जन्म के समय श्वासावरोध

(प्रसवकालीन श्वासावरोध)

इनके द्वाराArcangela Lattari Balest, MD
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जन॰ २०२४

    जन्म के समय श्वासावरोध में नवजात शिशु के ऊतकों तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या प्रसव के पहले, उसके दौरान या प्रसव के तुरंत बाद नवजात शिशु के रक्त में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

    जब बच्चे का जन्म होता है, तब डॉक्टर या दाई नवजात शिशु की जांच करके देखती है कि कहीं उसमें कोई असामान्यताएँ या खतरे के संकेत तो नहीं हैं। अपगर स्कोर का इस्तेमाल करके नवजात शिशु की अच्छी तरह जांच करके, जन्म के 1 मिनट तथा 5 मिनट के बाद पूरी जानकारी रिकॉर्ड की जाती है। अपगर स्कोर का इस्तेमाल हृदय गति, सांस लेने के प्रयास, मांसपेशी की सुडौलता, सहज क्रियाओं, और रंग के लिए पॉइंट तय करने के लिए किया जाता है। 7 से 10 के कुल स्कोर को सामान्य, 4 से 6 को मध्यम तथा 0 से 3 को निम्न माना जाता है। निम्न अपगर स्कोर का मतलब है कि नवजात शिशु कठिनाई में है और उसे सांस लेने में परेशानी के साथ-साथ ब्लड प्रेशर की समस्या भी बनी हुई है, इसलिए तुरंत ध्यान देना ज़रूरी है। अपगर स्कोर जीवन के कुछ मिनटों बाद शिशु के स्वास्थ्य के बारे में कोई अनुमान नहीं लगाता।

    टेबल

    कम अपगर स्कोर वाले बच्चों को सांस लेने में या रक्त प्रवाह में समस्या हो सकती है। जन्म के समय होने वाले श्वासावरोध (जिसे प्रसवकालीन श्वासावरोध भी कहा जाता है) में प्रसव से पहले, उसके दौरान या प्रसव के तुरंत बाद नवजात शिशु के ऊतकों तक पहुंचने वाले रक्त के प्रवाह में या ऑक्सीजन की कमी आ जाती है। इसके कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित होते हैं:

    • प्रसव से पहले गर्भनाल का गर्भाशय से अलग हो जाना (प्लासेंटल एब्रप्शन)

    • गर्भनाल रक्त प्रवाह में बाधा

    • गर्भस्थ शिशु का असामान्य विकास (जैसे कि कोई आनुवंशिक असामान्यता होने पर)

    • भ्रूण में गंभीर संक्रमण

    • जन्म से पहले कुछ खास दवाओं या औषधियों के संपर्क में आना

    • गंभीर मातृत्व हैमरेज

    • मां की गंभीर बीमारी

    कभी-कभी प्रसवकालीन श्वासावरोध का सही कारण पता नहीं चल पाता है।

    कारण चाहे कुछ भी क्यों न हो, प्रभावित नवजात शिशु जन्म के समय पीले और निर्जीव से नज़र आते हैं। वे बहुत कमजोरी से सांस लेते है या फिर बिलकुल सांस नहीं लेते तथा उनकी हृदय दर बहुत धीमी होती है। डॉक्टर और नर्स, नवजात शिशु को पुनर्जीवित (रिससिटेट) करने की कोशिश करते हैं। रिससिटैशन में फेफ़ड़ों को हवा मे पुश करने या नवजात शिशु के गले में ब्रीदिंग ट्यूब (एंडोट्रेकियल इंट्युबेशन) डालने के लिए रिससिटैशन बैग और मास्क की ज़रूरत पड़ सकती है। यदि बहुत तेजी से रक्त की हानि के कारण एस्फिक्सिया होता है, तो नवजात शॉक की स्थिति में जा सकता है। उन्हें तुरंत शिरा के ज़रिए फ़्लूड दिए जाते हैं और कभी-कभी ब्लड ट्रांसफ़्यूजन किया जाता है या प्लाज़्मा दिया जाता है।

    नवजात शिशुओं को निओनेटल ईंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में देखभाल की ज़रूरत पड़ सकती है।

    एस्फिक्सिया से पीड़ित रोगियो में एक या अधिक अंग प्रणालियों में चोट दिखाई दे सकती है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

    • हृदय: शरीर की रंगत ठीक न होना, निम्न ब्लड प्रेशर

    • फेफड़े: सांस लेने में कठिनाई और ऑक्सीजन के निम्न स्तर

    • दिमाग: सुस्ती, दौरे या यहां तक कि कोमा भी हो सकता है

    • किडनी: कम मात्रा में पेशाब करना

    • लिवर: उन प्रोटीन को बनाने में कठिनाई जिनकी ज़रूरत खून को सामान्य रूप से क्लॉट बनाने के लिए होती है

    • आंतें: दूध को हजम करने में कठिनाई

    • रक्त संरचना प्रणाली: प्लेटलेट कम होना और खून का रिसाव

    नवजात शिशुओं को उनके हृदय के कार्य में सहायता के लिए, दवाओं की और उनके सांस लेने में सहायता करने के लिए मैकेनिकल वेंटिलेटर की ज़रूरत हो सकती है।

    जन्म के समय होने वाले श्वासावरोध से क्षतिग्रस्त हुए अधिकांश अंग एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ नवजात शिशुओं में मस्तिष्क की क्षति बनी रह सकती है। जिन शिशुओं के मस्तिष्क में कोई चोट नहीं लगी होती है या कम चोट पहुंची होती है, उन्हें हो सकता है कि आगे चलकर स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या न आए। जिन शिशुओं के मस्तिष्क में मध्यम से लेकर गंभीर चोट लगी होती है, उन्हें विकास से जुड़ी स्थायी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो सीखने के विकारों से लेकर विकास में देरी या सेरेब्रल पाल्सी तक हो सकती हैं। गंभीर श्वासावरोध से पीड़ित कुछ नवजात शिशु जीवित नहीं बचते हैं।