बच्चों और किशोरों में बाईपोलर (द्विधुव्रीय) विकार

(उन्मादी-डिप्रेसिव रोग)

इनके द्वाराJosephine Elia, MD, Sidney Kimmel Medical College of Thomas Jefferson University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२३

बाईपोलर विकार में, कभी डिप्रेशन और उदासी की अवधियों और कभी तीव्र उत्तेजना और उन्माद (पागलपन) की अवधियां आती-जाती रहती हैं। इन अवधियों के बीच में मनोदशा सामान्य हो सकती है।

  • बच्चे बहुत तीव्रता से उत्साहित, प्रसन्न और सक्रिय होने की स्थिति से डिप्रेशन, निर्लिप्त और सुस्त या फिर पूरी तरह से गुस्से में या हिंसक हो सकते हैं।

  • डॉक्टर निदान को लक्षणों और मनोरोग-विज्ञान जांचों के परिणामों के आधार पर आधारित रखते हैं।

  • युवा बच्चों में बाईपोलर विकार का निदान बहुत ही विवादस्पद रहा है।

  • उन्माद के उपचार में मनोदशा को स्थिर करने की दवाओं, डिप्रेशन का उपचार करने के लिए एंटीडिप्रेसेंट तथा मनोचिकित्सा शामिल हो सकती हैं।

बच्चों में आमतौर पर बहुत तेजी से मनोदशा संबंधी बदलाव होते हैं, जिसमें वे प्रसन्न से सक्रिय से लेकर उदास और निर्लिप्त हो जाते हैं। ये उतार-चढ़ाव बहुत ही कम बार मानसिक स्वास्थ्य विकार का संकेत देते हैं। बाईपोलर विकार, इन सामान्य मनोदशा बदलावों की तुलना में कहीं अधिक गंभीर होता है, तथा मनोदशा काफी लंबे समय तक बनी रहती है, अक्सर यह मनोदशा हफ्तों और महीनों तक जारी रहती है।

बच्चों में बाईपोलर विकार दुर्लभ होता है। विगत समय में, बाईपोलर विकार का अक्सर निदान उस समय किया जाता था जब युवा बच्चे (4 से 11 वर्ष की आयु के) बहुत ही गहनता से दिन में कई बार चिड़चिड़े हो जाते थे। ऐसे बच्चों के लिए अब यह माना जाता है कि वे बाधाकारी मनोदशा डिस्रेगुलेशन विकार से पीड़ित हैं।

बाईपोलर विकार की खास तौर पर शुरूआत मध्य-किशोरावस्था या प्रारम्भिक बालपन से होती है। किशोरों में बाईपोलर विकार वयस्कों में बाईपोलर विकार के समान ही होता है।

कारण अज्ञात है, लेकिन बाईपोलर विकार विकसित होने की प्रवृति विरासत से प्राप्त हो सकती है। मस्तिष्क में रसायनिक और शारीरिक संबंधी असमान्यताएं शामिल हो सकती हैं। इस विकार से पीड़ित बच्चों में, तनाव के कारण ऐसी घटना उत्प्रेरित हो सकती है। साथ ही, कुछ अन्य विकार, जैसे अतिसक्रिय थायरॉइड ग्लैंड या अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी विकार (ADHD) के कारण कुछ इसी तरह से लक्षण पैदा हो सकते हैं। कुछ दवाएँ (उदाहरण के लिए, कोकीन, एम्फ़ैटेमिन, फेंसिलिडिन, और कुछ एंटीडिप्रेसेंट) एंटीडिप्रेसेंट

