काम की वजह से आँख में चोट लगना बहुत आम है। अमेरिका में, हर साल आँख में चोट लगने के 65,000 से ज़्यादा मामले रिपोर्ट किए जाते हैं। ज़्यादा अच्छा काम करने की क्षमता को घटाने के लिए बहुत हद तक ये चोटें ही ज़िम्मेदार हैं।
सीधे चोट लगना (ज़ोर पड़ने की वजह से) या किसी हानिकारक पदार्थ (जैसे केमिकल) के संपर्क में आना भी, काम की वजह से आँख में चोट लगने का कारण बन सकता है।
आँखों की चोटों का निदान करने के लिए, डॉक्टर आँखों की जांच करते हैं, आँखों की हलचल को परखते हैं और एक स्लिट-लैंप और ऑप्थेल्मोस्कोप के साथ आँखों की जांच करते हैं, ज़रूरत पड़ने पर, वे पीड़ित व्यक्ति को ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट (आँखों के डॉक्टर) के पास भी भेज सकते हैं।
कर्मचारियों को उनके कार्यस्थल पर, आँखों को होने वाले खतरों के बारे में जानकारी देकर और उन्हें चेहरे और आँखों के लिए सुरक्षात्मक उपकरण पहनने की ज़रूरत के बारे में समझाकर, काम की वजह से उनकी आँख में चोट लगने के जोखिम को कम किया जा सकता है।
कार्यस्थल पर प्राथमिक चिकित्सा के उपाय तुरंत शुरू कर दिए जाते हैं, खासकर अगर आँख में कोई केमिकल चला गया हो और नुकसान पहुंचा हो।
इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि चोट कैसे लगी।
(आँख में चोट लगना भी देखें।)
काम की वजह से आँख में चोट लगने के ज़्यादातर मामले, कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस इंडस्ट्री में रिपोर्ट किए गए हैं।
काम की वजह से आँख में चोट लग सकती है
सीधे चोट लगने (ज़ोर पड़ने की वजह से) से, जैसे कि आँख की पुतली, पलक या आँख के आसपास की हड्डियों में कोई बिना धार वाली चीज़ सीधे लगने से या कोई चुभने वाली चोट लगने से
किसी हानिकारक पदार्थ, जैसे एसिड या एलकली, गर्मी (थर्मल इंजरी), रेडिएशन, अल्ट्रावायलेट लाइट और/या लेजर लाइट के संपर्क में आने से
बिना धार वाली चीज़ से आँख को चोट तब लग सकती है, जब कोई टूल फिसलकर या किसी गड़बड़ी के कारण आँख की पुतली से टकराता है। इस तरह की चोटें लगने से, आँख के सामने वाले चैम्बर में खून का रिसाव हो सकता है (हाइफ़ेमा)। कोई बिना धार वाली चीज़ बहुत ज़ोर से आँख में लगने पर, आँख की पुतली के पिछले हिस्से में खून का रिसाव (रेट्रो-बल्बर हैमरेज) हो सकता है और आँख के अंदर अचानक दबाव भी बढ़ सकता है (ऑर्बिटल कम्पार्टमेंट सिंड्रोम कहा जाता है), जो शायद ही कभी हो। ऑर्बिटल कम्पार्टमेंट सिंड्रोम एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें आँखों की रोशनी भी जा सकती है। इसमें तत्काल इलाज करना ज़रूरी होता है। इस सिंड्रोम से प्रभावित लोगों को एक ही चीज़ दो-दो नज़र आती हैं (डबल विज़न)। उनकी आँखें उभरी हुई हो सकती हैं और वे अपनी आँखों को सामान्य तरह से इधर से उधर नहीं ले जा पाते।
आँख के अंदर कोई बाहरी चीज़ जाने से भी आँख में चोट लग सकती है।
काम की वजह से आँख में चोट लगने में कॉर्निया पर (कॉर्नियल एब्रेशन) या स्कलेरा/श्वेतपटल (आँख को ढकने वाली सख्त सफेद फ़ाइबर की परत) पर खरोंच पड़ना, पलकों में कटना-फटना (लैसरेशन), टीयर डक्ट इंजरी (आँसू की नली में चोट लगना) और आँख की पुतली का कटना-फटना जैसी चोटें भी शामिल हैं।
