नवजात शिशु का निरंतर पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक गंभीर विकार है जिसमें प्रसव के बाद फेफड़ों की धमनियां सिकुड़ी हुई (संकुचित) रहती हैं, जिससे फेफड़ों में रक्त प्रवाह की मात्रा और रक्तप्रवाह में ऑक्सीजन की मात्रा सीमित हो जाती है।
यह विकार समय से या समय के बाद पैदा हुए नवजात शिशुओं में सांस लेने में गंभीर परेशानी (रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस) का कारण बनता है।
सांस का जल्दी-जल्दी लेना और त्वचा और/या होंठ नीले या पीले और भूरे रंग के पड़ सकते हैं।
निदान की पुष्टि एक इकोकार्डियोग्राम द्वारा की जाती है।
उपचार में, अक्सर नवजात शिशु को सांस लेने में वेंटिलेटर से सहारा देते हुए ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा देकर फेफड़ों की धमनियों को खोलना (पतला करना) शामिल है।
फेफड़ों में धमनियों को फैलाने में मदद करने के लिए, कभी-कभी नाइट्रिक ऑक्साइड उस गैस में मिलाया जाता है जिससे नवजात शिशु सांस ले रहा होता है।
एक्सट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन का उपयोग कभी-कभी सबसे गंभीर मामलों में किया जाता है।
(नवजात शिशुओं में सामान्य चोटों का विवरण भी देखें।)
आमतौर पर, भ्रूण के फेफड़ों में रक्त वाहिकाएं जन्म से पहले काफी संकुचित होती हैं। जन्म से पहले फेफड़ों को अधिक रक्त प्रवाह की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि फेफड़ों के बजाय गर्भनाल कार्बन डाइऑक्साइड को समाप्त करता है और भ्रूण को ऑक्सीजन पहुंचाता है। हालांकि, जन्म के तुरंत बाद, गर्भनाल को काटकर, नवजात शिशु के फेफड़ों को रक्त से ऑक्सीजन देने और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने का प्रयास शुरू कर देना चाहिए। इस प्रक्रिया को शुरू करना, फेफड़ों में हवा की थैली (एल्विओलाई) में द्रव के स्थान पर हवा भरने और पल्मोनरी धमनियां जो फेफड़ों में रक्त लाती हैं, के लिए उसे चौड़ा (फैलाती) करना आवश्यक है ताकि पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त फेफड़ों में बहता रहे।
कारण
कभी-कभी फेफड़ों में रक्त वाहिकाएम जन्म के बाद वैसी नहीं फैलती (विस्तार होना), जैसी वे सामान्य रूप से फैलनी चाहिए। जब फेफड़ों में रक्त वाहिकाएं नहीं फैलती हैं, तो पल्मोनरी धमनियों में ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है (पल्मोनरी उच्च रक्तचाप) और फेफड़ों में रक्त का प्रवाह पर्याप्त नहीं होता है। इस अपर्याप्त रक्त प्रवाह के कारण, पर्याप्त ऑक्सीजन रक्त तक नहीं पहुंच पाती है।
रक्त वाहिकाओं के नहीं फैलने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं
प्रसव के दौरान गंभीर खतरा (जैसे मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम से)
वे अन्य परिस्थितियां, जिनके कारण प्रसव से पहले, उसके दौरान या उसके बाद भ्रूण में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है जैसे माँ या भ्रूण में संक्रमण होना (नवजात शिशु में सेप्सिस), गर्भनाल की समस्याएं, डायाफ़्रामिक हर्निया, खराब फेफड़े, अविकसित फेफड़े या नवजात में निमोनिया
नवजात शिशु के परिसंचरण में कुछ बदलाव, जिनमें गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएँ लेने के कारण होने वाले बदलाव भी शामिल हैं (जैसे एस्पिरिन या अन्य बिना स्टेरॉइड वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं जैसे आइबुप्रोफ़ेन की ज़्यादा खुराक)
नवजात शिशुओं में निरंतर पल्मोनरी उच्च रक्तचाप उन नवजात शिशुओं में अधिक आम है जो पूरी अवधि (गर्भावस्था के 37 सप्ताह और 42 सप्ताह के बीच डिलीवरी) या उसके बाद (गर्भावस्था के 42 सप्ताह के बाद डिलीवरी) पैदा होते हैं।
लक्षण
कभी-कभी निरंतर पल्मोनरी उच्च रक्तचाप जन्म से ही होता है। कई बार, यह पहले एक दिन या दो दिनों में विकसित होता है।
अगर नवजात शिशु को फेफड़े का कोई अंतर्निहित विकार (जैसे रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) है, तो वे आमतौर पर तेज़ी से सांस लेते हैं और उन्हें सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी हो सकती है।
निम्न रक्त ऑक्सीजन स्तरों के कारण त्वचा और/या होठों का रंग नीला पड़ सकता है (सायनोसिस)। कभी-कभी निरंतर पल्मोनरी उच्च रक्तचाप वाले नवजात शिशुओं में निम्न ब्लड प्रेशर (हाइपोटेंशन) होता है जो कमजोर नाड़ी और त्वचा के पीले, भूरे रंग का कारण बनता है।