अनुसंधानों से यह भी पता लगता है कि ऐसे किशोरों में कुछ खास प्रकार के मनोरोग विकारों (जिनका नाम बाईपोलर विकार या सीज़ोफ़्रेनिया) का बढ़ा हुआ जोखिम होता है जो भांग से जुड़े उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। इस संवर्धित जोखिम को आनुवंशिक कारकों द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया है। एक समस्या यह है कि हाल ही में भांग को कानूनी रूप से मान्य माने जाने के बाद किशोरों (तथा उनके माता-पिता को) के मध्य इसे दवा के रूप में इस्तेमाल करने की सुरक्षा की झूठी भावना को बल मिल सकता है।

लक्षण

अनेक बच्चों में, बाईपोलर विकार का पहला लक्षण डिप्रेशन के एक या अधिक प्रसंग सामने आना है।

मुख्य लक्षणों में अलग-अलग डिग्री (तीव्र [पागलपन] और कम तीव्र [हाइपोमेनिया]) के उत्साह और उत्तेजना को महसूस करने के प्रसंग हैं जो डिप्रेशन के प्रसंग से प्रतिस्थापित हो सकते हैं, जो अधिक बार होते हैं। बच्चे मनोदशा में तीव्र परिवर्तनों का अनुभव कर सकते हैं।

पागलपन के प्रसंग में नींद बाधित हो जाती है, और बच्चे आक्रामक हो सकते हैं। उनकी मनोदशा बहुत सकारात्मक हो सकती है या वे बहुत अधिक चिड़चिड़े हो सकते हैं। वे तेजी से बात कर सकते हैं। उनमें बहुत तीव्रता से विचारों का आना-जाना हो सकता है। उनके बड़े-बड़े विचार हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, बच्चे यह महसूस कर सकते हैं कि उनमें बहुत अधिक प्रतिभा है और उन्होंने एक महत्वपूर्ण खोज की है। उनके फैसले विकृत हो सकते हैं, और किशोर लापरवाह रवैया अपना सकते हैं—उदाहरण के लिए, यौन रूप से स्वछंद होकर या फिर लापरवाही से गाड़ी चलाना। युवा बच्चों की मनोदशा नाटकीय हो सकती है, लेकिन ये मनोदशा केवल कुछ ही क्षणों तक बनी रहती है। अक्सर स्कूल में प्रदर्शन बदतर हो जाता है।

डिप्रेशन के प्रसंग के दौरान, बाईपोलर विकार से पीड़ित बच्चे, बहुत अधिक उदास महसूस करते हैं, तथा वे अपनी सामान्य गतिविधियों में रूचि खो बैठते हैं, जैसाकि डिप्रेशन से पीड़ित बच्चों में होता है। वे धीमी गति से सोच और चल सकते हैं तथा सामान्य से अधिक सोते हैं। निराशा और अपराध बोध से वे सदा ग्रसित रह सकते हैं।

बाईपोलर विकार से पीड़ित बच्चे प्रसंगों के बीच सामान्य नज़र आते हैं, जबकि अटेंशन डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी विकार से पीड़ित बच्चे लगातार संवर्धित गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं।

अक्सर लक्षणों की शुरूआत धीरे-धीरे होती है। लेकिन, इस विकार के विकसित होने से पहले, बहुत अधिक क्रोधित रहते हैं और उनको नियंत्रित करना मुश्किल होता है।

निदान

  • डॉक्टर या व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मुलाकात

  • कभी-कभी लक्षणों के बारे में प्रश्नावलियाँ

  • लक्षणों के अन्य कारणों की जांच करने के लिए परीक्षण

डॉक्टर बच्चों और उनके माता-पिता द्वारा खास प्रसंगों के वर्णन के आधार पर बाईपोलर विकार का निदान करते हैं। डॉक्टर यह तय करने की कोशिश करते हैं कि क्या गंभीर तनाव आदि के कारण ये प्रसंग सामने आते हैं।

