कैविटीज़

(डेंटल कैरीज़/दांतों की सड़न)

इनके द्वाराBernard J. Hennessy, DDS, Texas A&M University, College of Dentistry
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया फ़र॰ २०२३

कैविटीज़ दांतों की सड़न वाले हिस्से होते हैं, यह एक ऐसी प्रक्रिया के कारण होता है जिसमें धीरे-धीरे दांत की कठोर बाहरी सतह (इनेमल) घुल जाती है और अंदर की ओर कैविटी बनने से सड़न होने लगती है।

(यह भी देखें दांत के विकारों का अवलोकन।)

  • बैक्टीरिया और खाने के बचे अंश दांतों की सतहों जमा हो जाते हैं, और बैक्टीरिया एसिड का उत्पादन करते हैं जो सड़न का कारण बनते हैं।

  • दांत के अंदर तक सड़न पहुंचने से दांतों में दर्द होता है।

  • दांतों के डॉक्टर दांतों की जांच करके और समय-समय पर एक्स-रे लेकर कैविटीज़ का पता लगा सकते हैं।

  • मुँह की अच्छी साफ़-सफाई और नियमित तौर पर दांतों की देखभाल और अच्छा आहार लेने से कैविटीज़ को रोकने में मदद मिल सकती है।

  • फ्लोराइड ट्रीटमेंट इनेमल में कैविटीज़ को ठीक करने में मदद कर सकता है, लेकिन गहरी कैविटीज़ के लिए, दांतों के डॉक्टरों को सड़न को बाहर निकालना चाहिए और उस जगह पर फिलिंग करनी चाहिए।

आम सर्दी-ज़ुकाम और मसूड़ों की बीमारी के साथ-साथ, कैविटीज़ (जो बैक्टीरिया के कारण होती हैं) भी मनुष्य की सबसे आम परेशानियों में से एक हैं। अगर दांतों के डॉक्टर द्वारा कैविटीज़ का ठीक से इलाज नहीं किया जाता है, तो ये बढ़ती चली जाती है। और आखिर में, कैविटी का इलाज न करने पर दांत झड़ सकते हैं।

कैविटीज़ के लिए जोखिम कारक

कैविटीज़ के लिए कई जोखिम कारक हैं:

  • प्लाक

  • टार्टर

  • दांत की सतह में डिफेक्ट होना

  • मीठी या एसिडिक चीज़ें खाना

  • दांतों में बहुत कम फ्लोराइड होना

  • लार कम बनना (उदाहरण के लिए, दवाओं, कैंसर के लिए रेडिएशन थेरेपी, या प्रणालीगत विकार के कारण जिनके कारण लार ग्रंथि सही से काम नहीं कर पाती है)

  • अनुवांशिक कारक

प्लाक बैक्टीरिया, लार, खाने के बचे अंश और मृत कोशिकाओं से बना एक फिल्म (परत) जैसा पदार्थ है जो लगातार दांतों पर जमा होता रहता है।

टार्टर सख्त हुए प्लाक को कहते हैं, यह विज्ञानीय तौर पर कैलकुलस के नाम से भी जाना जाता है। यह देखने में सफेद हो सकता है लेकिन ज़्यादातर पीला होता है और दांतों की बुनियाद पर बनता है।

दांतों में सड़न को बढ़ने के लिए कुछ चीज़ें ज़रूरी हैं जैसेकि, दांत कमज़ोर होना चाहिए, एसिड बनाने वाले बैक्टीरिया मौजूद होने चाहिए, और बैक्टीरिया को पनपने और एसिड बनाने के लिए पोषक तत्व (जैसे चीनी) मौजूद होने चाहिए। एक कमज़ोर दांत के इनेमल में कम सुरक्षात्मक फ्लोराइड होता है या फिर इसमें गड्ढे, खांचे या क्रैक (दरारें) मौजूद होते हैं जिनमें प्लाक बना रहता है। मुँह की खराब साफ़-सफाई से प्लाक और टार्टर जमा होते हैं और इससे दांतों की सड़न तेज़ी से बढ़ सकती है। हालांकि मुंह में बड़ी संख्या में बैक्टीरिया होते हैं, इनमें से केवल कुछ प्रकार के बैक्टीरिया ही एसिड बनाते हैं, जो सड़न का कारण बनता है। सड़न पैदा करने वाला सबसे आम बैक्टीरिया है स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स

सड़न पैदा करने के लिए बैक्टीरिया को जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, वे व्यक्ति के आहार से आते हैं। जो बच्चे बोतल के साथ बिस्तर पर जाते हैं, जिसमें सादे पानी के अलावा कुछ और होता है, तो उनके दांत फ़ॉर्मूला, दूध या जूस के साथ लंबे समय तक संपर्क में आते हैं, जिससे सड़न होने की संभावना बढ़ जाती है। आहार में बड़ी मात्रा में चीनी से भी बैक्टीरिया को भोजन मिलता है।

