कोशिका के कैंसर से प्रभावित होने के बाद, अक्सर इम्यून सिस्टम उस असामान्यता की पहचान कर लेता है और इससे पहले कि उसकी संख्या बढ़े या वो फैले उसे नष्ट कर देता है। कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को पूरी तरह से अलग किया जा सकता है, जिससे कैंसर फिर दोबारा कभी नहीं होता। कुछ कैंसर उन लोगों में होने की ज़्यादा संभावना होती है जिनके इम्यून सिस्टम को बदला या बिगाड़ा गया हो, जैसे कि AIDS रोगी, इम्यून सिस्टम को दबाने वाली दवाएं लेने वाले लोग, ऐसे लोग जिन्हें ऑटोइम्यून से जुड़ी कुछ बीमारियां हों, और बुज़ुर्ग लोग, जिनमें इम्यून सिस्टम युवा लोगों के मुकाबले ज़्यादा अच्छे से काम नहीं करता। कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में होने वाले आम कैंसरों में मेलेनोमा, किडनी या गुर्दे का कैंसर, और लिंफोमा शामिल हैं। डॉक्टर यह पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि क्यों फेफड़े, स्तन, प्रोस्टेट और कोलन जैसे कुछ अन्य कैंसर, कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में ज़्यादा आम नहीं हैं।
ट्यूमर एंटीजन
एंटीजन बाहर से हमारे शरीर में आने वाला पदार्थ होता है, हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम इसकी पहचान करके इसे नष्ट कर देता है। एंटीजन सभी कोशिकाओं की सतह पर पाए जाते हैं, लेकिन सामान्य रूप से इम्यून सिस्टम किसी व्यक्ति की अपनी कोशिकाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करता है। जब कोई कोशिका, कैंसर से प्रभावित होती है, तब इम्यून सिस्टम के लिए अपरिचित—नए एंटीन—कोशिका की सतह पर दिखते हैं। इम्यून सिस्टम इन नए एंटीजन, जिन्हें ट्यूमर एंटीजन कहा जाता है, इनकी पहचान बाहर से आने वाले पदार्थ के तौर पर कर सकता है और कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को रखने या नष्ट करने का काम कर सकता है। यह वह प्रणाली है जिसके द्वारा शरीर असामान्य कोशिकाओं को नष्ट करता है और अक्सर कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को स्थापित होने से पहले ही नष्ट करने में सक्षम होता है। हालांकि, बेहतर ढंग से काम करने वाला इम्यून सिस्टम हमेशा कैंसर से प्रभावित सभी कोशिकाओं को खत्म नहीं कर सकता। और, एक बार कैंसर से प्रभावित कोशिकाएं फिर से पैदा हो जाएं और कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं (कैंसर से प्रभावित ट्यूमर) की संख्या बहुत ज़्यादा बढ़ जाए, तो शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह खराब हो सकता है।
कई प्रकार के कैंसर में ट्यूमर एंटीजन निर्धारित किए जा चुके हैं, जिनमें मेलेनोमा, स्तन कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, और लिवर का कैंसर शामिल हैं। ट्यूमर एंटीजन से बनी वैक्सीनें प्रोस्टेट कैंसर का उपचार करने में इस्तेमाल हो रही हैं और वे इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करके कैंसर के अन्य प्रकारों का इलाज कर सकती हैं। इस तरह की वैक्सीनें बड़े-बड़े अनुसंधान हित का क्षेत्र होतीं है।
कुछ ट्यूमर एंटीजनों का पता ब्लड टेस्ट के द्वारा लगाया जा सकता है। ये एंटीजन कई बार ट्यूमर मार्कर कहलाते हैं। इन ट्यूमर मार्करों में से कुछ का मापन उपचार के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करने में इस्तेमाल किया जा सकता है (कुछ ट्यूमर मार्कर तालिका देखें)।
इम्यून चेकपॉइंट
इम्यून सिस्टम के सामान्य रूप से काम करते वक्त भी, कैंसर इम्यून सिस्टम की सुरक्षात्मक निगरानी की नज़र से बचा रह सकता है।
इम्यून सिस्टम सामान्य कोशिकाओं पर आमतौर पर हमला नहीं करता है, इसका एक कारण यह है कि सामान्य कोशिकाओं की सतह पर प्रोटीन होते हैं जो फैल रही इम्यून कोशिकाओं (T कोशिकाओं) को यह संकेत करती हैं कि वे एक सामान्य कोशिका में हैं और उन पर आक्रमण नहीं होना चाहिए। इन्हें चेकपॉइंट प्रोटीन कहा जाता है। कई बार कैंसर कोशिकाएं इनमें से एक या ज़्यादा चेकपॉइंट प्रोटीनों का उत्पादन करने की क्षमता विकसित कर लेती हैं और इस तरह से आक्रमण से बच जाती हैं। नई तरह की कैंसर दवाएं जिन्हें चेकपॉइंट निरोधी कहा जाता है, वे संकेत को ब्लॉक कर सकती हैं और इससे इम्यून सिस्टम कैंसर पर आक्रमण कर सकता है।