वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम एक क्रोमोसोमल डिलिशन सिंड्रोम है जिसमें क्रोमोसोम 4 का हिस्सा गायब रहता है।
(क्रोमोसोम और जीन संबंधी विकारों का विवरण भी देखें।)
वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम में क्रोमोसोम 4 का हिस्सा गायब रहता है।
जो बच्चे 20 की उम्र तक जीवित रह जाते हैं, उन्हें आमतौर पर कई गंभीर बीमारियां होती हैं। कई प्रभावित बच्चे नवजात उम्र में ही मर जाते हैं।
वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम के लक्षण
आमतौर पर गंभीर बौद्धिक अक्षमता वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम का लक्षण होती है।
बच्चों में मिर्गी आना, चौड़ी या चोंच के आकार की नाक होना, खोपड़ी में दोष, लटकती पलकें (प्टोसिस) और आँख की पुतली में दूरी या दरारें होना, तालु में दरार और हड्डियों का धीमा विकास जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं।
लड़कों में अनियमित वृषण (क्रिप्टोर्काइडिज़्म) और मूत्र नली का सिरा गलत जगह पर होने (हाइपोस्पेडियस) जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
कुछ बच्चों की रोग प्रतिकारक क्षमता कम होती है जिसके कारण उनके शरीर में संक्रमणों से लड़ने की शक्ति कम होती है।
वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम का निदान
क्रोमोसोमल टेस्टिंग
वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम की जांच क्रोमोसोमल टेस्टिंग से बच्चे के जन्म से पहले या जन्म होने के बाद शारीरिक स्थितियों को देखते हुए की जा सकती है।
क्रोमोसोमल टेस्टिंग के बाद निदान की पुष्टि की जा सकती है। (यह भी देखें: अगली पीढ़ी की क्रमण की तकनीकें।)
वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम का इलाज
सहायक देखभाल
वुल्फ़-हरशोर्न सिंड्रोम असरदार होता है।