पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस

इनके द्वाराShinjita Das, MD MPH, Massachusetts General Hospital
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया सित॰ २०२३

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस एक दुर्लभ क्रोनिक त्वचा विकार है जो हथेलियों और तलवों सहित त्वचा को मोटा और पीला कर देता है, और लाल, उभरे हुए उभार का कारण बनता है। ये उभार साथ जुड़कर लाल-नारंगी चकत्ते (प्लाक) बना सकते हैं जिनके बीच-बीच में सामान्य त्वचा वाले स्थान होते हैं।

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस का कारण अज्ञात है।

इस विकार के दो सबसे आम रूप हैं

  • जुवेनाइल क्लासिक

  • एडल्ट क्लासिक

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस का जुवेनाइल क्लासिक रूप एक से दूसरी पीढ़ी में संचारित होता है और इसकी शुरुआत बचपन में होती है। पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस का एडल्ट क्लासिक रूप एक से दूसरी पीढ़ी में संचारित होता प्रतीत नहीं होता है और इसकी शुरुआत वयस्क अवस्था में होती है।

दोनों आयु वर्गों में अन्य नॉन-क्लासिक रूप भी मौजूद हैं। धूप, ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) का संक्रमण या कोई और संक्रमण, मामूली चोट या आघात, या कोई ऑटोइम्यून विकार इसके उत्प्रेरण का कारण बन सकते हैं।

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस के लक्षण

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस के लक्षणों में शामिल हैं गुलाबी, लाल, या नारंगी-लाल, पपड़ीदार धब्बे जो शरीर के किसी भी भाग पर हो सकते हैं और आम तौर पर खुजली वाले होते हैं। त्वचा मोटी हो सकती है और पीली पड़ सकती है।

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस
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पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस के कारण हथेलियों और तलवों की त्वचा मोटी हो सकती है और पीली पड़ सकती है।
थॉमस हबीफ, MD द्वारा प्रदान की गई छवि।

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • स्किन बायोप्सी

डॉक्टरों द्वारा पिटिरियासिस रूब्रा पिलारिस के निदान की पुष्टि इस बात पर आधारित होती है कि पपड़ियाँ और प्लाक कैसे दिखाई देते हैं और वे शरीर पर कहाँ-कहाँ मौजूद हैं।

कभी-कभी, डॉक्टर त्वचा ऊतक का नमूना लेकर माइक्रोस्कोप से उसकी जांच (बायोप्सी) करते हैं ताकि दूसरे विकार (जैसे बच्चों में सेबोरीएक डर्माटाईटिस और सोरियसिस) ख़ारिज किए जा सकें।

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस का उपचार

  • दवाइयाँ त्वचा पर (टॉपिकल) लगाई जाती हैं, मुंह से (ओरल) दी जाती हैं या इंजेक्शन से दी जाती हैं

  • फ़ोटोथेरेपी

पिटिरायसिस रूब्रा पिलारिस का उपचार बहुत ही कठिन है। इस विकार के लक्षणों में कमी की जा सकती है, लेकिन यह विकार लगभग कभी-भी ठीक नहीं होता है। विकार के क्लासिक रूप धीरे-धीरे लगभग 3 वर्ष में ख़त्म हो जाते हैं, वहीं नॉन-क्लासिक रूप कहीं अधिक समय तक बने रहते हैं।

पपड़ी को घटाने के लिए, डॉक्टर स्किन मॉइस्चराइजर (अमोलिएंट) दे सकते हैं या लोगों से त्वचा पर लैक्टिक एसिड लगवाकर उस पर हवा को त्वचा से दूर रखने वाली ड्रेसिंग (ऑक्लूसिव ड्रेसिंग) बंधवाने को, और उसके बाद त्वचा पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड लगाने को कह सकते हैं।

अगर त्वचा पर लगाने वाले उपचारों से लाभ न हो रहा हो तो मुंह से ली जाने वाली एसिट्रेटिन या मीथोट्रेक्सेट एक विकल्प हैं।

इतानर्सेप्ट, उस्तेकिनुमैब और सेकुकिनुमैब ऐसे जैविक एजेंट हैं जो इंजेक्शन से दिए जाते हैं। ये तब भी उपयोगी हो सकते हैं अगर टॉपिकल या ओरल थेरेपी से त्वचा में सुधार नहीं होता है।

फ़ोटोथेरेपी (अल्ट्रावॉयलेट रोशनी से संपर्क), विटामिन A और प्रतिरक्षा तंत्र को कमज़ोर करने वाली दवाइयाँ, जैसे कि साइक्लोस्पोरिन, माइकोफ़ेनोलेट मोफ़ेटिल, एज़ेथिओप्रीन और मुंह से लिए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड भी इस्तेमाल किए जा चुके हैं।