आहार में एसिड दांतों के सड़ने की प्रक्रिया को तेज़ करता है। (उदाहरण के लिए, कोल्ड ड्रिंक, स्पोर्ट्स ड्रिंक और एनर्जी ड्रिंक, जो सभी आमतौर पर एसिडिक होते हैं, दांतों की सड़न को बढ़ाते हैं।)

दवाओं या विकारों (जैसे शोग्रेन सिंड्रोम) के कारण लार कम बनने से लोगों में दांतों की सड़न का खतरा बढ़ जाता है। बुजुर्ग अक्सर ऐसी दवाएं लेते हैं जिनसे लार बनना कम हो जाता है, इससे उनमें कैविटी होने का खतरा बढ़ जाता है।

कुछ लोगों के मुंह में सड़न पैदा करने वाले एक्टिव बैक्टीरिया भी होते हैं। माता-पिता के चूमने, बच्चे को झूठा खिलाने से या खाने के बर्तन शेयर करने से उनके बच्चों में सड़न पैदा करने वाले बैक्टीरिया पहुँच सकते हैं। बच्चे के शुरुआती दांत आने के बाद मुंह में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और वे कैविटी कर सकते हैं। तो, अगर दांतों में सड़न की समस्या खानदान में चली आ रही है, तो ज़रूरी नहीं कि यह मुँह की खराब साफ़-सफाई या खाने की खराब आदतों की वजह से हो। ये बैक्टीरिया (शायद ही कभी) परिवार के बाहर के लोगों के साथ सामाजिक संपर्क के माध्यम से फैल सकते हैं।

मसूड़े ढीले होने से भी कैविटीज़ बनने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि इससे दांतों की जड़ें खुले संपर्क में आ सकती हैं जिन्हें बाहरी इनेमल परत से कोई सुरक्षा नहीं मिलती है। इसके बाद, बैक्टीरिया दांत की भीतरी परतों तक ज़्यादा आसानी से पहुंच पाते हैं। मसूड़े ढीले होने और लार कम बनने से बुज़ुर्गों में रूट कैविटीज़ होने का खतरा बढ़ जाता है।

उम्र बढ़ने के बारे में स्पॉटलाइट: दांत झड़ना

केवल एक पीढ़ी पहले तक, ज्यादातर लोग नकली दांतों या बिल्कुल भी दांत न होने के साथ बुढ़ापा गुज़ारते थे। यह स्थिति पिछले कई दशकों के दौरान बहुत बदल गई है। हालांकि 85 या उससे ज़्यादा उम्र के लगभग आधे लोगों का कोई भी प्राकृतिक दांत नहीं बचता है, लेकिन उनमें उम्र बढ़ने के साथ दांत झड़ने की संभावना लगातार कम हो रही है। इस परिवर्तन के कई कारण हैं: बेहतर पोषण, दांतों की बेहतर देखभाल की सुविधाएं और दांतों की सड़न और पेरियोडोंटल डिज़ीज़ (मसूड़ों की बीमारी) के लिए बेहतर इलाज उपलब्ध होना।

जब दांत झड़ जाते हैं, तो चबाने में बहुत दिक्कत होती है, और बोलना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। दांत सामान्य रूप से होंठ, गाल, नाक और ठुड्डी को सहारा देते हैं, इनके सहारे के बिना चेहरा नाटकीय रूप से अलग दिखता है।

जिन लोगों के कुछ या सभी दांत झड़ गए हैं, वे इसके बावजूद खाना खा सकते हैं, लेकिन वे केवल नरम खाद्य पदार्थ आसानी से खा पाते हैं। नरम खाद्य पदार्थों में ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट होता है और प्रोटीन, विटामिन और मिनरल कम होते हैं। जिन खाद्य पदार्थों में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल ज़्यादा होते हैं, जैसे कि मीट, पोल्ट्री, अनाज, और ताज़े फल और सब्जियां, उन्हें चबाना मुश्किल होता है। ऐसा होने पर, जो बुज़ुर्ग केवल नरम खाद्य पदार्थ खाते हैं, वे कम-पोषित हो सकते हैं।

