स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा एक कैंसर है जो त्वचा की स्क्वेमस कोशिकाओं में शुरू होता है।
त्वचा पर मोटे और पपड़ीदार उभार बन जाते हैं जो ठीक नहीं होते हैं।
इस कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर बायोप्सी करते हैं।
सर्जरी से, त्वचा पर लगाई जाने वाली कीमोथेरेपी से और कभी-कभी रेडिएशन थेरेपी द्वारा उपचार से यह कैंसर आमतौर पर ठीक हो जाता है, बशर्ते वह फैला न हो।
अगर कैंसर फैल चुका हो, तो लोगों को PD-1 इन्हिबिटर्स नाम की दवाएँ दी जा सकती हैं।
यदि कैंसर शरीर के दूसरे भागों तक फैल गया है तो वह जानलेवा हो सकता है।
स्क्वेमस कोशिकाएँ (कैरेटिनोसाइट) एपिडर्मिस (त्वचा की बाहरी परत) की मुख्य संरचना कोशिकाएँ हैं। स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा इन्हीं कोशिकाओं का कैंसर है। अमेरिका में हर वर्ष 1.8 मिलियन लोगों में स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का निदान होता है।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा, जो बेसल सेल कार्सिनोमा के बाद दूसरा सबसे आम त्वचा का कैंसर है, जो आमतौर पर धूप के संपर्क में आने वाली जगहों पर होता है। हालांकि, जहाँ धूप का संपर्क कम से कम हो, यह वहाँ त्वचा पर या मुंह में कहीं भी बढ़ सकता है।
जिन लोगों की त्वचा धूप के संपर्क में अधिक रही हो उनकी त्वचा में स्क्वेमस सेल त्वचा का कैंसर होने का जोखिम अधिक होता है। गोरी त्वचा वाले लोगों में स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा होने की संभावना गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों से अधिक होती है।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा सामान्य त्वचा पर हो सकता है पर क्षतिग्रस्त त्वचा में इसके होने की संभावना अधिक होती है। ऐसी क्षति में निम्न बातें शामिल है
पूर्व में धूप से संपर्क के कारण त्वचा में कैंसर-पूर्व वृद्धियां (एक्टिनिक केरटोज़)
त्वचा पर या म्युकस झिल्लियों (जैसे वे झिल्लियाँ जो आंखों, नाक, और फेफड़ों का अस्तर होती हैं) या जननांग पर पुराने घाव
ऐसी त्वचा जिस पर विशेष रूप से जलने की वजह से घाव के निशान हों
मुंह में, त्वचा की कैंसर-पूर्व वृद्धियां सफ़ेद या लाल धब्बों (ल्यूकोप्लाकिया या एरिथ्रोप्लेकिया) के रूप में दिखती हैं।
मूल रूप से ऊपरी सतह में स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और संभावित रूप से केराटोकेन्थोमस स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा के प्रकार हैं।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा के लक्षण
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा को उसके मोटी, पपड़ीदार, और अनियमित स्वरुप से पहचाना जाता है, पर इसके अलग-अलग स्वरुप हो सकते हैं, और डॉक्टर धूप के संपर्क में आई सतहों पर मौजूद ऐसे किसी भी घाव पर शंका कर सकते हैं जो ठीक न हो रहा हो।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा की शुरुआत आम तौर पर किसी लाल जगह की सतह पर पपड़ी और परत होने के रूप में होती है। बढ़ने पर, ट्यूमर थोड़ा उठा हुआ और ठोस हो जाता है, और कभी-कभी उसकी सतह मस्से जैसी होती है। आगे चलकर कैंसर एक खुला घाव बन जाता है और नीचे मौजूद ऊतक में बढ़ने लगता है।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा की अलग-अलग स्वरुप हो सकते हैं। इस फोटो में उठी हुई, पपड़ीदार, और परतदार स्वरुप देखी जा सकती है।
