डीप वेन थ्रॉम्बॉसिस (DVT)

(डीप वेन थ्रॉम्बोसिस)

इनके द्वाराJames D. Douketis, MD, McMaster University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया दिस॰ २०२३

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस में, आमतौर से पैरों की गहरी शिराओं में खून के थक्के (थ्रॉम्बाई) बनते हैं।

  • यदि शिरा जख्मी हो जाती है, किसी विकार के कारण खून जम जाता है, या कोई चीज खून के हृदय को लौटने की रफ्तार को मंद कर देती है, तो शिराओं में खून के थक्के बन सकते हैं।

  • खून के थक्कों के कारण पैर या बांह में सूजन हो सकती है।

  • खून का थक्का टूट कर अलग हो सकता है और फेफड़ों में जा सकता है, जिसे पल्मोनरी एम्बॉलिज्म कहते हैं।

  • डीप वेन थ्रॉम्बोसिस का पता लगाने के लिए डॉप्लर अल्ट्रासोनोग्राफी और रक्त परीक्षणों का उपयोग किया जाता है।

  • थक्के के आकार को बढ़ने से रोकने और पल्मोनरी एम्बॉलिज्म की रोकथाम के लिए एंटीकोएग्युलैंट दवाइयों का उपयोग किया जाता है।

शिराओं के दो मुख्य प्रकार हैं, सतही और गहरी। सतही शिराएं त्वचा के नीचे फैट की परत में स्थित होती हैं। गहरी शिराएं मांसपेशियों में और हड्डियों के बगल में स्थित होती हैं। (शिरा प्रणाली का अवलोकन भी देखें।)

खून के थक्के (थ्रॉम्बाई) गहरी शिराओं में हो सकते हैं, जिसे डीप वेन थ्रॉम्बोसिस कहते हैं, या सतही शिराओं में हो सकते हैं जिसे सुपरफिशियल वीनस थ्रॉम्बोसिस कहते हैं। सतही शिराएं आमतौर से थक्कों के निर्माण (थ्रॉम्बोसिस) के बिना भी सूजनग्रस्त होती हैं, थक्का बनने और शोथ के संयोजन को सुपरफिशियल थ्रॉम्बोफ्लेबाइटिस कहते हैं।

वीनस थ्रॉम्बोएम्बोलिज़्म (VTE), वह ब्लड क्लॉट होता है, जो शिरा से शुरू होता है और फिर टूट कर रक्त की धारा में चला जाता है और आम तौर पर फेफड़ों में पहुँच जाता है (पल्मोनरी एम्बोलिज़्म)। चूंकि लगभग कोई भी क्लॉट (थ्रॉम्बस) टूट कर अलग हो सकता है और एम्बोलिज़्म बन सकता है, इसलिए डॉक्टर कभी-कभी डीप वेन थ्रॉम्बोसिस को थ्रॉम्बोएम्बोलिक रोग भी कहते हैं।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस अधिकतर पैरों या श्रोणि क्षेत्र में होती है लेकिन कभी-कभार बाहों में भी विकसित हो सकती है।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के कारण

तीन मुख्य कारक डीप वेन थ्रॉम्बोसिस में योगदान कर सकते हैं:

  • शिरा के अस्तर में चोट

  • रक्त के जमने की प्रवृत्ति में वृद्धि

  • रक्त के प्रवाह का धीमा होना

शिरा में चोट

शिराएं सर्जरी के दौरान या बांह या पैर में चोट लगने के दौरान, जलन पैदा करने वाले पदार्थों के इंजेक्शन के द्वारा, सूजन के द्वारा, या थ्रॉम्बोएंजाइटिस ऑब्लिटरैंस नामक कुछ विकारों द्वारा क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। वे किसी थक्के से भी जख्मी हो सकती है, जिससे दूसरे थक्के के बनने की संभावना बढ़ जाती है।

रक्त के जमने की प्रवृत्ति में वृद्धि

कुछ विकारों, जैसे कि कैंसर और खून के जमने के कुछ वंशानुगत विकार, के कारण खून तब जमने लगता है जब उसे जमना नहीं चाहिए। कुछ दवाइयाँ, जैसे कि मुंह से ली जाने वाली गर्भ-निरोधक दवाएँ, एस्ट्रोजन थेरेपी या एस्ट्रोजन की तरह काम करने वाली दवाएँ (जैसे कि टेमोक्सीफ़ेन या रेलोक्सोफ़ीन) आसानी से ब्लड क्लॉट बना सकती हैं। धूम्रपान भी एक जोखिम कारक है। कभी-कभी बच्चे के जन्म या सर्जरी के बाद खून अधिक आसानी से जमने लगता है। बुजुर्ग लोगों में, अक्सर डिहाइड्रेशन के कारण ब्लड क्लॉट बनते हैं और इससे उनमें डीप वेन थ्रॉम्बोसिस की समस्या हो सकती है।

