पेरियोडोंटाइटिस (पायरिया)

(पायरिया)

इनके द्वाराJames T. Ubertalli, DMD, Hingham, MA
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२२ | संशोधित जुल॰ २०२३

पेरियोडोंटाइटिस जिंजिवाइटिस का एक गंभीर रूप है, जिसमें मसूड़ों की सूजन दांत के आस-पास की संरचनाओं तक फैल जाती है।

  • प्लाक और टार्टर पहले दांतों और मसूड़ों के बीच बनता है और फिर दांतों के नीचे की हड्डी में फैल जाता है।

  • मसूड़े सूज जाते हैं और खून बहता है, सांस से बदबू आती है और दांत ढीले हो जाते हैं।

  • दांतों के डॉक्टर एक्स-रे लेते हैं और मसूड़ों में बने गड्ढ़ों की गहराई को मापते हैं ताकि यह पता लग सके कि पेरियोडोंटाइटिस कितना ज़्यादा हुआ है।

  • कई बार पेशेवर तौर पर दांतों की सफाई और कभी-कभी दांतों की सर्जरी और एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता पड़ती है।

बहुत ज़्यादा गंभीर रूप से पेरियोडोंटाइटिस उन लोगों में होता है जो साधारण मसूड़ों की सूजन की तुलना में पेरियडोंटल टिशू (दांतों के आसपास के ऊतक) के बहुत गंभीर संक्रमण के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं (जिंजिवाइटिस). मधुमेह (विशेष रूप से टाइप 1), डाउन सिंड्रोम, क्रोहन रोग, ल्यूकोपेनिया, और एड्स के साथ-साथ कई रोगों और विकारों की वजह से पेरियोडोंटाइटिस हो सकता है। जिन्हें एड्स है उन लोगों में पेरियोडोंटाइटिस जल्दी बढ़ता है। धूम्रपान से, विटामिन C की कमी (स्कर्वी) से, और भावनात्मक तौर पर परेशान होने पर भी पेरियोडोंटाइटिस हो सकता है।

पेरियोडोंटाइटिस किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, छोटे बच्चों को भी। कुछ लोगों में पेरियोडोंटाइटिस हुए बिना भी कई वर्षों तक सीवियर जिंजिवाइटिस बना रहता है। दूसरे लोगों में भी पेरियोडोंटाइटिस हो सकता है, विशेष रूप से शुरुआती उम्र (20 से 30 वर्ष) में, शुरूआती जिंजिवाइटिस के बिना।

पेरियोडोंटाइटिस वयस्कों में दांत झड़ने की मुख्य वजह है और यह बुज़ुर्गों में दांत झड़ने का मुख्य कारण है। संक्रमण उस हड्डी को नष्ट कर देता है जो दांतों को उनकी जगह पर बनाए रखती है। घटाव होने से अटैचमेंट कमज़ोर हो जाते हैं और दांत ढीले हो जाते हैं। प्रभावित हुआ दांत अपनेआप बाहर गिर सकता है या इसे खींचकर (उखाड़कर) निकालना पड़ सकता है।

पेरियोडोंटाइटिस होने की वजहें

ज़्यादातर मामलों में, पेरियोडोंटाइटिस मसूड़ों के सूजने (जिंजिवाइटिस) और लंबे समय से प्लाक जमा होते रहने (मुख्य रूप से बैक्टीरिया, लार, खाने के बच अंश और मृत कोशिकाओं से बना एक फिल्म जैसा पदार्थ जो लगातार दांतों पर जमा होता रहता है) और दांतों और मसूड़ों पर टार्टर (सख्त हुआ प्लाक) की वजह से होता है। दांतों और मसूड़ों के बीच में गड्ढे बन जाते हैं और दांत की जड़ और उसकी अंदरूनी हड्डी के बीच नीचे की ओर फैल जाते हैं। ऑक्सीजन की कमी वाले वातावरण में इन गड्ढों में प्लाक जमा होने लगता है। ऐसा होने पर, जो लोग पेरियोडोंटाइटिस से अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते हैं उनमें बैक्टीरिया के आक्रामक रूप पनपने लगते हैं। प्लाक और बैक्टीरिया से ऐसी सूजन होती है जो लंबे समय तक बनी रहती है, यह सूजन दांतों को उनकी जगह पर बनाए रखने वाले ऊतक और हड्डी को नुकसान पहुंचाती है। अगर बीमारी बनी रहती है, तो आख़िर में इतनी हड्डी घट जाती है कि दांत में दर्द के साथ ढीलापन हो सकता है और मसूड़े भी ढीले होने लगते हैं। आमतौर पर 40 की उम्र से दांत झड़ना शुरू हो जाता है।

क्या आप जानते हैं...

