हंटिंगटन रोग

(हंटिंगटन रोग; हंटिंगटन कोरिया; क्रोनिक प्रगतिशील कोरिया; आनुवंशिक कोरिया)

इनके द्वाराAlex Rajput, MD, University of Saskatchewan;
Eric Noyes, MD, University of Saskatchewan
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया फ़र॰ २०२४

हंटिंगटन का रोग एक वंशानुगत रोग है, जो रैंडम, प्रवाही गतिविधियों के कारण होती है, जो अनैच्छिक होती हैं और जिन्हें कम नहीं जा सकता (कोरिया कहा जाता है)। कभी-कभी किसी मांसपेशी या मांसपेशियों के समूह में झटका लगता है (जो मायोक्लोनिक झटके कहलाते हैं)। विकार अधिक स्पष्ट अनैच्छिक गतिविधियों (कभी-कभी छटपटाहट वाली गतिविधियां, जिसे एथेटोसिस कहा जाता है), मानसिक स्थिति खराब होने और मृत्यु तक बढ़ जाता है।

  • हंटिंगटन रोग में, मस्तिष्क के वह हिस्से जो सामान्य हो जाते हैं तथा गतिविधि को समन्वित करते हैं, उनमें बीमारी होती है।

  • गतिविधि झटकेदार और असमन्वित हो जाती हैं, तथा मानसिक कार्य, जिसमें स्व-नियंत्रण और स्मृति शामिल है, बदतर हो जाती है।

  • डॉक्टर लक्षणों को पारिवारिक इतिहास, मस्तिष्क की इमेजिंग तथा आनुवंशिक परीक्षण पर आधारित करते हैं।

  • लक्षणों में राहत के लिए दवाओं से थोड़ी मदद मिल सकती है, लेकिन विकार बढ़ता जाता है, और आखिरकार मौत हो जाती है।

(गतिविधि से जुड़ी समस्याओं का विवरण भी देखें।)

हंटिंगटन रोग 100,000 लोगों में से लगभग 3 लोगों को प्रभावित करती हैं। कितने लोग प्रभावित होंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे दुनिया के किस हिस्से में रहते हैं। इससे पुरुष और स्त्री, दोनों समान रूप से प्रभावित होते हैं।

हंटिंगटन रोग के जीन डोमिनेंट होते हैं। यानि माता-पिता में से किसी एक से आनुवंशिक रूप से प्राप्त, और असामान्य जीन की केवल एक प्रति ही रोग करने के लिए पर्याप्त होती है। इसलिए, ऐसा व्यक्ति जिसको हंटिंगटन रोग है, उसके बच्चों को इसको विकसित करने की 50% संभावनाएँ होती हैं।

हंटिंगटन बीमारी, बेसल गैन्ग्लिया के हिस्सों जिन्हें काउडेट न्यूक्लियस तथा पुटामेन कहा जाता है, इनमें धीमी बीमारी के कारण होती है। बेसल गैन्ग्लिया, तंत्रिका कोशिकाओं कां संग्रह है जो मस्तिष्क में गहराई तक सेरेब्रम के आधार पर स्थित होता है। वे गतिविधियों को सामान्य बनाने और समन्वित करने में सहायता करते हैं।

बेसल गैन्ग्लिया का पता लगाना

बेसल गैन्ग्लिया तंत्रिका कोशिकाओं का संग्रहण होता है जो मस्तिष्क में गहराई तक स्थित होते हैं। उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • काउडेट केंद्रक (C-आकार स्ट्रक्चर जो टेपर होकर पतली टेल बन जाता है)

  • पुटामेन

  • ग्लोबस पैल्लिडस (पुटामेन के बाद स्थित)

  • सब्थैल्मिक केंद्रक

  • स्बस्टेंशिया नाइग्रा

बेसल गैन्ग्लिया द्वारा मांसपेशी की अपने-आप होने वाली गतिविधि को सामान्य तथा सहज किया जाता है, इस तरह की समस्या को रोका जाता है, तथा पोस्चर में बदलावों को समन्वित किया जाता है।

हंटिंगटन रोग के लक्षण

हंटिंगटन रोग के लक्षण आमतौर पर सूक्ष्म रूप से विकसित होते हैं, खास तौर पर 35 से 40 वर्ष की आयु में, लेकिन कभी-कभी वयस्कता से पहले भी विकसित हो जाते हैं।

हंटिंगटन रोग के प्रारम्भिक चरणों में, चेहरा, ट्रंक, तथा अंग अनैच्छिक रूप से और तेजी से बढ़ते हैं। सबसे पहले, इन असामान्य अनैच्छिक गतिविधि को लोग उद्देश्यपूर्ण गतिविधि के साथ मिश्रित कर सकते हैं, जिससे उनकी अनैच्छिक गतिविधि को शायद ही कभी नोट किया जाता है। हालांकि, समय के साथ, गतिविधि अधिक स्पष्ट हो जाती हैं।

संक्षिप्त रूप से मांसपेशियाँ संकुचित हो सकती हैं, जिसके कारण बाजुओं या शरीर का अन्य भाग में अचानक झटका लगता है, कभी कभी ऐसा लगातार कई बार होता है।

लोग झुकी हुई या बहुत ही अल्हड़ता से चलते हैं, जैसे कि कोई कठपुतली हो। वे मुंह बना सकते हैं, अंगों को झटक सकते हैं, और अधिक बार आँखे झपका सकते हैं। गतिविधिया असमन्वित तथा धीमी हो सकती हैं। आखिर में पूरा शरीर प्रभावित हो सकता है, जिसके कारण पैदल चलना, स्थिर बैठना, खाना, बोलना, निगलना तथा ड्रेसिंग करना बहुत ही कठिन हो सकता है।

मानसिक परिवर्तन बार-बार होते हैं, और असामान्य गतिविधि के होने से पहले या उसके दौरान हो सकते हैं। पहले-पहले ये लक्षण सूक्ष्म होते हैं। लोग धीरे धीरे चिड़चिड़े, उत्तेजक, तथा गुस्सैल हो सकते हैं। उनको सामान्य गतिविधियों में कोई रूचि नहीं रह सकती हैं। वे अपने आवेगों को नियंत्रित करने में असफल रह सकते हैं, अपना आपा खो सकते हैं, उनमें निराशा के दौरे पड़ सकते हैं और वे बहुत अधिक आज़ाद प्रवृत्ति को अपना सकते हैं।

हंटिंगटन रोग के बढ़ने के साथ, लोग गैरज़िम्मेदार व्यवहार कर सकते हैं तथा अक्सर बिना उद्देश्य के इधर-उधर घूम सकते हैं। कई वर्षों में वे अपनी याददाश्त तथा बेहतर तरीके से सोचने की क्षमता को गंवा बैठते हैं। वे बहुत अधिक ड्रिप्रेशन में जा सकते हैं और आत्महत्या की कोशिश कर सकते हैं। वे चिंतित हो सकते हैं या आब्सेसिव कम्पल्सिव बीमारी को विकसित कर सकते हैं।

उन्नत रोग की स्थिति में, डिमेंशिया गंभीर होता है, तथा लोगों का जीवन बिस्तर तक ही सीमित हो जाता है। पूर्णकालिक सहायता और नर्सिंग होम की ज़रूरत होती है। लक्षणों की शुरुआत होने पर आमतौर पर 13 से 15 वर्ष के दौरान मौत हो जाती है।

हंटिंगटन रोग का निदान

  • डॉक्टर का मूल्यांकन, जिसकी पुष्टि आनुवंशिक जांच से की जाती है

  • मस्तिष्क की कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी या मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग

शुरुआती चरणों में हंटिंगटन रोग की पहचान करना कठिन हो सकता है, क्योंकि लक्षण सूक्ष्म हो सकते हैं। लक्षणों और पारिवारिक इतिहास के आधार पर रोग का शक हो सकता है। डॉक्टर को उन रिश्तों के बारे में बताया जाना चाहिए जिनको मानसिक समस्याएं हैं या जिनका निदान न्यूरोलॉजिक बीमारी (जैसे पार्किंसन रोग) या मनोरोग-विकार (जैसे सीज़ोफ़्रेनिया) से किया गया है, क्योंकि उनको हंटिंगटन रोग हो सकता है जिसका निदान नहीं किया गया हो सकता है।

कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) या मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) को यह देखने के लिए किया जाता है कि क्या बेसल गैन्ग्लिया या मस्तिष्क के अन्य हिस्सों का अपक्षय हुआ है, जो आमतौर पर रोग से प्रभावित होते हैं और साथ ही, अन्य बीमारियों की संभावना को भी दूर किया जा सके।

डायग्नोसिस की पुष्टि के लिए आनुवंशिक परीक्षण किया जाता है। आनुवंशिक जांच तथा परामर्श उन लोगों के लिए मायने रखते हैं जिनको रोग का पारिवारिक इतिहास रहा है, लेकिन कोई लक्षण नहीं हैं, क्योंकि लक्षणों के विकास होने से पहले लोगों के बच्चे हो जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए, आनुवंशिक जांच से पहले आनुवंशिक परामर्श किया जाना चाहिए। उनको उन केंद्रों में भेजा जाता है जहाँ पर शामिल जटिल नैतिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों से निपटने में विशेषज्ञता होती है।

हंटिंगटन रोग में आनुवंशिक जांच

आनुवंशिक म्यूटेशन जिसके कारण हंटिंगटन रोग होता है, वह क्रोमोसोम 4 में स्थित होता है। इसमें DNA के आनुवंशिक कोड के खास खंड की पुनरावृत्ति शामिल होती है। यह जितनी ज़्यादा बार दोहराता है, उसके लक्षण उतनी जल्दी शुरू हो जाते हैं।

हंटिंगटन रोग के जीन डोमिनेंट होते हैं। इस प्रकार, असामान्य जीन की एक प्रति होना, जिसे माता-पिता में से किसी एक से आनुवंशिक रूप से प्राप्त किया जाता है, वह रोग करने के लिए पर्याप्त है। लगभग सभी लोगों जिनको यह रोग होता है, उनमें असामान्य जीन की केवल एक प्रति होती है। ऐसे लोगों के बच्चों को असामान्य जीन और इस प्रकार बीमारी विरासत में मिलने की 50% संभावना होती है।

ऐसे लोग जिनके माता-पिता या दादा को हंटिंगटन रोग होता है, वे आनुवंशिक जांच करवा कर यह पता लगा सकते हैं कि क्या उन्होनें रोग का जीन आनुवंशिक रूप से प्राप्त किया है। जांच के लिए, खून का नमूना लिया जाता है और उसका विश्लेषण किया जाता है। हो सकता है कि ऐसे लोग यह पता लगवाना चाहें या न चाहें कि क्या आनुवंशिक रूप से उन्हें रोग मिला है। आनुवंशिक जांच से पहले इस मुद्दे पर आनुवंशिक परामर्श में विशेषज्ञ से चर्चा की जानी चाहिए।

हंटिंगटन रोग का उपचार

  • लक्षणों में राहत देने के लिए एंटीसाइकोटिक और अन्य दवाएँ

निदान करने के बाद, जितनी जल्दी हो सके, हंटिंगटन रोग से पीड़ित लोगों को उन्नत दिशानिर्देश तय कर लेने चाहिए जिसमें यह दर्शाया जाता है कि वे अपने जीवन के आखिर में किस तरह की चिकित्सा देखभाल चाहते हैं।

हंटिंगटन रोग के लिए कोई उपचार नहीं है। हालांकि, कुछ दवाएँ लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। एंटीसाइकोटिक दवाएँ (जैसे क्लोरप्रोमाज़िन, हैलोपेरिडोल, रिस्पेरिडोन और ओलेंज़ापिन) डिप्रेशन वाले लोगों की मदद कर सकती हैं और किसी भी उत्तेजना को नियंत्रित कर सकती हैं। ऐसी दवाएँ जो डोपामाइन की मात्रा को कम करती हैं (जैसे टेट्राबेनाज़ीन, ड्यूटेट्राबेनाज़ीन, तथा अन्य एंटीहाइपरटेंसिव रिसर्पीन), उनसे असामान्य गतिविधियों को रोकने (दबाने) में मदद मिल सकती है।

एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग डिप्रेशन के उपचार के लिए किया जा सकता है।

डॉक्टर आनुवंशिक परामर्श और आनुवंशिक जांच की पेशकश उन लोगों को करते हैं, जिनके माता-पिता या भाई-बहनों को हंटिंगटन रोग होता है। आनुवंशिक जांच से पहले आनुवंशिक परामर्श प्रदान किया जाना चाहिए, क्योंकि हंटिंगटन रोग के नतीजे काफी गंभीर होते हैं। प्रजनन क्षमता वाली महिलाओं और पिता बनने पर विचार करने वाले पुरूषों के लिए परामर्श बहुत महत्वपूर्ण होता है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Huntington disease: इस वेब साइट में हंटिंगटन बीमारी के बारे में बताया गया है और इस बात पर चर्चा की गई है कि यह रोग किस वजह से होता है तथा इसे कैसे आनुवंशिक रूप से प्राप्त किया जाता है, तथा इसके निदान तथा उपचार के लिंक भी दिए गए हैं।

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