रक्त के प्रवाह का धीमा होना

लंबे समय तक बिस्तर पर रहने के दौरान और ऐसी अन्य स्थितियों में, जब पैर सामान्य रूप से हिलते-डुलते नहीं हैं, तब रक्त का प्रवाह मंद हो जाता है, क्योंकि व्यक्ति लेटा हुआ रहता है और पिंडली की मांसपेशियाँ संकुचित होकर और दबकर रक्त को हृदय की तरफ नहीं भेजती हैं। उदाहरण के लिए, डीप वेन थ्रॉम्बोसिस उन लोगों में उत्पन्न हो सकता है, जिन्हें दिल का दौरा पड़ा हो या कोई दूसरा गंभीर विकार (जैसे कि हार्ट फ़ेल, क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग [COPD] या आघात) हुआ हो और वे पैरों को पर्याप्त रूप से हिलाए बिना कई दिनों तक अस्पताल में रह रहे हों या उन लोगों में उत्पन्न हो सकता है, जिनके पैर और शरीर का निचला हिस्सा लकवा-ग्रस्त होता है (पैराप्लेजिया)। डीप वेन थ्रॉम्बोसिस बड़ी सर्जरी, खास तौर से श्रोणि प्रदेश, कूल्हे, या घुटने की सर्जरी के बाद विकसित हो सकती है। थ्रॉम्बोसिस लंबे समय तक बैठे रहने वाले स्वस्थ लोगों को भी हो सकता है, जैसे लंबी कार यात्रा या हवाई उड़ान के दौरान, लेकिन इस परिस्थिति में थ्रॉम्बोसिस होना बेहद असामान्य है और ऐसे में यह आम तौर पर तब होता है, जब व्यक्ति को अन्य जोखिम कारक भी हों।

क्या आप जानते हैं...

  • हालांकि यह असामान्य है, थ्रॉम्बोसिस ऐसे स्वस्थ लोगों में हो सकती है जो लंबे समय तक बैठे रहते हैं, जैसे कि लंबी कार यात्रा या उड़ान के दौरान।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस की जटिलताएँ

हालांकि डीप वेन थ्रॉम्बोसिस असहज होती है, मुख्य चिंता इससे होने वाली जटिलताओं से होती है जिनमें शामिल हैं

पल्मोनरी एम्बॉलिज़्म

जिन लोगों को डीप वेन थ्रॉम्बोसिस होती है, उनमें पैर की प्रभावित शिरा से खून का थक्का टूट कर अलग हो सकता है। जो थक्का टूट कर अलग हो जाता है वह एम्बोलस कहलाता है। एम्बोलस रक्त की धारा में से यात्रा करके, हृदय से होते हुए, फेफड़ों में पहुँच सकता है, जहाँ वह फेफड़े की किसी रक्त वाहिका में फँस जाता है और फेफड़े के किसी भाग में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध कर देता है। इस ब्लॉकेज को पल्मोनरी एम्बॉलिज्म कहते हैं और यह जानलेवा हो सकता है, जो कि एम्बोलस और फेफड़े की अवरुद्ध धमनी के आकार पर निर्भर करता है। सुपरफिशियल वीनस थ्रॉम्बोसिस में होने वाले खून के छोटे थक्के आमतौर से एम्बोलाई में नहीं बदलते हैं। इस तरह से, केवल गहरी शिराओं के थ्रॉम्बस संभावित रूप से खतरनाक होते हैं।

पैरों या श्रोणि प्रदेश के खून के थक्कों के बाहों के थक्कों की तुलना में एम्बोलाई में बदलने की अधिक संभावना होती है, शायद इसलिए कि पिंडली की मांसपेशियों की दबाने की क्रिया गहरी शिरा में खून के थक्के को अपने स्थान से हटा सकती हैं।

पल्मोनरी एम्बॉलिज्म के परिणाम एम्बोलाई के आकार और संख्या पर निर्भर होते हैं।

  • कोई छोटा सा एम्बोलस फेफड़ों की छोटी धमनी को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे फेफड़े के ऊतक के छोटे से भाग की मृत्यु हो जाती है (इसे पल्मोनरी इन्फार्क्शन कहते हैं)।

  • फेफड़े का बड़ा एम्बोलस हृदय के दायें ओर से फेफड़ों को जाने वाले सारे या लगभग सारे रक्त को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे निम्न रक्तचाप, ऑक्सीजन के स्तरों में गिरावट, और तत्काल मृत्यु हो सकती है।

