जॉक इच (टिनिया क्रूरिस)

इनके द्वाराDenise M. Aaron, MD, Dartmouth Geisel School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया सित॰ २०२३

जॉक इच जांघों के बीच वाले स्थान का डर्मेटोफ़ाइट (फ़ंगल) संक्रमण है।

  • टिनिया क्रूरिस के लक्षणों में खुजलीदार दाना शामिल है जिसमें दर्द हो सकता है।

  • डॉक्टर जांघों के बीच वाले स्थान की जांच के आधार पर निदान करते हैं।

  • इसके इलाज में, प्रभावित स्थानों पर लगाई जाने वाली या कभी-कभी मुंह से ली जाने वाली एंटीफंगल दवाएँ शामिल होती हैं।

(त्वचा के फ़ंगल संक्रमणों का विवरण भी देखे।)

टिनिया क्रूरिस एक प्रकार का डर्मेटोफ़ाइटोसिस है। टिनिया क्रूरिस मुख्य रूप से फ़ंगस ट्राइकोफाइटन से होता है।

यह संक्रमण पुरुषों में कहीं अधिक आम है, क्योंकि अंडकोष और जांघों के बीच नमी फंसी रह सकती है। टिनिया क्रूरिस अधिकतर गर्म मौसम में या गीले और कसे कपड़े पहनने पर होता है। मोटापाग्रस्त लोगों में इसका अधिक जोखिम होता है क्योंकि उनकी त्वचा की सलवटों में नमी ठहरी रहती है।

संक्रमण जननांग वाले स्थान की त्वचा की तहों में शुरू होता है और जांघों के ऊपरी अंदरूनी भाग तक फैल सकता है और दोनों किनारे पर हो सकता है। आम तौर पर अंडकोष प्रभावित नहीं होता या बहुत कम प्रभावित होता है। दाना का किनारा पपड़ीदार और गुलाबी होता है। टिनिया क्रूरिस में काफ़ी खुजली और दर्द हो सकता है।

यह संक्रमण अक्सर हो जाता है, विशेष रूप से उन लोगों में जिन्हें ओनिकोमाइकोसिस या एथलीट्स फ़ुट (टिनिया पेडिस) है, क्योंकि फ़ंगस संक्रमण के उन स्थानों से जांघों के बीच वाले स्थान तक फैल सकता है। गर्मियों के दौरान यह रोग अधिक भड़कता है।

जॉक इच का निदान

  • डॉक्टर द्वारा जांघों के बीच वाले स्थान की जांच

  • त्वचा की खुरचन की जांच

डॉक्टर शारीरिक जांच के आधार पर टिनिया क्रूरिस का निदान आम तौर पर आसानी से कर लेते हैं।

अगर निदान स्पष्ट न हो, तो डॉक्टर त्वचा की खुरचन लेकर उसे माइक्रोस्कोप से जांचते हैं, ताकि सुनिश्चित हो सके कि दाना किसी फ़ंगस के कारण ही हुआ है।

जॉक इच का इलाज

  • त्वचा पर लगाई या कभी-कभी मुंह से ली जाने वाली एंटीफंगल दवाएँ

टिनिया क्रूरिस के इलाज में किसी एंटीफंगल क्रीम या लोशन (जैसे मिकोनाजोल, नाफ़्टिफ़िन, कीटोकोनाज़ोल या क्लोट्राइमज़ोल) का इस्तेमाल किया जाता है। (त्वचा पर लगाई जाने वाली कुछ एंटीफंगल दवाएँ (टॉपिकल दवाएँ) तालिका भी देखें)।

जिन लोगों में संक्रमण बहुत फैल चुका है या जिनमें इससे ऐसे शोथ या संक्रमण हो गए हैं जिनका ठीक होना कठिन है उनमें मुंह से ली जाने वाली एंटीफंगल दवाओं (जैसे इट्राकोनाज़ोल या टर्बिनाफिन) की ज़रूरत पड़ सकती है।