कार्य से संबंधित रिपिटेटिव मोशन इंजरी

इनके द्वाराMichael I. Greenberg, MD, Drexel University College of Medicine;
David Vearrier, MD, MPH, University of Mississippi Medical Center
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अग॰ २०२२ | संशोधित सित॰ २०२२

कई काम ऐसे होते हैं जिनमें बार-बार एक ही तरह की गतिविधि करनी पड़ती है, जिससे कर्मचारियों को रिपिटेटिव मोशन इंजरी का खतरा बढ़ जाता है। ज़्यादातर काम की वजह से लगने वाली चोटों का कारण रिपिटेटिव मोशन इंजरी होता है। जिन कामों में बार-बार एक ही तरह की गतिविधि करना ज़रूरी होता है, उनमें कंप्यूटर पर टाइप करना, दुकान में सामान स्कैन करना, कील ठोकना, असेंबली लाइन पर काम करना और जैकहैमर का उपयोग करना जैसे काम शामिल होते हैं।

  • चूंकि कई कामों में बार-बार एक ही तरह की गतिविधि करनी पड़ती है, इसलिए काम की वजह से रिपिटेटिव मोशन इंजरी होना बहुत आम है।

  • काम की वजह से रिपिटेटिव मोशन इंजरी होने पर, आवश्यकता के आधार पर दर्द निवारक दवाओं और फिज़िकल थेरेपी से इलाज किया जाता है।

  • काम की वजह से रिपिटेटिव मोशन इंजरी होने के ज़्यादातर मामलों में, चोटें कुछ हफ़्तों में आराम करने से ठीक हो जाती हैं, लेकिन कभी-कभी कॉर्टिकोस्टेरॉइड या हायलूरॉनिक एसिड के इंजेक्शन या सर्जरी की आवश्यकता होती है।

  • अन्य इलाज किए जा सकते हैं: टेंडिनाइटिस के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड या हायलूरॉनिक एसिड इंजेक्शन, बर्साइटिस के लिए ड्रेनेज (मवाद निकालकर सफाई करना) कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन के साथ या उसके बिना, और नस दबी होने पर एक स्प्लिंट या ब्रेस लगाना।

रिपिटेटिव मोशन इंजरी में टेंडिनाइटिस, बर्साइटिस और नस दबी होना भी चोटों के रूप में गिने जाते हैं।

टेंडिनाइटिस तब होता है, जब मांसपेशियों में खिंचाव होने से या ज़्यादा काम करने से कंडराएं (टेंडन) थोड़ी-थोड़ी फट जाती हैं। जब कोई कंडरा (टेंडन) इतनी तेज़ी से फट जाती है कि शरीर को उसे ठीक करने का समय भी न मिले और कंडरा सूज जाए, तो उस अवस्था को टेंडिनाइटिस कहा जाता है। काम की वजह से होने वाला टेंडिनाइटिस आमतौर पर बाइसेप्स, कोहनी और रोटेटर कफ में होता है।

बर्साइटिस जोड़ों की सतह पर बार-बार दबाव पड़ने से होता है, इसमें बर्सा में सूजन आ जाती है। बर्सा, तरल पदार्थ से भरी थैलियां होती हैं जिनकी वजह से मांसपेशियाँ या कंडरा (टेंडन) हिलने-डुलने के दौरान, हड्डी पर आसानी से स्लाइड कर पाती हैं। काम की वजह से होने वाला बर्साइटिस आमतौर पर कोहनी, कंधे, कूल्हे के जोड़ और घुटने पर असर करता है। बर्साइटिस के कारणों में शामिल हैं

  • कोहनी: कोहनी को किसी कठोर सतह पर टिकाना

  • कंधा: हाथों को ऊपर उठाए रखकर काम करना

  • कूल्हे का जोड़: लंबे समय तक सख्त सतह पर बैठना

  • घुटना: घुटनों के बल बैठना

नस दबने की समस्या तब हो सकती है, जब कोई नस एक पतली जगह (सुरंग) से होकर गुज़रती है। ऐसा होने पर, नस सही से काम नहीं कर पाती। काम की वजह से लगने वाली चोटें, आमतौर पर कलाई और कोहनी में लगती हैं। इसके उदाहरण हैं कार्पल टनल सिंड्रोम (कलाई) और क्यूबिटल टनल सिंड्रोम (कोहनी)।

