जिंजिवाइटिस

इनके द्वाराJames T. Ubertalli, DMD, Hingham, MA
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२२ | संशोधित सित॰ २०२२

जिंजिवाइटिस, पेरियोडोंटल डिज़ीज़ (मसूड़ों के रोग) का एक हल्का रूप है, जिसमें मसूड़े सूज जाते हैं।

  • ज़्यादातर मामलों में, सही से ब्रशिंग और फ्लॉसिंग न करने से जिंजिवाइटिस होता है। हालांकि, यह चिकित्सीय विकारों या कुछ दवाओं का उपयोग करने से भी हो सकता है।

  • मसूड़े लाल हो जाते हैं और सूज जाते हैं और उनसे आसानी से खून बहता है।

  • निदान आमतौर पर दांतों के डॉक्टर द्वारा मसूड़ों की जांच पर आधारित होता है।

  • आमतौर पर, मुँह की अच्छी तरह साफ़-सफ़ाई रखने, लगातार पेशेवर तौर से दांतों की सफाई कराने और भरपूर पोषण देने से जिंजिवाइटिस खत्म हो जाता है, और कुछ माउथवॉश इसमें मदद कर सकते हैं।

जिंजिवाइटिस एक बहुत आम बीमारी है जिसमें मसूड़े लाल हो जाते हैं और सूज जाते हैं और आसानी से खून बहने लगता है। जिंजिवाइटिस के शुरुआती चरणों में बहुत मामूली दर्द हो सकता है इसलिए इस पर इतना ध्यान नहीं जा पाता। हालांकि, जिंजिवाइटिस का इलाज न करने पर, यह बढ़कर पेरियोडोंटाइटिस का रूप ले सकता है, जो एक बहुत गंभीर मसूड़ों की बीमारी है जिसमें दांत झड़ सकते हैं।

जिंजिवाइटिस को दो भागों में बांट सकते हैं:

  • प्लाक की वजह से होने वाला जिंजिवाइटिस

  • बिना प्लाक के होने वाला जिंजिवाइटिस

प्लाक की वजह से होने वाला जिंजिवाइटिस

लगभग सभी जिंजिवाइटिस दांत में प्लाक बनने की वजह से होते हैं, प्लाक मुख्य रूप से बैक्टीरिया, लार, खाने के बचे अंश और मृत कोशिकाओं से बना एक फिल्म जैसा पदार्थ है जो लगातार दांतों पर जमा हो रहा होता है। जब प्लाक सख्त हो जाता है तो उसे टार्टर कहते हैं। बड़े पैमाने पर, इसके सबसे आम कारण है

  • सही से ब्रश और फ्लॉस न करना

सही से ब्रश न करने पर, प्लाक मसूड़ों की परत पर बना रहता है और मसूड़ों और दांतों के बीच इकट्ठा होने लगता है (जिंजिवाइटिस उन जगहों पर नहीं होता है जहां पर दांत नहीं हैं)। अगर सही से फिलिंग नहीं हुई है तो प्लाक वहां भी इकट्ठा हो सकता है। इसके अलावा, खराब रूप से साफ किए गए पार्शियल डेन्चर, ब्रिज और ऑर्थोडोंटिक एप्लायंस के अगल- बगल के दांतों के आसपास भी प्लाक जमा हो जाता है। अगर प्लाक दांतों पर 72 घंटे से ज़्यादा समय तक बना रहता है, तो यह सख्त होकर टार्टर (कैलकुलस) का रूप ले सकता है, जिसे ब्रश और फ्लॉस द्वारा पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता है।

प्लाक से मसूड़ों में परेशानी होती है और ये दांतों और मसूड़ों के बीच गड्ढे बनाता है। इन गड्ढों में रहने वाले बैक्टीरिया, जिंजिवाइटिस करने के साथ-साथ दांतों की जड़ों में कैविटीज़ भी बनाते हैं। मसूड़े लाल और सूजे हुए दिखाई देते हैं और दांतों को मज़बूती से कसकर पकड़ने के बजाय हिलने लगते हैं। मसूड़ों से आसानी से खून बह सकता है, खासकर ब्रश करते या खाते समय। लोगों को आमतौर पर दर्द नहीं होता है।