दाँतों की सड़न कैसे बढ़ती है

इनेमल में सड़न धीरे-धीरे बढ़ती है। दांत की दूसरी परत—जहां कुछ नरम, कम प्रतिरोधी डेंटिन होता है—में घुसने के बाद सड़न ज़्यादा तेज़ी से फैलती है और पल्प की ओर बढ़ती है, यह पल्प दांत का सबसे अंदरूनी हिस्सा है जिसमें नसें और रक्त की आपूर्ति होती है। हालांकि कैविटी को इनेमल में प्रवेश करने में 2 या 3 साल लग सकते हैं, लेकिन यह डेंटिन से पल्प तक—जोकि बहुत ज़्यादा दूरी है—एक वर्ष से भी कम समय में पहुँच जाती है। इस तरह, जड़ की सड़न, जो डेंटिन से शुरू होती है, थोड़े समय में दांतों की बहुत सारी संरचना को नष्ट कर सकती है।

चिकनी सतह की सड़न, जिसकी रोकथाम करना और जिसे हटाकर पहले जैसी स्थिति में लाना (रिवर्सिबिल) ज़्यादा आसान होता है, सबसे धीमी गति से बढ़ती है। चिकनी सतह सड़ने पर, कैविटी एक सफेद धब्बे के रूप में शुरू होती है जहां बैक्टीरिया इनेमल के कैल्शियम को घोल देते हैं। परमानेंट टीथ (स्थायी दांत) के बीच चिकनी सतह की सड़न आमतौर पर 20 से 30 वर्ष की आयु के बीच शुरू होती है।

पिट एंड फिशर डीके (एक तरह की सड़न) में, जो आमतौर पर परमानेंट टीथ (स्थायी दांत) में किशोरावस्था के दौरान शुरू होता है, चबाने वाली सतह पर और पीछे के दांतों के गाल की तरफ संकरे खांचे बन जाते हैं। इन जगहों पर सड़न तेज़ी से बढ़ती है। बहुत से लोग इन कैविटी के जोखिम वाली जगहों को सही तरह साफ नहीं कर पाते हैं क्योंकि ये खांचे टूथब्रश के ब्रिसल्स की तुलना में संकरे होते हैं।

जड़ की सड़न, मसूड़ों के ढीला होने से खुले संपर्क में आई जड़ की सतह की कवरिंग (सीमेंटम) पर शुरू होती है, आमतौर पर मध्य आयु के लोगों में। इस प्रकार की सड़न अक्सर जड़ वाले हिस्सों की सफाई में कठिनाई होने, लार का प्रवाह भरपूर न बनने, ज़्यादा चीनी वाला आहार लेने या इन सभी कारकों के मिले-जुले परिणामों के कारण होती है। जड़ की सड़न, सबसे कठिन प्रकार की दांतों की सड़न हो सकती है जिसे रोकना और इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

कैविटीज़ के प्रकार

बाईं ओर इमेज में एक दांत दिखाया गया है जिसमें कोई कैविटी नहीं है। बाईं ओर इमेज में एक दांत दिखाया गया है जिसमें तीन तरह की कैविटी हैं।

क्या आप जानते हैं...

  • माता-पिता के चूमने या खाने के बर्तन शेयर करने से उनके बच्चों में सड़न पैदा करने वाले बैक्टीरिया पहुँच सकते हैं।

कैविटीज़ के लक्षण

दांतों की सड़न से दर्द होता है या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि दांत का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है और सड़न कितनी गहराई तक फैली है। इनेमल में हुई कैविटी से कोई दर्द नहीं होता है। दर्द तब शुरू होता है जब सड़न डेंटिन तक पहुंच जाती है। सबसे पहले, लोगों को दर्द तभी महसूस हो सकता है जब गर्म, ठंडे, या मीठे खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ दबाव में आने वाले दांत के संपर्क में आते हैं। इस प्रकार का दर्द अक्सर इस ओर इशारा करता है कि पल्प की सूजन को ठीक किया जा सकता है। अगर इस स्थिति में कैविटी का इलाज किया जाता है, तो दांतों के डॉक्टर दांत को फिर से ठीक कर सकते हैं, और इसकी ज़्यादा संभावना है कि आगे कोई दर्द या चबाने में कठिनाई नहीं होगी।

जो कैविटी पल्प के आस-पास या पल्प तक पहुंच जाती है, कभी न ठीक होने वाले नुकसान की वजह बनती है। स्टिमुलस (जैसे ठंडा पानी) के बावजूद दर्द बना रहता है। स्टिमुलेशन के बिना भी दांत में दर्द हो सकता है (अचानक दांत दर्द होना)।

अगर पल्प को कभी न ठीक होने वाले नुकसान होता है और बाद में पल्प खत्म हो जाता है, तो दर्द कुछ समय के लिए बंद हो सकता है। जड़ में संक्रमण होने से जड़ के सिरे वाले भाग में सूजन हो सकती है, ऐसा होने पर दांत से काटने या जीभ या उंगली से दबाए जाने पर दांत कमज़ोर महसूस हो सकता है। संक्रमण होने से मवाद इकट्ठा हो सकता है (पेरिएपिकल ऐब्सेस), ऐसा होने पर लगातार दर्द होता है जो दांत से काटने पर बदतर हो जाता है।

कैविटीज़ का निदान

  • दांतों के डॉक्टर की जांच द्वारा

  • कभी-कभी दांतों का एक्स-रे करके

अगर दर्द होने से पहले ही कैविटी का इलाज कर दिया जाता है, तो पल्प को नुकसान होने की संभावना कम हो जाती है, और दांत की संरचना का काफ़ी हिस्सा बच जाता है। समय रहते कैविटीज़ का पता लगाने के लिए, दांतों के डॉक्टर दर्द के बारे में पूछते हैं, दांतों की जांच करते हैं, दांतों के औजारों के साथ दांतों की जांच करते हैं, और ज़रूरत पड़ने पर एक्स-रे भी ले सकते हैं। कुछ दांतों के डॉक्टर खास तरह की डाई, फाइबरऑप्टिक लाइट और/या ऐसे नए डिवाइसों का भी उपयोग करते हैं जो इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी या लेज़र रिफ्लेक्टिविटी में परिवर्तन द्वारा कैविटीज़ का पता लगाते हैं।

रोगी को अपने दाँतों की कैविटीज़ की संवेदनशीलता और अपने दांतों के डॉक्टर की सलाह के आधार पर, हर 3 से 12 महीने में दांतों की जांच करानी चाहिए। हालांकि हर जांच में एक्स-रे नहीं किए जाते, लेकिन कैविटीज़ (यहां तक कि मौजूदा रेस्टोरेशन वाली) का पता लगाने और उन कैविटीज़ की गहराई को जांचने के लिए एक्स-रे की ज़रूरत पड़ सकती है। दांतों का आकलन करके दांतों के डॉक्टर यह तय करते हैं कि एक्स-रे कितनी बार लिया जाना चाहिए। (जिन लोगों में नई कैविटी होने का जोखिम कम है, उन लोगों की जाँच काम की जाती है।)

क्या आप जानते हैं...

  • अमेरिका में आधे से ज़्यादा लोगों के पीने के पानी में फ्लोराइड होता है। हालांकि, हो सकता है कि कई लोग दांतों की सड़न को कम करने के लिए यह पानी भरपूर मात्रा में न पिएं।

कैविटीज़ का इलाज

  • फ्लोराइड

  • फिलिंग्स

  • रूट कैनाल या दांत उखाड़ना (एक्सट्रैक्शन)

अगर इनेमल की सतह के टूटने से पहले सड़न को रोक दिया जाता है, तो इनेमल वास्तव में खुद को ठीक कर सकता है (रिमिनरलाइज़ेशन) बशर्ते कि लोग फ्लोराइड का उपयोग करते रहे हों। फ़्लोराइड उपचार के लिए प्रिस्क्रिप्शन-सोडियम फ़्लोराइड के हाई कॉन्सेंट्रेशन वाले स्ट्रेंथ टूथपेस्ट और दांतों के डॉक्टर के क्लिनिक में फ़्लोराइड के कई एप्लीकेशन्स के उपयोग की ज़रूरत पड़ती है। कैल्शियम और फॉस्फेट युक्त उत्पादों को भी दांतों पर लगाया जा सकता है, लेकिन वे फ़्लोराइड की तुलना में दांतों में खनिज बढ़ाने में कम प्रभावी होते हैं। सिल्वर डायमाइन फ़्लोराइड (SDF) कैविटी के विकास को रोक सकता है और प्रभावित दांतों में फिर से खनिज बना सकता है। हालाँकि, क्योंकि SDF स्थायी रूप से क्षरण को काला कर देता है, इसलिए इसे मुख्य रूप से बेबी टीथ पर लगाया जाता है।

जब यह सड़न डेंटिन तक पहुंच जाती है और दांत में असल में एक छेद हो जाता है, तो दांतों के डॉक्टर दांत के अंदर की सड़न वाली सामग्री को ड्रिल करके निकालते हैं और उस जगह को फिलिंग से भरना (रेस्टोरेशन) शुरू करते हैं। शुरुआती चरण में सड़न का इलाज करने से दांत की ताकत बनाए रखने में मदद मिलती है और पल्प को नुकसान पहुँचने की संभावना सीमित होती है।

फिलिंग्स

फिलिंग अलग-अलग मटेरियल से बनी होती हैं और इन्हें दांत के अंदर या उसके आसपास लगाया जा सकता है।

सिल्वर एमलगम (चांदी, पारा, तांबा, टिन, और, कभी-कभी, जस्ता, पैलेडियम, या इंडियम का कॉम्बिनेशन) का उपयोग आमतौर पर पीछे के दांतों में भरने के लिए किया जाता है, जहां ताकत की ज्यादा ज़रूरत होती है और चांदी का रंग आसानी से नज़र में नहीं आता है। सिल्वर एमलगम अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है और औसतन 14 साल तक रहता है। हालांकि, अगर रबर डैम का उपयोग करके एमलगम को सावधानीपूर्वक रखा जाए और व्यक्ति अपने मुँह की साफ़-सफाई ठीक रखे, तो एमलगम 40 से ज़्यादा वर्षों तक रह सकता है।

चूंकि लोग एमलगम के उपयोग से जुड़े स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों के बारे में चिंता जताने लगे हैं और उन्हें सौन्दर्य की दृष्टि से कंपोज़िट रेज़िन ज्यादा आकर्षक लगने लगा है, इसलिए एमलगम का उपयोग घटने लगा है। हालाँकि सिल्वर एमलगम से निकली मर्करी की मात्रा बहुत कम होती है इसलिए स्वास्थ्य पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। चूंकि एमलगम को बदलने की प्रक्रिया महंगी पड़ती है, दांत की संरचना को नुकसान पहुंचाती है, व्यक्ति के लिए मर्करी के खतरों को बढ़ाती है और मर्करी को वातावरण में जाने से बचाने के लिए एमलगम सेपरेटर्स की ज़रूरत होती है, इसलिए दांतों के डॉक्टर एमलगम को बदलने की सलाह नहीं देते हैं। कुल मिलाकर कहें तो, एमलगम फिलिंग लंबे समय तक रहती है और कंपोज़िट रेज़िन की तुलना में और कैविटीज़ होने के लिए ज़्यादा मज़बूती से बचाव करती है। फिर भी, इसके पर्यावरणीय खतरों के बारे में चिंताओं के चलते एमलगम के अलावा दांतों के इलाज के लिए दूसरे तरीकों को आज़माने का चलन बढ़ने लगा है।

गोल्ड फिलिंग (इनले और ऑनले) सबसे बढ़िया होते हैं लेकिन ज़्यादा महंगे पड़ते हैं। साथ ही, उन्हें हमेशा के लिए सेट करने के लिए दांतों के डॉक्टर से कम से कम दो बार मिलना पड़ता है।

कंपोज़िट रेज़िन सामने के दांतों में उपयोग किया जाता है, जहां चांदी आसानी से दिख सकती है। बड़े पैमाने पर, इन फिलिंग्स का उपयोग पीछे के दांतों में भी किया जा रहा है। हालांकि कंपोज़िट रेज़िन का रंग दांतों के रंग जैसा होने का फायदा है और दांतों के डॉक्टर एमलगम फिलिंग ने बजाय इनके उपयोग से दांतों की संरचना को ज़्यादा सुरक्षित रख पाते हैं, लेकिन सिल्वर एमलगम की तुलना में कंपोज़िट रेज़िन ज़्यादा महंगे होते हैं और इनसे दांतों के किनारों के आसपास सड़न होने की संभावना ज़्यादा होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब कंपोज़िट रेज़िन सख्त हो जाता है तो यह सिकुड़ जाता है। इसके अलावा कंपोज़िट रेज़िन, सिल्वर एमलगम की तरह लंबे समय तक नहीं बना रह पाता, खासतौर पर पीछे के दांतों में जो चबाने के लिए सबसे ज़्यादा ज़ोर सहते हैं। कंपोज़िट रेज़िन में हुए कुछ बदलावों ने कुछ हद तक इसके सिकुड़ने को कम कर दिया है जैसाकि इससे पहले इस्तेमाल होने वाले मटेरियल के साथ होता था।

फ्लोराइड को सड़न वाली जगह पर एक बार लगाकर छोड़ने के लिए ग्लास आयनोमर, एक दांतों के रंग वाली फिलिंग, तैयार की जाती है, यह खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनमें दांतों की सड़न की समस्या अक्सर होती है। ग्लास आयनोमर का उपयोग, बहुत तेज़ी से ब्रश करने से नुकसान पहुंचे हिस्सों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। रेज़िन-मॉडिफाइड ग्लास आयनोमर मटेरियल भी उपलब्ध हैं और पुराने तरीके वाले ग्लास आयनोमर्स की तुलना में ये बेहतर कॉस्मेटिक नतीजे देते हैं।

रूट कैनाल ट्रीटमेंट और दांत उखाड़ना (एक्सट्रैक्शन)

जब दांतों की सड़न पल्प को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचाने की हद तक बढ़ जाती है, तो रूट कैनाल (एंडोडोंटिक) ट्रीटमेंट या दांत उखाड़कर (एक्सट्रैक्शन) पल्प को निकालना ही दर्द को खत्म करने का एकमात्र उपाय है।

दांत को सुन्न किया जाता है (एनेस्थेटिक देकर), और मुंह के बाकी हिस्सों के बैक्टीरिया से इसे अलग करने के लिए दांत के चारों ओर एक रबर डैम रखा जाता है। इसके बाद, एक पीछे के दांत की चबाने वाली सतह या जीभ की तरफ वाले एक सामने के दांत की सतह में से ड्रिल किया जाता है।

इसके बाद, कैनाल को साफ किया जाता है और उसके खुले सिरे से लेकर जड़ के अंत तक खुरचा जाता है। बारीक औजारों को छेद में से होते हुए पल्प कैनाल वाली जगह में डाला जाता है, और बचे सभी पल्प को हटा दिया जाता है। इसके बाद, कैनाल को एक लचीले पदार्थ (gutta percha) से सील कर दिया जाता है।

अगर दांत उखाड़ा जाता है, तो उसकी भरपाई करने के लिए जल्द से जल्द मूल्यांकन किया जाना चाहिए। वर्ना, उसके आस-पड़ोस या सामने के दांतों की पोज़ीशन बदल सकती है और दांतों से काटने के तरीके में भी बदलाव आ सकता है। उखाड़े गए दांतों की भरपाई के लिए कई विकल्प हैं (देखें डेंटल एप्लायंस)।

कैविटीज़ की रोकथाम

कैविटीज़ को रोकने के लिए कई सामान्य उपाय किए जाने ज़रूरी हैं:

  • मुँह की अच्छी साफ़-सफाई और दांतों की नियमित देखभाल करके

  • स्वास्थ्यवर्द्धक आहार लेकर

  • फ्लोराइड लेकर (पानी, टूथपेस्ट, या दोनों के माध्यम से)

  • कभी-कभी फ़्लोराइड, सीलेंट उपचार और एंटीबैक्टीरियल थेरेपी के माध्यम से

मुँह की साफ़-सफ़ाई

मुँह की अच्छी साफ़-सफ़ाई रखने से, जिसमें नाश्ते से पहले या बाद में और सोने से पहले ब्रश करना और प्लाक को हटाने के लिए रोज़ाना फ्लॉस करना शामिल है, चिकनी सतह की सड़न को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। ब्रश करने से दांतों के ऊपरी भाग और किनारों पर कैविटीज़ को बनने से रोकने में मदद मिलती है, और फ्लॉसिंग उन दांतों के बीच की जाती है जहां ब्रश नहीं पहुंच पाता है।

इलेक्ट्रिक और अल्ट्रासोनिक टूथब्रश सबसे बेहतरीन होते हैं, लेकिन एक आम टूथब्रश को ठीक से उपयोग करना काफ़ी होता है। आम तौर पर, सही से ब्रश करने में केवल 3 से 4 मिनट लगते हैं। लोगों को बहुत ज़्यादा टूथपेस्ट का उपयोग करने से बचना चाहिए, खासतौर पर घिसने वाले, जो दांतों को तबाह कर सकते हैं (खासतौर पर अगर एसिडिक पेय पीने के तुरंत बाद ब्रश किया जाता है)। फ्लॉस को धीरे-धीरे दांतों के बीच आगे-पीछे किया जाता है, इसके बाद इसे जबड़े की सतह पर अंग्रेज़ी के अक्षर " C (सी)" के आकार में दांत और जड़ की सतहों के चारों ओर घुमाया जाता है। जब फ्लॉस को 3 बार ऊपर और नीचे ले जाया जाता है, तो यह प्लाक और खाने के बचे अंश को हटा सकता है। सिरों पर ब्रिसल्स या प्लास्टिक उभारों वाले ऐसे कई छोटे, टूथपिक जैसे डिवाइस (जिन्हें इंटरप्रॉक्सिमल ब्रश कहा जाता है) होते हैं जिनका उपयोग दांतों के बीच सफाई के लिए किया जा सकता है। ये डिवाइस कारगर होती हैं लेकिन इनका उपयोग केवल तभी किया जा सकता है जब दांतों के बीच भरपूर जगह हो ताकि उन्हें एडजस्ट किया जा सके। वे कई साइज़ और शेप में आते हैं और अलग-अलग टूथपेस्ट या रिन्ज़ के साथ में या बगैर उपयोग किए जा सकते हैं। वाटर-फ्लॉसिंग उपकरण उन रोगियों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं जिन्हें दाँतों में फ्लॉस करने में कठिनाई होती है। इस प्रकार के उपकरणों को सहायक माना जाता है, लेकिन ये पारंपरिक डेंटल फ्लॉस की जगह नहीं ले सकते।

शुरुआत में, प्लाक काफी नरम होता है, और इसे हर 24 घंटे में कम से कम एक बार नर्म-ब्रिस्ल वाले टूथब्रश और डेंटल फ्लॉस से हटाने से सड़न की संभावना नहीं होती है। जब प्लाक सख्त होने लगता है–एक ऐसी प्रक्रिया जो लगभग 72 घंटों के बाद शुरू होती है–तो इसे हटाना ज़्यादा मुश्किल हो जाता है।

आहार

हालांकि सभी कार्बोहाइड्रेट कुछ हद तक दांतों की सड़न का कारण बन सकते हैं, लेकिन इसमें सबसे अहम भूमिका चीनी की है। टेबल शुगर (सुक्रोज़) और शहद (लेवुलोज़ और डेक्सट्रोज़), फल (फ्रुक्टोज़), और दूध (लैक्टोज़) में मौजूद शुगर के साथ-साथ सभी सिंपल शुगर, दांतों पर एक जैसा असर डालते हैं। जब भी चीनी प्लाक के संपर्क में आती है, तो प्लाक में मौजूद स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स बैक्टीरिया एसिड बनाते हैं। चूंकि यह ज्यादा मायने रखता है कि चीनी दांतों के संपर्क में कितनी देर तक रही, इसलिए आप कितनी चीनी खाते हैं इसकी तुलना में यह ध्यान रखना ज्यादा ज़रूरी है कि आप कितनी बार चीनी खाते हैं। इसलिए, 5 मिनट में कैंडी बार खा जाने की तुलना में एक घंटे तक ज़्यादा मीठा कोल्ड ड्रिंक पीना ज़्यादा नुकसान दे सकता है, भले ही कैंडी बार में उससे ज़्यादा चीनी मौजूद हो। जो नवजात बोतल के साथ बिस्तर पर जाते हैं, भले ही उस बोतल में केवल दूध हो या फॉर्मूला, उन्हें भी कैविटी का खतरा होता है। सोते समय पीने वाली बोतलों में केवल पानी होना चाहिए।

जिन लोगों में कैविटी होने का जोखिम हैं, उन्हें मीठे स्नैक्स कम खाने चाहिए। स्नैक खाने के बाद पानी से कुल्ला करने से कुछ चीनी निकल जाती है, लेकिन दांतों को ब्रश करना ज़्यादा कारगर होता है। आर्टिफीशियल स्वीटनर से मीठे किए गए कोल्ड ड्रिंक पीने से भी मदद मिलती है, हालांकि डाइट कोला में एसिड होता है जो दांतों में सड़न को बढ़ा सकता है। चीनी के बिना चाय या कॉफी पीने से भी लोगों को कैविटीज़ से बचने में मदद मिल सकती है, खासकर जड़ की खुले संपर्क में आई सतहों पर।

फ्लोराइड

फ्लोराइड दांतों को, खासतौर पर इनेमल को, कैविटीज़ बनाने में मदद करने वाले एसिड के प्रति ज़्यादा प्रतिरोधी बना सकता है। जब दांत बढ़ रहे होते हैं और कठोर हो रहे होते हैं, उस समय निगला गया फ्लोराइड काम आता है। पानी का फ्लोरिडेशन करना बच्चों में फ्लोराइड की आपूर्ति करने का सबसे बढ़िया तरीका है, और अमेरिका की आधी से ज़्यादा आबादी के पीने के पानी में अब फ्लोराइड मौजूद होता है। हालांकि, हो सकता है कि कई लोग दांतों की सड़न को कम करने के लिए यह पानी भरपूर मात्रा में न पिएं। वहीँ दूसरी ओर, अगर वॉटर सप्लाई में बहुत ज़्यादा फ्लोराइड है, तो दांत धब्बेदार या बेरंग हो सकते हैं (फ्लोरोसिस)। दांतों के रंग बदलने की तीव्रता हल्के से गंभीर तक हो सकती है।

अगर किसी बच्चे के वॉटर सप्लाई में भरपूर मात्रा में फ्लोराइड नहीं है, तो डॉक्टर या दांतों के डॉक्टर सोडियम फ्लोराइड की ड्रॉप्स, जैल, टूथपेस्ट या गोलियों लेने की सलाह दे सकते हैं। बच्चे लगभग 6 महीने की उम्र से ड्रॉप्स या गोलियों को लेना शुरू करते हैं और 16 साल की उम्र तक ले सकते हैं। किसी भी उम्र के लोगों के लिए जिनमें दांतों की सड़न की समस्या अक्सर होती है, दांतों के डॉक्टर उनके दांतों पर सीधे फ्लोराइड लगा सकते हैं या उन्हें रात में, एक कस्टम-मेड माउथ गार्ड पहनने को दे सकते हैं जिसमें फ्लोराइड होता है। फ्लोराइड-वाले टूथपेस्ट वयस्कों के साथ ही बच्चों के लिए भी फायदेमंद है। गोलियों को चबाने या निगलने से पहले मुंह में घुलने देना चाहिए।

सीलेंट

दांतों के डॉक्टर कभी-कभी हार्ड-टू-रीच पिट्स और फिशर्स (दांत के ऐसे गड्ढे या दरारें जहां पहुँचना कठिन हो) की रक्षा के लिए सीलेंट लगाते हैं, खासतौर पर पीछे के दांतों पर। सील किए जाने वाली जगह को अच्छी तरह से साफ करने के बाद, दांतों के डॉक्टर सीलेंट को दांतों से चिपकने में मदद करने के लिए एक एसिड सॉल्युशन की मदद से इनेमल को खुरदुरा करते हैं। इसके बाद, दांतों के डॉक्टर दांतों के गड्ढों और दरारों में एक लिक्विड प्लास्टिक डालते हैं। जब यह लिक्विड सख्त हो जाता है तो यह बहुत असरदार बैरियर बनाता है, ऐसा होने पर भोजन उन गड्ढों और दरारों के अंदर नहीं पहुंच पाता और इसलिए कोई भी बैक्टीरिया एसिड नहीं बना पाता। 1 वर्ष के बाद लगभग 90% और 10 वर्षों के बाद 60% सीलेंट बाकी रहता है। समय-समय पर दांतों की जांच करने पर, ज़रूरत के हिसाब से सीलेंट की मरम्मत या इसे बदलने की ज़रूरत का आकलन किया जा सकता है।

एंटीबैक्टीरियल थेरेपी

जिन लोगों में दांतों की सड़न की समस्या अक्सर होती है, उन्हें एंटीबैक्टीरियल थेरेपी की ज़रूरत पड़ सकती है। दांतों के डॉक्टर पहले कैविटीज़ को हटाते हैं और दांतों के सभी गड्ढों और दरारों को सील करते हैं। इसके बाद दांतों के डॉक्टर एक पावरफुल एंटीसेप्टिक माउथ रिंज़ (क्लोरहेक्सिडिन) लिखकर देते हैं जिसका उपयोग 2 सप्ताह तक, प्लाक में रहने वाले कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने के लिए किया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर, दांतों के डॉक्टर लॉन्ग-एक्टिंग क्लोरहेक्सिडिन भी लगा सकते हैं। इससे यह उम्मीद की जा सकती है कि कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया की जगह कम हानिकारक बैक्टीरिया ले लेंगे। हालांकि, वयस्कों में क्षय को रोकने में क्लोरहेक्सिडिन की प्रभावशीलता असंगत है। बैक्टीरिया को नियंत्रण में रखने का एक तरीका और है कि जिन लोगों को कैविटी है, उन्हें ज़ाइलिटॉल (एक स्वीटनर जो प्लाक में कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को रोकता है) वाले च्युइंग गम या हार्ड कैंडी चबाने के लिए दी जाए।

एंटीबैक्टीरियल थेरेपी का उपयोग वे गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं जिनमें खराब कैविटीज़ की समस्या पहले भी रही है। जो गर्भवती महिलाएं एंटीबैक्टीरियल थेरेपी को सहन नहीं कर पाती हैं, वे ऊपर बताए अनुसार ज़ाइलिटॉल का उपयोग कर सकती हैं। ज़ाइलिटॉल का उपयोग बच्चे के जन्म के समय से लेकर उस उम्र तक किया जाता है जिस उम्र में माँ को बच्चे को अपने हाथ से खाना खिलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। ज़ाइलिटॉल माँ से बच्चे के अंदर बैक्टीरिया जाने से रोकने में मदद कर सकता है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Mouth Healthy: यह आम रिसोर्स पोषण के साथ-साथ मौखिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता है, साथ ही इससमें अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की मंज़ूरी वाली सील लगे प्रॉडक्ट चुनने के बारे में भी मार्गदर्शन दिया गया है। इसके बारे में भी सलाह दी गई है कि दांतों के डॉक्टर कहाँ पर उपलब्ध हैं और उनसे कैसे और कब मिल सकते हैं।

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