अनेक अध्ययनों ने यह पता करने की कोशिश की है कि विशेष खाद्य पदार्थों से व्यक्ति में कैंसर होने का जोखिम बढ़ता है या घटता है। दुर्भाग्य से, अलग-अलग अध्ययनों के अलग-अलग परिणाम निकले, इसलिए यह जानना मुश्किल है कि खाद्य पदार्थों या डाइटरी सप्लीमेंट का कैंसर के जोखिम पर क्या प्रभाव पड़ता है। एक आम समस्या यह है कि जब अध्ययनों में यह पाया गया है कि जो लोग किसी खाद्य पदार्थ को ज़्यादा खाते हैं उनमें कुछ कैंसर होने की दर अपेक्षाकृत कम होती है, यह कहना मुश्किल है कि क्या अन्य जोखिम कारकों के संबंध में भी उन लोगों के परिणाम अलग-अलग ही थे (जैसे वे जहां रहते हैं, वे जितना धूम्रपान करते हैं और शराब पीते हैं, और ऐसे ही अन्य)।
अक्सर, जब डॉक्टर कोई नियंत्रित ट्रायल करते हैं और रैंडम तरीके से कुछ लोगों को मददगार दिखने वाला खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट देते हैं, तब अध्ययन कोई लाभकारी प्रभाव नहीं दिखाते। कुछ खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंटों का अध्ययन, अन्य के मुकाबले ज़्यादा किया गया है, और अनेक अध्ययन अभी भी चल रहे हैं। सर्वाधिक विश्वसनीय प्रमाण उन अध्ययनों से मिला है जो यह दिखाते हैं कि कम रेशेदार और अत्यधिक प्रोसेस्ड मीट वाला भोजन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। आहार चाहे किसी भी तरह का क्यों न हो, मोटापा, अनेक कैंसरों के जोखिम को बढ़ा देता है।
शराब
अल्कोहल मुंह, गले, ईसोफ़ेगस, लिवर, स्तन, और कोलन तथा मलाशय के कैंसरों के जोखिम को बढ़ा देती है। जो लोग धूम्रपान और शराब दोनों का सेवन करते हैं उनमें इन तथा अन्य कैंसर का जोखिम बहुत अधिक होता है।
एंटीऑक्सीडेंट्स
एंटीऑक्सिडेंट, जैसे विटामिन C और E और बीटा-कैरोटीन (विटामिन A), एक संतुलित आहार का हिस्सा होते हैं। हालांकि, अध्ययन यह नहीं दिखाते कि इन एंटीऑक्सिडेंट वाले सप्लीमेंट लेने से कैंसर होने का जोखिम कम होता है। कुछ प्रमाण हैं कि बीटा-कैरोटीन या विटामिन E सप्लीमेंट को अधिक खुराक में लेने से कैंसर के कुछ प्रकारों के होने का जोखिम बढ़ सकता है।
कृत्रिम स्वीटनर
हालांकि कुछ शुरूआती अध्ययन कुछ स्वीटनरों से मूत्राशय, दिमाग के कैंसर और लिंफोमा होने का जोखिम बढ़ जाता है, ये अध्ययन जानवरों पर किए गए थे। इंसानों पर ऐसा कोई अध्ययन नहीं हुआ है जो यह दिखाता हो कि इन स्वीटनरों के इस्तेमाल से कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है।
बायोइंजीनियरिंग हुए भोजन (आनुवंशिक रूप से संशोधित [GMO] भोजन)
पौधों का कड़ापन बढ़ाने या कीटों से प्रतिरोध को बढ़ाने हेतु या किसी अन्य तरीके से उन्हें सुधारने के लिए, कुछ पौधों के जीन में अलग-अलग पौधों के या कुछ सूक्ष्मजीवों के जीन जोड़ दिए जाते हैं। कोई ठोस डेटा नहीं है कि आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।
कैल्शियम
कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि विटामिन D के ज़्यादा बड़े लेवल और कैल्शियम सप्लीमेंट कोलन के कैंसरपूर्व पोलिप्स के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि, अन्य अध्ययन से यह सलाह मिलती है कि ज़्यादा कैल्शियम खाने से प्रोस्टेट कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है।
कॉफ़ी
हालांकि, कुछ पुराने अध्ययन कॉफ़ी पीने और कैंसर के जोखिम के बीच संबंध को दिखाते हैं, लेकिन हाल के अध्ययनों में इसका कोई लाभ नहीं देखा गया है।
फाइबर
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि जिस भोजन में रेशे की मात्रा ज़्यादा होती है उससे कैंसर का जोखिम कम होता है, खासकर कोलोरेक्टल कैंसर का, लेकिन ये डेटा विवादास्पद है।
मछली और ओमेगा-3 वसा वाले एसिड
पशुओं में हुए कुछ अध्ययन यह बताते हैं कि ओमेगा-3 वसा वाले एसि़ड से कैंसर का बढ़ना रोका जा सकता है या फिर उसकी गति धीमी की जा सकती है। हालांकि, इन खोजों को इंसानों पर लागू नहीं किया गया है।
फ्लोराइड
अध्ययनों से यह पता नहीं चला है कि फ़्लोराइडयुक्त पानी पीने वाले, फ़्लोराइडयुक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने वाले, या फ़्लोराइडयुक्त दंत चिकित्सा उपचार कराने वाले लोगों में कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
फोलेट
कुछ प्रमाण यह संकेत करते हैं कि फ़ोलेट (फ़ोलिक एसिड) की कमी वाले लोगों में कैंसर होने का जोखिम उच्च रहता है, लेकिन यह कमी कैंसर होने का कारण है ही, यह नहीं पता चल सका है। इसके विपरीत, अन्य थोड़ी कम निश्चयी प्रमाण यह बताते हैं कि अत्यधिक फ़ोलेट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। सामान्य भोजन करने वाले व्यक्ति को किसी अतिरिक्त फ़ोलेट की ज़रूरत नहीं होती।
