डायबिटीज मैलिटस की जटिलताएं

इनके द्वाराErika F. Brutsaert, MD, New York Medical College
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अक्तू॰ २०२३ | संशोधित नव॰ २०२३

डायबिटीज मैलिटस से पीड़ित लोगों को कई लंबे-समय तक रहने वाली गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं जिनसे शरीर के कई हिस्सों पर असर पड़ सकता है, खासतौर पर रक्त वाहिकाएं, तंत्रिकाएं, आंखें और किडनी।

(डायबिटीज मैलिटस भी देखें।)

डायबिटीज मैलिटस दो तरह के होते हैं:

  • टाइप 1, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्नाशय के इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है और उनमें से 90% से ज़्यादा हमेशा के लिए नष्ट हो जाती हैं

  • टाइप 2, जिसमें हमारा शरीर इंसुलिन के प्रभावों के प्रति प्रतिरोध पैदा करता है

दोनों प्रकारों में, ब्लड में शुगर (ग्लूकोज़) की मात्रा बढ़ जाती है।

टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ग्लूकोज़ लेवल बढ़ने की वजह से जटिलताएं होने की संभावना होती है। हालांकि, टाइप 2 डायबिटीज निदान के कुछ समय पहले से मौजूद होती है, इसलिए जब टाइप 2 डायबिटीज से होने वाली जटिलताओं का पता चलता है तब वे ज़्यादा गंभीर हो सकती हैं या फैल सकती हैं।

डायबिटीज मैलिटस से पीड़ित लोगों को कई लंबे-समय तक रहने वाली गंभीर जटिलताएं होती हैं। इनमें से कई जटिलताएं डायबिटीज के शुरू होने के कुछ ही महीनों में शुरू हो जाती हैं, हालांकि कई जटिलताएं कुछ सालों बाद शुरू होती हैं। ज़्यादातर जटिलताएं धीरे-धीरे बदतर होती जाती हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ब्लड में ग्लूकोज़ के लेवल को नियंत्रित करने से ये जटिलताएं पैदा होने या इनके बदतर होने की संभावना कम होती है।

डायबिटीज की जटिलताओं के कारण

डायबिटीज की ज़्यादातर जटिलताएं रक्त वाहिकाओं में समस्याएं होने की वजह से होती हैं। ग्लूकोज़ लेवल लंबे समय तक बढ़े रहने से छोटी और बड़ी रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं। इस संकुचन से शरीर के कई हिस्सों में रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिससे समस्याएं होने लगती हैं। रक्त वाहिकाओं में संकुचन की कई वजहें होती हैं:

  • शुगर से बने जटिल पदार्थ छोटी रक्त वाहिकाओं की सतहों में जमा होने लगते हैं, जिससे वे मोटी हो जाती हैं और लीक होने लगती हैं।

  • ब्लड ग्लूकोज़ को ठीक से नियंत्रित न कर पाने से रक्त में वसायुक्त पदार्थों का स्तर बढ़ जाता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस होता है और बड़ी रक्त वाहिकाओं में रक्त प्रवाह कम हो जाता है।

डायबिटीज की जटिलताओं के प्रकार

डायबिटीज की वजह से रक्त वाहिकाओं में होने वाली जटिलताएं

एथेरोस्क्लेरोसिस से हार्ट अटैक और आघात होता है। एथेरोस्क्लेरोसिस 2 से 4 गुना आम है और बिना डायबिटीज वाले लोगों के मुकाबले, डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कम उम्र में होने की संभावना ज़्यादा होती है।

समय के साथ, रक्त वाहिकाओं के संकुचन से दिल, दिमाग, टांगें, आंखें, किडनी, तंत्रिकाएं और त्वचा को नुकसान हो सकता है, जिससे एनजाइना, हार्ट फ़ेल, आघात पैदल चलते वक्त टांगों में ऐंठन (क्लॉडिकेशन), नज़र कमज़ोर होना, क्रोनिक किडनी रोग, तंत्रिकाओं में क्षति (न्यूरोपैथी) और त्वचा का निकलना जैसी समस्याएं होती हैं।

डायबिटीज के इंफेक्शन

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अक्सर बैक्टीरियल और फ़ंगल संक्रमण हो सकते हैं, खासतौर पर त्वचा और मुंह के संक्रमण। ब्लड में ग्लूकोज़ का लेवल बढ़ जाने पर, श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ नहीं पाती हैं। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को कोई भी संक्रमण बहुत गंभीर होता है और इन्हें ठीक होने में लंबा समय लग जाता है। कभी-कभी, संक्रमण डायबिटीज का पहला संकेत होता है।

