टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर (TMD)

इनके द्वाराGary D. Klasser, DMD, Louisiana State University School of Dentistry
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया सित॰ २०२३

टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट खोपड़ी की टेम्पोरल बोन (कान की हड्डियों) और निचले जबड़े की हड्डी (मैंडीबल) के बीच का कनेक्शन है। 2 टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट होते हैं, चेहरे के दोनों तरफ, कानों के ठीक सामने। लिगामेंट, टेंडन और मांसपेशियां जोड़ों को सहारा देते हैं और जबड़े की हलचल के लिए ज़रूरी होते हैं।

  • टेम्पोरोमैंडिबुलर विकार (TMD), जबड़े की मांसपेशियों या जोड़ों या उन्हें जोड़ने वाले रेशेदार ऊतकों में कोई समस्या होने की वजह से होते हैं।

  • लोगों को सिरदर्द और चबाने वाली मांसपेशियों में कमज़ोरी महसूस हो सकती है या उन्हें जबड़े के जोड़ों में क्लिकिंग/पॉपिंग की आवाज़ सुनाई पड़ सकती है।

  • डॉक्टर या दांतों के डॉक्टर आमतौर पर रोगी के इतिहास की और शरीर की जांच करके इन विकारों का निदान कर सकते हैं, लेकिन कभी-कभी एक इमेजिंग परीक्षण की ज़रूरत पड़ती है।

  • इसके इलाज में आमतौर पर अपनी मदद खुद करने के उपायो और डॉक्टर द्वारा निर्देशित उपायों, ओरल एप्लायंस (स्प्लिंट) थेरेपी और दर्द से राहत पाने के उपाय करना शामिल है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट (TMJ) शरीर के सबसे जटिल जोड़ों में से एक है: यह एक काज (हिन्ज) की तरह खुलता और बंद होता है और आगे, नीचे, पीछे और एक ओर से दूसरी ओर स्लाइड करता है। ऊपरी और निचले दांत बंद होने के दौरान जोड़ के लिए दरवाज़े की तरह काम करते हैं। चबाने के दौरान, यह काज (हिन्ज) ऊपरी और निचले दांतों की स्थिति और स्वास्थ्य के आधार पर भारी मात्रा में दबाव बनाए रख सकता है। TMJ में घने रेशेदार ऊतक का एक टुकड़ा होता है जिसे आर्टिकुलर डिस्क कहा जाता है। यह डिस्क खोपड़ी और निचले जबड़े के बीच एक तकिए का काम करती है, उन्हें एक-दूसरे से रगड़ने से रोकती है।

TMD, जिसे पहले TMJ विकार कहा जाता था, 20 साल की शुरुआती उम्र वाली महिलाओं और 40 से 50 साल के बीच की महिलाओं के बीच सबसे आम है। शायद ही कुछ मामलों में, शिशु TMJ की असामान्यताओं के साथ पैदा होते हैं। टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों में जोड़ों, मांसपेशियों और रेशेदार ऊतकों को जोड़ने वाले बैंड (फ़ेशिया) के साथ समस्याएं होती हैं।

जब जबड़ा अपनी जगह से खिसक जाता है, जो एक डेंटल इमरजेंसी है, तो मुंह चौड़ा खुला रहता है और दर्द होता है, ऐसा होने पर मुंह को फिर से बंद करने की स्थिति में वापस ला पाना (सभी दांतों को एक-साथ जोड़ना) मुश्किल होता है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर होने की वजहें

ज़्यादातर मामलों में, टेम्पोरोमैंडिबुलर विकार (TMD), जोड़ों के भीतर मांसपेशियों में तनाव और शारीरिक समस्याओं की वजह से होता है। कभी-कभी मनोविज्ञानीय और अन्य कारकों की वजह से भी ये विकार होते हैं। दांतों को भींचने और पीसने (ब्रुक्सिज्म), शरीर के विकारों (जैसे ऑस्टिओपेनिया, ऑटोइम्यून विकार, कनेक्टिव टिशू के विकार, या हड्डी के आनुवंशिक विकार), संक्रमण, चोट, दांतों का मिसएलाइनमेंट (एक कतार में न बने रहना), और यहां तक कि लगातार च्युइंग गम चबाने से भी इसके लक्षण हो सकते हैं। खास वजहों में शामिल हैं

  • मांसपेशियों की थकान और ज़रूरत से ज़्यादा उपयोग होना, जिससे टेम्पोरोमैंडिबुलर मायोफ़ेशियल दर्द सिंड्रोम होता है

  • इंटरनल टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट (TMJ) डिअरेंजमेंट

