प्रोजेरॉइड सिंड्रोम वे दुर्लभ विकार हैं जिनसे समय से पूर्व वृद्धावस्था शुरू हो जाती है और संभावित जीवन-अवधि कम हो जाती है।
कुछ विकारों के प्रभाव बिल्कुल वृद्धावस्था के प्रभावों जैसे होते हैं। वैज्ञानिक, वृद्धावस्था होने के कारणों के बारे में जानने का प्रयास करने के लिए यह अध्ययन करते हैं कि इन विकारों में क्या घटित होता है। उदाहरण के लिए, वे इन विकारों में दोषपूर्ण जीन का पता लगाते हैं और उनकी तुलना वयोवृद्ध वयस्क में पाए जाने वाले समान जीन से करते हैं।
(आयुवृद्धि का विवरण भी देखें।)
प्रोजेरॉइड सिंड्रोम
प्रोजेरॉइड सिंड्रोम में, वृद्धावस्था की प्रक्रिया अत्यधिक तेज़ हो जाती है। पीड़ित बच्चे में वृद्धावस्था के सभी बाहरी लक्षण विकसित होना शुरू हो जाते हैं, जिसमें गंजापन, कूबड़ जैसी मुद्रा और शुष्क, लोच-रहित, एवं झुर्रीदार त्वचा शामिल है। हालांकि, सामान्य वृद्धावस्था की तुलना में, अंडाशय या वृषण निष्क्रिय हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जनन-अक्षमता आ जाती है। महिलाओं को मासिक धर्म नहीं होता। दुष्प्रभावित बच्चे असाधारण रूप से छोटे कद के होते हैं। इसलिए, प्रोजेरॉइड सिंड्रोम त्वरित वृद्धावस्था का एक सटीक प्रतिरूप नहीं है।
प्रोजेरॉइड सिंड्रोम के कई प्रकार हैं। हचिन्सन-गिल्फ़ोर्ड सिंड्रोम और वर्नर सिंड्रोम में, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और इसीलिए बहुत सी दैनिक गतिविधियों को करने की क्षमता तब तक अप्रभावित रहती हैं जब तक कि कोई आघात न हो।
हचिन्सन-गिल्फ़ोर्ड सिंड्रोम (प्रोजेरिया)
हचिन्सन-गिल्फ़ोर्ड सिंड्रोम बाल्यावस्था के प्रारंभिक दौर में ही होना शुरू हो जाता है। यह एक आनुवंशिकी असामान्यता के कारण होता है परंतु आमतौर पर यह वंशागत रोग नहीं है। अर्थात्, आनुवंशिकी असामान्यता (म्यूटेशन) दुष्प्रभावित व्यक्ति में अपने आप घटित होती है। इसके कारण त्वचा का लोच-रहित और झुर्रीदार होना, गंजापन, तथा आमतौर पर वृद्धावस्था से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं (जैसे हृदय, किडनी, एवं फेफड़ों से संबंधित विकार और ऑस्टियोपोरोसिस)। शरीर सामान्य रूप से नहीं बढ़ता और इसीलिए सिर की तुलना में बहुत छोटा दिखाई देता है। हचिन्सन-गिल्फ़ोर्ड सिंड्रोम से पीड़ित अधिकांश बच्चों की किशोरावस्था में ही मृत्यु हो जाती है। मृत्यु का कारण आमतौर पर दिल का दौरा या आघात होता है। इस विकार को पैदा करने वाले म्यूटेशन का पता लगा लिया गया है, और इस दुर्लभ रोग का इलाज करने के लिए अब दवा उपचार उपलब्ध है।
वर्नर सिंड्रोम
वर्नर सिंड्रोम, एक आनुवंशिक सिंड्रोम है, जो वयस्क अवस्था में या वयस्क जीवन के प्रारंभिक दौर में होना शुरु हो जाता है। इसके कारण त्वचा का लोच-रहित और झुर्रीदार होना, गंजापन, तथा वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याएं होती हैं, जिसमें
मांसपेशी क्षीणता
कैंसर (जिसमें कैंसर के कुछ वे प्रकार शामिल हैं जो दूसरे लोगों में बहुत ही कम होते हैं)
डाउन सिंड्रोम
डाउन सिंड्रोम प्रोजेरॉइड सिंड्रोम की तुलना में एक बहुत सामान्य बीमारी है। इसके कारण युवा वयस्कों में वो समस्याएं होना शुरू हो जाती है जो विशेष रूप से वृद्धावस्था में होती हैं:
इंसुलिन प्रतिरोध
अपक्षयी जोड़ का रोग, जैसे ऑस्टिओअर्थराइटिस
समय से पूर्व मृत्यु
प्रोजेरॉइड सिंड्रोम की तुलना में, डाउन सिंड्रोम से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को अधिक क्षति पहुंचती है। इसके कारण आमतौर पर बौद्धिक अक्षमता पैदा होती है, और जीवन में आगे चलकर अल्जाइमर रोग के लक्षण उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा, ऑटोप्सी के दौरान प्राप्त किए गए और फिर सूक्ष्मदर्शी के नीचे रखकर जांच किए गए मस्तिष्क ऊतक में उसी प्रकार का डीजनरेशन देखा गया है जैसा कि अल्ज़ाइमर रोग से ग्रस्त लोगों में दिखाई देता है।