मुँह की अच्छी साफ़-सफ़ाई रखकर—हर रोज़ टूथब्रश और डेंटल फ्लॉस करके–प्लाक के कारण होने वाले जिंजिवाइटिस को रोका जा सकता है। कुछ माउथवॉश भी प्लाक को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। टार्टर बनने के बाद, इसे केवल दांतों के डॉक्टर या डेंटल हाइजीन के विशेषज्ञ ही सही तरह से हटा सकते हैं। आमतौर पर हर 6 से 12 महीनों में पेशेवर तौर पर दांतों की साफ़-सफाई (स्केलिंग और प्रोफिलैक्सिस कहा जाता है) करानी ज़रूरी हो जाती है। हालांकि, जो लोग मुँह की सही से साफ़-सफाई नहीं रखते हैं, जिन्हें ऐसी चिकित्सीय समस्याएं हैं जिनसे जिंजिवाइटिस हो सकता है, या जिनमें सामान्य से अधिक तेज़ी से प्लाक विकसित हो सकता है उन्हें कई बार पेशेवर तौर पर सफाई करवानी पड़ सकती है। चूंकि मसूड़ों में रक्त की आपूर्ति बहुत अच्छी होती है, इसलिए टार्टर और प्लाक को हटाने के बाद मसूड़े जल्दी से फिर से ठीक हो जाते हैं, बशर्तें लोग सावधानी से ब्रश और फ्लॉस करते रहें।

मुँह की खराब साफ़-सफ़ाई के अलावा, प्लाक के कारण जिंजिवाइटिस इन वजहों से भी शुरू या बदतर हो सकता है

दवाओं के कारण जिंजिवाइटिस होना

कुछ दवाओं के कारण भी गम टिशू ज़्यादा बढ़ सकता है (हाइपरप्लासिया), जिससे प्लाक को हटाना बहुत कठिन हो जाता है, ऐसा होने पर जिंजिवाइटिस होता है। फ़िनाइटोइन (दौरे को नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली दवा), साइक्लोस्पोरिन (जिन लोगों का अंग प्रत्यारोपण हुआ है उनके द्वारा ली जाने वाली दवा), और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स जैसे कि निफ़ेडिपिन (रक्तचाप और हृदय ताल असामान्यताओं को नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली दवा) की वजह से भी इस तरह की टिशू ज़्यादा बढ़ने की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, मुख-मार्ग से या इंजेक्शन से लिए जाने वाले गर्भनिरोधक से जिंजिवाइटिस उसी तरह बढ़ सकता है जैसे कि लैड/सीसा या बिस्मथ (जिसे सौंदर्य प्रसाधनों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है) या कोई और हैवी मैटल, जैसेकि निकेल (ज्वैलरी बनाने में इस्तेमाल होता है) के संपर्क में आने से।

जिंजिवाइटिस करने वाली या इसकी स्थिति को बदतर करने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज या नियंत्रण किया जाना चाहिए। अगर लोगों को कोई ऐसी दवा लेनी ज़रूरी है जिसकी वजह से भी गम टिशू ज़्यादा बढ़ने की समस्याएं होती हैं, तो अतिरिक्त गम टिशू को सर्जरी करके हटाना पड़ सकता है। हालांकि, घर पर सावधानीपूर्वक मुँह की साफ़-सफ़ाई रखने और दांतों के डॉक्टर या डेंटल हाइजीन के विशेषज्ञ द्वारा कई बार सफाई किए जाने से ऊतक बढ़ने की दर को कम किया जा सकता है और बिना सर्जरी के भी काम चल सकता है।

विटामिन की कमी के कारण जिंजिवाइटिस होना

बहुत कम मामलों में ही, विटामिन की कमी से भी जिंजिवाइटिस हो सकती है। विटामिन C की कमी (स्कर्वी) से मसूड़े सूजने, मसूड़ों में खून आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं (पेरियोडोंटाइटिस देखें)। मुंह में लाल या बैंगनी धब्बे और खरोंच दिख सकते हैं।