  • आर्थराइटिस

  • एंकिलोसिस

  • हाइपरमोबिलिटी

टेम्पोरोमैंडिबुलर मायोफ़ेशियल पेन सिंड्रोम

मायोफ़ेशियल पेन सिंड्रोम, टेम्पोरोमैंडिबुलर क्षेत्र को प्रभावित करने वाला सबसे आम विकार है। इसमें जबड़े के आसपास की मांसपेशियों में दर्द और जकड़न और मुंह को बस थोड़ा-सा खोल पाने, साथ ही सिर और गर्दन के अन्य क्षेत्रों में दर्द और सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं। दर्द मुख्य रूप से मांसपेशियों की थकान या ज़रूरत से ज़्यादा उपयोग करने से होता है, जो जागे रहने के दौरान या नींद में कभी-कभी दांत भींचने या दांत पीसने से मनोविज्ञानीय या नींद से संबंधित तनाव होने के कारण हो सकता है। जागे रहने के दौरान दांत भींचने और पीसने की तुलना में नींद में दांत भींचने और पीसने में कहीं ज़्यादा ताकत लगती है। सिर या गर्दन पर चोट लगने, नींद संबंधी विकारों, ऊपरी और निचले दांतों का एलाइनमेंट बिगड़ने (एक कतार में न बने रहना), या दांत दर्द से भी दर्द बढ़ हो सकता है। TMJ समान्य हो सकता है। टेम्पोरोमैंडिबुलर मायोफ़ेशियल पेन सिंड्रोम महिलाओं में ज़्यादा आम है और आमतौर पर महिलाओं को उनकी उम्र के 20वें साल की शुरुआत के दौरान प्रभावित करता है और आमतौर पर यह उन महिलाओं में भी होता है जिनकी रजोनिवृत्ति/मीनोपॉज़ शुरू हो गया है या होने वाला है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट

इंटरनल टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट डिरेंजमेंट

इंटरनल TMJ डिरेंजमेंट के सबसे आम रूप में, जॉइंट के अंदर की डिस्क अपनी सामान्य पोज़ीशन के सामने (एंटीरियर) होती है। जब डिस्क को जकड़कर रखने वाले लिगामेंट लंबे हो जाते हैं या, अक्सर, जोड़ की चोट के कारण खिंच जाते हैं (मोच वाले लिगामेंट), तो डिस्क अपनी जगह से हट सकती है।

इंटरनल TMJ डिरेंजमेंट रिडक्शन के साथ या बिना रिडक्शन वाला हो सकता है। रिडक्शन का मतलब है कि जोड़ के हिस्से अपनी सामान्य पोज़ीशन में लौट आए हैं। बिना रिडक्शन के साथ डिस्क अपनी जगह से खिसकने की तुलना में रिडक्शन के साथ डिस्क अपनी जगह से खिसकना ज़्यादा आम है और यह लगभग एक तिहाई वयस्क आबादी में होता है। रिडक्शन के साथ डिरेंजमेंट में, डिस्क अपनी सामान्य पोज़ीशन के सामने केवल तभी आ पाती है जब मुंह को बंद किया जाता है। जैसे ही मुंह खुलता है और जबड़ा आगे की ओर खिसकता है, डिस्क वापस अपनी सामान्य पोज़ीशन में आ जाती है, जिससे अक्सर पॉपिंग या क्लिकिंग की आवाज़ होती है। जैसे ही मुंह बंद होता है, डिस्क फिर से आगे खिसक जाती है। बिना रिडक्शन वाले इंटरनल TMJ डिरेंजमेंट में, डिस्क कभी भी अपनी सामान्य पोज़ीशन में वापस नहीं आती है, और मुँह भी थोड़ा-सा ही खुल पाता है। TMJ डिरेंजमेंट से जोड़ के आसपास सूजन हो सकती है (कैप्सुलाइटिस)। इंटरनल TMJ डिरेंजमेंट में दर्द हो भी सकता है और नहीं भी।

आर्थराइटिस

ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमैटॉइड आर्थराइटिस, संक्रामक गठिया या चोट लगने से––विशेष रूप से ऐसी चोट जिससे जोड़ में खून का रिसाव होता है–टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट में गठिया हो सकता है। ऐसी चोटें उन बच्चों में काफी आम हैं जो सीधे ठोड़ी पर या ठोड़ी के किनारे पर ठोकर खाते हैं।

ऑस्टियोआर्थराइटिस, एक प्रकार का गठिया है जिसमें शरीर के जोड़ों का कार्टिलेज डीजनरेट हो जाता है, ऐसा होना 50 वर्ष से ज़्यादा आयु के लोगों में सबसे आम है। TMJ का ऑस्टिओअर्थराइटिस तब हो सकता है जब जोड़ के अंदर फाइब्रोकार्टिलेज डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है या उसमें छेद हो जाते हैं, जिससे डीजनरेटिव बदलावों के भाग के रूप में जोड़ की हड्डी का आकार बदलने लगता है।

रूमैटॉइड आर्थराइटिस, एक बीमारी जिसमें शरीर अपनी ही कोशिकाओं (एक ऑटोइम्यून बीमारी) पर हमला करता है जिससे सूजन होती है, इस प्रकार के गठिया वाले लगभग 17% लोगों में टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट पर असर पड़ता है। टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट, आमतौर पर रूमैटॉइड आर्थराइटिस से प्रभावित होने वाले आखिरी जोड़ होते हैं।

संक्रामक गठिया एक ऐसे संक्रमण के कारण होता है जो सिर या गर्दन के आस-पास के क्षेत्र से फैल गया हो या जो रक्तप्रवाह के द्वारा शरीर के दूसरे हिस्से से जोड़ तक पहुंचा हो।

ट्रॉमेटिक आर्थराइटिस, चोट लगने से होने वाला गठिया है (जैसे कि जब किसी मुश्किल दांत को उखाड़ने के दौरान जबड़े को चौड़ा करके फैलाया जाता है), जो बहुत कम ही होता है।

एंकिलोसिस

फाइब्रोसिंग (स्कारिंग) या जॉइंट के भीतर हड्डियों के जुड़ने या इसके चारों ओर लिगामेंट के कैल्सीफिकेशन (शरीर के ऊतकों में कैल्शियम इकट्ठा होने) से जॉइंट के हिलने-डुलने में आने वाली समस्या को एंकिलोसिस कहते हैं। आमतौर पर एंकिलोसिस चोट या संक्रमण के कारण होता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में यह जन्म के समय या रूमैटॉइड आर्थराइटिस के कारण हो सकता है।

