ज़िंक ज़्यादा होने की स्थिति तब होती है जब शरीर में ज़िंक नामक मिनरल ज़रूरत से ज़्यादा होता है।
ज़िंक पूरे शरीर में फ़ैल जाता है—हड्डियों, दांतों, बालों, त्वचा, लिवर, मांसपेशियों, सफेद रक्त कोशिकाओं और टेस्टिस में। यह 100 से अधिक एंज़ाइमों का एक संघटक है, जिनमें RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) और DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) बनाने वाले एंज़ाइम भी शामिल हैं।
(यह भी देखें मिनरल्स का अवलोकन।)
शरीर में ज़िंक का स्तर, आहार में ली गई ज़िंक की मात्रा पर निर्भर करता है। स्वस्थ त्वचा, घावों के इलाज और विकास के लिए ज़िंक आवश्यक है।
ऐसा बहुत कम ही होता है कि लोग बहुत अधिक ज़िंक का सेवन कर रहे हैं। आमतौर पर, ज़िंक की कोटिंग वाले (गैल्वेनाइज्ड) कंटेनर में पैक किए गए एसिडिक खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों के सेवन से ज़िंक ज़्यादा होने की स्थिति होती है। कुछ उद्योगों में, ज़िंक ऑक्साइड के धुएं को अंदर लेने से ज़िंक ज़्यादा होने की स्थिति हो सकती है।
जो लोग बहुत ज़्यादा ज़िंक का सेवन करते हैं उन्हें मतली, उल्टी और दस्त हो सकते हैं। सांसों में ज़िंक ऑक्साइड का धुआं जाने से तेज़ी-तेज़ी से सांस लेने, पसीना आने, बुखार होने, मांसपेशियों में दर्द होने और मुंह में धातु का स्वाद आने—एक विकार जिसे मैटल फ़्यूम फ़ीवर कहा जाता है– जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक बहुत अधिक ज़िंक का सेवन करने से कॉपर का अवशोषण घट सकता है जिससे एनीमिया होने और इम्यून सिस्टम ख़राब होने की स्थितियां बन सकती हैं।
ज़िंक ज़्यादा होने की स्थिति का निदान
एक डॉक्टर का मूल्यांकन
डॉक्टर व्यक्ति की परिस्थितियों और लक्षणों के आधार पर ज़िंक ज़्यादा होने का पता लगाते हैं।
ज़िंक ज़्यादा होने की स्थिति का इलाज
खान-पान में बदलाव
इलाज में ज़िंक की खपत को घटाना शामिल है।
जिन्हें मैटल फ्यूम फीवर है वे लोग आमतौर पर 12 से 24 घंटों तक बिना ज़िंक वाले वातावरण में रहने के बाद ठीक हो जाते हैं।