नियासिन की कमी (पेलाग्रा) से भी मसूड़े सूजने, मसूड़ों में खून आने जैसी समस्याएं और मुंह में पहले से ही थ्रश, या जीभ की सूजन (ग्लॉसाइटिस) जैसे कुछ संक्रमण होने की संभावना हो सकती है। और साथ ही, होंठ लाल हो जाते हैं और फट जाते हैं, जीभ चिकनी और चमकीली लाल हो जाती है, और जीभ और मुंह की परत में छाले हो सकते हैं।

अमेरिका में इस तरह की कमियां न के बराबर ही हैं।

विटामिन C और नियासिन की कमियों का इलाज विटामिन C और नियासिन सप्लीमेंट्स के साथ किया जा सकता है। इसके साथ-साथ, ताज़े फल और सब्ज़ियों का ज़्यादा सेवन भी करना चाहिए।

हार्मोन परिवर्तन के कारण जिंजिवाइटिस होना

गर्भावस्था में माइल्ड जिंजिवाइटिस ज़्यादा बिगड़ सकता है, मुख्य रूप से हार्मोनल परिवर्तनों के कारण। चूंकि गर्भवती महिलाएं सुबह के समय जी मिचलाने (मॉर्निंग सिकनेस) और थकान जैसी समस्याएं महसूस करती हैं, इसलिए अनजाने में मुँह की साफ़-सफ़ाई पर ध्यान न देने से, कुछ गर्भवती महिलाओं में यह समस्या और बढ़ सकती है। गर्भावस्था के दौरान भी, एक मामूली जलन/रगड़ से, टार्टर बनने या तेज़ किनारे वाले नए दांत की वजह से, गम टिशू एक नरम, लाल, ढेले की तरह ज़्यादा बढ़ने लग सकता है, जिसे प्रेगनेंसी ट्यूमर (गर्भावस्था में होने वाला ट्यूमर) (पाइोजेनिक ग्रैनुलोमा) कहा जाता है। अगर बढ़े हुए टिशू में चोट लग जाती है तो उसमें से आसानी से खून बहने लगता है और खाने में परेशानी हो सकती है।

अगर गर्भवती महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस और/या थकान के कारण मुँह की साफ़-सफ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं, तो दांतों के डॉक्टर, जी मिचलाने की स्थिति को बदतर बनाए बिना दांतों और मसूड़ों को साफ रखने के तरीके सुझा सकते हैं। टूथपेस्ट लगाए बिना हल्के-हल्के ब्रश करना, या ब्रश करने के बाद नमक के पानी से कुल्ला करने से भी फ़ायदा मिल सकता है। गर्भावस्था में परेशान करने वाले ट्यूमर को सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है। हालांकि, ऐसे ट्यूमर, गर्भावस्था तक और गर्भावस्था पूरी होने के बाद भी, बार-बार बन सकते हैं।

मीनोपॉज़ (माहवारी रुकना) की वजह से डेस्क्वामेटिव जिंजिवाइटिस हो सकता है, जोकि मीनोपॉज़ (माहवारी रुकना) के बाद महिलाओं में सबसे अधिक होने वाली एक दर्दनाक स्थिति है और जिसे सही तरह से समझा नहीं जा सका है। इस स्थिति में, मसूड़ों की बाहरी परतों से आसानी से खून रिसने लगता है और अंदरूनी ऊतक (डेस्क्वामेट) से अलग हो जाते हैं। ऐसा होने पर, नसें खुले संपर्क में आ सकती हैं। गम टिशू की बाहरी परत कॉटन स्वैब (रुई के फ़ाहे) से या दांतों के डॉक्टर के एयर सिरिंज से हटाई जा सकती है।

अगर मीनोपॉज़ (माहवारी रुकना) के दौरान डेस्क्वामेटिव जिंजिवाइटिस होता है, तो ऐसे में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी मदद कर सकती है। इसके अलावा, सीधे सूजन वाली जगह पर लगाने के लिए दांतों के डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड रिन्ज़ या कॉर्टिकोस्टेरॉइड पेस्ट लिखकर दे सकते हैं।