बड़े पैमाने के एम्बोलाई आम नहीं हैं, लेकिन कोई भी पहले से पूर्वानुमान नहीं कर सकता है कि डीप वेन थ्रॉम्बोसिस का कौन सा मामला, उपचार न करने पर, बड़ा एम्बोलस उत्पन्न करेगा।

एकाधिक एम्बोलाई बन सकते हैं। एकाधिक एम्बोलाई आमतौर से फेफड़े के अलग-अलग भागों में जाते हैं।

कभी-कभी, लोगों में हृदय के दायें और बायें ऊपरी कक्षों (आलिंद) के बीच एक असामान्य छेद होता है, जिसे पेटेंट फोरामेन ओवेल कहते हैं। यदि यह छेद मौजूद है, तो एम्बोलस धमनियों के संचरण में जा सकता है और शरीर के किसी अन्य भाग, जैसे कि मस्तिष्क की धमनी को अवरुद्ध कर सकता है, जहाँ इसके कारण स्ट्रोक हो जाता है।

दीर्घकालिक शिरीय अपर्याप्तता

कुछ खून के थक्के क्षतचिह्नों वाले ऊतक में बदल कर ठीक होते हैं, जिससे शिराओं के वाल्व क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। क्षतिग्रस्त वाल्व शिराओं को सामान्य रूप से काम करने से रोकते हैं, इस विकार को क्रोनिक शिरापरक अपर्याप्तता कहा जाता है। इस विकार में, तरल जमा होता है (जिसे एडीमा कहते हैं) और टखना और कभी-कभी पैर का निचला हिस्सा सूज जाता है। त्वचा पर पपड़ी बन सकती हैं, खुजली हो सकती है और गोरी त्वचा होने पर उसका रंग लाल-भूरा या काली त्वचा होने पर उसका रंग बैंगनी और/या भूरा हो सकता है।

इस्कीमिया (रक्त प्रवाह का अभाव)

दुर्लभ रूप से, किसी पैर में होने वाला बहुत बड़ा खून का थक्का इतनी ज्यादा सूजन पैदा करता है कि पैर में से रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। पैर फीका या नीला हो जाता है और उसमें बहुत अधिक दर्द होता है। रक्त का प्रवाह ठीक नहीं होने पर गैंग्रीन (ऊतक की मृत्यु) हो सकता है।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के लक्षण

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस वाले लगभग आधे लोगों को कोई भी लक्षण नहीं होते हैं। इन लोगों में पल्मोनरी एम्बॉलिज्म से उत्पन्न सीने में दर्द या सांस लेने में कठिनाई पहला संकेत हो सकती है कि खून का थक्का मौजूद है। अन्य लोगों में, यदि पैर की कोई गहरी शिरा प्रभावित होती है, तो पिंडली सूज जाती है और उसमें दर्द हो सकता है, छूने पर कोमलता हो सकती है, और वह गर्म लग सकती है। कौन सी शिराएं प्रभावित हुई हैं, इस पर निर्भर करते हुए टखना, पाँव, या जाँघ भी सूज सकती है। इसी तरह से, यदि बांह की कोई शिरा प्रभावित है, तो बांह सूज सकती है।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस का निदान

  • डॉपलर अल्ट्रासोनोग्राफ़ी

  • डी-डाइमर मापने के लिए रक्त परीक्षण

डॉक्टरों के लिए डीप वेन थ्रॉम्बोसिस का पता लगाना कठिन हो सकता है, खास तौर से जब दर्द और सूजन उपस्थित नहीं होती है या बहुत थोड़ी सी होती है। जब इस विकार का संदेह होता है, तो निदान की पुष्टि करने के लिए डॉप्लर अल्ट्रासोनोग्राफी का अक्सर उपयोग किया जाता है।

कभी-कभी डॉक्टर डी-डाइमर नामक एक पदार्थ, जो खून के थक्कों से निकलता है, को मापने के लिए एक रक्त परीक्षण करते हैं। अगर रक्त में D-डाइमर का स्तर नहीं बढ़ा है, तो व्यक्ति को शायद डीप वेन थ्रॉम्बोसिस नहीं है।

प्रयोगशाला परीक्षण

यदि व्यक्ति में पल्मोनरी एम्बोलिज़्म के लक्षण हैं, तो पल्मोनरी एम्बोलिज़्म का पता लगाने के लिए कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) एंजियोग्राफ़ी या बहुत कम मामलों में रेडियोएक्टिव मार्कर का इस्तेमाल करके न्यूक्लियर लंग स्कैनिंग की जाती है। पैरों में रक्त के थक्कों की जाँच करने के लिए डॉप्लर अल्ट्रासोनोग्राफ़ी की जाती है। उस स्थिति को छोड़कर जब कोई व्यक्ति बहुत ही कम रक्तचाप या बहुत ही कम ऑक्सीजन स्तरों के कारण गिर जाता है, ये प्रक्रियाएं की जाती हैं। व्यक्ति के गिर जाने का मतलब है कि पल्मोनरी एम्बॉलिज्म बहुत बड़ी है और उसे तत्काल उपचार की जरूरत है।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस का उपचार

