क्रुप

(लैंरिगोट्रेकियोब्रोंकाइटिस)

इनके द्वाराRajeev Bhatia, MD, Phoenix Children's Hospital
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मार्च २०२४

क्रुप वायु नली (ट्रेकिया) और वॉइस बॉक्स (लैरिंक्स) की सूजन है जो आमतौर पर एक संक्रामक वायरल इंफ़ेक्शन की वजह से होता है जिससे खांसी होती है, जोर से कर्कश आवाज़ (स्ट्रिडोर) आती है और कभी-कभी सांस लेने में परेशानी (इंस्पिरेशन) होती है।

  • क्रुप वायरस की वजह से होता है।

  • इसके लक्षणों में बुखार, जुकाम और सामान्य कुक्कुर खांसी शामिल हैं।

  • निदान लक्षणों पर आधारित है।

  • अधिकांश बच्चे घर पर रहकर ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन जिन बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाने की ज़रूरत पड़ती है, उन्हें फ़्लूड, ऑक्सीजन और दवाइयाँ दी जाती हैं।

क्रुप की वजह से, मुख्य रूप से 6 महीने से 3 साल की उम्र के बच्चे प्रभावित होते हैं।

ज़्यादातर बच्चों को एक बार क्रुप होता है, लेकिन कुछ बच्चों को वायरल इंफ़ेक्शन की वजह से यह बार-बार हो सकता है (जिसे स्पासमोडिक क्रुप) कहा जाता है, जिसकी आवृति और गंभीरता धीरे-धीरे कम होती है। एलर्जी या वायुमार्ग के रिएक्शन (जैसे कि अस्थमा में होती है) से स्पासमोडिक क्रुप हो सकता है।

क्रुप होने की वजहें

क्रुप एक वायरल इंफ़ेक्शन की वजह से होता है, जिससे वायु नली की परत में खासतौर से, वॉइस बॉक्स (लैरिंक्स) के ठीक नीचे के हिस्से में सूजन आ जाती है।

क्रुप की सबसे आम वजह है

  • पैराइन्फ़्लूएंज़ा वायरस

श्वसन तंत्र सिंकाइटियल वायरस (RSV) या इन्फ्लूएंजा वायरस जैसे कई वायरस की वजह से भी क्रुप हो सकता है। अगर क्रुप इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से होता है, तो यह विशेष रूप से गंभीर हो सकता है और बच्चों की कई आयु सीमा में हो सकता है।

हालांकि, क्रुप साल भर होता है, लेकिन मौसमी गंभीरता आम बात है। पैराइन्फ़्लुएंजा वायरस की वजह से होने वाला क्रुप पतझड़ के मौसम में होता है और RSV इन्फ़्लुएंजा वायरस की वजह से होने वाला क्रुप सर्दियों और वसंत में होता है। आमतौर पर, इंफ़ेक्शन की वजहें हवा में मौजूद वायरस वाली बूंदों को सांस के साथ अंदर लेने या फिर इन बूंदों से संक्रमित हुई किसी चीज़ को छूने से होता है।

क्रुप के लक्षण

आमतौर पर, क्रुप की शुरुआत ज़ुकाम, छींकें आना, हल्का बुखार और खांसी जैसे सर्दी के कई लक्षणों के साथ होती है। इसके बाद, बच्चे में कर्कशता और कभी-कभी अजीब सी आवाज़ के साथ खांसी, जिसे ब्रासी या कुक्कुर खांसी कहते हैं।

गंभीर होने पर क्रुप बहुत फैल जाता है। कभी-कभी वायु नली में सूजन होने की वजह से, सांस लेने में काफ़ी परेशानी होती है, जो सांस लेते समय (इंस्पिरेशन) सबसे ज़्यादा पता चलती है। क्रुप के गंभीर होने पर, हर इंस्पिरेशन के साथ ज़ोर से चीखने की आवाज़ (स्ट्रिडोर) सुन सकती है।

लगभग 50% बच्चों को बुखार होता है। आमतौर पर, सभी लक्षण रात में बहुत खराब हो जाते हैं और बच्चों को नींद से जगा सकते हैं। लक्षण अक्सर सुबह के समय कम होने लगते हैं और अगले दिन रात में फिर से बढ़ने लगते हैं।

लक्षणों की गंभीरता 3 से 4 दिन तक रहती है और खांसी आना जारी रहता है, लेकिन उसकी आवाज़ धीमी हो जाती है। इस बदलाव से माता-पिता को चिंता हो सकती है, जिन्हें लगता है कि इंफ़ेक्शन छाती में चला गया है। हालांकि, बीमारी आम तौर पर ऐसे बढ़ती है।

