बॉडी रिंगवॉर्म चेहरे, धड़, बांहों और पैरों का एक डर्मेटोफ़ाइट (फ़ंगल) संक्रमण है।
टिनिया कॉर्पोरिस के लक्षणों में त्वचा पर गुलाबी-से-लाल, गोल चकत्ते शामिल हैं जिनमें कभी-कभी खुजली होती है।
डॉक्टर निदान करने के लिए प्रभावित स्थान की जांच करते हैं और कभी-कभी त्वचा की खुरचन को माइक्रोस्कोप से देखते हैं।
इसके इलाज में, प्रभावित स्थानों पर लगाई जाने वाली या कभी-कभी मुंह से ली जाने वाली एंटीफंगल दवाएँ शामिल होती हैं।
(त्वचा के फ़ंगल संक्रमणों का विवरण भी देखे।)
टिनिया कॉर्पोरिस एक प्रकार का डर्मेटोफ़ाइटोसिस है। टिनिया कॉर्पोरिस आम तौर पर ट्राइकोफाइटन या माइक्रोस्पोरम से होता है।
टिनिया कॉर्पोरिस त्वचा पर कहीं भी हो सकता है और तेज़ी से शरीर के अन्य भागों तक या निकट शारीरिक संपर्क वाले अन्य लोगों तक फैल सकता है।
इस संक्रमण में आम तौर पर गुलाबी-से-लाल, गोल चकत्ते बनते हैं जिसके किनारे उठे हुए होते हैं और जिनके बीच में त्वचा का रंग सामान्य होता है। कभी-कभी इन दानों में खुजली होती है।
इस फ़ोटो में पपड़ीदार, लाल धब्बा दिखाई दे रहा है, जो टिनिया कॉर्पोरिस का एक लक्षण है। केंद्र का हिस्सा गोरी त्वचा पर कम साफ़ दिखाई दे रहा है, क्योंकि संक्रमण से वहाँ सूजन आ गई है।
फ़ोटो - कैरेन मैककोय, MD के सौजन्य से।
इस धब्बे का बीच का हिस्सा गहरे रंग का है (जिसे सेंट्रल हाइपरपिगमेंटेशन कहा जाता है), क्योंकि संक्रमण ने उसमें सूजन उत्पन्न कर दी है।
© स्प्रिंगर सायन्स + बिज़नेस मीडिया
इस फोटो में बॉडी रिंगवॉर्म का एक गुलाबी-से-लाल, गोल चकत्ता देखा जा सकता है। इस चकत्ते के किनारे उठे हुए हैं, इस पर थोड़ी पपड़ी पड़ी हुई है और इसके निचले भाग में बीचोबीच थोड़े सामान्य रंग की त्वचा है।
थॉमस हबीफ, MD द्वारा प्रदान की गई छवि।
इस फोटो में दिख रहे दोनों चकत्ते टिनिया कॉर्पोरिस के कारण हैं। दायें चकत्ते में पपड़ीदार किनारा देखा जा सकता है।
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इस फोटो में दिख रहे बॉडी रिंगवॉर्म के गोल चकत्ते का किनारा उठा हुआ है और बीच वाले भाग में लगभग सामान्य रंग की त्वचा है।
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बॉडी रिंगवॉर्म का निदान
डॉक्टर की जांच
कभी-कभी त्वचा की खुरचन की जांच
डॉक्टर त्वचा की जांच के आधार पर टिनिया कॉर्पोरिस का निदान करते हैं।
कभी-कभी डॉक्टर निदान की पुष्टि के लिए माइक्रोस्कोप से त्वचा की खुरचनों का विश्लेषण करते हैं।
बॉडी रिंगवॉर्म का इलाज
त्वचा पर लगाई जाने वाली या मुंह से ली जाने वाली एंटीफंगल दवाएँ
टिनिया कॉर्पोरिस का इलाज इमिडाज़ोल, साइक्लोपिरॉक्स, नाफ़्टीफ़ाइन या टर्बिनाफ़ाइन की क्रीम, लोशन या जैल से किया जाता है, जिन्हें प्रभावित स्थान पर (टॉपिकल ढंग से) दिन में दो बार लगाया जाता है और धब्बों के पूरी तरह चले जाने के बाद 7 से 10 दिनों तक जारी रखा जाता है; धब्बों के पूरी तरह गायब होने में आम तौर पर 2 से 3 सप्ताह लगते हैं। अगर दवाई समय से काफ़ी पहले बंद कर दी जाए, तो संक्रमण पूरी तरह ख़त्म नहीं हो पाता है और धब्बे दोबारा हो जाते हैं। एंटीफंगल क्रीम, लोशन या जैल से लक्षण घटते दिखने से पहले कई दिन गुज़र सकते हैं। (त्वचा पर लगाई जाने वाली कुछ एंटीफंगल दवाएँ (टॉपिकल दवाएँ) तालिका भी देखें)।
ट्राइकोफाइटन रब्रम से संक्रमित लोगों में और शरीर को कमज़ोर करने वाले रोगों से ग्रस्त लोगों में संक्रमण का इलाज कठिन हो सकता है और वे अपेक्षाकृत ज़्यादा बड़े स्थान पर फैल सकते हैं। ऐसे लोगों में, इट्राकोनाज़ोल या टर्बिनाफिन जैसी मुंह से ली जाने वाली किसी एंटीफंगल दवा को 2 से 3 सप्ताह तक लेना सबसे प्रभावी होता है।