  • एंटीकोएग्युलैंट दवाइयाँ (इन्हें कभी-कभी ब्लड थिनर्स कहते हैं)

  • कभी-कभी, थक्के को घोलने वाली दवाइयाँ

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के लिए, डॉक्टर का मुख्य लक्ष्य पल्मोनरी एम्बॉलिज्म की रोकथाम करना होता है। शुरुआत में मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करना ज़रूरी हो सकता है, लेकिन डीप वेन थ्रॉम्बोसिस से पीड़ित ज़्यादातर लोगों का इलाज घर पर ही किया जा सकता है। केवल लक्षणों में राहत दिलाने के उद्देश्य से बिस्तर में आराम की जरूरत होती है। लोग चाहे जितना सक्रिय बने रह सकते हैं। शारीरिक गतिविधि इस बात के जोखिम को नहीं बढ़ाती है कि खून का कोई थक्का टूट कर अलग हो जाएगा और पल्मोनरी एम्बॉलिज्म पैदा कर देगा।

उपचार में आमतौर से शामिल हैं

  • एंटीकोग्युलेन्ट दवाएँ (सबसे सामान्य)

  • थक्के को घोलने वाली दवाइयाँ

  • दुर्लभ रूप से, थक्कों को अवरुद्ध करने वाला फिल्टर (अम्ब्रेला)

क्या आप जानते हैं...

  • डीप वेन थ्रॉम्बोसिस वाले लोग चाहे जितना सक्रिय रह सकते हैं। शारीरिक गतिविधि इस बात के जोखिम को नहीं बढ़ाती है कि खून का कोई थक्का टूट कर अलग हो जाएगा और पल्मोनरी एम्बॉलिज्म पैदा कर देगा।

एंटीकोग्युलेन्ट दवाएँ

एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं को कभी-कभी रक्त को पतला करने की दवाएँ भी कहा जाता है। वे खून की जमने की क्षमता को कम करती हैं, इसलिए वे नए थक्कों को बनने से और मौजूदा थक्कों को बड़ा होने से रोक सकती हैं। वे उन थक्कों को नहीं तोड़ती हैं या घोलती हैं जो पहले से बन चुके हैं। डीप वेन थ्रॉम्बोसिस से पीड़ित सभी लोगों को एंटीकोग्युलेन्ट दवाएँ दी जाती हैं।

डॉक्टर आम तौर पर हैपेरिन (अखंडित या कम आणविक भार वाला) या फ़ॉन्डेपैरीनक्स का इंजेक्शन त्वचा के नीचे (सबक्यूटेनियस तरीके से) लगाते हैं और इसके बाद लंबे समय के इलाज के लिए मुंह से ली जाने वाली एंटीकोग्युलेन्ट दवा दी जाती है। इंजेक्शन के रूप में दी जाने वाली दवा तुरंत अपना काम शुरू कर देती है, लेकिन जो लोग वारफ़ेरिन का इस्तेमाल करने जा रहे हैं, उनमें इसका असर दिखने में कई दिन लग सकते हैं और व्यक्ति को इंजेक्शन से एंटीकोग्युलेन्ट लेने के साथ-साथ इसे लेना भी शुरू कर देना चाहिए। जब वारफ़ेरिन का असर शुरू हो जाता है, तब लोग इंजेक्शन वाली दवा लेना बंद कर देते हैं। प्रत्यक्ष मौखिक एंटीकोएग्युलैंट (DOAC) वारफैरिन का विकल्प हैं। रिवारोक्साबैन, एपिक्साबैन, इडॉक्साबैन, और डैबिगैट्रान प्रत्यक्ष मौखिक एंटीकोएग्युलैंट हैं। इन दवाओं का एंटीकोग्युलेन्ट असर वारफ़ेरिन से अधिक तेज़ी से होता है और ये ब्लड क्लॉट के इलाज में वारफ़ेरिन के बराबर ही असरदार होती हैं। हालांकि, कुछ DOAC को शुरू करने से पहले कुछ दिन तक इंजेक्शन वाली दवाओं से इलाज करना ज़रूरी होता है।

