एंटीडाइयुरेटिक हार्मोन के अनुचित स्राव का सिंड्रोम (SIADH)

इनके द्वाराJames L. Lewis III, MD, Brookwood Baptist Health and Saint Vincent’s Ascension Health, Birmingham
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया सित॰ २०२३

एंटीडाइयूरेटिक हार्मोन के अनुचित स्राव का सिंड्रोम तब विकसित होता है जब कुछ अनुचित परिस्थितियों में पिट्यूटरी ग्रंथि बहुत ज़्यादा एंटीडाइयुरेटिक हार्मोन (वेसोप्रैसिन) का स्त्राव करती है, जिससे शरीर में फ़्लूड बना रहता है और पतला होने की वजह से ब्लड में सोडियम का लेवल कम हो जाता है।

(इलेक्ट्रोलाइट्स का विवरण और शरीर में सोडियम की भूमिका का विवरण भी देखें।)

वेसोप्रैसिन (जिसे एंटीडायुरेटिक हार्मोन भी कहते हैं) से शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, क्योंकि ये किडनी द्वारा निकाले जाने वाले पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है। वेसोप्रैसिन किडनी द्वारा निकाले जाने वाली मात्रा को कम करता है। जिसकी वजह से, शरीर में ज़्यादा पानी बना रहता है, जिससे शरीर में सोडियम का लेवल डायल्यूट हो जाता है। ब्लड में सोडियम का लेवल कम होने की स्थिति को हाइपोनेट्रिमिया कहते हैं।

जब खून की मात्रा (रक्त वाहिकाओं में फ़्लूड की मात्रा) या ब्लड प्रेशर कम हो जाता है या जब इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे कि सोडियम) की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, तो पिट्यूटरी ग्रंथि उचित रूप से वेसोप्रैसिन पैदा करके उसका रिसाव कर देती है।

वेसोप्रैसिन के स्त्राव को अनुचित माना जाता है, अगर ये ऐसे समय हो

जब ऐसी स्थितियों में वेसोप्रैसिन का स्त्राव होता है, तो शरीर बहुत ज़्यादा फ़्लूड बनाए रखता है और ब्लड में सोडियम का लेवल कम हो जाता है।

SIADH के कारण

कई स्थितियों में SIADH पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है। जब वेसोप्रैसिन पिट्यूटरी ग्रंथि के बाहर बनता है, तो SIADH हो सकता है, जैसा कि कुछ फेफड़ों और अन्य कैंसर में होता है। बूढ़े लोगों में SIADH आम है और हॉस्पिटल में भर्ती लोगों में यह और भी आम है।

SIADH होने की और भी बहुत सी वजहें हैं, जिनका पता लगाने के लिए कई अन्य टेस्ट करने पड़ते हैं।

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SIADH के लक्षण

SIADH के लक्षणों में ब्लड में सोडियम का लेवल कम (हाइपोनेट्रिमिया) होना है, जो इसकी वजह से होता ही है। इसके लक्षणों में सुस्ती और भ्रम शामिल हैं।

SIADH का निदान

  • रक्त और मूत्र परीक्षण

डॉक्टर को हाइपोनेट्रिमिया से पीड़ित व्यक्ति में SIADH का संदेह तब होता है, जब अन्य कारकों से इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती, जैसे दर्द, तनाव, थकाने वाली एक्सरसाइज़, ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना और हृदय, थायरॉइड ग्रंथि, किडनी या एड्रिनल ग्रंथियों के कुछ विकार, जिनकी वजह से ब्लड की मात्रा कम हो जाती है और पिट्यूटरी से वेसोप्रैसिन के स्त्राव को उचित रूप से उत्तेजित होता है।

सोडियम और पोटेशियम के लेवल की जांच करने और ब्लड और यूरिन की सांद्रता (ओस्लेलिटी) का पता लगाने के लिए ब्लड और यूरिन के टेस्ट किये जाते हैं। डॉक्टर बढ़े हुए वेसोप्रैसिन का पता लगाने के लिए अन्य संभावित वजहों की जांच करते हैं (जैसे कि दर्द, तनाव, दवाएँ या कैंसर)।

SIADH का निदान हो जाने पर, डॉक्टर इसकी वजह का पता लगाने और उसका इलाज करने की कोशिश करते हैं, ताकि सोडियम का लेवल सामान्य हो जाए।

SIADH का इलाज

  • फ़्लूड का सेवन सीमित करना

डॉक्टर फ़्लूड के सेवन पर प्रतिबंध लगाते हैं और हो सके, तो इसकी वजह का इलाज करते हैं। SIADH से पीड़ित लोगों को हाइपोनेट्रिमिया का इलाज लंबे समय तक करने की ज़रूरत होती है।

कभी-कभी इंट्रावीनस तरीके से फ़्लूड दिये जाते हैं, जिसमें बहुत ज़्यादा सांद्रता वाले सोडियम (हाइपरटोनिक सेलाइन) फ़्लूड शामिल हैं। ऐसे इलाज बहुत ध्यान से किये जाने चाहिए, ताकि सोडियम का लेवल एकदम से न बढ़ जाए।

अगर रक्त में सोडियम का लेवल कम होता जाता है या फ़्लूड के सेवन पर रोक लगाने से भी बढ़ता नहीं है, तो डॉक्टर दवाएँ प्रिस्क्राइब कर सकते हैं, जैसे कि डेमेक्लोसाइक्लिन या लीथियम, जिनसे किडनी पर वेसोप्रैसिन का असर कम हो जाता है या कोनिवेप्टेन और टोलवैप्टेन जैसी दवाएँ, जो कि वेसोप्रैसिन रिसेप्टर को ब्लॉक करते हैं और किडनी को वेसोप्रैसिन के प्रति जवाबी कार्रवाई करने से रोकती हैं।

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