चूंकि एलकली या हाइड्रोफ़्लोरिक एसिड कोमल ऊतकों (मांसपेशियों, कंडरा/टेंडन, लिगामेंट्स, नसों और रक्त वाहिकाओं) में ज़्यादा गहराई से प्रवेश करते हैं, इसलिए इनसे होने वाली जलने की घटनाएं, किसी और एसिड से जलने की तुलना में ज़्यादा गंभीर होती हैं। एलकली, चूने के उत्पादों, कंक्रीट, प्लास्टर और मोर्टार, ओवन और ड्रेन क्लीनर, डिशवॉशर डिटर्जेंट और फ़र्टिलाइज़र का एक घटक है। हालांकि, आमतौर पर हाउसहोल्ड-स्ट्रेंथ वाले प्रॉडक्ट की तुलना में इंडस्ट्रियल-स्ट्रेंथ वाले प्रॉडक्ट ज़्यादा गाढ़े (कंसन्ट्रेटेड) होते हैं, लेकिन ये दोनों ही प्रॉडक्ट खतरनाक हो सकते हैं।
अगर कॉर्निया गंभीर रूप से किसी केमिकल से जल जाता है, खासतौर पर एलकली से जलने पर; तो निशान पड़ने, आँख में छेद होने, संक्रमण और अंधापन होने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है। आँख में रासायनिक जलन बहुत दर्दनाक होती है। दर्द बहुत अधिक होने के कारण व्यक्ति अपनी पलकें बंद रखता है। पलकें बंद रखने से लंबे समय तक पदार्थ आँखों के संपर्क में रहता है, जिससे नुकसान और भी ज़्यादा हो सकता है।
काम की वजह से आँख में चोट लगने का निदान
एक डॉक्टर का मूल्यांकन
आँखों की जांच, स्लिट-लैंप जांच के साथ
एक्स-रे, फ्रैक्चर या रेडियोपैक बाहरी चीज़ों के लिए
डॉक्टर काम की वजह से आँख में चोट लगने का निदान, आँख की किसी अन्य समस्या के निदान की तरह ही करते हैं। डॉक्टर आँखों की जांच करते हैं, आंखों की हलचल को परखते हैं और एक स्लिट-लैंप (अगर उपलब्ध हो) और ऑप्थेल्मोस्कोप के साथ आँखों की जांच करते हैं। अगर कोई गहरी चोट लगी है, खासतौर पर अगर नज़र से संबंधित कोई समस्या हुई है, तो डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति को ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट (आँखों के विकारों के विशेषज्ञ डॉक्टर) के पास भेजते हैं। गंभीर चोटों में शामिल हैं
कॉर्निया का धुंधलाना या नुकसान पहुँचना
पलकों में कटना-फटना (लैसरेशन)
ऑर्बिटल कम्पार्टमेंट सिंड्रोम
डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति से पूछते हैं कि जब वो घायल हुए, तो उस समय वो क्या कर रहे थे। सही निदान करने के लिए यह जानकारी आवश्यक है। अगर कामों में तेज़ रफ़्तार वाले पहिये, ड्रिलिंग मशीन या चिसेल प्रॉड्यूस की मदद से, धातु (मैटल) को पीसना और काटना शामिल है, तो धातु (या अन्य सामग्री) के बहुत छोटे टुकड़े तेज़ गति से हवा में उड़कर जा सकते हैं। अगर कर्मचारियों ने आँखों के बचाव के लिए कुछ नहीं पहना है, तो इन टुकड़ों के आँख की पुतली में जाने का खतरा हो सकता है। इससे होने वाले घाव को जांच के दौरान देखना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, लोगों के काम करने की जगहों पर, तुरंत एक स्लिट-लैंप का उपयोग करके आँखों की चोटों का मूल्यांकन किया जाता है। आँख के आसपास की हड्डियों के एक्स-रे से आँख की पुतली, हड्डी और/या साइनस और फ्रैक्चर में बाहरी मैटलिक चीज़ों की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
अगर चोट किसी केमिकल की वजह से लगी है, तो डॉक्टर पूछते हैं कि किस केमिकल का उपयोग किया जा रहा था, वो कितना गाढ़ा (कंसन्ट्रेशन कितना) था, और आँख कितनी देर तक केमिकल के संपर्क में रही। सही इलाज करने के लिए यह जानकारी आवश्यक है।
आमतौर पर, डॉक्टर आँख के अंदर के दबाव (इंट्राओकुलर प्रेशर) को भी मापते हैं। अगर यह दबाव ज़्यादा है, तो ऑर्बिटल कंपार्टमेंट सिंड्रोम होने का खतरा हो सकता है।
डॉक्टर पलकों के कटे-फटे होने की जांच करते हैं। अगर पलकें फट गई हैं, तो पीड़ित व्यक्ति को इलाज के लिए विशेषज्ञ सर्जन के पास भेजा जाता है।