जिन लोगों में रक्त के थक्कों का संबंध कैंसर से हो सकता है, उनके लिए कई डॉक्टर वारफ़ेरिन का इस्तेमाल करने के बजाय इंजेक्शन से दी जाने वाली दवाओं या DOAC का इस्तेमाल करने को प्राथमिकता दे सकते हैं। हालांकि, ऐसे मामलों के लिए वारफ़ेरिन अच्छा विकल्प हो सकता है।

लोगों को एंटीकोग्युलेन्ट लेना कब तक जारी रखना चाहिए (वारफ़ेरिन या इंजेक्शन से दी जाने वाली दवा के साथ), यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें जोखिम कितना अधिक है। जिन लोगों को किसी खास और अस्थायी कारण से डीप वेन थ्रॉम्बोसिस हुआ हो (जैसे कि सर्जरी के कारण या कोई दवाई लेना बंद करने के कारण), उन्हें आम तौर पर 3 से 6 महीने तक एंटीकोग्युलेन्ट लेने होते हैं। जब किसी खास कारण का पता नहीं चलता है, तब उन्हें आम तौर पर कम से कम 6 महीने तक एंटीकोग्युलेन्ट लेने होते हैं। अगर कारण अस्थायी नहीं हो (जैसे कि ब्लड क्लॉट बनने का विकार) या अगर लोगों को डीप वेन थ्रॉम्बोसिस दो या इससे अधिक बार हो चुका हो, तो उन्हें एंटीकोग्युलेन्ट लेना अनिश्चित समय तक जारी रखना चाहिए।

एंटीकोग्युलेन्ट का इस्तेमाल आंतरिक और बाहरी, दोनों तरह के रक्तस्राव का जोखिम बढ़ा देता है। इस जोखिम को कम से कम करने के लिए, वारफ़ेरिन लेने वाले लोगों को यह जानने के लिए समय-समय पर रक्त परीक्षण करवाने चाहिए कि उनका रक्त कितना एंटीकोग्युलेन्ट हुआ है। फिर डॉक्टर वारफैरिन की खुराक को समायोजित करने के लिए रक्त परीक्षण के परिणाम का उपयोग करते हैं। रक्त परीक्षण आमतौर से 1 या 2 महीने तक सप्ताह में एक या दो बार, और फिर हर 4 से 6 सप्ताह में किए जाते हैं।

कई अलग-अलग दवाओं और खाद्य पदार्थों से यह निर्धारित होता है कि शरीर वारफ़ेरिन का विघटन कैसे करेगा (यह भी देखें दवाओं की पारस्परिक क्रियाएं)। कुछ दवाइयाँ और खाद्य पदार्थ इसके विघटन को बढ़ाते हैं, जिससे वारफ़ेरिन की खुराक कम असरदार हो जाती है तथा एक और ब्लड क्लॉट बनने का जोखिम बढ़ जाता है। कुछ अन्य दवाएँ और खाद्य पदार्थ वारफ़ेरिन के विघटन को धीमा कर देते हैं, जिससे खुराक अधिक असरदार हो जाती है, लेकिन इससे रक्तस्राव होने की संभावना भी बढ़ जाती है। कुछ लोग वारफैरिन के प्रति अधिक संवेदनशील भी हो सकते हैं और उनके स्तरों को समायोजित करने में डॉक्टरों की मदद करने के लिए वारफैरिन-संवेदनशीलता परीक्षण की जरूरत हो सकती है।

लोगों के रक्त पर प्रत्यक्ष मौखिक एंटीकोएग्युलैंट का असर वारफैरिन के असर से अधिक पूर्वानुमेय है। इसलिए, वारफैरिन लेने वाले लोगों के विपरीत, प्रत्यक्ष मौखिक एंटीकोएग्युलैंट लेने वाले लोगों को खुराक को समायोजित करने के लिए बार-बार रक्त परीक्षण नहीं करवाने पड़ते हैं। यही नहीं, प्रत्यक्ष मौखिक एंटीकोएग्युलैंट्स के साथ वारफैरिन की तुलना में गंभीर रक्तस्राव की घटनाएं कम होती हैं। हालांकि, DOAC से होने वाले रक्तस्राव को रोकना अधिक मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इन दवाइयों के एंटीडोट, वारफ़ेरिन के एंटीडोट की तरह हर जगह आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं।

बहुत ज़्यादा रक्तस्राव, जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है, एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं से होने वाली सबसे आम समस्या है। बहुत ज़्यादा रक्तस्राव का जोखिम उन लोगों को अधिक होता है, जिनकी उम्र 65 वर्ष या इससे अधिक होती है या जिन्हें