ऐसा एक इंफ़ेक्शन यीस्ट संक्रमण होता है जिसे कैंडिडायसिस कहते हैं। कैंडिडा यीस्ट सामान्य रूप से मुंह, पाचन तंत्र और वेजाइना में होता है, जिससे आमतौर पर कोई नुकसान नहीं होता। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में, कैंडिडा मयूक्स मेंब्रेन और त्वचा के नम हिस्सों पर फैल सकता है, जिससे उन हिस्सों में दाने हो जाते हैं।

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को खासतौर पर पैर और टांगों के अल्सर और संक्रमण होने की संभावना ज़्यादा होती है, ऐसा त्वचा में संचार में गड़बड़ी की वजह से होता है। अक्सर, ये घाव धीरे-धीरे या बिल्कुल ठीक नहीं होते। जब घाव ठीक नहीं होते, उनमें खासतौर पर संक्रमण हो जाता है और इससे गैंग्रीन (ऊतक की मृत्यु) हो जाता है और हड्डी में संक्रमण (ओस्टियोमाइलाइटिस) हो जाता है। पैर या टांग के हिस्से को काटकर अलग करने की ज़रूरत पड़ सकती है।

डायबिटीज में आँखों की समस्या

आँखों की रक्त वाहिका को नुकसान से नज़र जा सकती है (डायबिटीज रेटिनोपैथी)। लेजर सर्जरी से आँखों की लीक हो रही रक्त वाहिका को सील किया जा सकता है और रेटिना में स्थायी क्षति होने से बचा जा सकता है। कभी-कभी, अन्य तरह की सर्जरी या इंजेक्ट की जाने वाली दवाओं का इस्तेमाल भी किया जाता है। इसलिए, डायबिटीज से पीड़ित लोगों को हर साल आँखों की जांच करानी चाहिए, ताकि क्षति के शुरुआती संकेतों का पता चल सके।

डायबिटीज में लिवर क्षतिग्रस्त होना

डायबिटीज से ग्रसित लोगों में स्टेटॉटिक लिवर की बीमारी होना आम बात है (जिसे पहले फैटी लिवर रोग कहा जाता था), जिसमें लिवर में असामान्य फैट जमा हो जाता है। स्टेटॉटिक लिवर की बीमारी कभी-कभी बढ़कर लिवर की गंभीर बीमारी पैदा कर सकती है, जिसमें सिरोसिस शामिल है। डॉक्टर लिवर की समस्याओं का निदान तब करते हैं अगर ब्लड टेस्ट के परिणाम यह पता लगाते हैं कि लिवर कितनी अच्छी तरह से काम कर रहा है या लिवर की इमेजिंग असामान्य आती है और वे लिवर बायोप्सी के निदान की पुष्टि करते हैं। वज़न घटाने, ब्लड शुगर लेवल को ठीक बनाए रखने और बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल का इलाज करने से मदद मिल सकती है।

डायबिटीज में किडनी क्षतिग्रस्त होना

किडनी खराब हो सकती हैं, जिससे किडनी की क्रोनिक बीमारी हो सकती है जिसके लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांटेशन की ज़रूरत पड़ सकती है। डॉक्टर आमतौर पर डायबिटीज से प्रभावित लोगों के यूरिन की जांच करते हैं, ताकि प्रोटीन (एल्बुमिन) के लेवल बढ़ने का पता लगा सकें, जो कि किडनी की क्षति का शुरुआती संकेत होता है। किडनी की समस्याओं के शुरुआती संकेत के रूप में, व्यक्ति को किडनी में क्षति की गति को धीमा करने के लिए दवाई दी जाती है, उदाहरण के लिए, सोडियम-ग्लूकोज़ को-ट्रांस्पोर्टर-2 (SGLT2) इन्हिबिटर (यूरिन में ग्लूकोज़ उत्सर्जन की मात्रा बढ़ाने वाली दवाएँ), एंजियोटेन्सिन-कन्वर्टिंग एंज़ाइम (ACE) इन्हिबिटर या एंजियोटेन्सिन II रिसेप्टर ब्लॉकर (ARB)।

डायबिटीज में तंत्रिकाओं का क्षतिग्रस्त होना

तंत्रिकाओं की क्षति कई तरह से दिख सकती है। अगर एक ही तंत्रिका काम करना बंद कर दे, तो एक बांह या टांग अचानक कमज़ोर हो जाती है। अगर हाथों, टांगों और पैरों की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त (डायबिटिक पोलीन्यूरोपैथी) होती हैं, तो बांहों और टांगों में महसूस होना बंद हो जाता है और झुनझुनी या जलने वाला दर्द और कमज़ोरी होने लगती है। त्वचा की तंत्रिकाओं में क्षति होने से बार-बार चोट लगने की संभावना होती है, क्योंकि व्यक्ति को दबाव या तापमान में बदलाव महसूस नहीं होता।