नवजात अश्वेत शिशुओं में त्वचा पीले-भूरे, भूरे या सफेद जैसे रंगों में बदल सकती है। जिन नवजात शिशुओं का ब्लड प्रेशर कम होता है, उनकी त्वचा का रंग पीला, धूसर भी हो सकता है। ये बदलाव मुंह, नाक और पलकों के अंदर की म्युकस मेम्ब्रेन में अधिक आसानी से देखे जा सकते हैं।
निदान
नवजात शिशु को ऑक्सीजन मिलने के बावजूद नीला या भूरा या धूसर रंग होना
इकोकार्डियोग्राम
छाती का एक्स-रे
अगर गर्भावस्था के दौरान माँ ने एस्पिरिन या आइबुप्रोफ़ेन की बहुत अधिक खुराक ली है या प्रसव तनावपूर्ण रहा है, तो डॉक्टरों को सतत पल्मोनरी उच्च रक्तचाप का संदेह हो सकता है। यदि नवजात शिशु को सांस लेने में बहुत ज़्यादा समस्या आ रही हो, पर्याप्त मात्रा में पूरक ऑक्सीजन दिए जाने पर भी त्वचा का रंग नीला या भूरा ही हो और शिशु के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर अप्रत्याशित रूप से कम हो, तो उनमें सतत पल्मोनरी उच्च रक्तचाप की भी आशंका होती है। डॉक्टरों को मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम वाले नवजात शिशुओं में निरंतर पल्मोनरी उच्च रक्तचाप की भी आशंका हो सकती है, जिन्हें संक्रमण हो सकता है या जिन्हें अपेक्षा से अधिक ऑक्सीजन या श्वसन सहायता की आवश्यकता होती है।
नवजात शिशु के निरंतर पल्मोनरी उच्च रक्तचाप के निदान की पुष्टि करने के लिए, डॉक्टर यह देखने के लिए एक इकोकार्डियोग्राम करते हैं कि हृदय और फेफड़ों में रक्त कैसे प्रवाहित होता है।
फेफड़े के किसी अंतर्निहित विकार (जैसे डायाफ़्रामिक हर्निया या मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम) की वजह से छाती का एक्स-रे पूरी तरह से सामान्य आ सकता है या उसमें कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
कुछ प्रकार के जीवाणुओं को देखने के लिए रक्त का कल्चर किया जा सकता है।
उपचार
अतिरिक्त ऑक्सीजन की पूर्ति
कभी-कभी वेंटिलेटर
कभी-कभी नाइट्रिक ऑक्साइड गैस
कभी-कभी एक्सट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन
नवजात शिशु में निरंतर पल्मोनरी उच्च रक्तचाप के उपचार में नवजात शिशुओं को 100% ऑक्सीजन वाले वातावरण में रखना शामिल है। गंभीर मामलों में, वेंटिलेटर (एक मशीन जो हवा को फेफड़ों के अंदर और बाहर जाने में मदद करती है) की आवश्यकता हो सकती है और 100% ऑक्सीजन देने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। रक्त में ऑक्सीजन का प्रतिशत अधिक होने पर फेफड़ों में जाने वाली धमनियों को खोलने में मदद मिलती है।
नवजात शिशु जिस ऑक्सीजन में सांस ले रहा है, उसमें बहुत कम मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड गैस मिलाई जा सकती है। सांसों से ली गई नाइट्रिक ऑक्साइड नवजात शिशु के फेफड़ों में धमनियों को चौड़ा करती है और पल्मोनरी उच्च रक्तचाप को कम करती है। इस उपचार की कई दिनों तक आवश्यकता हो सकती है।
अगर जब अन्य कोई उपचार काम नहीं करते हैं, तो एक्सट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में, नवजात शिशु के रक्त को एक मशीन के माध्यम से परिचालित किया जाता है जो रक्त में ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाता है और फिर वापिस वो रक्त नवजात शिशु में प्रवेश है। मशीन नवजात शिशु के लिए फेफड़ों के कृत्रिम सेट के रूप में कार्य करती है। चूंकि मशीन नवजात शिशु के शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है, इसलिए नवजात शिशु के फेफड़ों को आराम करने का समय मिल जाता है और रक्त वाहिकाएं धीरे-धीरे खुल जाती हैं। ECMO जीवन रक्षक रहा है, यह पल्मोनरी उच्च रक्तचाप से ग्रसित कुछ ऐसे नवजात शिशुओं के जीवन की रक्षा करता है जो पल्मोनरी उच्च रक्तचाप का समाधान होने तक जीवित रहने के लिए अन्य उपचारों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।
द्रव और अन्य उपचार, जैसे संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स, आवश्यकतानुसार दिए जाते हैं।
प्रॉग्नॉसिस
निरंतर पल्मोनरी उच्च रक्तचाप के कारण प्रभावित नवजात शिशुओं में से लगभग 10 से 60% मर जाते हैं।
जीवित बचे लगभग 25% लोगों में विकास संबंधी देरी, सुनने की समस्या, कार्यात्मक अक्षमता (अर्थात् शारीरिक गतिविधियों को करने की क्षमता में कमी) या इन सभी समस्याओं का संयोजन होता है।