वारफैरिन लेने वाले लोगों के लिए, वारफैरिन के प्रभावों को समाप्त करने और रक्तस्राव को रोकने के लिए डॉक्टर विटामिन K दे सकते हैं, प्लाज्मा (जिसमें क्लॉटिंग फैक्टर होते हैं) चढ़ा सकते हैं, या प्रोथ्रॉम्बिन कॉम्प्लेक्स कॉंन्सेंट्रेट दे सकते हैं। जो लोग हेपैरिन ले रहे हैं, उनके लिए डॉक्टर प्रभावों को आंशिक रूप से समाप्त करने के लिए प्रोटामीन दे सकते हैं।

कुछ तरह के प्रत्यक्ष मौखिक एंटीकोएग्युलैंट लेने वाले लोगों के लिए, डॉक्टर प्रत्यक्ष मौखिक एंटीकोएग्युलैंट्स के प्रभावों को समाप्त करने और रक्तस्राव रोकने के लिए एंडेक्सैनेट अल्फा या प्रोथ्रॉम्बिन कॉम्प्लेक्स कॉंन्सेंट्रेट दे सकते हैं।

थक्के को अवरुद्ध करने वाला फिल्टर

बहुत कम मामलों में, डॉक्टर एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं के विकल्प के तौर पर हृदय और डीप वेन थ्रॉम्बोसिस से प्रभावित क्षेत्र के बीच की किसी बड़ी शिरा, जैसे कि इन्फ़ीरियर वेना केवा में एक फ़िल्टर (जिसे पहले अम्ब्रेला कहा जाता था) लगा देते हैं। इन्फीरियर वेना केवा एक बड़ी शिरा है जो शरीर के निचले भाग से रक्त को हृदय में वापस ले जाती है। यह फिल्टर एम्बोलाई को फंसा सकता है, जिससे वे फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाते हैं।

हालांकि, एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं के विपरीत, ये फ़िल्टर नए थक्कों का बनना नहीं रोकते हैं। फिल्टर आमतौर से उन लोगों में उपयोग किए जाते हैं जिनमें एंटीकोएग्युलैंट थेरेपी संभव नहीं है या असरदार नहीं है।

इन्फीरियर वेना केवा फिल्टर: पल्मोनरी एम्बॉलिज्म को रोकने का एक तरीका

जिन लोगों को डीप वेन थ्रॉम्बोसिस होती है, उनमें पैर की प्रभावित शिरा से खून का थक्का टूट कर अलग हो सकता है और रक्त की धारा के माध्यम से यात्रा कर सकता है। जो थक्का टूट कर अलग हो जाता है वह एम्बोलस कहलाता है।

एम्बोलस हृदय की तरफ जाता है और दायें आलिंद और निलय में से गुजरता है और फेफड़ों को रक्त ले जाने वाली पल्मोनरी धमनियों में से एक में चला जाता है। थक्का फेफड़े की किसी धमनी में बैठ सकता है और रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे पल्मोनरी एम्बॉलिज्म पैदा होती है। पल्मोनरी एम्बॉलिज्म जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि एम्बोलस कितना बड़ा है और अवरुद्ध धमनी का आकार कितना है।

पल्मोनरी एम्बोलिज़्म को रोकने के लिए, डॉक्टर आम तौर पर ऐसी दवाओं का उपयोग करते हैं, जो ब्लड क्लॉट बनने से रोकती हैं (एंटीकोग्युलेन्ट या रक्त को पतला करने वाली दवाइयाँ)। हालांकि, कुछ लोगों के लिए, डॉक्टर अनुशंसा कर सकते हैं कि इन्फीरियर वेना केवा में एक फिल्टर (जिसे पहले अम्ब्रेला कहते थे) अस्थायी या स्थायी रूप से लगाया जाए। इन्फीरियर वेना केवा एक बड़ी शिरा है जो शरीर के निचले भाग से रक्त को हृदय में वापस ले जाती है।

आमतौर पर, इस फ़िल्टर का इस्तेमाल करने का सुझाव तब दिया जाता है, जब एंटीकोग्युलेन्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जैसे कि तब जब किसी व्यक्ति को रक्तस्राव भी हो रहा हो। यह फिल्टर एम्बोलाई को उनके हृदय में पहुँचने से पहले फंसा सकता है लेकिन रक्त को मुक्त रूप से निकलने देता है। जो एम्बोलाई फंस जाते हैं वे कभी-कभी अपने आप घुल जाते हैं।

हालांकि, फिल्टर एम्बोलाई के जोखिम को पूरी तरह से समाप्त नहीं करते हैं। कभी-कभी पैरों की अन्य शिराएं बड़ी हो जाती हैं, जिससे रक्त और एम्बोलाई फिल्टर को बायपास कर देते हैं। यही नहीं, फिल्टर उखड़ सकते हैं या किसी थक्के से अवरुद्ध हो सकते हैं। पल्मोनरी एम्बॉलिज्म की रोकथाम करने में एंटीकोएग्युलैंट्स से उपचार की तुलना में फिल्टर बहुत कम असरदार होते हैं।