क्रुप का निदान

  • खांसी की आवाज़

  • गर्दन का एक्स-रे

एक डॉक्टर क्रुप की पहचान उसके खास लक्षणों, विशेष रूप से खांसी की आवाज़ से करता है।

कभी-कभी डॉक्टर क्रुप का निश्चित तौर पर निदान करने के लिए गर्दन और सीने का एक्स-रे कर सकते हैं।

क्रुप का इलाज

  • हल्की बीमारी के लिए, तरल पदार्थ और आर्द्र हवा

  • गंभीर बीमारी के लिए, हॉस्पिटल में भर्ती होना, ऑक्सीजन, एपीनेफ़्रिन और कॉर्टिकोस्टेरॉइड है

अगर कोई बच्चा क्रुप से पीड़ित की तरह सांस लेता है, तो माता-पिता को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि क्रुप होने पर बच्चे बहुत जल्दी बीमार हो सकते हैं।

थोड़ा-बहुत बीमार होने पर, बच्चों की देखभाल घर पर ही की जा सकती है और आमतौर पर वे 3 से 4 दिनों में ठीक हो जाते हैं। बच्चे के साथ अच्छे तरीके का व्यवहार किया जाना चाहिए, उसे बहुत सारे तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए और उसे आराम देना चाहिए, क्योंकि थकान होने और रोने की वजह से उसकी स्थिति खराब हो सकती है। घरेलु ह्युमिडिफ़ाइंग डिवाइसों (जैसे कूल-मिस्ट वेपोराइज़र या ह्युमिडिफ़ायर) से ऊपरी वायु नलियों की खुश्की कम हो सकती है और सांस लेने में आराम मिल सकता है। बाथरूम को भाप देने के लिए गर्म पानी का शावर चलाकर नमी को तुरंत बढ़ाया जा सकता है। रात को ठंडी हवा में बच्चे को सांस लेने के लिए बाहर ले जाने या फ़्रीज़र की ठंडी हवा लेने के लिए, रसोई में ले जाने से भी वायु नली खुल सकती है। हालांकि, इन उपायों से कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण बहुत कम हैं कि इनसे बच्चों को अच्छा महसूस होता है या नहीं।

क्या आप जानते हैं...

  • भाप से भरे बाथरूम में नम हवा में सांस लेने या फ़्रीज़र की ठंडी हवा में सांस लेने से क्रुप के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।

बीमार हुए बच्चों में लक्षणों को बदतर होने से रोकने के लिए, डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड की एक खुराक लेने की सलाह दे सकते हैं। जिन बच्चों में लक्षणों गंभीर हो रहे हों उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, जो उन्हें कॉर्टिकोस्टेरॉइड दे सकता है और निगरानी रखने और देखभाल करने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कर सकता है।

जिन बच्चों को सांस लेने की समस्या बढ़ रही है या लगातार बनी हुई हो, जिनकी हृदय गति तेज़ हो, जिन्हें थकान, पानी की कमी हो रही हो या जिनकी त्वचा का रंग नीला या भूरा पड़ रहा हो, उन्हें ऑक्सीजन और शिरा के ज़रिए फ़्लूड दिए जाने की ज़रूरत होती है। आमतौर पर, डॉक्टर बच्चों का इलाज नेब्युलाइज़र से एपीनेफ़्रिन देकर और मुंह या इंजेक्शन से कॉर्टिकोस्टेरॉइड देकर करते हैं। ये दवाइयाँ वायुमार्ग के सूजे हुए ऊतक को सिकुड़ने में मदद करती हैं। जिन बच्चों को इलाज के इन तरीकों से आराम मिलता है उन्हें घर भेजा जा सकता है, लेकिन जो बच्चे बहुत बीमार होते हैं उन्हें हॉस्पिटल में ही रहना पड़ता है।

एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कभी-कभी सिर्फ़ उन स्थितियों में किया जाता है, जब किसी बच्चे को क्रुप के साथ बैक्टीरियल इंफ़ेक्शन भी हो जाता है। बहुत ही कम मामलों में, वेंटिलेटर (एक सांस लेने वाली मशीन जो फेफड़ों से हवा को अंदर और बाहर जाने में मदद करती है) की ज़रूरत होती है।

क्रुप के लिए पूर्वानुमान

क्रुप से पीड़ित ज़्यादातर बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।