हाइपरमोबिलिटी

हाइपरमोबिलिटी (जबड़े ढीले होना) तब होता है जब जोड़ को जकड़कर रखने वाले लिगामेंट हद से ज़्यादा लंबे हो जाते हैं, जैसे कि डबल-जॉइंट होने पर। हाइपरमोबिलिटी में, आमतौर पर जोड़ों के आकार, लिगामेंट के ढीले होने (लैक्सिटी) और मांसपेशियों में तनाव के कारण जोड़ अपनी जगह से खिसक जाते हैं। मुंह को बहुत चौड़ा खोलने की कोशिश करने या जबड़े पर चोट लगने के कारण ऐसा हो सकता है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों के लक्षण

टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों (TMD) के लक्षणों में सिरदर्द, चबाने वाली मांसपेशियां कमज़ोर होना और जोड़ों की क्लिकिंग या पॉपिंग या लॉकिंग होना शामिल हैं। कभी-कभी दर्द जोड़ में होने के बजाय उसके आस-पास होने लगता है। टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर होने पर बार-बार सिरदर्द होने की समस्या हो सकती है जो सामान्य चिकित्सीय इलाज से ठीक नहीं हो पाता है। अन्य लक्षणों में गर्दन और कंधों में दर्द या अकड़न, चक्कर आना, कान में दर्द या भरापन और नींद बिगड़ना शामिल हैं।

टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों वाले लोगों को अक्सर अपना मुंह बड़ा करके खोलने में परेशानी होती है। उदाहरण के लिए, जिन लोगों को टेम्पोरोमैंडिबुलर विकार नहीं है उनमें ज़्यादातर लोग अपनी तर्जनी, मध्य और अनामिकाके ऊपरी सिरों को एक साथ मिला पाते हैं और बिना ज़ोर लगाए ऊपरी और निचले सामने के दांतों के बीच की जगह में लिटाई गई स्थिति में रख पाते हैं। टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों वाले लोगों के लिए (हाइपरमोबिलिटी वाले लोगों में अपवाद के साथ), यह जगह आमतौर पर बहुत कम होती है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर मायोफ़ेशियल पेन सिंड्रोम

टेम्पोरोमैंडिबुलर मायोफ़ेशियल पेन सिंड्रोम (जिसे पहले टेम्पोरोमैंडिबुलर जोड़ [TMJ] सिंड्रोम या TMJ डिस्फ़ंक्शन कहा जाता था) से पीड़ित लोगों को नींद से उठते समय या दिन की तनावभरी अवधियों के बाद चेहरे के दोनों हिस्सों में दर्द, थकान या कठोरपन महसूस हो सकता है। सोते समय दांतों को भींचना और पीसना और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसे निद्रा-विकार होना–जिनमें सांस असामान्य हो जाती है, ये जागने के साथ ही सिरदर्द होने का कारण बन सकते है, जो दिन में धीरे-धीरे कम हो जाता है। हालांकि, अगर लोग जागते समय अपने दांतों को भींचना और पीसना जारी रखते हैं तो कुछ लोगों में जागे रहते हुए भी ये लक्षण होते हैं, जिनमें सिरदर्द भी शामिल है। इस स्थिति में, जैसे ही जबड़ा खुलता है, यह थोड़ा-सा एक तरफ या दूसरी तरफ (अपनी जगह से हटना) जा सकता है और पूरी तरह से नहीं खुल पाता है। आमतौर पर चबाने वाली मांसपेशियां में दर्द होने लगता है और छूने पर कमज़ोर महसूस होती हैं। इन मांसपेशियों में कमज़ोर छोटे धब्बे या गांठें (जिन्हें ट्रिगर पॉइंट कहा जाता है) बन जाती हैं और जब इन्हें दबाया जाता है तो सिर और गर्दन के अन्य स्थानों में भी दर्द हो सकता है।

इंटरनल टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट डिरेंजमेंट

रिडक्शन के साथ में इंटरनल जॉइंट डिरेंजमेंट होने से संबंधित एंटीरियर जॉइंट डिरेंजमेंट की स्थिति में, मुंह चौड़ा करके खोलने पर या जबड़े के एक तरफ से दूसरी तरफ खिसकने पर जोड़ों में क्लिकिंग या पॉपिंग की आवाज़ होती है। कभी-कभी ये आवाज़ें दूसरों को भी सुनाई देती हैं। कई लोगों में, सिर्फ़ जोड़ों की ये आवाज़ें ही लक्षण होती हैं। हालांकि, कुछ लोगों को दर्द भी होता है, खासकर जब वे खाने की कोई कठोर चीज़ चबाते हैं। एक मामूली प्रतिशत आबादी में, ये आवाज़ें आगे चलकर जोड़ों को लॉक करने का काम करती हैं।

रिडक्शन के साथ में इंटरनल जॉइंट डिरेंजमेंट होने से संबंधित एंटीरियर जॉइंट डिरेंजमेंट की स्थिति में, आवाज़ तो नहीं आती है लेकिन लोगों के लिए अपना मुंह चौड़ा करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा होने पर, दर्द होता है और जोड़ के अपनी जगह से हटने का अहसास होता है। आमतौर पर, इस प्रकार का जॉइंट डिरेंजमेंट उन लोगों में अचानक शुरू होता है जिनके जोड़ पहले भी हर समय किटकिटाते थे (रिडक्शन के साथ एंटीरियर जॉइंट डिरेंजमेंट)। कभी-कभी लोगों को ऐसा लगता है कि वे जागने पर अपना जबड़ा पूरी तरह से नहीं खोल पा रहे हैं। 6 से 12 महीनों के बाद, दर्द कम हो सकता है, और मुंह को ज़्यादा अच्छी तरह से खोला जा सकता है।