ल्यूकेमिया के कारण जिंजिवाइटिस होना

ल्यूकेमिया से जिंजिवाइटिस हो सकता है। बल्कि यूं कहें, कि ल्यूकेमिया से ग्रस्त लगभग 25% बच्चों में जिंजिवाइटिस इस बीमारी का पहला संकेत होता है। मसूड़ों में ल्यूकेमिया की कोशिकाओं की घुसपैठ से जिंजिवाइटिस होता है, और संक्रमण से लड़ने की कम क्षमता इसे और बदतर बना देती है। मसूड़े सूज जाते हैं, उनमें दर्द होता है और वो लाल हो जाते हैं और उनसे आसानी से खून बहता है। चूंकि ल्यूकेमिया के रोगियों में रक्त का थक्का आम तरह से नहीं बना पाता है, इसलिए अक्सर, खून रिसना कई मिनट या उससे अधिक समय तक जारी रहता है। आमतौर पर कम मामलों में ही, गम टिशू में कैंसर हो सकता है

ल्यूकेमिया के कारण होने वाले जिंजिवाइटिस की स्थिति में, दांतों और मसूड़ों को ब्रश और फ्लॉस करने के बजाय गेज़ पैड या स्पंज से बहुत ही हल्के-हल्के पोंछकर खून के रिसाव को रोका जा सकता है। दांतों के डॉक्टर प्लाक पर काबू पाने और मुंह के संक्रमण को रोकने के लिए एक क्लोरहेक्सिडिन माउथ रिन्ज़ लेने के लिए लिख सकते हैं। जब ल्यूकेमिया कम हो रहा होता है (जब कैंसर के प्रमाण गायब हो जाते हैं), तब दांतों की अच्छी देखभाल से मसूड़ों का स्वास्थ्य दोबारा बेहतर हो सकता है।

बिना प्लाक के होने वाला जिंजिवाइटिस

बिना प्लाक के होने वाला जिंजिवाइटिस, कुछ प्रतिशत लोगों में ही होता है। यह संक्रमण, एलर्जी, अन्य चिकित्सा विकार और चोट लगने के कारण हो सकता है।

संक्रमण के कारण जिंजिवाइटिस होना

वायरल संक्रमणों से जिंजिवाइटिस हो सकता है। एक्यूट हर्पेटिक जिंजिवोस्टोमैटाइटिस मसूड़ों और मुंह के अन्य हिस्सों में दर्द के साथ होने वाला एक वायरल संक्रमण है जो हर्पीस वायरस की वजह से होता है। यह संक्रमण होने पर मसूड़े चमकीले लाल हो जाते हैं और मुंह के अंदर कई छोटे सफेद या पीले छाले बन जाते हैं।

एक्यूट हर्पेटिक जिंजिवोस्टोमैटाइटिस से आमतौर पर इलाज के बिना 2 सप्ताह में आराम मिल जाता है। बहुत गहराई से सफाई करने पर ज़्यादा फ़ायदा नहीं होता, इसलिए अगर संक्रमण में अभी भी दर्द हो तो हल्के-हल्के ब्रश करना चाहिए। दांतों के डॉक्टर एक एनेस्थेटिक माउथ रिन्ज़ लेने की सलाह दे सकते हैं, ताकि खाते-पीते समय कोई परेशानी न हो।

फंगल संक्रमण से भी जिंजिवाइटिस हो सकता है। आमतौर पर, फंगस बहुत कम मात्रा में मुंह में पनपता है। एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग या संपूर्ण स्वास्थ्य में बदलाव होने से मुंह में फंगस की संख्या बढ़ सकती है। थ्रश (कैंडिडिआसिस) एक फंगल संक्रमण है जिसमें फंगस, विशेष रूप से कैंडिडा एल्बिकान्स, के ज़्यादा बढ़ने से एक सफेद या लाल धब्बा बन जाता है जिससे मसूड़ों में समस्या होने लगती है। जीभ और मुंह के कोनों पर धब्बों की कोटिंग बन सकती है जिसे हटाने पर उस सतह से खून रिस सकता है।