  • पेरियोडोंटाइटिस बुज़ुर्गों में दांतों के झड़ने का मुख्य कारण है।

पेरियोडोंटाइटिस: प्लाक से दांत झड़ने तक

स्वस्थ मसूड़े और हड्डी दांत को मज़बूती से पकड़े रखते हैं।

जमा हुए प्लाक से मसूड़ों में समस्या होती है और वे सूज जाते हैं (जिंजिवाइटिस)। समय के साथ, मसूड़े दांत से दूर होने लगते हैं जिसके कारण ऐसा गड्ढा बन जाता है जिसमें और ज़्यादा प्लाक भर जाता है।

यह गड्ढा गहरा हो जाता है, और प्लाक सख्त होकर टार्टर बन जाता है। ऊपर की तरफ़ ज़्यादा प्लाक जमा होता है।

बैक्टीरियल इन्फेक्शन दांत की जड़ तक चला जाता है और आखिर में दांत को सहारा देने वाली हड्डी को नष्ट कर देता है। इस सहारे के बिना, दांत ढीला हो जाता है और बाहर निकल आता है या पेरियोडॉन्टल ऐब्सेस होने पर इसे उखाड़ने की ज़रूरत पड़ सकती है।

दांतों में एक जैसी ही मात्रा में टार्टर मौजूद होने के बावजूद, लोगों में पेरियोडोंटाइटिस अलग-अलग दर से विकसित होता है। चूंकि हर व्यक्ति के प्लाक में बैक्टीरिया अलग-अलग तरह के और अलग-अलग संख्या में होते हैं और पेरियोडोंटाइटिस होने पर रोगी के प्लाक में बैक्टीरिया के लिए प्रतिक्रिया व्यक्ति की अनूठी प्रतिरक्षा प्रणाली की वजह से होती है, इसलिए इस तरह के अंतर देखे होते हैं। पेरियोडोंटाइटिस की वजह से मुँह को नुकसान पहुँचाने वाली घटनाएं होने पर कटने-फटने जैसी स्थिति बन सकती है जो महीनों तक रहती है और इसके बाद ऐसा समय आता है जब बीमारी और कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है।

पेरियोडोंटाइटिस के लक्षण

पेरियोडोंटाइटिस के शुरुआती लक्षण हैं मसूड़े कमज़ोर होना, सूजना, मसूड़ों से खून रिसना और मसूड़े लाल होना और सांस में बदबू आना (हैलिटोसिस)। जैसे-जैसे ज़्यादा हड्डी की कमी होती जाती है, दांत ढीले हो जाते हैं और उनकी पोज़ीशन बदल जाती है, और चबाने पर दर्द होता है। अक्सर, सामने के दांत बाहर की ओर झुक जाते हैं। आमतौर पर पेरियोडोंटाइटिस होने पर दर्द नहीं होता है अगर, किसी संक्रमण की वजह से इन गड्ढों में मवाद इकट्ठा (फोड़ा) नहीं हुआ है, दांतों से चबाने पर दांत इतने ढीले हो जाते हैं कि वो खिसक सकते हैं, या अगर ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस से संक्रमित व्यक्ति पर पेरियोडोंटाइटिस कोई प्रभाव नहीं डालता है।

पेरियोडोंटाइटिस का निदान

  • दांतों के डॉक्टर की जांच द्वारा

  • कभी-कभी एक्स-रे लिए जाते हैं

पेरियोडोंटाइटिस का निदान करने के लिए, दांतों के डॉक्टर दांतों की जाँच करते हैं और एक पतली प्रोब के साथ मसूड़ों में गड्ढों की गहराई को मापते हैं। एक्स-रे यह देखने के लिए लिया जाता है कि हड्डी कितनी कम हो चुकी है।

पेरियोडोंटाइटिस का इलाज

  • जोखिम कारकों का इलाज

  • पेशेवर तौर पर दांतों की सफाई करके

  • कभी-कभी सर्जरी करके और दांत उखाड़कर

  • कभी-कभी एंटीबायोटिक्स

जिन लोगों में, मुँह की साफ़-सफ़ाई न रखने, मधुमेह होने और धूम्रपान करने जैसे जोखिम कारक हैं, इन जोखिम कारकों के लिए उनका इलाज करना चाहिए। जोखिम कारकों के इलाज से पेरियोडोंटाइटिस के दांतों के डॉक्टर के इलाज की सफलता दर बढ़ जाती है।

