अरिथ्राज़्मा त्वचा की ऊपरी परतों का संक्रमण है जो कोर्नीबैक्टीरियम मिनटिसिमम नामक बैक्टीरिया से होता है।
(त्वचा के जीवाणु संक्रमणों का विवरण भी देखें।)
अरिथ्राज़्मा अधिकतर वयस्कों को प्रभावित करता है, विशेष रूप से उन्हें जिन्हें डायबिटीज़ है और जो गर्म व नम जलवायु में रहते हैं।
अरिथ्राज़्मा अधिकतर पंजों में होता है, जहाँ इसके कारण त्वचा में पपड़ी और दरारें पड़ती हैं और अंतिम दो अंगुलियों के बीच की त्वचा कट-फट जाती है। यह संक्रमण जाँघों के बीच वाले स्थान में भी आम है, जहाँ इससे अनियमित आकृति वाले गुलाबी या कत्थई चकत्ते बनते हैं और महीन पपड़ियाँ बनती हैं, विशेष रूप से वहाँ जहाँ जाँघें वृषणकोष को छूती हैं (पुरुषों में)। बगलों, स्तनों के नीचे या उदर के ऊपर त्वचा की तहों और गुदा के ठीक आगे वाले स्थान (पेरीनियम) में इस संक्रमण की संभावना अधिक होती है, विशेष रूप से डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों में और मोटापाग्रस्त अधेड़ महिलाओं में।
कुछ लोगों में, संक्रमण धड़ और गुदा के आस-पास तक फैल जाता है।
एरिथ्राज़्मा का परीक्षण
एक डॉक्टर का मूल्यांकन
हालांकि अरिथ्राज़्मा को फ़ंगल संक्रमण समझे जाने की ग़लती हो सकती है, पर डॉक्टर अरिथ्राज़्मा का निदान आसानी से कर लेते हैं क्योंकि कोर्नीबैक्टीरियम से संक्रमित त्वचा अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश में मूँगों-सी लाल चमकती है।
एरिथ्राज़्मा का इलाज
मुंह से दी जाने वाली या त्वचा पर लगाने वाली एंटीबायोटिक्स
मुंह से दी जाने वाली एंटीबायोटिक, जैसे क्लैरिथ्रोमाइसिन संक्रमण ख़त्म कर सकती है।
सीधे प्रभावित स्थान पर लगाई जाने वाली दवाएँ (टॉपिकल दवाएँ), जैसे एरिथ्रोमाइसिन, क्लिंडामाइसिन, मुपिरोसिन या बेंजॉइल परॉक्साइड भी प्रभावी होती हैं।
यदि प्रभावित स्थान में यीस्ट या फ़ंगस हो तो एंटीफंगल क्रीम, जैसे माइकोनज़ॉल भी मददगार हो सकती हैं।
अरिथ्राज़्मा लौटकर आ सकता है, जिससे दोबारा उपचार ज़रूरी हो जाता है।