प्रतिरक्षा तंत्र शरीर के सभी ऊतकों को स्वस्थ बनाए रखने में एक अहम भूमिका निभाता है। प्रतिरक्षा तंत्र सूक्ष्मजीवों, बाहरी पदार्थों या कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं जैसे हमलावरों पर प्रतिक्रिया देता है और उन पर हमला करने के लिए शोथ को सक्रिय करता है। आम तौर पर प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया शरीर की रक्षा करती है और उसे ठीक होने में मदद देती है। हालांकि, कभी-कभी प्रतिरक्षा तंत्र आवश्यकता से अधिक प्रतिक्रिया देता है या उसकी प्रतिक्रिया ग़लती से स्वस्थ ऊतकों को निशाना बनाती है, जिससे तीव्र शोथ और नुक़सान होता है। प्रतिरक्षा तंत्र की ये असामान्य अनुक्रियाएँ हाइपरसेंसिटिविटी वाली प्रतिक्रियाएं कहलाती हैं। हाइपरसेंसिटिविटी वाली कुछ प्रतिक्रियाओं को एलर्जी कहते हैं, विशेष रूप से तब जब वे ऐसे पदार्थों से संपर्क के बाद होती हैं जो आम तौर पर सर्वाधिक लोगों को नुकसान नहीं पहुँचाते।
हाइपरसेंसिटिविटी से होने वाली प्रतिक्रियाएं त्वचा को लपेटे में ले सकती हैं और निम्नलिखित विकार कर सकती हैं:
त्वचा प्रतिरक्षा तंत्र की कई प्रकार की प्रतिक्रियाओं में शामिल हो सकती है, जिनमें से कई प्रतिक्रियाएं ददोरे करती हैं। "ददोरा" शब्द का अर्थ त्वचा के रंग में बदलाव (जैसे लालिमा) और/या उसकी सतही बनावट में बदलाव (जैसे उभार या सूजन) से है। कई रैश में खुजली होती है, जैसे कि वे जो अक्सर किसी एलर्जिक प्रतिक्रिया के बाद होते हैं, लेकिन कुछ रैश में दर्द होता है या कुछ में कोई भी संवेदना नहीं होती।
कभी-कभी किसी संक्रमण से, व्यक्ति द्वारा किसी पदार्थ को छूने या खाने से या व्यक्ति द्वारा ली गई किसी दवाई से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है, लेकिन कई बार डॉक्टरों को यह पता नहीं चल पाता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली ने ऐसी प्रतिक्रिया क्यों दी जिससे रैश हुआ।
कुछ ददोरे अधिकतर मामलों में बच्चों में होते हैं, वहीं कुछ अन्य ददोरे लगभग हमेशा ही वयस्कों में होते हैं।
हालांकि, प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया से त्वचा के कई विकार होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ विकार ऐसी चीज़ों से होते हैं जो प्रतिरक्षा तंत्र को शामिल किए बिना सीधे त्वचा को प्रभावित करती हैं। खुजली और/या रैश कर सकने वाली चीज़ों में कुछ रसायन, कॉस्मेटिक उत्पादों के घटक, कुछ दवाएँ, शारीरिक फ़्लूड (पसीना, मूत्र), अल्ट्रावायलेट प्रकाश, गर्मी, ठंड, रगड़ और अन्य चीज़ें शामिल हैं।
निदान
डॉक्टर की जांच
कभी-कभी बायोप्सी
हाइपरसेंसिटिविटी और प्रतिक्रियाशीलता के अधिकतर त्वचा विकारों, जिनसे ददोरे होते हैं, उनका निदान ददोरे की दिखावट पर आधारित होता है। ददोरों के कारण का ब्लड टैस्ट से अक्सर पता नहीं चल पाता है, इसलिए आम तौर पर ब्लड टैस्ट नहीं किए जाते।
हालांकि, लंबे समय तक बने रहने वाले रैश, खास तौर पर वे जिनमें उपचार से फ़ायदा नहीं होता है, उनकी वजह से डॉक्टर स्किन बायोप्सी कर सकते हैं जिसमें रैश से प्रभावित त्वचा का एक छोटा-सा टुकड़ा ब्लेड की मदद से निकाला जाता है और माइक्रोस्कोप से उसका परीक्षण किया जाता है।
उपचार
कारण पर निर्भर करता है
त्वचा की हाइपरसेंसिटिविटी और प्रतिक्रियाशीलता के विकारों का उपचार, उनके कारण पर निर्भर करता है, बशर्ते उसे पहचाना जा सकता हो।
कई मामलों में, दवाई रोक देना या ज्ञात उत्तेजक के संपर्क से बचना मात्र ही काफ़ी होता है।
जीवाणु संक्रमणों का उपचार एंटीबायोटिक्स से किया जाता है, और वायरल संक्रमणों का उपचार एंटीवायरल दवाओं से किया जा सकता है।
त्वचा पर लगाई जाने वाली अन्य दवाओं से लाभ मिल सकता है, और मुंह से ली जाने वाली कुछ अन्य दवाओं से लक्षणों में राहत मिल सकती है (उदाहरण के लिए, खुजली के लिए एंटीहिस्टामाइन दवाएँ)।
त्वचा की हाइपरसेंसिटिविटी के ज़्यादा गंभीर विकारों के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड या इम्यूनोसप्रेसेंट से उपचार करना ज़रूरी हो सकता है, ये दवाएँ शरीर की अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को घटाती हैं।