काम की वजह से, आँख में चोट लगने से बचाव/रोकथाम
कर्मचारियों को, आँखों को होने वाले खतरों के बारे में जानकारी देकर और उन्हें चेहरे और आँखों के लिए बचाव उपकरण पहनने की ज़रूरत के बारे में समझाकर, काम की वजह से उनकी आँख में चोट लगने से बचाव किया जा सकता है। इन बचाव उपकरणों में साइड शील्ड्स, सेफ़्टी ग्लासेज़, गॉगल्स और/या फ़ेस शील्ड्स हो सकते हैं।
कोविड-19 के कारण, कर्मचारियों को सुरक्षात्मक नेत्र उपकरण के अलावा, मास्क भी पहनना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में, सेफ़्टी गॉगल्स (बचाव के लिए पहने गए चश्मे) और अन्य चश्मों पर धुंध जम जाती है। धुंध को जमने से रोकने या कम करने के सुझाव इस प्रकार हैं
मास्क को चेहरे पर अच्छे से फिट करें—उदाहरण के लिए, मास्क के किनारों को अच्छी तरह से कस लें या नाक पर अच्छी तरह से फिट करने के लिए मास्क के ऊपरी हिस्से को हल्के से दबाएं
मास्क को बेहतरीन ढंग से फ़िट करने के लिए चेहरे के बालों को ट्रिम करें
चश्मा पहनने से पहले चश्मे के लेंस को पोंछ लें
मास्क को नाक के ऊपर खींचें और चश्मे को मास्क के ऊपर पहनें
काम की वजह से आँख में चोटें लगने का इलाज
कार्यस्थल पर प्राथमिक चिकित्सा
इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह की चोट लगी है
लोगों के काम करने की जगह पर, तुरंत बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा दी जानी चाहिए। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं
कर्मचारी को और चोट लगने से बचाना
आँखों में एनेस्थेटिक वाली आईड्रॉप्स डालना
केमिकल के संपर्क में आने से हुए जोखिम के लिए, नल के पानी से आँखों को ज़ोर-ज़ोर से छींटे मारकर फ़्लश (इरिगेट) करना चाहिए
किसी केमिकल की वजह से आँखों में लगी चोट के लिए डॉक्टर कॉन्टेक्ट लेंस हटाने या किसी और बात का इंतज़ार किए बिना आँखों की अच्छे से धुलाई करते हैं। इस धुलाई के दौरान, कॉन्टेक्ट लेंस बाहर निकल आता है।
जिन लोगों को आँख में चोट लगी है उनके काम करने की जगह पर प्राथमिक उपचार दिए जाने के बाद, उन्हें तुरंत अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में ले जाया जाता है। अगर आँख में चोट किसी केमिकल से लगी है, तो अस्पताल ले जाते समय इरीगेशन जारी रखा जाता है, खासतौर पर अगर केमिकल कोई एलकली या हाइड्रोफ़्लोरिक एसिड था।
इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह की चोट लगी है। उदाहरण के लिए, अगर ऑर्बिटल कम्पार्टमेंट सिंड्रोम (जिसमें आँख में दबाव बढ़ता है) का निदान किया जाता है, तो सर्जन आँख के बाहरी कोने में, जहां ऊपरी और निचली पलकें मिलती हैं, एक टेंडन को क्लिप करता है (लेटरल कैंथोटॉमी कहा जाता है)। इस प्रक्रिया से आँख में दबाव को कम करने में मदद मिलती है।
गंभीर चोटें (जैसे कॉर्निया में खराबी आना, पलकों का कटना-फटना और ऑर्बिटल कम्पार्टमेंट सिंड्रोम) के लिए, ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट (आँखों के विकारों के विशेषज्ञ डॉक्टर) से मूल्यांकन करवाना और फ़ॉलो-अप करना ज़रूरी होता है।
अधिक जानकारी
निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।
Work-Related Eye Injuries and Illnesses: आँखों की चोटों के निदान (जांच के नतीजों सहित जो कारण बताते हैं), आँखों की जांच, उपचार और रोकथाम के बारे में बताता है; कार्यस्थल पर कॉन्टेक्ट लेंस इस्तेमाल करने के दिशानिर्देश भी शामिल हैं।