रिपिटेटिव मोशन इंजरी के लक्षण

जब सूजे हुए कंडरा को हिलाया या छुआ जाता है तब आमतौर पर टेंडिनाइटिस में दर्द होता है। गंभीर मामलों में, कंडरा के ऊपर की त्वचा गर्म और लाल हो सकती है। टेंडन सूज सकता है।

बर्साइटिस से भी दर्द हो सकता है। जोड़ को हिलाने से दर्द और बढ़ जाता है। बर्सा में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे यह सूज जाता है और दर्द देने लगता है। बर्सा की त्वचा गर्म या लाल हो सकती है।

नस दबने से आमतौर पर दर्द, झनझनाहट, सुन्नपन और जलन हो सकती है।

रिपिटेटिव मोशन इंजरी का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • कभी-कभी नर्व कंडक्शन स्टडीज़ या मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग की जाती हैं

डॉक्टर इस आधार पर रिपिटेटिव मोशन इंजरी का निदान करते हैं कि दर्द किस जगह पर है और दर्द किस गतिविधि की वजह से हुआ है। उन्हें लग सकता है कि ये विकार हैं:

  • टेंडिनाइटिस: जब किसी टेंडन की गतिविधि से दर्द होता है और जब कंडरा को दबाने (छूकर जांच करने) पर वो मुलायम लगती है

  • बर्साइटिस: जब बर्सा के ऊपर वाली त्वचा सूजी हुई, लाल, या गर्म होती है या जब लोगों को अनजान कारणों से दर्द होता है जो बर्सा से संबंधित किसी भी गतिविधि से बढ़ जाता है

  • नस दबना: जब किसी कर्मचारी को उन जगहों पर असामान्य संवेदना होती है जहां कुछ नसों द्वारा आपूर्ति की जाती है

यह तय करने के लिए कि चोट काम की वजह से लगी है या नहीं और यह पता लगाने के लिए कि बार-बार किस तरह की गतिविधि करने से पीड़ित व्यक्ति में ये लक्षण हुए हैं, डॉक्टर व्यक्ति की पिछली नौकरियों के बारे में बहुत सारे सवाल पूछते हैं। हालांकि, कभी-कभी जांच करनी ज़रूरी हो जाती है।

कभी-कभी नर्व कंडक्शन स्टडीज़ यह पता लगाने के लिए की जाती हैं कि नस दबी हुई है या नहीं। अगर डॉक्टर को ऐसा लगता है कि किसी ट्यूमर के वजह से या हड्डी ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ने की वजह से नस दब रही है, तो मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) की जा सकती है।

रिपिटेटिव मोशन इंजरी से बचाव/रोकथाम

इन दिए गए उपायों की मदद लेकर, काम की वजह से होने वाली रिपिटेटिव मोशन इंजरी से बचा जा सकता है:

  • अच्छा पॉस्चर बनाए रखना

  • समय-समय पर ब्रेक लें और हाथ-पैरों को सीधा करते रहें

  • कम ओवरटाइम करें या बिल्कुल न करें

  • पीठ को सहारा देने वाली कुर्सियों का इस्तेमाल करें

  • फ़ोन कॉल के लिए हैडसैट का इस्तेमाल करें

  • ज़रूरत पड़ने पर फ़ुटरेस्ट का इस्तेमाल करें

  • एडजस्ट किए जाने योग्‍य डेस्क और कंप्यूटर मॉनीटर का इस्तेमाल करें

  • हाथों और कलाई पर तनाव कम करने के लिए, हैंड टूल्स के बजाय पावर टूल्स का इस्तेमाल करें और कंपन को झेलने वाले ऐसे टूल्स का इस्तेमाल करें जिनमें हैंडल लगा हो

नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों को इन उपायों के बारे में ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) देनी चाहिए और रिपिटेटिव मोशन इंजरी से बचाव करने के लिए आवश्यक उपकरण दिए जाने चाहिए। जिन कामों को करने से ये चोटें लग सकती हैं, उनके लिए एर्गोनॉमिक विश्लेषण किया जाना चाहिए और दी गई सलाह के अनुसार, वर्क स्टेशनों को एडजस्ट किया जाना चाहिए। कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे कोई भी समस्या होने पर मैनेजर को तुरंत बताएं।

