टर या व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मुलाकात

  • कभी-कभी लक्षणों के बारे में प्रश्नावलियाँ

  • शारीरिक जांच और अन्य विकारों को संभावना को दूर करने के लिए कभी-कभी जांच

डॉक्टर उनके लक्षणों के बारे में पूछते हैं और शारीरिक जांच करते हैं और कभी-कभी जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चों में कोई ऐसा शारीरिक विकार नहीं है जिसके कारण ये लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, विस्तृत प्रयोगशाला जांच से आमतौर पर बचा जाता है क्योंकि उनसे बच्चे और अधिक इस बात को मानने लगते हैं कि उनको शारीरिक समस्या है और अनावश्यक नैदानिक जांच से ही बच्चे परेशानी में आ सकते हैं।

इनमें से किसी विकार का निदान तब किया जाना चाहिए जब लक्षण परेशानीदायक और रोज़मर्रा के कार्यकरण में हस्तक्षेप करने वाले हों, और बच्चे अपने विचारों या कार्यों में अपने स्वास्थ्य और/या लक्षणों के प्रति बहुत ही अधिक चिंतित नज़र आ रहे हों।

यदि किसी शारीरिक समस्या की पहचान नहीं हो पाती है, तो डॉक्टर मानकीकृत मानसिक स्वास्थ्य जांच कर सकते हैं ताकि उनको यह तय करने में सहायता मिल सके कि क्या लक्षण शारीरिक लक्षणों की वजह से हैं अथवा संबंधित विकार के कारण हैं। डॉक्टर बच्चे और उनके परिवार से बात करते हैं, ताकि वे अंतर्निहित मानवैज्ञानिक समस्याओं या पारिवारिक रिश्तों में कड़वाहट की पहचान कर सकें।

उपचार

  • मनश्चिकित्सा

  • सामान्य गतिविधियों की पुनः स्थापना के लिए पुनर्वास प्रोग्राम

  • कभी-कभी लक्षणों से राहत के लिए दवाएँ

बच्चे मनोचिकित्सक के पास जाने के विचार से हिचक सकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके लक्षण पूरी तरह से शारीरिक हैं। हालांकि, व्यक्ति और पारिवारिक मनोचिकित्सा, अक्सर जिसमें संज्ञानात्मक-व्यवहारपरक तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, से बच्चों और परिवार के सदस्यों को विचारों की परिपाटी की पहचान करने और उस व्यवहार की पहचान करने मे सहायता मिल सकती है जिससे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। थेरेपिस्ट हिप्नोसिस, बायोफीडबैक और रिलेक्सेशन थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

मनोचिकित्सा को आमतौर पर पुनर्वास प्रोग्राम के साथ संयोजित किया जाता है जिसका लक्ष्य बच्चों को फिर से उनकी सामान्य दिनचर्या में वापस लाने में सहायता करना होता है। इसमे शारीरिक थेरेपी शामिल हो सकती है, जिसके निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • इससे संभावित रूप से शारीरिक प्रभावों का उपचार हो सकता है, जैसे सचलता में कमी या मांसपेशी की हानि, जो शारीरिक लक्षण या संबंधित विकार के कारण हो सकती है।

  • इससे बच्चे यह महसूस करते हैं कि उनका उपचार करने के लिए कुछ ठोस कार्य किया जा रहा है।

  • इससे बच्चे अपने उपचार में सक्रिय रूप से भागीदारी के लिए सहर्ष सहमत हो जाते हैं।

प्राथमिक देखभाल डॉक्टर का होना जो उनकी सहायता करता है, उनकी नियमित जांच करता है, और उनकी समस्त देखभाल के लिए समन्वय करता है, भी महत्वपूर्ण होता है।

इन विकारों के कारण उत्पन्न हुए दर्द, चिंता या डिप्रेशन में राहत देने के लिए एंटीडिप्रेसेंट प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन्हें चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRI) कहा जाता है।

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