थॉमस हबीफ, MD द्वारा प्रदान की गई छवि।
बाँह पर मौजूद इस लाल, अनियमित स्थान की डाइग्नोसिस बायोप्सी के बाद स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा के रूप में हुई थी।
© स्प्रिंगर सायन्स + बिज़नेस मीडिया
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा की अलग-अलग स्वरुप हो सकते हैं। इस फोटो में ऐसा स्थान देखा जा सकता है जो पपड़ीदार व परतदार है और आस-पास की त्वचा से गहरे रंग का है। बायोप्सी के बाद इसकी डाइग्नोसिस स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा के रूप में हुई थी।
डॉ. पी. मराज़ी / विज्ञान फोटो लाइब्रेरी
होठ पर मौजूद इस स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा में कैरेटिन (त्वचा की सतह पर बनने वाला एक प्रोटीन जो कत्थई परत के रूप में दिखता है) का अधिक जमाव देखा जा सकता है जो कट-फटकर खुला घाव बन गया है। (डॉक्टर ने कार्सिनोमा की सीमा को पेन से चिह्नित किया है।)
फोटो ग्रेगरी एल. वेल्स, MD के सौजन्य से।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का निदान
बायोप्सी
जब डॉक्टरों को स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का संदेह होता है, तो वे कैंसर को मिलते-जुलते दिखने वाले रोगों से अलग पहचानने के लिए बायोप्सी करते हैं। बायोप्सी में डॉक्टर ट्यूमर का एक छोटा सा टुकड़ा निकालकर उसे माइक्रोस्कोप से जांचते हैं।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का उपचार
ट्यूमर निकालना (कई अलग-अलग विधियां)
डॉक्टर ट्यूमर को खुरच कर और इलेक्ट्रिक नीडिल से जलाकर (क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन), ट्यूमर को काटने के बाद निकालकर (सर्जिकल एक्सिज़न), बहुत अधिक ठंडा करने के ज़रिए कैंसर को नष्ट करके (क्रायोसर्जरी), या त्वचा पर कीमोथेरेपी दवाएँ लगाकर स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का उपचार करते हैं। डॉक्टर फोटोडायनमिक थेरेपी (त्वचा समस्याओं के उपचार के लिए लेजर का उपयोग देखें) का उपयोग भी कर सकते हैं, जिसमें स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा के उपचार के लिए त्वचा पर रसायनों और लेजर का, या कभी-कभी, रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किया जाता है।
जिन लोगों के स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा लौट आए हैं या विशाल हैं उनका उपचार मोस माइक्रोस्कोप-नियंत्रित सर्जरी नामक तकनीक से किया जाना चाहिए। सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी दी जा सकती है।
शरीर के केवल एक या कुछ अन्य भागों तक फैल चुके (मेटास्टेसाइज्ड) स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का उपचार रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है। यदि कैंसर बड़े भाग में फैल चुका हो, तो रेडिएशन थेरेपी का उपयोग नहीं हो सकता है, और कीमोथेरेपी आम तौर पर प्रभावी नहीं होती है।
जिन लोगों की सर्जरी नहीं की जा सकती है और जो ऐसे विशाल स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा से ग्रस्त हैं जो नीचे मौजूद ऊतक में या शरीर में कहीं और फैल चुका है, उन्हें PD-1 इन्हिबिटर्स (जैसे सेमीप्लिमैब और पैम्ब्रोलिज़ुमैब) दी जा सकती हैं। PD-1 इन्हिबिटर्स शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को यह कैंसर नष्ट करने में मदद देते हैं। इन दवाओं को PD-1 इन्हिबिटर कहा जाता है, क्योंकि वे कैंसर सेल की सतह पर मौजूद एक प्रोटीन की क्रिया को अवरुद्ध करती हैं, जिसका नाम प्रोग्राम्ड सेल डेथ प्रोटीन 1 है। यह प्रोटीन कैंसर कोशिकाओं को प्रतिरक्षा तंत्र के प्रभावों से बचाता है। जब PD-1 अवरोधक प्रोटीन को अवरुद्ध करते हैं, तो प्रतिरक्षा तंत्र कैंसर कोशिका पर हमला करने और उसे मारने में सक्षम होता है।
चूंकि स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा की अपेक्षा इस कैंसर के फैलाव का जोखिम अधिक है, इसलिए डॉक्टर उपचार और फ़ॉलो-अप पर क़रीबी नज़र रखते हैं।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा का पूर्वानुमान
आम तौर पर, शुरुआत में ही और पर्याप्त ढंग से निकाल दिए जाने वाले छोटे ट्यूमरों का पूर्वानुमान बहुत अच्छा होता है। उपचार आम तौर पर प्रभावी होता है, और अधिकतर लोग जीवित बच जाते हैं।
अधिकतर स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा केवल अपने आस-पास के स्थान को प्रभावित करते हैं, और आस-पास के ऊतकों में प्रवेश करते हैं। पर इनमें से कुछ कार्सिनोमा शरीर के दूरस्थ भागों, आस-पास की त्वचा, लसिका ग्रंथियों, और अंततः आस-पास के अंगों में फैल जाते हैं (मेटास्टेसिस करते हैं) और वे जानलेवा हो सकते हैं। ¾ इंच (2 सेंटीमीटर) से अधिक चौड़े या 1/8 इंच (2 मिलीमीटर) से अधिक गहरे बढ़े हुए ट्यूमर, या कानों और होठों के पास, घाव में, या तंत्रिकाओं के आस-पास होने वाले ट्यूमरों के फैलने की संभावना अधिक होती है। जीभ या मुंह में कहीं और होने वाले कैंसर के लगभग एक-तिहाई मामले, निदान होने से पहले फैल चुके होते हैं (मुंह और गले का कैंसर देखें)।
अगर कैंसर का उपचार मेटास्टेसिस होने से पहले हो जाए, तो व्यक्ति आमतौर पर ठीक हो जाता है। हालांकि, अगर कैंसर फैल चुका हो, तो उपचार के बावजूद भी अगले 5 वर्षों में जीवित बचने की संभावना सिर्फ़ 34% होती है।
स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा की रोकथाम
चूंकि स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा धूप के संपर्क से हो सकता है, इसलिए लोग बचपन की शुरुआत से ही निम्नलिखित उपाय करके इस कैंसर की रोकथाम में मदद कर सकते हैं:
धूप से बचना: उदाहरण के लिए, छाया में रहना, सुबह 10 बजे से दोपहर 4 बजे तक (जब सूर्य की किरणें सर्वाधिक शक्तिशाली होती हैं) बाहर खुले में गतिविधियां कम-से-कम करना और धूप सेंकने तथा टैनिंग बेड के उपयोग से बचना
रक्षा करने वाले कपड़े पहनें: उदाहरण के लिए, लंबी आस्तीनों वाली शर्ट, पैंट और चौड़े किनारे वाली टोपियां
सनस्क्रीन का उपयोग करना: कम-से-कम सन प्रोटेक्शन फैक्टर (SPF) 30 और UVA तथा UVB सुरक्षा वाली सनस्क्रीन का उपयोग निर्देशों के अनुसार किया जाए और हर 2 घंटों पर दोबारा लगाई जाए और तैरने या पसीना आने के बाद दोबारा लगाई जाए, लेकिन इसका उपयोग धूप से संपर्क की अवधि बढ़ाने के लिए न हो
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American Cancer Society: Squamous Cell Skin Cancer: स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा के बारे में जानकारी, जिसमें उनका पता लगाना, रोकथाम, इलाज के विकल्प और प्रॉग्नॉसिस शामिल हैं
The Skin Cancer Foundation: Squamous Cell Carcinoma: स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा के बारे में जानकारी, जिसमें उनका पता लगाना, रोकथाम, इलाज के विकल्प और प्रॉग्नॉसिस शामिल हैं