रिपिटेटिव मोशन इंजरी का इलाज

  • आराम करना

  • दर्द निवारक

  • शारीरिक चिकित्सा

  • टेंडिनाइटिस के लिए, कॉर्टिकोस्टेरॉइड या हायलूरॉनिक एसिड इंजेक्शन

  • बर्साइटिस के लिए, मवाद निकालकर सफ़ाई करना

  • नस दबी होने के लिए, एक स्प्लिंट या ब्रेस और कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन देना या सर्जरी करना

कार्य से संबंधित रिपिटेटिव मोशन इंजरी के इलाज में, प्रभावित जगह को आराम देना भी शामिल है। अगर बार-बार एक ही तरह का मूवमेंट (रिपिटेटिव मोशन) करना काम की ज़रूरत है, तो उसे पीड़ित कर्मचारी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उसे ट्रांसीशनल ड्यूटी (कभी-कभी लाइट या मॉडिफ़ाइड ड्यूटी कहा जाता है) सौंपी जा सकती है। चोट किस तरह की है और कितनी गहरी है इसके आधार पर, ट्रांसीशनल ड्यूटी हफ़्तों से लेकर महीनों तक की हो सकती है। बार-बार एक ही तरह की गतिविधि वाले कार्य को दोहराने वाले काम पर जल्दी लौट आने पर, चोट फिर से लग सकती है। इसके बाद, कर्मचारी को दोबारा ट्रांसीशनल ड्यूटी पर भेजना पड़ सकता है, जिससे ट्रांसीशनल ड्यूटी में बने रहने का कुल समय बढ़ जाता है। कर्मचारियों को काम के बाहर की ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए जिनसे उनकी चोट और खराब हो।

ज़रूरत पड़ने पर, दर्द निवारक (एनाल्जेसिक) और सूजन कम करने वाली (एंटी-इंफ्लेमेटरी) दवाओं का उपयोग किया जाता है। बिना स्टेरॉइड वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAID), आमतौर पर रिपिटेटिव मोशन इंजरी से होने वाले दर्द से राहत देते हैं और वे टेंडिनाइटिस और बर्साइटिस को भी जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं।

फिज़िकल थेरेपी से रिपिटेटिव मोशन इंजरी से पीड़ित कर्मचारियों को आराम मिल सकता है और कर्मचारियों को जल्दी ठीक होने और अपनी कार्यशीलता वापस पाने में मदद मिल सकती है।

टेंडिनाइटिस के लिए, प्रभावित टेंडन के पास एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इंजेक्शन जल्दी ही दर्द से राहत दे सकता है, लेकिन आमतौर पर इसकी सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि यह लंबी अवधि के लिए लाभदायक नहीं है और नुकसान भी पहुंचा सकता है।

बर्साइटिस के लिए, कभी-कभी कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन के साथ या उसके बिना, प्रभावित बर्सा में से अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकाला जा सकता है। ड्रेनेज (मवाद निकालकर सफ़ाई करने) से दर्द से आराम मिलता है और जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। ड्रेनेज (मवाद निकालकर सफ़ाई करने) के बाद, एक ड्रेसिंग (जैसे एक इलास्टिक बैंडेज) जो बर्सा पर दबाव डालती है, इससे तरल पदार्थ को दोबारा जमा होने से रोकने में मदद कर सकती है।

नस दबी होने पर, स्प्लिंट या ब्रेस का उपयोग करने से लक्षणों से राहत मिल सकती है। अगर लक्षण गंभीर हैं या बने रहते हैं, तो कर्मचारियों को कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन और कभी-कभी सर्जरी के लिए ऑर्थोपेडिक सर्जन के पास भेजा जाता है।

काम की वजह से रिपिटेटिव मोशन इंजरी होने के ज़्यादातर मामले, कुछ हफ़्तों तक आराम करने से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, नस दबी होने से ज़िंदगी भर दर्द बने रहने की समस्या हो सकती है।

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