जिंजिवाइटिस तो आमतौर पर मुँह की अच्छी साफ़-सफ़ाई (दैनिक ब्रशिंग और फ्लॉसिंग) के साथ गायब हो जाता है, लेकिन पेरियोडोंटाइटिस के लिए पेशेवर तौर पर देखभाल को दोहराने की आवश्यकता होती है। जिन लोगों की मुँह की साफ़-सफ़ाई अच्छी होती है, वे मसूड़ों की सतह के नीचे केवल 2 से 3 मिलीमीटर (1/8 इंच से कम) तक हिस्से को ही साफ कर सकते हैं। हालांकि, दांतों के डॉक्टर स्केलिंग और रूट-प्लानिंग तकनीकों का उपयोग करके–जिससे प्लाक और टार्टर और रोगग्रस्त जड़ की सतह को अच्छी तरह से हटा दिया जाता है 6 से 7 मिलीमीटर (¼ इंच) तक के गड्ढों को साफ कर सकते हैं।

दांतों में 5 मिलीमीटर (लगभग 3/16 इंच) या इससे ज़्यादा गहरे बने गड्ढों के लिए, सर्जरी करनी ज़रूरी होती है। दांतों के डॉक्टर या पेरियोडॉन्टिस्ट सर्जरी (पेरियोडॉन्टल फ्लैप सर्जरी) द्वारा गम टिशू के फ्लैप को खोलकर मसूड़ों की सतह के नीचे के दांत तक पहुंच सकते हैं। वे दांतों को अच्छी तरह से साफ करते हैं और फ्लैप के नीचे की हड्डी की खामियों को ठीक करते हैं (कभी-कभी बोन ग्राफ्टिंग द्वारा) और फिर फ्लैप को वापस उसकी जगह पर सिल देते हैं। दांतों के डॉक्टर या पेरियोडॉन्टिस्ट संक्रमित और अलग हुए मसूड़े (एक मसूड़े की सूजन) के हिस्से को हटा भी सकते हैं ताकि बाकी मसूड़े दांतों को कसकर फिर से जोड़कर रख सकें और लोग अपने घर पर भी प्लाक को हटा सकें। कभी-कभी दांत निकाल दिए जाते हैं (उखाड़ दिए जाते हैं)। अगर सर्जरी के बाद मुंह में दर्द होता है, तो ब्रश करने और फ्लॉसिंग के बजाय कुछ दिनों के लिए दिन में दो बार 1 मिनट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्लोरहेक्सिडिन माउथ रिन्ज़ का उपयोग किया जा सकता है।

दांतों के डॉक्टर एंटीबायोटिक्स (जैसे एमोक्सिसिलिन या मेट्रोनिडाज़ोल) लिख सकते हैं, खासकर अगर मवाद इकट्ठा हो गया है (फोड़ा बन गया है)। दांतों के डॉक्टर मसूड़ों के गहरे गड्ढों में ऐसे मटेरियल (फिलामेंट्स या जैल) डाल सकते हैं जिनमें एंटीबायोटिक्स होते हैं, ताकि दवा ज़्यादा कंसंट्रेशन में रोगग्रस्त हिस्से तक पहुंच सके। पेरियोडोंटल ऐब्सेस होने से हड्डी बर्बाद हो सकती है, लेकिन सर्जरी और एंटीबायोटिक दवाओं के साथ तुरंत इलाज करके क्षतिग्रस्त हड्डी के ज़्यादातर हिस्से को जल्दी से वापस बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित कुछ अंग्रेजी भाषा के संसाधन हैं जो उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Mouth Healthy: यह आम रिसोर्स पोषण के साथ-साथ मौखिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता है, साथ ही इससमें अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की मंज़ूरी वाली सील लगे प्रॉडक्ट चुनने के बारे में भी मार्गदर्शन दिया गया है। इसके बारे में भी सलाह दी गई है कि दांतों के डॉक्टर कहाँ पर उपलब्ध हैं और उनसे कैसे और कब मिल सकते हैं।

  2. National Institute of Dental and Craniofacial Research: यह सरकारी साइट मुँह और दांतों के स्वास्थ्य से संबंधित कई विषयों को शामिल करती है (अंग्रेजी और स्पेनिश में), साथ ही, इसमें सामान्य शब्दों की परिभाषा और मुँह एवं दांत के रोगों से संबंधित नैदानिक परीक्षणों (क्लिनिकल ट्रायल्स) की नवीनतम जानकारी दी गई है।