थक्के को घोलने वाली दवाइयाँ

कभी-कभी डॉक्टर शिराओं में मौजूद ब्लड क्लॉट को घोलने के लिए इंट्रावीनस दवाओं, जैसे कि आल्टेप्लेज़ का इस्तेमाल करते हैं। ये दवाएँ (जिन्हें थ्रॉम्बोलाइटिक, फ़ाइब्रिनोलाइटिक, या क्लॉट हटाने वाली दवाएँ भी कहा जाता है) ऐसे मरीज़ को दी जा सकती हैं, जिसके शरीर में कई थक्के बन गए हों, बशर्ते कि रक्त के थक्के 48 घंटों से कम समय पहले ही बने हों और व्यक्ति को बहुत ज़्यादा रक्तस्राव का जोखिम न हो। 48 घंटों के बाद, खून के थक्के में क्षतचिह्न वाला ऊतक विकसित होने लगता है, जिससे उसके घुलने की संभावना कम हो जाती है। थक्कों को घोलने वाली दवाइयों में रक्तस्राव की समस्याओं का अधिक जोखिम होता है।

जिन लोगों को पैर के ऊपरी भाग में बड़े थक्के होते हैं, उनमें डॉक्टर कभी-कभी मेकैनिकल रिमूवल विधियों के साथ संयोजन में थक्कों को घोलने वाली दवाइयों का उपयोग करते हैं। ऐसे मामलों में, डॉक्टर अवरुद्ध शिरा में एक छोटी, लचीली नली (कैथेटर) डालते हैं, फिर एक औजार से अधिक से अधिक थक्कों को निकालते हैं, और कैथेटर के माध्यम से थक्के को घोलने वाली दवाई प्रविष्ट करते हैं।

जटिलताओं का इलाज

पल्मोनरी एम्बोलिज़्म होने पर इलाज के तौर पर आम तौर पर ऑक्सीजन (आम तौर पर फ़ेस मास्क या नेज़ल प्रॉन्ग्स द्वारा), दर्द से राहत के लिए दर्द निवारक दवाएँ और एंटीकोग्युलेन्ट दवाएँ दी जाती हैं। यदि पल्मोनरी एम्बॉलिज्म जीवन के लिए खतरनाक है, तो थक्के को घोलने वाली दवाइयाँ दी जाती हैं या एम्बोलस को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है।

कुछ मामलों में डीप वेन थ्रॉम्बोसिस होने के बाद ये शिराएं कभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं होती हैं। यदि दीर्घकालिक शिरीय अपर्याप्तता विकसित होती है तो घुटने के नीचे पहनी जाने वाली इलास्टिक कम्प्रेशन स्टॉकिंग उपयोगी हो सकती हैं।

यदि त्वचा में दर्दनाक अल्सर (वीनस स्टैसिस अल्सर) विकसित होते हैं, तो ठीक से लगाए गए कम्प्रेशन बैंडेज मदद कर सकते हैं। जब ये बैंडेज सप्ताह में एक या दो बार सावधानीपूर्वक लगाए जाते हैं, तो अल्सर लगभग हमेशा ठीक हो जाता है क्योंकि शिराओं में रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है। फोड़ों में संक्रमण हो सकता है और बैंडेज को बदलते समय उस पर हर बार मवाद और दुर्गंध भरा स्राव दिखाई दे सकता है। त्वचा पर मौजूद मवाद और स्राव को साबुन और पानी से धोकर साफ किया जा सकता है। त्वचा की क्रीमों, बामों, और किसी भी तरह की त्वचा की दवाइयों का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।

जब शिराओं में रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है, तो अल्सर ठीक हो जाता है। अल्सर के ठीक होने के बाद, रोजाना इलास्टिक स्टॉकिंग पहनने से पुनरावर्तन की रोकथाम हो सकती है। स्टॉकिंग के बहुत ढीली होते ही उसे बदल देना चाहिए। संभव हो तो, व्यक्ति को 7 स्टॉकिंग या 7 जोड़ी स्टॉकिंग (दोनों पैरों में समस्या होने पर) खरीदनी चाहिए—ताकि सप्ताह में हर दिन अलग स्टॉकिंग को पहना जा सके और उनका असर लंबे समय तक बना रहे।