आर्थराइटिस

ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ, चूंकि यह मुख्य रूप से तब होता है जब डिस्क अपनी जगह से हट जाती है या उसमें छेद हो जाते हैं, रोगी व्यक्ति को मुंह खोलने और बंद करने पर टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट्स में चरमराहट जैसी आवाज़ सुनाई देती है या महसूस होती है। जोड़ों का सख्त होना, हल्का दर्द या दोनों महसूस हो सकते हैं। जब ऑस्टियोआर्थराइटिस गंभीर होता है, तो जबड़े की हड्डी का ऊपरी भाग चपटा हो जाता है, और रोगी अपना मुंह चौड़ा नहीं खोल पाता है। जबड़ा प्रभावित हिस्से की ओर भी खिसक सकता है जिसे रोगी व्यक्ति वापस उसकी असली जगह पर ले जाने में असमर्थ हो सकता है। रोगी व्यक्ति को, अप्रभावित किनारे पर ऊपरी और निचले दांतों के मिलने के तरीके में कुछ अंतर दिख सकता है।

रूमैटॉइड आर्थराइटिस होने पर दर्द होता है, टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट में सूजन आती है, और जबड़े की हलचल सीमित हो जाती है। यह आमतौर पर दोनों टेम्पोरोमैंडिबुलर जोड़ों पर बराबर असर करता है, जो दूसरे प्रकार के TMD में शायद ही कभी होता है। जब रूमैटॉइड आर्थराइटिस बहुत गंभीर रूप ले लेता है, खासकर बच्चों में, तो जबड़े की हड्डी का ऊपरी भाग डीजनरेट होकर छोटा हो सकता है, जिससे चेहरा बिगड़ सकता है। इस तरह के नुकसान से कई या सभी ऊपरी और निचले दांतों का अलाइनमेंट बिगड़ सकता हैं। हालांकि कुछेक मामलों में ही, गहरा नुकसान होने पर, तो जोड़ की हड्डियाँ आखिर में एक साथ जुड़ सकती हैं (एंकिलोसिस)।

संक्रामक गठिया विकार में, टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट के ऊपर और आसपास के हिस्सों में सूजन आ जाती है और जबड़े की हलचल सीमित हो जाती है। साथ ही, जबड़े को हिलाने-डुलाने पर दर्द होने लगता है।

ट्रॉमेटिक आर्थराइटिस से टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट में दर्द और कमज़ोरी आती है, और जबड़े की हलचल को सीमित हो जाती है।

एंकिलोसिस

आमतौर पर, जोड़ (एक्स्ट्रा-आर्टिकुलर एंकिलोसिस) के आसपास लिगामेंट और हड्डी के जुड़ने पर दर्द नहीं होता है, लेकिन मुंह केवल 1 इंच (लगभग 2 सेंटीमीटर) या उससे कम ही खुल पाता है। जोड़ के भीतर हड्डियों के आपस में जुड़ने (इंट्रा-आर्टिकुलर एंकिलोसिस) से दर्द होता है और जबड़े की हलचल को बहुत ज़्यादा सीमित हो जाती है।

हाइपरमोबिलिटी

हाइपरमोबिलिटी की स्थिति में, जबड़ा पूरी तरह से अपने सॉकेट से बाहर आगे की ओर फिसल सकता (अपनी जगह से खिसकना) है, जिससे दर्द होने और मुंह सही से न बंद कर पाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जोड़ों का अपनी जगह से खिसकना, अचानक और बार-बार हो सकता है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों का निदान

  • दांतों के डॉक्टर या डॉक्टर द्वारा मूल्यांकन से

  • कभी-कभी इमेजिंग परीक्षण

  • संक्रामक गठिया के लिए, फ्लूइड निकालकर

  • कभी-कभी पॉलीसोम्नोग्राफी (रोगी की नींद का अध्ययन) करके

दांतों के डॉक्टर या चिकित्सक, लगभग हमेशा ही, रोगी व्यक्ति की मेडिकल और डेंटल हिस्ट्री और एक शारीरिक जांच के आधार पर टेम्पोरोमैंडिबुलर डिसऑर्डर का निदान करते हैं। इस जांच में, रोगी व्यक्ति द्वारा जबड़े को खोलने और बंद करने के दौरान, उसके चेहरे के किनारे पर धीरे से दबाव डाला जाता है या उसके कान में छोटी उंगली रखकर धीरे से आगे की ओर दबाया जाता है, और कैच पकड़ने, क्लिक करने या पॉपिंग होने की आवाज़ों को सुनकर इनका पता लगाया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर, चबाने वाली मांसपेशियों में दर्द या कमज़ोरी का पता लगाने के लिए उन पर धीरे से दबाव डालते हैं और नोट करते हैं कि जब व्यक्ति काटता है तो उसका जबड़ा स्लाइड करता है या नहीं। रोगी व्यक्ति को उतना मुंह खोलने के लिए कहा जाता है जितना वो आराम से खोल सके। एक औसत आकार का व्यक्ति कम से कम 1½ इंच (लगभग 4 सेंटीमीटर) मुंह खोल सकता है।