भोजन के एडिटिव
भोजन के एडिटिव भोजन में शामिल किए जाएं, इससे पहले उनका भोजन और दवा प्रशासन द्वारा स्वीकृत किया जाना ज़रूरी होता है, इस तरह से नए एडिटिव गहन टेस्टिंग से गुज़रते हैं। आज तक, ऐसा कोई प्रमाण मौजूद नहीं है जो यह दिखाए कि खाद्य उत्पादों में पाए जाने वाले एडिटिव के लेवल से कैंसर होने का जोखिम बढ़ता ही हो।
लहसुन
वैज्ञानिक अध्ययन यह नहीं दिखाते कि लहसुन का सेवन करना, कैंसर के जोखिम को कम करने में असरदार है।
विकिरण वाले भोजन
भोजन में मौजूद विकिरण, जिसका इस्तेमाल कई बार भोजन में मौजूद सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने के लिए किया जाता है, कैंसर के जोखिम में वृद्धि नहीं करती।
लाइकोपीन
कुछ अध्ययन बताते हैं कि लाइकोपीन, जो मुख्यतः टमाटरों में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक लाल पिंगमेंट और एंटीऑक्सिडेंट होता है, उससे कुछ कैंसर के होने का जोखिम कम है, लेकिन ये डेटा विवादास्पद है।
बहुत ज़्यादा तापमान में पकाए गए मीट
बहुत ज़्यादा तापमान में पकाए गए मीट को खाने से, उदाहरण के लिए, ग्रिल करने या सेंकने से, कैंसर पैदा करने वाले रसायन प्रवेश कर सकते हैं और कैंसर विशेष रूप से कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
ऑर्गेनिक भोजन
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ऑर्गेनिक रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थ पारंपरिक रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों की तुलना में कैंसर के जोखिम को कम करते हैं।
कीटनाशक (पेस्टिसाइड)
ऐसा कोई प्रमाण मौजूद नहीं है जिसके अनुसार भोजन में अल्प मात्रा में पाए जाने वाले कीटनाशक अवशेषों से कैंसर होने का जोखिम बढ़ता है।
प्रोसेस्ड मीट
बहुत ज़्यादा प्रोसेस्ड मीट (उदाहरण के लिए, लंचीयन मीट, हैम, हॉट डॉग) खाने वाले लोगों को पेट, कोलोन और रेक्टल कैंसर होने का जोखिम हो सकता है। कुछ प्रमाण बताते हैं कि यह प्रोसेस्ड मीट में पाए जाने वाले नाइट्रेट के कारण होता है।
संतृप्त वसा (सैचुरेटेड फ़ैट)
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि जिन देशों में फैट का सेवन ज़्यादा किया जाता है वहां कुछ प्रकार के कैंसर, जैसे स्तन कैंसर, होने की दर ज़्यादा है। हालांकि, वसा के सेवन में कमी करने से कैंसर होने का जोखिम कम होता है, ऐसा किसी अध्ययन में नहीं मिला है। इससे ज़्यादा ज़रूरी बात यह है कि, संतृप्त वसाओं की उच्च मात्रा वाले खाद्य पदार्थों में अनेक कैलोरी भी होती हैं, जिनसे मोटापा हो सकता है, जो कैंसर और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं के लिए जोखिम का कारण बन सकता है।
सेलेनियम
इस बात का कोई पक्का सबूत मौजूद नहीं है, जो यह साबित करे कि सेलेनियम से कैंसर का जोखिम कम होता है।
मसाले
इस बात का कोई पक्का सबूत मौजूद नहीं है, जो यह साबित करे कि हल्दी, कैप्सेसिन (लाल मिर्च), जीरा या सालन से कैंसर होने का जोखिम कम होता है।
चाय
इस बात का कोई पक्का सबूत मौजूद नहीं है, जो यह साबित करे कि सामान्य चाय या ग्रीन टी पीने से कैंसर होने का जोखिम कम होता है।
विटामिन D
जब विटामिन D का ओमेगा-3 वसा वाले एसिड के साथ सेवन किया जाता है, तो उससे कैंसर से होने वाली मृत्यु के खतरे को कम किया जा सकता है, लेकिन इससे कैंसर बनने के जोखिम में कमी नहीं आती। फ़ायदे की कोई भी संभावना कालेपन में ज़्यादा होती है।
विटामिन E
इस बात का कोई पक्का सबूत मौजूद नहीं है जो यह साबित करे कि विटामिन E के सप्लीमेंटों से कैंसर होने का जोखिम कम होता हो और कुछ प्रमाण प्रोस्टेट और अन्य कैंसर के होने के जोखिम का बढ़ना बताते हैं।
अधिक जानकारी
निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मेन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।
American Cancer Society: Stay Healthy: अमेरिकी कैंसर सोसाइटी स्वस्थ विकल्पों को चुनने और कैंसर के जोखिम को कम करने के उपाय देती है
National Cancer Institute: Cancer Causes and Prevention: राष्ट्रीय कैंसर संस्थान ऐसे पोषक तत्वों के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो कैंसर के जोखिम के बढ़ने या घटने के साथ जुड़े हो सकते हैं
यू. एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन: फूड एडिटिव और GRAS सामग्री: भोजन के एडिटिव बताने के साथ-साथ यह भी बताता है कि कैसे वे स्वीकृत होते हैं और उनका इस्तेमाल कैसे होता है