डायबिटीज से पैरों में समस्याएं

डायबिटीज से शरीर में कई बदलाव होते हैं। पैरों में ये बदलाव आम हैं और इनका इलाज करना मुश्किल होता है:

  • तंत्रिका में क्षति (न्यूरोपैथी) से पैरों की संवेदना पर असर पड़ता है, इसलिए दर्द महसूस नहीं होता। जलन और अन्य तरह की चोट का पता नहीं चलता। दर्द महसूस होने से पहले, चोट त्वचा से ठीक हो जाती है।

  • संवेदना में बदलाव से डायबिटीज से पीड़ित लोग अपने पैरों पर वज़न डालने के तरीके को बदल देते हैं, जिससे वे वज़न को कुछ हिस्सों में केंद्रित करते हैं जिससे कैलस बनते हैं। कैलस (और सूखी त्वचा) से त्वचा के उतरने का खतरा बढ़ जाता है।

  • डायबिटीज से पैरों में संचार बिगड़ जाता है, जिससे त्वचा के क्षतिग्रस्त होने पर अल्सर बनते हैं और अल्सर बहुत धीमी गति से ठीक होते हैं।

डायबिटीज से व्यक्ति के शरीर की इंफ़ेक्शन से लड़ने की ताकत पर प्रभाव पड़ सकता है, पैर का अल्सर बनने के बाद, जल्द ही इंफ़ेक्शन हो सकता है। न्यूरोपैथी की वजह से, व्यक्ति को इंफ़ेक्शन के बहुत बढ़ जाने और आसानी से ठीक न होने तक परेशानी महसूस नहीं होती, जिससे गैंग्रीन हो जाता है। जिन लोगों को डायबिटीज नहीं होता उनकी तुलना में, डायबिटीज से प्रभावित लोगों का पैर या टांग काटने की संभावना 30 गुना ज़्यादा होती है।

पैरों की देखभाल बहुत ज़रूरी है (पैरों की देखभाल) देखें। पैरों को चोट से बचाना चाहिए और त्वचा को एक अच्छे मॉइस्चराइजर से नम रखना चाहिए। जूते आपके पैरों में अच्छे से फिट होने चाहिए और उनसे कुछ जगहों में जलन नहीं होनी चाहिए। जूतों में उचित कुशनिंग होनी चाहिए, ताकि खड़े रहने से बनने वाले प्रेशर को फैला सके। नंगे पैर चलना अच्छी सलाह नहीं मानी जाती। पोडियाट्रिस्ट (पैरों की देखभाल में विशेषज्ञता रखने वाला डॉक्टर) की नियमित देखभाल, जैसे पैर के नाखूनों को काटना और कॉलस को हटाने से भी मदद मिल सकती है। साथ ही, पैरों की संवेदना और रक्त प्रवाह नियमित तौर पर डॉक्टर से जांच कराना चाहिए।

टेबल
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डायबिटीज की जटिलताओं की निगरानी करना और उनसे बचना

निदान के समय पर और फिर वर्ष में कम से कम एक बार, टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों की निगरानी डायबिटीज की जटिलताओं, जैसे कि किडनी, आँख और तंत्रिका में क्षति के लिए की जाती है। टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में, निदान के 5 साल बाद डॉक्टर जटिलताओं की निगरानी करना शुरू करते हैं। विशेष स्क्रीनिंग टेस्ट में ये शामिल हैं:

  • संवेदना की जांच करने और संचार में समस्या के संकेत (अल्सर, बालों का झड़ना) देखने के लिए पैरों की जांच

  • आँखों की जांच (आँखों के विशेषज्ञ द्वारा की जाती है)

  • किडनी के काम के लिए यूरिन और ब्लड टेस्ट

  • कोलेस्ट्रोल लेवल के लिए ब्लड टेस्ट

  • कभी-कभी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम

ब्लड ग्लूकोज़ को सख्ती से नियंत्रित करके या दवाओं से जल्द इलाज शुरू करके, जटिलताओं को गंभीर होने से रोका जा सकता है या कुछ समय तक टाला जा सकता है। डॉक्टर को मिलने पर हर बार दिल की समस्या के जोखिम कारकों, जैसे बढ़े हुए ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल के उच्च स्तर का मूल्यांकन किया जाता है और ज़रूरत पड़ने पर दवाई से इलाज किया जाता है।

पैरों की उचित देखभाल और आँखों की जांच से डायबिटीज की तात्कालिक जटिलताओं को रोका या टाला जा सकता है।

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया, हैपेटाइटिस B और कोविड-19 का वैक्सीनेशन किया जाता है और डॉक्टर आमतौर पर उन्हें सालाना फ़्लू वैक्सीनेशन लगाने की सलाह देते हैं, क्योंकि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को इंफ़ेक्शन होने का खतरा ज़्यादा रहता है।

हाई ब्लड प्रेशर और हाइ कोलेस्ट्रोल स्तर का इलाज करने डायबिटीज की कुछ जटिलताओं से बचने में भी मदद मिलती है, इनसे संचार से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है। 40 से 75 साल के जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें कोलेस्ट्रोल लेवल और कार्डियोवैस्कुलर के खतरे को कम करने के लिए स्टेटिन थेरेपी दी जाती है। 40 साल से कम उम्र या 75 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों और दिल के रोग की ज़्यादा संभावना वाले व्यक्ति को भी स्टेटिन लेना चाहिए।

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अन्य समस्या मसूड़ों का रोग (जिंजिवाइटिस) होता है और इन्हें साफ़ कराने और बचाव की देखभाल के लिए डेंटिस्ट से मिलना भी ज़रूरी है।

क्या आप जानते हैं...

  • जो लोग अपने खून में ग्लूकोज़ की मात्रा को पूरी तरह नियंत्रित कर पाते हैं, वे डायबिटीज की जटिलताओं को कम करने या टालने में सक्षम हो पाते हैं।

हाइपोग्लाइसीमिया से बचना

ब्लड ग्लूकोज़ को सख्ती से नियंत्रित करने की चुनौतियों में एक यह है कि कुछ आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीहाइपरग्लाइसेमिक दवाओं (जैसे कि इंसुलिन या सल्फ़ोनिलयूरियास) से भी ब्लड ग्लूकोज़ का लेवल कम (हाइपोग्लाइसीमिया) होता है। रक्त में ग्लूकोज़ की कमी का पता लगाना इसलिए ज़रूरी होता है, क्योंकि हाइपोग्लाइसीमिया का उपचार जीवनरक्षक होता है। लक्षणों में भूख का दर्द, दिल की तेज़ धड़कन, कंपकंपी, पसीना आना और स्पष्ट तौर पर सोच न पाना शामिल हैं।

अगर हाइपोग्लाइसीमिया बहुत गंभीर हो, शरीर में तुरंत शुगर पहुंचनी चाहिए, ताकि स्थायी क्षति से बचा जा सके और लक्षणों में आराम मिल सके। अधिकांशत:, व्यक्ति मीठा खा सकता है। लगभग सभी तरह की शुगर ली जा सकती है, हालांकि टेबल शुगर से ज़्यादा जल्दी ग्लूकोज़ काम करता है (आमतौर पर टेबल शुगर सुक्रोज़ होती है)। डायबिटीज से पीड़ित ज़्यादातर लोग अपने पास ग्लूकोज़ की गोलियां या ग्लूकोज़ जैल पैक रखते हैं। अन्य विकल्प हैं एक गिलास दूध (जिसमें लैक्टोज़, एक तरह की शुगर), चीनी का पानी या फ़्रूट जूस पीना या फिर केक का टुकड़ा, कुछ फल या अन्य मीठी चीज़ खाना। ज़्यादा गंभीर समस्याओं में, इमरजेंसी मेडिकल प्रैक्टिशनर शिरा में ग्लूकोज़ इंजेक्ट कर देते हैं।

हाइपोग्लाइसीमिया का एक अन्य इलाज ग्लूकागॉन का इस्तेमाल है। ग्लूकागॉन को मांसपेशी में लगाया जाता है या नेज़ल पाउडर की तरह सूंघा जाता है और इससे लिवर बड़ी मात्रा में ग्लूकोज़ बनाता है। जिन लोगों का ब्लड ग्लूकोज़ लेवल कम हो जाता है उनके लिए इमरजेंसी में इस्तेमाल करने के लिए, ग्लूकागॉन से भरी एक सिरिंज या ऑटोइंजेक्टर पेन वाली एक छोटी ट्रांसपोर्टेबल किट उपलब्ध है, जो कि तब इस्तेमाल की जाती है, जब मुंह से शुगर नहीं ली जा सकती।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल उत्तरदायी नहीं है।

  1. American Diabetes Association: डायबिटीज के साथ जीने के संसाधनों सहित डायबिटीज पर पूरी जानकारी

  2. JDRF (previously called Juvenile Diabetes Research Foundation): टाइप 1 डायबिटीज मैलिटस के बारे में सामान्य जानकारी

  3. National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases: डायबिटीज के बारे में सामान्य जानकारी, जिसमें नवीनतम अनुसंधान और सामुदायिक पहुंच कार्यक्रम शामिल हैं

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