जब डॉक्टर को ऐसा लगता है कि इंटरनल जॉइंट डिरेंजमेंट हुआ है, तो आगे और जांच की जा सकती हैं। मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (MRI) एक स्टैंडर्ड है जिसके द्वारा डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि क्या इंटरनल जॉइंट डिरेंजमेंट हुआ है या फिर यह कि रोगी व्यक्ति पर इलाज का असर क्यों नहीं हो रहा है।

रोगी को ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का आभास डॉक्टर को तब होता है जब उसके मुंह को खोलने पर कट-कट की (चरमराने की/कर्कश) आवाज़ (क्रेपिटस) सुनाई देती है। एक्स-रे और/या कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन की मदद से निदान की पुष्टि की जा सकती है।

संक्रामक गठिया होने का आभास तब हो सकता है जब टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट के ऊपर और आसपास के हिस्सों में सूजन हो और जब जोड़ के हिलने-डुलने पर दर्द हो और उसे ज़्यादा हिलाना-डुलाना संभव न हो पाए। शरीर के दूसरे हिस्से में संक्रमण होना एक सुराग की तरह भी करता है। संक्रामक गठिया के निदान की पुष्टि करने के लिए, डॉक्टर टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट में एक सुई डालकर फ्लूइड को बाहर निकाल सकते हैं (एस्पिरेशन), बाद में इसका बैक्टीरिया के लिए विश्लेषण किया जाता है।

अगर यह हाइपरमोबिलिटी की वजह से हुआ है, तो रोगी मुंह को आमतौर पर 3 उंगलियों की चौड़ाई जितना खोल पाता है। जबड़े का अपनी जगह से खिसकना धीरे-धीरे भी हो सकता है। अगर यह एंकिलोसिस की वजह से हुआ है, तो जबड़े की हिलने-डुलने की सीमा स्पष्ट रूप से कम हो जाती है।

अगर मांसपेशियों में दर्द और जकड़न के लक्षण बने रहते हैं, तो डॉक्टर नींद के विकार के लिए जांच की व्यवस्था कर सकते हैं। इस जांच को पॉलीसोम्नोग्राफीकहा जाता है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर विकारों का इलाज

  • ओरल एप्लायंस थेरेपी और दर्द निवारक देकर

  • अपनी मदद खुद करने के उपायों से

  • कभी-कभी फिज़िकल थेरेपी करके

  • कभी-कभी सर्जरी

  • कभी-कभी दूसरी दवाइयाँ (जैसे मांसपेशियों को आराम देने वाली, नींद लाने वाली या बोटुलिनम टॉक्सिन)

समस्या के कारण के आधार पर इलाज भी अलग-अलग होता है। इलाज के दो आम तरीके हैं ओरल एप्लायंस थेरेपी (जिसे स्प्लिंट थेरेपी या माउथ गार्ड भी कहा जाता है) और दर्द से राहत के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसी दर्द निवारक दवाएं देना।

टेम्पोरोमैंडिबुलर मायोफ़ेशियल पेन सिंड्रोम

ओरल एप्लायंस

आमतौर पर, जबड़े की मांसपेशियों के दर्द और जकड़न का मुख्य इलाज ओरल एप्लायंस की मदद से किया जाता है। जिन लोगों को ऐसा लगता है कि वे अपने दांतों को भींचते हैं या पीसते हैं, उनकी इस आदत को छुड़ाने में ओरल एप्लायंस थेरेपी मदद कर सकती है। दांतों के डॉक्टर, दांतों के ऊपरी या निचले सेट पर फिट करने के लिए एक पतला प्लास्टिक ओरल एप्लायंस बनाते हैं और इसे एडजस्ट किया जाता है, ताकि व्यक्ति सही से काट सके। ओरल एप्लायंस, आमतौर पर सोते समय पहना जाता है (एक नाइटगार्ड) और यह दांत पीसने और भींचने की आदत को कम करता है। ऐसा होने से, जबड़े की मांसपेशियों को आराम मिलता है और वो ठीक हो पाती हैं। जागे रहने के दौरान दर्द होने पर, ओरल एप्लायंस लगाने से जबड़े की मांसपेशियों को आराम से रहने और सही तरह से काटने में मदद मिलती है, जिससे परेशानी कम होती है। ओरल एप्लायंस उन दांतों को भी नुकसान से बचा सकता है जिन पर दांतों को भींचने और पीसने से बहुत ज़ोर पड़ा है। ओरल एप्लायंसों का उपयोग जागते समय केवल तब तक के लिए –आमतौर पर 8 सप्ताह से कम समय तक– किया जाता है जब तक कि लक्षण कम न हो जाएं। लक्षणों की गंभीरता के आधार पर लंबे समय तक उपयोग की आवश्यकता हो सकती है।

अपनी मदद खुद करने के उपायों से

लोगों को दर्द से राहत और सामान्य काम-काज फिर से शुरू करने के लिए अपनी मदद खुद करने के उपायों का उपयोग करना चाहिए।

  • नरम खाद्य पदार्थ वाला आहार लेना शुरू करने, भोजन को छोटे टुकड़ों में काटकर खाने, धीरे-धीरे चबाने, और मुंह को चौड़ा न खोलने से मांसपेशियों पर और टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंटों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने में मदद मिलेगी।

  • जागे रहने के दौरान ऊपरी और निचले दांतों को अलग रखने से दांतों को भींचने या पीसने की आदत छुड़ाने में मदद मिलेगी, साथ ही मांसपेशियों पर और टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंटों पर पड़ने वाला तनाव भी कम होगा।

  • ऐसा कोई तरीका निकालें जिससे आपको यह याद रखने में मदद मिले कि खराब पॉस्चर (आसन) को ठीक करना है, ऐसा करने से जबड़े और गर्दन/कंधे की मांसपेशियों को ठीक करने में मदद मिलेगी।

  • सोने की अच्छी आदतें अपनाने से, एक शांत और आरामदायक वातावरण में एक नियमित समय पर सोने से, दर्द कम होगा और शरीर को ठीक होने में मदद मिलेगी।

  • थकी हुई मांसपेशियों में नमीयुक्त गर्म सिंकाई करने (मॉइस्ट हीट लगाने) से भी मदद मिलेगी।

शारीरिक चिकित्सा

फिज़िकल थेरेपी की भी सलाह दी जा सकती है। फिज़िकल थेरेपी में अल्ट्रासाउंड से इलाज, इलेक्ट्रोमायोग्राफिक बायोफीडबैक (जिसमें व्यक्ति मांसपेशियों को आराम देना सीखता है), स्प्रे एंड स्ट्रेच एक्सरसाइज़ शामिल हो सकती हैं (जिसमें दर्द वाली जगह की त्वचा पर स्किन रेफ्रिजरेंट का स्प्रे करके या उस जगह को बर्फ से सुन्न करने के बाद जबड़े को फैलाकर खोला जाता है)। ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS-साइडबार देखें जबड़े की मांसपेशियों के लिए फिज़िकल थेरेपी) से भी लाभ मिल सकता है। तनाव प्रबंधन, कभी-कभी इलेक्ट्रोमायोग्राफ़िक बायोफ़ीडबैक के साथ और काउंसलिंग से कुछ लोगों को मदद मिलती है।

दवाएँ

दवाइयों से भी मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, जकड़न और दर्द को कम करने के लिए मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाइयाँ, जैसे कि साइक्लोबेंज़ाप्रीन लिखी जा सकती हैं। लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करने के लिए, कभी-कभी बेंज़ोडायज़ेपाइन (चिंता-रोधी दवाई जो मांसपेशियों को भी आराम देती है) थोड़े समय के लिए ली जा सकती है। हालांकि, ये दवाइयाँ इस समस्या का इलाज नहीं हैं, आमतौर पर बुज़ुर्गों को इनकी सलाह नहीं दी जाती है और थोड़े समय के लिए ही लिखी जाती हैं, आमतौर पर एक महीने या इससे कम समय के लिए।

एसीटामिनोफ़ेन या अन्य NSAIDs जैसी दर्द निवारक दवाएं लेने से भी दर्द से राहत मिल सकती है। चूंकि इलाज की आवश्यकता मात्र कुछ समय के लिए होती है और ओपिओइड एनाल्जेसिक जैसी दवाएं लेने से इनके नशे की लत लग सकती हैं, इसलिए आमतौर पर डॉक्टर पर्चे में ओपिओइड एनाल्जेसिक लिखकर नहीं देते हैं। कभी-कभी और थोड़े समय के लिए नींद लाने वाली दवाएं (सिडेटिव्स) उपयोग करके उन लोगों को मदद मिल सकती है जिन्हें दर्द के कारण सोने में परेशानी होती है। जिन लोगों को नींद से संबंधित विकार होते हैं, जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, उन्हें किसी भी बेन्ज़ोडायज़ेपीन या सिडेटिव्स (दवा की दुकान पर मिलने वाली नींद लाने वाली दवाओं सहित) या मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाओं का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए क्योंकि ये दवाएं उस विकार को बिगाड़ सकती हैं।

मांसपेशियों की ऐंठन और दर्द को दूर करने के लिए, मांसपेशियों में बोटुलिनम टॉक्सिन के इंजेक्शन या मांसपेशियों के ट्रिगर पॉइंट्स में एनेस्थेटिक्स के इंजेक्शन का उपयोग किया गया है।

बरसों पुराने बने रहने वाले दर्द के कुछ मामलों में, एंटीडिप्रेसेंट दवाएं उपयोगी हो सकती हैं।

चाहे जैसे भी तरीके से इलाज हो, ज़्यादातर लोग लगभग 3 महीने में बहुत आराम का अनुभव करते हैं। अगर लक्षण गंभीर नहीं हैं, तो कई लोग इलाज के बिना ठीक हो जाते हैं।

जबड़े की मांसपेशियों के लिए फिज़िकल थेरेपी

  • अल्ट्रासाउंड एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा दर्द वाले हिस्सों में गहरी गर्मी (डीप हीट) पहुंचाई जाती है। अल्ट्रासाउंड द्वारा गर्माहट मिलने पर, रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, और रक्त ज़्यादा तेज़ी से मांसपेशी के इकट्ठा हुए अपशिष्ट उत्पादों को दूर ले जा पाता है जिसके कारण दर्द हो सकता है।

  • इलेक्ट्रोमायोग्राफिक बायोफीडबैक, एक गेज की मदद से मांसपेशी की गतिविधि की निगरानी करता है। गेज को देखने के दौरान, रोगी व्यक्ति पूरे शरीर या किसी खास मांसपेशी को ढीला छोड़ने का प्रयास करता है। इस तरह, वह व्यक्ति विशेष मांसपेशियों को नियंत्रित या आराम करना सीखता है।

