स्वास्थ्य देखभाल के लिए मिलने की तैयारी करने से लोगों को डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के साथ बिताए गए समय का अधिकतम लाभ उठाने में मदद मिलती है। (हेल्थ केयर का पूरा लाभ उठाने के बारे में जानकारी और टेलीमेडिसिन का उपयोग भी देखें।) आगे की तैयारी करने से लोगों को एक प्रैक्टिशनर के साथ ज़्यादा बेहतर तरीके से संवाद करने में भी मदद मिलती है। मुलाकात से पहले प्रैक्टिशनर को बताई जाने वाली ज़रूरी सूचना और पूछे जाने वाले ज़रूरी सवालों को लिख लेना चाहिए।
पहली बार डॉक्टर को दिखाना
पहली बार जब लोग अपने प्राथमिक देखभाल डॉक्टर के पास जाते हैं, तो उन्हें कोई भी ऐसा प्रश्न पूछना चाहिए जो डॉक्टर चुनने के लिए निर्णायक हो और जो उन्होंने नहीं पूछा हो (क्या यह डॉक्टर सही है? देखें)। निम्नलिखित सवाल पूछना खास तौर से मददगार साबित हो सकते हैं:
रात में या वीकेंड के दौरान होने वाली अचानक हुई आकस्मिक स्वास्थ्य समस्याओं से कैसे निपटा जाता है?
जांच के नतीजे कैसे पाए जाते हैं? (उदाहरण के लिए, यदि व्यक्ति नीचे लिखे परिणामों के बारे में पूछने के लिए जिम्मेदार है तो कॉल या ई-मेल कहाँ करें।)
मेरे पास एक अग्रिम निर्देश क्यों होना चाहिए (जैसे कि लिविंग विल या एक वैध पावर ऑफ अटर्नी का समझौता)? मुझे डॉक्टर को दिखाने से पहले क्या तैयारी करनी चाहिए?
यदि लोगों के पास पहले से ही कोई अग्रिम निर्देश है, तो उन्हें डॉक्टर के रिकॉर्ड की प्रति या मूल प्रतिलिपि को पेश करना चाहिए। उन्हें उन सभी दवाओं और सप्लीमेंट को भी इकट्ठा करना चाहिए जो वे वर्तमान में ले रहे हैं, जिसमें बिना पर्चे वाली दवाएँ, औषधीय जड़ी-बूटियां और विटामिन शामिल हैं और उन्हें डॉक्टर के ऑफ़िस में लाना चाहिए।
पहली मुलाकात में, डॉक्टर पिछले और वर्तमान स्वास्थ्य, नजदीकी संबंधियों के स्वास्थ्य (पारिवारिक स्वास्थ्य इतिहास), उपचार, परीक्षण और जीवन शैली जैसे विषयों के बारे में पूछते हैं। यहां तक कि अगर डॉक्टर नहीं पूछते हैं, तो लोगों को यह पक्का करना चाहिए कि डॉक्टर के पास उनके बारे में कुछ जानकारी हो जैसे कि
पहले किसी अस्पताल में भर्ती होने, घरेलू स्वास्थ्य सेवाओं या किसी अन्य विशेषज्ञ या देखभाल प्रैक्टिशनर द्वारा प्राप्त की गयी देखभाल की जानकारी, उनके नाम, पते, फ़ोन नंबर वगैरह के साथ (इसमें दूसरे मेडिकल प्रैक्टिशनर को दिखाना भी शामिल है)
किसी भी नैदानिक परीक्षण और पहले से नियोजित उपचार के बारे में जानकारी
व्यायाम की आदतें, नींद की आदतें और नींद की गुणवत्ता, आहार (कैफ़ीन की खपत सहित), यौन व्यवहार और तंबाकू, अल्कोहल, दवाएँ और स्वास्थ्य देखभाल प्रैक्टिशनर के द्वारा मना की गई दवाओं और सप्लीमेंट का उपयोग (बिना पर्चे वाली दवाएँ, विटामिन और औषधीय जड़ी बूटियों सहित)
पहले लिखी गई या किसी दवाई से एलर्जी या असहनशीलता
कोई भी व्यक्तिगत, आध्यात्मिक, या सांस्कृतिक विचार जो स्वास्थ्य की देखभाल के निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं
वे जिस फ़ार्मेसी का उपयोग करते हैं (ताकि प्रिस्क्रिप्शन को इलेक्ट्रॉनिक रूप से मंगाया या भेजा जा सके)
यह जानकारी देने से देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलती है और यह पक्का होता है कि डॉक्टरों में कोई भी बदलाव आसान है। उदाहरण के लिए, मरीज़ ने जिन स्वास्थ्य देखभाल प्रैक्टिशनर से या अस्पतालों में इलाज कराया हो उनसे संपर्क करने की जानकारी अपने प्राइमरी केयर डॉक्टर को देनी चाहिए, और उन्हें इस जानकारी को इस्तेमाल करने की लिखित सहमति भी देनी चाहिए। फिर, इलाज करने वाले डॉक्टर एक दूसरे के साथ अधिक आसानी से बातचीत कर सकते हैं। संपर्क की जानकारी, प्राइमरी केयर डॉक्टर को मेडिकल रिकॉर्ड के लिए उपयुक्त जानकारी की प्रतियां प्राप्त करने में भी मदद करती है।
फ़ॉलो अप के लिए दिखाना
हर बार अपने डॉक्टर को दिखाते समय मरीज़ को एक सूची तैयार करनी चाहिए ताकि डॉक्टर को उनकी देखभाल के लिए सभी ज़रूरी जानकारी पता चल सके। सूची में निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:
स्वास्थ्य संबंधी कोई भी प्रश्न
कोई भी लक्षण या मेडिकल समस्याएँ, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी शामिल हैं
दवाएँ लेने से हाल ही में हुए कोई दुष्प्रभाव
कोई भी नैदानिक जांच या नया इलाज, जो किसी और डॉक्टर या स्वास्थ्य देखभाल प्रैक्टिशनर की सलाह पर करवाया गया हो
किसी भी समय प्रीस्क्राइब की गईं दवाएँ नहीं लेने की जानकारी और इसका कारण (उदाहरण के लिए, “मुझे लगता है कि दवाई से पेट में ऐंठन हो रही है” या “मैं दवा का खर्च नहीं उठा सकता”)
निजी जानकारी में हुए बदलाव, जैसे जीवन में घटी खास घटनाएँ (जैसे रिटायरमेंट, शादीशुदा ज़िंदगी में हुए बदलाव, परिवार में किसी की मौत हो जाना या नए घर में शिफ़्ट होना)
सूची पहले से बनी होनी चाहिए। भीड़ वाले दिन डॉक्टर से मिलने पर लोगों का ध्यान भटक जाता है और वे जो सोचकर आए थे वो बताना भूल सकते हैं। सूची को ज़रूरत के हिसाब से बनाना चाहिए और इसमें सबसे ज़रूरी चीजें सबसे पहले लिखे जाने चाहिए। जितना संभव हो अपने लक्षणों को सटीक और बारीकी से बताना चाहिए, लक्षणों को सावधानी से बताएँ, न तो कम करके या न ही बढ़ा-चढ़ाकर, उनकी आवृत्ति, अवधि और क्या उन्हें खराब या बेहतर बनाता है सहित बताएं। डॉक्टर के पास जाने से पहले, विकार के बारे में पढ़ना या किसी ऐसे व्यक्ति से बातचीत करना ठीक रहता है जिसे यह विकार था या जिसने पहले से डॉक्टर की बताई हुई नैदानिक जांच या इलाज करवाया है, इससे मरीज़ को अपने विकार से जुड़े खास और महत्वपूर्ण सवाल पूछने में मदद मिलती है।
आपको वे सभी फ़ॉर्म साथ में लाने चाहिए, जिन्हें डॉक्टर या ऑफ़िस के स्टाफ़ द्वारा भरा जाना है, (जैसे इंश्योरेंस, स्कूल या बेरोज़गारी फ़ॉर्म)। लोगों को मौजूदा इंश्योरेंस कार्ड, सारे ज़रूरी रेफ़रल और उनकी किसी भी ज़रूरी फ़ीस के लिए भुगतान हेतु ज़रूरी साधन साथ लाने चाहिए।
डॉक्टर से लिए गए अपॉइंटमेंट (विशेष रूप से पहली विज़िट के लिए) के 10 से 15 मिनट पहले आने से ऑफ़िस के कर्मचारियों को यह पक्का करने के लिए समय मिल जाता है कि इंश्योरेंस की जानकारी मौजूदा समय की ही है और यह भी कि सभी ज़रूरी फ़ॉर्म पूरे कर लिए गए हैं। कुछ ऑफ़िस प्रत्येक मुलाकात के पहले या उसके दौरान मरीज़ के ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से स्वास्थ्य अपडेट पूरा करते हैं। इन अपडेट से विज़िट के समय उन समस्याओं की ज़रूरी रूपरेखा मिल सकती है, जिनके बारे में बातचीत करना है।
विज़िट के दौरान, डॉक्टर की बात ध्यान से सुनने और जितनी अधिक हो सके संवेदनशील मामलों (जैसे ब्लैडर कंट्रोल और यौन व्यवहार) के बारे में ईमानदारी से और पूरी तरह जवाब देना बेहद ज़रूरी है। अगर इलाज के बारे में या गंभीर बीमारी के लिए नैदानिक परीक्षण के बारे में विचार किया जा रहा है, तो लोगों से नीचे लिखे बिंदुओं पर सवाल पूछे जाने चाहिए:
इलाज कितना प्रभावी है या नैदानिक परीक्षण कितना सटीक है?
परीक्षण के परिणामों को देखकर इलाज में क्या बदलाव किया जाएगा?
परीक्षणों या उपचार के संभावित दुष्प्रभाव क्या हैं?
अन्य कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
इलाज के विशेष लक्ष्य कौन से हैं?
इलाज के असर का फ़ॉलो अप कैसे लिया जाएगा या उसे कैसे मॉनिटर किया जाएगा?
इलाज या परीक्षण के बारे में उनका कोई दूसरा सवाल
लोगों को ऐसी हर बात का विवरण माँगना चाहिए जो समझ में न आया हो और उन्हें मरीज़ को जानकारी के लिए ऑनलाइन लिंक या उपलब्ध होने पर विषय के बारे में हैंडआउट देने का अनुरोध करना चाहिए। डॉक्टर से निर्देशों को लिख कर देने के लिए कहने और विज़िट की समाप्ति पर उन्हें दोबारा पढ़ कर डॉक्टर को सुनाने से यह पक्का हो जाता है कि निर्देश समझ में आ गए हैं। उन्हें डॉक्टर को दोबारा पढ़ कर सुनाने से गलत समझी गई किसी बात में सुधार करने का अवसर मिलता है। विज़िट के दौरान नोट बनाने से भी मदद मिल सकती है। जो लोग लिखी हुई सामग्री का उपयोग नहीं कर सकते हैं, या जिन्हें देखने, बोलने या सुनने में समस्या है, उनको जानकारी ट्रैक करने हेतु दूसरे तरीकों की ज़रूरत हो सकती है। उदाहरण के लिए, निर्देशों को ऑडियो फ़ाइल में रिकॉर्ड किया जा सकता है या ज़रूरत पड़ने पर परिवार का कोई सदस्य या दोस्त, लिखित निर्देशों को पढ़ने की सहमति दे सकता है। जब लोग दवाओं के लिए फ़ार्मेसी में जाते हैं, तो वे इन्हीं तरीकों का उपयोग कर सकते हैं।
जाने से पहले, लोग सवालों की अपनी सूची और लक्षणों की जांच कर सकते हैं और ऐसी किसी भी चीज़ के बारे में डॉक्टर से बात कर सकते हैं, जिसके बारे में बात नहीं की गई थी। अगर बहुत से सवाल बाकी बच जाते हैं, तो डॉक्टर को दूसरा अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना पड़ सकता है या और जानकारी व शिक्षा के लिए दूसरे स्वास्थ्य देखभाल प्रैक्टिशनर जैसे नर्स, फ़ार्मासिस्ट या डाइटीशियन का रेफ़रल लिखना पड़ सकता है।
विज़िट के बाद, सुझाए गए सभी फ़ॉलो अप अपॉइंटमेंट को शेड्यूल किया जाना चाहिए। सभी प्रीस्क्रिप्शन भरे जाने चाहिए और डॉक्टर या फ़ार्मासिस्ट द्वारा दी गई सभी लिखित सामग्री को पढ़ा जाना चाहिए, जिसमें ऑफ़िस विज़िट का प्रिंट किया गया संक्षिप्त विवरण शामिल है।