बाईपोलर विकार का दूसरे विकारों से अंतर करना महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए, बाईपोलर विकार (पागलपन के प्रसंग में) तथा अटेंशन डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी विकार (ADHD) दोनो के कारण बच्चे बहुत अधिक सक्रिय हो सकते हैं, लेकिन डॉक्टर आमतौर पर विकारों में भेद करने में सफल रहते हैं क्योंकि ADHD से पीड़ित अधिकांश बच्चों में, बाईपोलर विकार से पीड़ित बच्चों की तुलना में, बहुत अधिक तीव्र मनोदशा परिवर्तन होते रहते हैं।

डॉक्टर यह तय करते हैं कि क्या बच्चे कोई ऐसी दवाएँ ले रहे हैं जिनसे लक्षणों में वृद्धि हो रही है। डॉक्टर ऐसे अन्य विकारों की भी जांच करते हैं जो लक्षणों में योगदान कर सकते हैं या इन्हें पैदा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे अतिसक्रिय थायरॉइड ग्लैंड की जांच करने के लिए रक्त जांच कर सकते हैं।

उपचार

  • दूसरी-पीढ़ी की एंटीसाइकोटिक्स

  • मनोदशा स्थिर करने वाली दवाएँ

  • कभी-कभी एंटीडिप्रेसेंट

  • मनश्चिकित्सा

बाईपोलर विकार में, पागलपन और उत्तेजना के प्रसंगों का उपचार दूसरी पीढ़ी की एंटीसाइकोटिक्स तथा मनोदशा को स्थिर करने वाली दवाओं से किया जाता है।

  • दूसरी पीढ़ी की एंटीसाइकोटिक्स दवाओं में एरिपिप्रज़ोल, ल्यूरसिडोन, ओलेंज़ापिन, क्वेटायपिन, रिस्पेरिडोन, ज़िप्रैसिडोन शामिल होती हैं।

  • मनोदशा को स्थिर करने वाली दवाओं में लिथियम और कुछ मिर्गी रोधी दवाएँ (डिवैलप्रोएक्स, लैमोट्रीजीन, कार्बेमाज़ेपाइन) शामिल हैं।

डिप्रेशन के प्रसंगों का उपचार निम्नलिखित के साथ किया जाता है

  • दूसरी-पीढ़ी की एंटीसाइकोटिक्स के साथ चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर [SSRI]]

  • लिथियम

अकेले एंटीडिप्रेसेंट का प्रयोग नहीं किया जाता है, लेकिन उनका उपयोग एंटीसाइकोटिक्स या लिथियम के साथ किया जाता है।

विकार के परिणामों का सामना करने में व्यक्तिगत और पारिवारिक मनोचिकित्सा से बच्चों को सहायता मिलती है। मनोचिकित्सा से किशोरों की सहायता की जा सकती है जो अपने दवा रेजिमेन का पालन नहीं करते, वे इसका अनुपालन करना शुरू कर देते हैं। यदि किशोरों में हल्के से मध्यम लक्षण हैं और वे अपने दवा रेजिमेन का पालन करते हैं, तो आमतौर पर वे ठीक हो जाते हैं।

क्या आप जानते हैं...

  • दूसरी पीढ़ी की एंटीसाइकोटिक दवाओं का प्रयोग बाईपोलर विकार से पीड़ित बच्चों और किशोरों में पसंदीदा तौर पर किया जाता है।

  • लिथियम द्वारा उपचार से आत्महत्या संबंधी विचार और व्यवहार में कमी हो सकती है।

प्रॉग्नॉसिस

बाईपोलर विकार से पीड़ित किशोरों में, प्रत्येक पुनरावृत्ति के साथ प्रॉग्नॉसिस बदतर हो जाता है, इसलिए पूर्ण गहन उपचार बहुत महत्वपूर्ण होता है। पुनरावृत्ति के जोखिम में बढ़ोतरी करने वाले कारकों में प्रारम्भ में इस रोग का होना, लक्षणों की गंभीरता, बाईपोलर विकार का पारिवारिक इतिहास, तथा उपचार की कमी या उपचार का अनुपालन करने में विफलता शामिल होते हैं।

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