थ्रश का इलाज एक एंटिफंगल दवा, जैसे कि निस्टैटिन, माउथ रिन्ज़ या मुंह में धीरे-धीरे घुलने के लिए बनाए गए लोज़ेंज के माध्यम से किया जा सकता है। डेन्चर को रात भर के लिए निस्टैटिन के घोल में भी भिगोकर रखना चाहिए। मुँह की अच्छी साफ़-सफ़ाई (सही से ब्रशिंग और फ्लॉसिंग) रखकर और दांतों की अंदरूनी समस्याओं का इलाज करने–जैसे कि खराब फिटिंग वाले डेन्चर को ठीक करना– से भी मदद मिल सकती है।

इम्पैक्टेड टूथ (दबाव में आए दांत) के कारण जिंजिवाइटिस होना (पेरिकोरोनाइटिस)

इम्पैक्टेड टूथ (दबाव में आए दांत) (एक दांत जो पूरी तरह से उगा नहीं है) के क्राउन के आसपास के मसूड़ों में जिंजिवाइटिस फैल सकता है। इस स्थिति में, जिसे पेरिकोरोनाइटिस कहा जाता है, वह दांत जो अभी पूरी तरह से उगा नहीं है उसके और उसके आस-पास के मसूड़े सूज जाते हैं। आंशिक तौर से उगे दांत पर मसूड़े के फ्लैप में तरल पदार्थ, खाने के बचे टुकड़े और बैक्टीरिया फंस सकते हैं।

पेरिकोरोनाइटिस के ज़्यादातर मामले अकल दाढ़ (तीसरे मोलार्स) के आसपास होते हैं, विशेष रूप से मुँह के निचले भाग की अकल दाढ़ में। अगर मुँह के निचले भाग के बजाय मुँह के ऊपरी भाग की अकल दाढ़ पहले आती है, तो यह इस फ्लैप को काट सकती है, जिससे परेशानी बढ़ सकती है। संक्रमण पैदा हो सकता है जो गले या गाल तक फैल सकता है। दांत पूरी तरह से उगने के बाद फ्लैप गायब हो जाता है।

जब लोगों को पेरिकोरोनाइटिस होता है, तो दांतों के डॉक्टर मसूड़े के फ्लैप के नीचे सेलाइन वॉटर की तेज़ धार छोड़कर मलबे और बैक्टीरिया को बाहर निकाल सकते हैं। कभी-कभी, लोगों को घर पर नमक के पानी, हाइड्रोजन पेरोक्साइड या एंटीसेप्टिक क्लोरहेक्सिडिन से कुल्ला करने का निर्देश दिया जाता है। अगर एक्स-रे दिखाते हैं कि निचले दांत पूरी तरह से नहीं उग सकते, तो दांतों के डॉक्टर ऊपरी दांत को हटा सकते हैं और निचले दांत को हटाने से पहले कुछ दिनों के लिए एंटीबायोटिक्स लेने को कह सकते हैं। कभी-कभी दांतों के डॉक्टर निचले दांत को तुरंत हटा देते हैं।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित कुछ अंग्रेजी भाषा के संसाधन हैं जो उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Mouth Healthy: यह आम रिसोर्स पोषण के साथ-साथ मौखिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता है, साथ ही इससमें अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की मंज़ूरी वाली सील लगे प्रॉडक्ट चुनने के बारे में भी मार्गदर्शन दिया गया है। इसके बारे में भी सलाह दी गई है कि दांतों के डॉक्टर कहाँ पर उपलब्ध हैं और उनसे कैसे और कब मिल सकते हैं।

  2. National Institute of Dental and Craniofacial Research: यह सरकारी साइट मुँह और दांतों के स्वास्थ्य से संबंधित कई विषयों को शामिल करती है (अंग्रेजी और स्पेनिश में), साथ ही, इसमें सामान्य शब्दों की परिभाषा और मुँह एवं दांत के रोगों से संबंधित नैदानिक परीक्षणों (क्लिनिकल ट्रायल्स) की नवीनतम जानकारी दी गई है।