उम्र बढ़ने के साथ मुंह और दांतों पर पड़ने वाले प्रभाव

इनके द्वाराRosalyn Sulyanto, DMD, MS, Boston Children's Hospital
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अप्रैल २०२४

    उम्र बढ़ने के साथ, स्वाद आने की संवेदना घट सकती है। वयोवृद्ध वयस्क को अपना भोजन स्वादहीन लग सकता है, इसलिए ज़्यादा स्वाद पाने के लिए, खाने में वे ज़्यादा मसाले (विशेष रूप से नमक, जो कुछ लोगों के लिए हानिकारक है) मिला सकते हैं या वे बहुत गर्म खाना माँग सकते हैं, जो मसूड़ों को जला सकता है।

    कुछ विकारों या दवाओं की वजह से भी वयोवृद्ध वयस्क की स्वाद लेने की क्षमता प्रभावित होती है। इस तरह के विकारों में शामिल हैं

    स्वाद को प्रभावित करने वाली दवाओं में हाई ब्लड प्रेशर के उपचार के लिए (जैसे कैप्टोप्रिल), उच्च कोलेस्ट्रोल के उपचार के लिए (जैसे स्टेटिन), और डिप्रेशन के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएँ शामिल हैं।

    दाँत का इनेमल उम्र बढ़ने के साथ घिस जाता है, जिससे दाँत टूटने और सड़ने के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। दांतों का गिरना एक बड़ा कारण है जिससे वयोवृद्ध वयस्क चबा भी नहीं पाते हैं और इसलिए भरपूर मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन नहीं कर पाते हैं। जब वयोवृद्ध वयस्क के दांत नहीं रहते हैं, तो जबड़े की हड्डी का वह हिस्सा जो उन दांतों को अपनी जगह पर बनाए रखता था, वह धीरे-धीरे पीछे हट जाता है और उसकी ऊंचाई पहले जैसी नहीं रहती।

    उम्र बढ़ने के साथ लार बनना भी मामूली तौर पर कम हो जाता है और कुछ दवाओं से ये और भी कम हो सकता है। लार कम बनने से मुँह सूखने (ज़ेरोस्टोमिया) की समस्या होती है। मसूड़े पतले हो सकते हैं और ढीले होने लगते हैं। मुंह सूखने और मसूड़े ढीले होने से कैविटी होने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मुंह सूखने से ग्रासनली की अंदरूनी सतह पर चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।

    मुंह सूखने और मसूड़े ढीले होने के बावजूद, कई वयोवृद्ध वयस्क के दांत बने रहते हैं, खासकर ऐसे लोग जिन्हें कैविटी या पेरियोडोंटल रोग नहीं हुआ है। जिन वयोवृद्ध वयस्क के कुछ या सभी दांत निकल जाते हैं, उन्हें पार्शियल या फुल डेन्चर और/या इम्प्लांट लगाने की ज़रूरत पड़ सकती है।

    पेरियोडोंटल डिज़ीज़ (मसूड़ों के रोग) वयस्कों में दांतों के झड़ने का प्रमुख कारण है। पेरियोडोंटल डिज़ीज़ (मसूड़ों के रोग) मसूड़ों और आस-पास की संरचनाओं को नष्ट करने वाली बीमारी है और यह लंबे समय तक बैक्टीरिया के जमा होने से होती है। जो लोग मुँह साफ़ नहीं रखते उनमें, धूम्रपान करने वाले लोगों में और कुछ विकारों, जैसे कि डायबिटीज मैलिटस, खराब आहार-पोषण, ल्यूकेमिया या HIV संक्रमण वाले लोगों में ये होने की अधिक संभावना है। हालांकि कुछेक मामलों में, बैक्टीरिया के कारण होने वाले दंत संक्रमण से मस्तिष्क में मवाद की थैली (एब्सेस) बन सकती है, कैवर्नस साइनस थ्रॉम्बोसिस, अनजाना बुखार, और विशिष्ट गंभीर हृदय असामान्यताओं वाले लोगों में एंडोकार्डाइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

    (यह भी देखें मुंह का जीवविज्ञान और दांतों का जीवविज्ञान।)

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