ग्लूकोज़-6-फ़ॉस्फ़ेट डिहाइड्रोजनेज़ (G6PD) की कमी

इनके द्वाराEvan M. Braunstein, MD, PhD, Johns Hopkins University School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जुल॰ २०२२ | संशोधित सित॰ २०२२

ग्लूकोज़-6-फ़ॉस्फ़ेट डिहाइड्रोजनेज़ (G6PD) की कमी एक आनुवंशिक विकार है जिसके कारण गंभीर बीमारी या कुछ दवाएँ लेने के बाद लाल रक्त कोशिकाएं (हीमोलाइसिस) नष्ट हो सकती हैं।

  • लाल रक्त कोशिका के मेटाबोलिज़्म में शामिल एक एंज़ाइम में आनुवंशिक विकार होने के कारण G6PD की कमी हो जाती है।

  • कुछ बीमारियों में या कुछ दवाएँ खाने से G6PD की कमी हो जाती है, जिससे लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।

  • लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे, त्वचा और आँखों के सफ़ेद भाग का पीला पड़ना, गहरे रंग का पेशाब होना, और कभी-कभी पीठ या पेट में दर्द।

  • ब्लड टेस्ट से G6PD एंज़ाइम के लेवल का पता लगाया सकता है।

  • इसमें आमतौर पर इलाज की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन G6PD की कमी वाले लोगों को कुछ दवाएँ लेने से बचना चाहिए।

G6PD एक एंज़ाइम है जो हीमोग्लोबिन की स्थिरता को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रोटीन है जो उन्हें फेंफड़ों से ऑक्सीजन ले जाने और शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचाने में सक्षम बनाता है। G6PD, संक्रमण के तनाव या कुछ दवाओं या पदार्थों के उपयोग के कारण हीमोग्लोबिन को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है। जिन लोगों में G6PD की कमी होती है, उनके शरीर में G6PD का निर्माण करने वाले जीन में आनुवंशिक दोष होता है, इसलिए उनकी रक्त कोशिकाओं में पर्याप्त एंज़ाइम नहीं होता है।

G6PD की कमी X-लिंक्ड होती है। इसका मतलब यह है कि दोषपूर्ण जीन से मुख्य रूप से पुरुष प्रभावित होते हैं और महिलाएं इसकी वाहक होती हैं। हालांकि, G6PD जीन की गतिविधि अत्यधिक परिवर्तनशील होती है, इसलिए कुछ लोगों में G6PD वैसा काम नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए और कुछ लोगों में तो यह बिल्कुल भी काम नहीं करता।

यह दोष अफ़्रीकी या अश्वेत अमेरिकी वंश के पुरुषों में आमतौर पर पाया जाता है। यह दोष उन लोगों में भी आमतौर पर पाया जाता है जिनके पूर्वज मेडिटेरेनियन बेसिन (जैसे कि इटैलिक, ग्रीक, अरब और सेफ़र्डिक यहूदी वंश के लोग) और एशिया में रहते थे।

G6PD की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल कम हो जाता है। जब G6PD की कमी वाले लोग वाइरल या बैक्टीरिया के इन्फ़ेक्शन या डायबेटिक कीटोएसिडोसिस, के कारण बीमार पड़ते हैं, तो उनके शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं तेज़ी से टूटने लगती हैं। लाल रक्त कोशिका के खत्म होने (हीमोलिटिक संकट) की यह समस्या आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है।

कुछ दवाएँ लेने से भी लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं। ये दवाएँ और पदार्थ इस प्रकार हैं - प्राइमाक्विन, सैलिसलेट, सल्फ़ोनामाइड, नाइट्रोफ़्यूरन, फ़ीनेसेटिन, नेफ़थिलीन, विटामिन K के कुछ व्युत्पन्न, डेप्सन, फेनाज़ोपिरीडीन, नेलिडिक्सिक एसिड, मेथिलीन ब्लू और कुछ मामलों में फावा बीन।

लक्षण

ज्यादातर मामलों में, लाल रक्त कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होती हैं और इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। हालांकि, जब एंज़ाइम की ज़्यादा कमी हो जाती है, तो इसके लक्षणों में पीलिया (त्वचा और आँखों के सफ़ेद हिस्से का पीला), पेशाब का रंग गहरा हो जाना, थकान और सांस लेने में तकलीफ़ होना शामिल हैं। कुछ लोगों को पीठ और/या पेट में दर्द भी होता है।

निदान

  • G6PD गतिविधि का ब्लड टेस्ट

  • ब्लड स्मीयर की जांच

डॉक्टरों को किसी मरीज़ में G6PD की कमी होने का संदेह तब होता है जब मरीज़ को किसी संक्रामक बीमारी के दौरान या कोई ऐसी दवा लेने पर पीलिया हो जाता है, जिसे इस घटना को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। ब्लड टेस्ट करके यह देखा जाता है कि कहीं लाल रक्त कोशिकाएं टूट तो नहीं हो रही हैं। इसमें ब्लड स्मीयर की जांच भी शामिल है। यदि लाल रक्त कोशिकाएं टूट रही हैं, तो डॉक्टर लाल रक्त कोशिकाओं में G6PD गतिविधि की जांच कर सकते हैं। रक्त कोशिकाएं टूटने के दौरान और इसके रुकने के बाद दोबारा G6PD गतिविधि की जांच की जाती है।

जिन लोगों में यह विकार होने का जोखिम होता है, G6PD की कमी जांच के लिए उनके स्क्रीनिंग टेस्ट किए जा सकते हैं।

उपचार

  • सहायक देखभाल

  • वे दवाएँ या पदार्थ लेना बंद करें जिनके कारण हीमोलाइसिस हो सकता है

  • जाने-पहचाने कारणों से बचाव

इसमें अक्सर किसी तरह के इलाज की आवश्यकता नहीं होती और मरीज़ को बस लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य होने तक इंतज़ार करना पड़ता है। कोई गंभीर मामला होने पर मरीज़ को ऑक्सीजन या इंट्रावीनस फ़्लूड देने के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। कभी-कभी ब्लड ट्रांसफ़्यूजन भी करना पड़ सकता है।

ऐसे में डॉक्टर, मरीज़ को कोई भी ऐसी दवा या पदार्थ लेने से मना करते हैं जिसकी वजह से हीमोलाइसिस हो सकता है। इसके साथ ही वे ऐसी दवाओं या पदार्थों के सेवन से भी बचने की सलाह देते हैं, जिनके कारण होमोलाइसिस की शुरुआत हो सकती है।