  • स्प्रे-एंड-स्ट्रेच एक्सरसाइज़ में स्किन रेफ्रिजरेंट छिड़कना या दर्द वाली जगह पर बर्फ लगाना शामिल है, ताकि जबड़े की मांसपेशियों को फ़ैलाकर मुँह खोला जा सके।

  • ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिम्युलेशन (TENS) में एक ऐसे डिवाइस का उपयोग किया जाता है जो दर्द का अहसास न कराने वाले नर्व फाइबर्स को उत्तेजित करता है। ऐसा माना जाता है कि इन नर्व फाइबर्स के उत्तेजित होने पर जो इम्पल्स बनते हैं वे रोगी व्यक्ति को महसूस होने रहे दर्द वाले इम्पल्स को रोकते हैं।

इंटरनल टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट डिरेंजमेंट

रिडक्शन के साथ या बिना इंटरनल जॉइंट डिरेंजमेंट में, इलाज की आवश्यकता केवल तभी होती है जब किसी व्यक्ति को जबड़े में दर्द हो या जबड़े को हिलाने में परेशानी हो। अक्सर लोगों को दर्द के लिए NSAID दिया जाता है। अगर रोगी व्यक्ति लक्षण होने के ठीक बाद इलाज कराना चाहता है, तो दांतों के डॉक्टर या डॉक्टर डिस्क को मैन्युअल रूप (हाथों की मदद से) से वापस उसकी पहले जैसी स्थिति में ला सकते हैं।

अगर किसी व्यक्ति को 3 महीने से भी कम से लेकर 6 महीने तक विकार रहा है, तो मुंह में एक एंटीरियर रीपोज़िशनिंग अप्लायंस का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह अप्लायंस निचले जबड़े को आगे की ओर पकड़कर रखता है, डिस्क को उसकी जगह पर बनाए रखता है और सपोर्टिंग लिगामेंट को जकड़ बनाने और दर्द से मुक्ति दिलाने देता है। 2 से 4 महीनों में, ओरल एप्लायंस को एडजस्ट किया जाता है ताकि जबड़ा अपनी सामान्य स्थिति में वापस लौट सके, डिस्क अपनी सही जगह पर रहेगी इस उम्मीद के साथ। हालाँकि, डिस्क जितनी ज़्यादा देर तक अपनी जगह से दूर रहेगी, उसकी रिपोज़िशनिंग से लाभ मिलने की संभावना भी उतनी ही कम होगी।

इंटरनल जॉइंट डिरेंजमेंट वाले व्यक्ति को, चाहे रिडक्शन किया गया हो या नहीं, अपना मुंह चौड़ा खोलने से बचना चाहिए—उदाहरण के लिए, जंभाई लेते समय या सैंडविच को दांत से काटते समय—क्योंकि ये काम करते समय घायल जोड़ उतने ज़्यादा सुरक्षित नहीं होते हैं जितना कि वे एक ठीक जबड़े में होते हैं। इस विकार वाले लोगों को भोजन को छोटे टुकड़ों में काटकर खाने और ऐसा भोजन खाने की सलाह दी जाती है जो चबाने में आसान हो।

कभी-कभी स्लिप्ड डिस्क टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट (TMJ) के सामने फंस जाती है, ऐसा होने पर जबड़ा पूरी तरह से नहीं खुल पाता है। इस स्थिति में, डिस्क को मैन्युअल रूप से उसकी पोज़ीशन से थोड़ा-सा हटाना चाहिए, ताकि जोड़ पूरी तरह से हिल-डुल सके। जबड़े को फैलाने वाली पैसिव जॉ-मोशन डिवाइसों का उपयोग किया गया है, ताकि जबड़े का हिलना-डुलना धीरे-धीरे बढ़ाया जा सके। इन डिवाइसों का उपयोग दिन में कई बार किया जाता है। ऐसी ही एक डिवाइस है थ्रेडेड स्क्रू-टाइप इंस्ट्रूमेंट, डिस्क को धीरे-धीरे और आराम से आगे लाने के लिए इसे सामने के दांतों के बीच रखा जाता है और कार जैक की तरह घुमाया जाता है, ऐसा करने पर मुंह चौड़ा होकर खुलता है। अगर ऐसी डिवाइस उपलब्ध नहीं है, तो डॉक्टर सामने के दांतों के बीच रखे टंग डिप्रेसर्स के स्टैक का उपयोग कर सकते हैं, साथ ही स्टैक के बीच में एक अतिरिक्त टंग डिप्रेसर जोड़ा जा सकता है ताकि मुंह को थोड़ा-थोड़ा करके खोला जा सके।

अगर इंटरनल जॉइंट डिरेंजमेंट का इलाज नॉन-सर्जिकल तरीकों से नहीं किया जा सकता है, तो सर्जरी करने के लिए एक ओरल और मैक्सिलोफैशियल सर्जन की मदद ज़रूरी हो सकती है। हालांकि, आर्थ्रोस्कोपी जैसी सर्जरी उपलब्ध होने के बाद से, पारंपरिक सर्जरी की आवश्यकता कम ही पड़ती है। सभी सर्जिकल प्रक्रियाओं का उपयोग, ओरल एप्लायंस थेरेपी, अपनी मदद खुद करने के उपायों और दांतों के डॉक्टर या चिकित्सक की निगरानी के साथ में किया जाता है।

आर्थराइटिस

जिस व्यक्ति को टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट में ऑस्टियोआर्थराइटिस है उसे अपने जबड़े को बहुत आराम देना चाहिए, मांसपेशियों की कसावट को नियंत्रित करने के लिए एक ओरल एप्लायंस या किसी दूसरे डिवाइस का उपयोग करना चाहिए, और दर्द के लिए एक एनाल्जेसिक (जैसे एसिटामिनोफेन या NSAID) लेनी चाहिए। दर्द आमतौर पर इलाज के साथ या बिना 6 महीने में दूर हो जाता है। इलाज के बिना भी, ज़्यादातर लक्षण कम हो जाते हैं, शायद इसलिए कि डिस्क के पीछे वाले टिश्यू का बैंड बिगड़ जाता है और ओरिजिनल डिस्क की तरह काम करने लगता है। हालांकि जबड़ा पहले की तरह चौड़ा नहीं खुल पाता है, मगर आमतौर पर, सामान्य गतिविधियों के लिए जबड़े का हिलना-डुलना ठीक-ठाक रहता है। ओरल एप्लायंस आमतौर पर सोते समय पहना जाता है, लेकिन कभी-कभी जागते समय भी पहना जाता है।

टेम्पोरोमैंडिबुलर जोड़ के रूमैटॉइड अर्थराइटिस का इलाज, जोड़ों के रूमैटॉइड अर्थराइटिस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयाँ देकर किया जाता है। तेज़ दर्द के लिए NSAID दी जा सकती है। जोड़ों की हलचल को बनाए रखना और जोड़ों को आपस में जुड़ने से रोकना बहुत ज़रूरी है। आमतौर पर, एक फिज़िकल थेरेपिस्ट के निर्देशन में जबड़े का व्यायाम करके इन लक्ष्यों को पूरा करना सबसे बेहतर होता है। लक्षणों –विशेष रूप से मांसपेशियों की जकड़न– को दूर करने के लिए, रोगी व्यक्ति नींद के दौरान ओरल एप्लायंस पहनता है। अगर जोड़ों के आपस में जुड़ने से जबड़े की सारी हलचल बंद हो जाती है, तो व्यक्ति को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है और कुछेक मामलों में ही, जबड़े की हलचल को बहाल करने के लिए एक आर्टिफ़िशियल जोड़ भी लगाया जा सकता है।

संक्रामक गठिया का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं, सही से हाइड्रेशन करके (शरीर में पानी की कमी न होने देकर), दर्द को काबू में लाकर और हिलने-डुलने पर रोक लगाकर किया जाता है। आमतौर पर शुरू में एंटीबायोटिक के तौर पर पेनिसिलिन को इस्तेमाल किया जाता है, जब तक जांच परिणाम यह तय नहीं कर पाते हैं कि मौजूद बैक्टीरिया किस प्रकार का है और जाँच परिणामों के आधार पर किस एंटीबायोटिक का उपयोग करना सबसे अच्छा रहेगा। जोड़ में मवाद, अगर मौजूद है, तो सुई से हटाया जा सकता है। संक्रमण पर काबू पा जाने के बाद, लोग जबड़े को खोलने वाले व्यायाम करते हैं ताकि स्कैरिंग और कम हिलने-डुलने की समस्या को दूर किया जा सके।

ट्रॉमेटिक आर्थराइटिस का इलाज NSAID और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (ऐसी दवाएं जो सूजन को कम करती हैं और सूजन, त्वचा लाल होने और दर्द जैसे लक्षणों को कम करती हैं), गर्माहट देकर, एक नरम आहार और जबड़े की हलचल को सीमित रखकर किया जाता है।

एंकिलोसिस

कभी-कभी, जबड़े खोलने वाले व्यायाम से लाभ मिल सकता है, हालांकि हड्डी के आपस में जुड़ने पर रोगी को जबड़े की हलचल को बहाल करने के लिए सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है, और सर्जरी से किए गए सुधार को बनाए रखने के लिए महीनों से वर्षों तक नियमित व्यायाम करते रहना ज़रूरी होता है।

हाइपरमोबिलिटी

हाइपरमोबिलिटी के कारण जोड़ अपनी जगह से खिसकने की रोकथाम और इलाज भी अपनी जगह से खिसक गए जबड़े के इलाज की तरह ही किया जाता है। जब जोड़ अपनी जगह से खिसक जाते हैं, तो कभी-कभी जबड़े को वापस उसकी स्थिति में लाने के लिए मदद की ज़रूरत पड़ती है। हालांकि, कई लोग जो बार-बार जोड़ों के अपनी जगह से खिसकने की स्थिति का अनुभव करते हैं, वे यह भी सीखते हैं कि अपने प्रयासों से जोड़ को वापस उसकी जगह पर लाने के लिए, मांसपेशियों को जान-बूझ कर आराम दिया जाना चाहिए और निचले जबड़े को वापस अपनी जगह पर पहुंचाने के लिए हल्के-हल्के उसकी असली जगह पर ले जाना चाहिए। बार-बार अपनी जगह से खिसकने से रोकने के लिए, डॉक्टर जोड़ में एक ऐसे पदार्थ (उदाहरण के लिए, रक्त) का इंजेक्शन लगा सकते हैं जो स्कैरिंग करता है और इस तरह जोड़ की हलचल को कम करता है। अगर जोड़ बार-बार अपनी जगह से खिसक जाता है, तो हड्डी को फिर से आकार देने या टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट के आसपास मौजूद लिगामेंट को कसने के लिए कभी-कभी सर्जरी करनी ज़रूरी हो जाती है।