दुर्लभ रूप से, जो अल्सर ठीक नहीं होते हैं उन्हें ग्राफ्टिंग की जरूरत पड़ती है। ग्राफ्टिंग के बाद, अल्सरों के फिर से होने से रोकने के लिए इलास्टिक स्टॉकिंग पहननी चाहिए।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस की रोकथाम

हालांकि डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के जोखिम को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है, इसे कई तरीकों से कम किया जा सकता है।

  • निश्चलता की रोकथाम

  • एंटीकोग्युलेन्ट दवाएँ

  • इंटरमिटेंट न्यूमेटिक कम्प्रेशन डिवाइस

निवारणात्मक उपायों का चुनाव व्यक्ति के जोखिम कारकों और व्यक्तिगत विशेषताओं के आधार पर किया जाता है।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के निम्न जोखिम वाले लोग, जिन्हें लंबे समय तक अस्थायी रूप से निष्क्रिय रहना होता है, जैसे कि हवाई उड़ान के दौरान, और जो लोग कोई मामूली सर्जरी करवा रहे हैं लेकिन उन्हें डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के कोई अन्य जोखिम कारक नहीं हैं, सरल उपाय कर सकते हैं। ऐसे लोगों को लंबी उड़ानों के दौरान जागे होने के दौरान हर 30 मिनट में लगभग 10 बार अपने पैरों को ऊँचा करना, अपने टखनों को मोड़ना और सीधा करना, तथा हर 2 घंटे पर पैदल चलना और हाथ-पैर सीधे करना चाहिए।

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के अधिक जोखिम वाले लोगों को अतिरिक्त निवारणात्मक उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसे लोगों में शामिल हैं

  • मामूली सर्जरी करवाने वाले वे लोग जिन्हें डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के लिए विशिष्ट जोखिम कारक हैं (जैसे, कैंसर या रक्त का अत्यधिक जमना)

  • बड़ी सर्जरी करवाने वाले वे लोग जिन्हें जोखिम कारक नहीं हैं (खास तौर से ऑर्थोपीडिक सर्जरी)

  • गंभीर बीमारी के साथ अस्पताल में भर्ती होने वाले लोग (जैसे, दिल का दौरा या गंभीर चोट)

अधिक जोखिम वाले ऐसे लोगों को अपने पैर ऊँचे रखने चाहिए और यथासंभव शीघ्रता से चलना-फिरना शुरू करना चाहिए। इसके अलावा, एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं जैसे कि कम आणविक भार वाले हैपेरिन या सीधे मुंह से लिए जाने वाले एंटीकोग्युलेन्ट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। ये दवाइयाँ ब्लड क्लॉट बनने की क्षमता को कम करके डीप वेन थ्रॉम्बोसिस को होने से रोकती हैं, लेकिन इनके कारण बहुत ज़्यादा रक्तस्राव का थोड़ा-सा जोखिम होता है।

इंटरमिटेंट न्यूमेटिक कम्प्रेशन (IPC) में प्लास्टिक की खोखली लेगिंग्स को बार-बार फुलाने और हवा निकालने के लिए एक पंप का उपयोग किया जाता है। लेगिंग्स पिंडलियों को दबाती हैं और शिराओं को खाली करके थक्कों की रोकथाम करती हैं। जिन लोगों में रक्तस्राव का अधिक जोखिम होता है, जैसे कि जिन्हें गंभीर चोट लगी हो, वे एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं के साथ या एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं की उपलब्धता वाली उस जगह पर लेगिंग्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। सर्जरी करवाने वाले जिन लोगों में रक्तस्राव का अधिक जोखिम होता है, उन्हें लेगिंग्स सर्जरी से पहले, सर्जरी के दौरान और उसके बाद भी तब तक पहनाए रखी जाती हैं, जब तक कि वह व्यक्ति चलना फिरना न शुरू कर दे।

उच्च संपीड़न वाली इलास्टिक स्टॉकिंग (सपोर्ट होज़) लगातार पहनने से शिराएं थोड़ी सी संकरी हो जाती हैं और रक्त प्रवाह अधिक तेज रफ्तार से होता है। परिणामस्वरूप, खून जमने की संभावना कम हो जाती है। हालांकि, केवल इलास्टिक स्टॉकिंग, डीप वेन थ्रॉम्बोसिस से पर्याप्त सुरक्षा नहीं देती हैं। साथ ही, वे सुरक्षा की गलत अनुभूति दे सकती हैं, और रोकथाम के अन्य कारगर तरीकों को निरुत्साहित कर सकती हैं। यदि उन्हें ठीक से न पहना जाए, तो वे इकठ्ठी हो सकती हैं और पैरों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करके समस्या को बढ़ा सकती हैं।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Vascular Cures: Deep vein thrombosis: डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के जोखिम कारकों, निदान, और उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी