ग्लूकोज़-6-फ़ॉस्फ़ेट डिहाइड्रोजनेज़ (G6PD) की कमी

इनके द्वाराGloria F. Gerber, MD, Johns Hopkins School of Medicine, Division of Hematology
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अप्रैल २०२४

ग्लूकोज़-6-फ़ॉस्फ़ेट डिहाइड्रोज़ीनेज़ (G6PD) डेफ़िशिएंसी एक वंशानुगत आनुवंशिक विकार है, जो किसी गंभीर बीमारी या कुछ दवाओं के उपयोग के बाद लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश (हीमोलाइसिस) का कारण बन सकता है।

  • लाल रक्त कोशिका के मेटाबोलिज़्म में शामिल एक एंज़ाइम में आनुवंशिक विकार होने के कारण G6PD की कमी हो जाती है।

  • G6PD डेफ़िशिएंसी से कुछ बीमारियों या दवाओं के कारण लाल रक्त कोशिकाओं का विनाश होता है।

  • लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे, त्वचा और आँखों के सफ़ेद भाग का पीला पड़ना, गहरे रंग का पेशाब होना, और कभी-कभी पीठ या पेट में दर्द।

  • ब्लड टेस्ट से G6PD एंज़ाइम के लेवल का पता लगाया सकता है।

  • इसमें आमतौर पर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन G6PD डेफ़िशिएंसी वाले लोगों को कुछ दवाओं और पदार्थों से बचना चाहिए।

G6PD एक एंज़ाइम है जो हीमोग्लोबिन की स्थिरता को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रोटीन है जो उन्हें फेंफड़ों से ऑक्सीजन ले जाने और शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचाने में सक्षम बनाता है। G6PD संक्रमण के तनाव या कुछ दवाओं या पदार्थों के उपयोग के कारण होने वाले नुकसान से हीमोग्लोबिन की रक्षा करने में मदद करता है। जिन लोगों में G6PD की कमी होती है, उनके शरीर में G6PD का निर्माण करने वाले जीन में आनुवंशिक दोष होता है, इसलिए उनकी रक्त कोशिकाओं में पर्याप्त एंज़ाइम नहीं होता है।

G6PD डेफ़िशिएंसी X-लिंक्ड होती है, जिसका अर्थ है कि मुख्य रूप से पुरुष प्रभावित होते हैं और महिलाएं दोषपूर्ण जीन की वाहक होती हैं। हालांकि, G6PD जीन की गतिविधि अत्यधिक परिवर्तनशील होती है, इसलिए कुछ लोगों में G6PD वैसा काम नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए और कुछ लोगों में तो यह बिल्कुल भी काम नहीं करता।

यह दोष अफ़्रीकी या अश्वेत अमेरिकी वंश के पुरुषों में आमतौर पर पाया जाता है। यह दोष उन लोगों में भी आमतौर पर पाया जाता है जिनके पूर्वज मेडिटेरेनियन बेसिन (जैसे कि इटैलिक, ग्रीक, अरब और सेफ़र्डिक यहूदी वंश के लोग) और एशिया में रहते थे।

G6PD की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल कम हो जाता है। जब G6PD की कमी वाले लोग वाइरल या बैक्टीरिया के इन्फ़ेक्शन या डायबेटिक कीटोएसिडोसिस, के कारण बीमार पड़ते हैं, तो उनके शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं तेज़ी से टूटने लगती हैं। लाल रक्त कोशिका के खत्म होने (हीमोलिटिक संकट) की यह समस्या आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है।

कुछ दवाओं और अन्य नशीले पदार्थों के संपर्क में आने से भी लाल रक्त कोशिकाओं का विनाश हो सकता है। इन दवाओं और नशीले पदार्थों में रसबुरीकेज़, प्राइमाक्विन, सैलिसिलेट्स, सल्फ़ोनामाइड्स, नाइट्रोफ्यूरान, फ़ीनेसेटिन, नेफ़थलीन, कुछ विटामिन के व्युत्पन्न, डैपसोन, फेनाज़ोपाइरीडीन, नेलिडिक्सिक एसिड, मेथिलीन ब्लू और कुछ मामलों में फवा बीन्स शामिल हैं।

G6PD डेफ़िशिएंसी के लक्षण

ज्यादातर मामलों में, लाल रक्त कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होती हैं और इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। हालांकि, जब एंज़ाइम की ज़्यादा कमी हो जाती है, तो इसके लक्षणों में पीलिया (त्वचा और आँखों के सफ़ेद हिस्से का पीला), पेशाब का रंग गहरा हो जाना, थकान और सांस लेने में तकलीफ़ होना शामिल हैं। कुछ लोगों को पीठ और/या पेट में दर्द भी होता है।

G6PD डेफ़िशिएंसी का निदान

  • G6PD गतिविधि का ब्लड टेस्ट

  • ब्लड स्मीयर की जांच

डॉक्टरों को किसी मरीज़ में G6PD डेफ़िशिएंसी का संदेह तब होता है, जब मरीज़ को किसी संक्रामक बीमारी के दौरान या कोई ऐसी दवाई लेने पर पीलिया हो जाता है, जिसे इस घटना को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। ब्लड टेस्ट करके यह देखा जाता है कि कहीं लाल रक्त कोशिकाएं टूट तो नहीं हो रही हैं। इसमें ब्लड स्मीयर की जांच भी शामिल है। यदि लाल रक्त कोशिकाएं टूट रही हैं, तो डॉक्टर लाल रक्त कोशिकाओं में G6PD गतिविधि की जांच कर सकते हैं। रक्त कोशिकाएं टूटने के दौरान और इसके रुकने के बाद दोबारा G6PD गतिविधि की जांच की जाती है।

जिन लोगों में यह विकार होने का जोखिम होता है, G6PD की कमी जांच के लिए उनके स्क्रीनिंग टेस्ट किए जा सकते हैं।

G6PD डेफ़िशिएंसी का उपचार

  • सहायक देखभाल

  • वे दवाएँ या पदार्थ लेना बंद करें जिनके कारण हीमोलाइसिस हो सकता है

  • जाने-पहचाने कारणों से बचाव

इसमें अक्सर किसी तरह के इलाज की आवश्यकता नहीं होती और मरीज़ को बस लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य होने तक इंतज़ार करना पड़ता है। कोई गंभीर मामला होने पर मरीज़ को ऑक्सीजन या इंट्रावीनस फ़्लूड देने के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। कभी-कभी ब्लड ट्रांसफ़्यूजन भी करना पड़ सकता है।

डॉक्टर लोगों को ऐसी किसी भी दवाई या पदार्थ को लेने से रोकने की सलाह देते हैं जो हीमोलाइसिस की घटना का कारण हो सकता है, तथा ऐसी दवाओं या पदार्थों से बचने की सलाह देते हैं जो इस घटना को शुरू करने की संभावना रखते हैं।

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