एथलीट्स फ़ुट पंजों की त्वचा का एक डर्मेटोफ़ाइट (फ़ंगल) संक्रमण है।
टिनिया पेडिस के लक्षणों में पंजों पर पपड़ियाँ पड़ना और कभी-कभी लालिमा और खुजली शामिल हैं।
डॉक्टर पंजों की जांच के आधार पर निदान करते हैं।
इलाज में सीधे प्रभावित स्थानों पर लगाई जाने वाली या कभी-कभी मुंह से ली जाने वाली एंटीफंगल दवाएँ और पैरों को सूखा रखने के उपाय शामिल होते हैं।
थॉमस हबीफ, MD द्वारा प्रदान की गई छवि।
टिनिया पेडिस सबसे आम डर्मेटोफ़ाइटोसिस है क्योंकि पंजे से निकलने वाले पसीने के कारण अंगुलियों के बीच के हल्के गर्म स्थानों में नमी जमा हो जाती है जिससे फ़ंगस को बढ़ने का मौक़ा मिल जाता है। सामुदायिक शॉवरों और स्नानघरों में या ऐसे नम स्थानों जहां लोग नंगे पैर चलते हैं वहां, यह संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। कसे जूते पहनने वाले लोगों में भी इसका जोखिम होता है। यह संक्रमण आम तौर पर ट्राइकोफाइटन कवक से होता है।
(त्वचा के फ़ंगल संक्रमणों का विवरण भी देखे।)
एथलीट्स फ़ुट के लक्षण
थॉमस हबीफ, MD द्वारा प्रदान की गई छवि।
© स्प्रिंगर सायन्स + बिज़नेस मीडिया
इस फ़ंगस के कारण लालिमा और खुजली के साथ या उनके बिना, हल्की पपड़ियाँ पड़ सकती हैं। पपड़ियाँ छोटे से स्थान पर हो सकती हैं (विशेष रूप से पैर की अंगुलियों के बीच) या पंजे के पूरे-के-पूरे तलवे पर हो सकती हैं। कभी-कभी त्वचा पर बहुत अधिक पपड़ी पड़ जाती है जिससे वह कट-फट जाती है और उसमें दर्द-युक्त दरारें (फटन) हो जाती हैं। फ़्लूड से भरे फफोले भी पड़ सकते हैं। समय के साथ, तलवे की त्वचा की मोटाई बढ़ सकती है।
चूँकि कवक के कारण त्वचा कट-फट जाती है, अतः टिनिया पेडिस जीवाणु संक्रमणों का कारण बन सकता है, ख़ास तौर पर बुजुर्गों में और उन लोगों में जिनके पैरों के पंजों में रक्त की आपूर्ति सामान्य से कम होती है।
एथलीट्स फ़ुट का निदान
डॉक्टर द्वारा पंजों की जांच
कभी-कभी त्वचा की खुरचन की जांच
प्रभावित स्थान के लक्षणों और उसके स्वरुप के आधार पर डॉक्टर टिनिया पेडिस का निदान आम तौर पर आसानी से कर लेते हैं।
अगर निदान स्पष्ट न हो, तो डॉक्टर त्वचा की खुरचन लेकर उसे माइक्रोस्कोप से जांचते हैं।
एथलीट्स फ़ुट का इलाज
त्वचा पर लगाई जाने वाली या कभी-कभी मुंह से ली जाने वाली एंटीफंगल दवाएँ
पंजों को सूखा रखने के उपाय
टिनिया पेडिस का सबसे सुरक्षित इलाज सीधे प्रभावित स्थान पर लगाई जाने वाली (टॉपिकल) एंटीफंगल दवाएँ होती हैं। लेकिन टिनिया पेडिस आम तौर पर दोबारा लौटता है और लोगों को अक्सर एंटीफंगल दवाएँ लंबे समय तक इस्तेमाल करनी पड़ती हैं। मुंह से ली जाने वाली (ओरल) एंटीफंगल दवाएँ जैसे इट्राकोनाज़ोल और टर्बिनाफिन इसमें प्रभावी होती हैं, लेकिन उनके दुष्प्रभाव हो सकते हैं। कुछ परिस्थितियों में टॉपिकल और ओरल एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल साथ-साथ किया जाता है।
पंजों पर और जूते-चप्पलों में नमी घटाने से इसे दोबारा होने से रोकने में मदद मिलती है। खुली अंगुलियों वाले जूते या “हवा आने-जाने” वाले जूते पहनना और मोज़े जल्दी-जल्दी बदलना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से गर्म मौसम में। नहाने के बाद पैरों की अंगुलियों के बीच के स्थानों को तौलिये से अच्छी तरह सुखाना चाहिए। पंजों को सूखा रखने के लिए, लोग एंटीफंगल पाउडर (जैसे मिकोनाजोल), जेंशन वॉयलेट या एल्युमिनियम क्लोराइड का घोल लगा सकते हैं या अपने पंजों को बरो के घोल (एल्युमिनियम सबएसिटेट) में भिगो सकते हैं। (त्वचा पर लगाई जाने वाली कुछ एंटीफंगल दवाएँ (टॉपिकल दवाएँ) तालिका भी देखें)।