सैफ़ेलोस्पोरिन

इनके द्वाराBrian J. Werth, PharmD, University of Washington School of Pharmacy
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जून २०२२ | संशोधित सित॰ २०२२

सैफ़ेलोस्पोरिन एंटीबायोटिक्स का एक उपवर्ग है जिसे बीटा-लैक्टम एंटीबायोटिक्स कहा जाता है (ऐसी एंटीबायोटिक्स जिनमें बीटा-लैक्टम रिंग नामक रासायनिक संरचना होती है)। बीटा-लैक्टम एंटीबायोटिक्स में कार्बापेनेम्स, मोनोबैक्टम और पेनिसिलिन भी शामिल हैं।

सैफ़ेलोस्पोरिन के पांच मुख्य वर्गीकरण या पीढ़ियां हैं। अलग-अलग पीढ़ियां, अलग-अलग प्रकार के बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी हैं।

अधिकांश बैक्टीरिया में एक बाहरी आवरण (कोशिका की दीवार) होता है जो उनकी रक्षा करता है। अन्य बीटा-लैक्टम एंटीबायोटिक्स की तरह, सैफ़ेलोस्पोरिन बैक्टीरिया को इस कोशिका भित्ति को बनाने से रोककर काम करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बैक्टीरिया की मृत्यु हो जाती है।

चूंकि सैफ़ेलोस्पोरिन संरचनात्मक रूप से पेनिसिलिन के समान होते हैं, इसलिए ऐसे कुछ लोग जिनमें पेनिसिलिन से एलर्जिक प्रतिक्रिया होती है, उनमें कुछ में सैफ़ेलोस्पोरिन के लिए एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है। एक स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सक उन लोगों में विशिष्ट एंटीबायोटिक्स के बीच एलर्जी क्रॉस-रिएक्टिविटी के जोखिम का आकलन करने में मदद कर सकता है, जो मानते हैं कि उन्हें एलर्जी की प्रतिक्रिया हुई है।

टेबल

(एंटीबायोटिक्स का विवरण भी देखें।)

गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सैफ़ेलोस्पोरिन का उपयोग

सैफ़ेलोस्पोरिन गर्भावस्था के दौरान उपयोग करने के लिए सबसे सुरक्षित एंटीबायोटिक्स में से एक है, लेकिन इसमें भी जोखिम होता है। प्रत्येक दवा थोड़ी अलग होती है और सबके अलग-अलग दुष्प्रभाव हो सकते हैं। (गर्भावस्था के दौरान दवाओं का उपयोग भी देखें।)

स्तनपान के दौरान सैफ़ेलोस्पोरिन का उपयोग करने से बचा जाता है, क्योंकि ये दवाएँ बच्चे के पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती हैं। (स्तनपान के दौरान दवाओं का उपयोग भी देखें।)