पॉइज़न आइवी एक एलर्जिक कॉन्टेक्ट डर्माटाईटिस है जिसमें, पॉइज़न आइवी पौधों की पत्तियों पर मौजूद उरुशिऑल तेल के संपर्क से बहुत ही खुजलीदार दाना हो जाता है।
त्वचा जहां-जहां इस पौधे के संपर्क में आती है, वहां-वहां खुजलीदार लाल दाने और कई फफोले बन जाते हैं।
डॉक्टर व्यक्ति के संपर्क और दाने के स्वरूप के आधार पर निदान करते हैं।
लोगों को पौधे को पहचानना सीखकर उससे बचना चाहिए।
इलाज में कॉर्टिकोस्टेरॉइड लगाना और लक्षणों से राहत के अन्य इलाजों का इस्तेमाल करना शामिल है।
(डर्माटाईटिस का विवरण भी देखें।)
लगभग 50 से 70% लोग पॉइज़न आइवी, पॉइज़न ओक और पॉइज़न सुमैक में मौजूद उरुशिऑल पादप तेल के प्रति संवेदनशील होते हैं। इससे मिलते-जुलते तेल काजू के खोल में; आम की पत्तियों, रस और फल के छिलके में; और जापानी लाख में भी मौजूद होते हैं। व्यक्ति के इन तेलों के संपर्क में आने के बाद संवेदनशील हो जाने पर, अगले संपर्क से दाना बन जाता है (एलर्जिक कॉन्टेक्ट डर्माटाईटिस)।
ये तेल तेज़ी से त्वचा में चले जाते हैं और त्वचा से, कपड़ों पर, आउटडोर औजारों या उपकरणों जैसी चीज़ों पर और पालतू पशुओं के रोओं पर लंबे समय तक कसकर चिपके रह सकते हैं और इतने समय के बाद भी दाना पैदा कर सकते हैं। पौधों को जलाने से निकलें धुएं में भी यह तेल होता है जिससे कुछ लोगों में प्रतिक्रिया हो सकती है।
पॉइज़न आइवी डर्माटाईटिस के लक्षण
पॉइज़न आइवी डर्माटाईटिस के लक्षण तेल से संपर्क में आने से 8 से 48 घंटे बाद शुरू होते हैं और इनमें बहुत तेज़ खुजली, लाल और कभी-कभी सूजा हुआ दाना और कई फफोले शामिल होते हैं, जो बहुत छोटे या बहुत बड़े हो सकते हैं। आम तौर पर, फफोले उस स्थान में एक सीधी रेखा में बनते हैं जहां त्वचा ने पौधे से रगड़ खाई थी। संदूषित कपड़ों और अन्य वस्तुओं से बार-बार संपर्क के कारण अलग-अलग समय पर अलग-अलग स्थानों पर दाने बन सकते हैं, क्योंकि त्वचा के कुछ भाग अन्य भागों से अधिक संवेदनशील होते हैं।
फफोले में भरा फ़्लूड अपने-आप में संक्रामक नहीं होता है।
अंतिम संपर्क के बाद खुजली और दाने को जाने में कई सप्ताह लग सकते हैं।
छवि को थॉमस हबीफ, MD द्वारा उपलब्ध कराया गया।
पॉइज़न आइवी डर्माटाईटिस का निदान
एक डॉक्टर का मूल्यांकन
डॉक्टर विशिष्ट दाने और व्यक्ति के उरुशिऑल तेल से संपर्क के आधार पर पॉइज़न आइवी डर्माटाईटिस का निदान करते हैं।
पॉइज़न आइवी डर्माटाईटिस की रोकथाम
इन पौधों को पहचानकर इनसे बचना ही सर्वोत्तम रोकथाम है। पॉइज़न आइवी के पौधे (टॉक्सिकोडेंड्रॉन रेडिकंस) अलास्का, हवाई और वेस्ट कोस्ट के कुछ भागों को छोड़कर बाकी पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं। इस पौधे की पत्तियां तीन-तीन के समूह में होती हैं ("तीन पत्तियां, इसे रहने दें") और चमकदार हरी (या पतझड़ में लाल) होती हैं। बीच वाली पत्ती का डंठल बाकी दोनों से लंबा होता है। पॉइज़न आइवी रोएंदार, रस्सी जैसी लता या बिना सहारे खड़ी झाड़ी के रूप में उग सकता है। इन पौधों के फूल हरे या पीले और इनकी बेरियां पीली होती हैं।
संपर्क से पहले, अगर लोग ऐसे क्षेत्रों में जा रहे हैं जहां ये पौधे उगते हैं, तो उन्हें लंबी आस्तीनें, लंबी पैंट, बूट और दस्ताने पहनने चाहिए और संभव हो, तो इन पौधों से बचना चाहिए। बाज़ार में उपलब्ध कई बैरियर क्रीम और लोशन संपर्क से पहले लगाए जा सकते हैं जो त्वचा में तेल के अवशोषण को घटाते हैं, लेकिन पूरी तरह से रोकते नहीं हैं। तेल लेटैक्स रबर के दस्तानों के पार हो सकता है। लोगों को विभिन्न प्रकार के इंजेक्शन या गोलियां लेकर या पॉइज़न आइवी की पत्तियां खाकर खुद को विसंवेदीकृत करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ये उपाय काम नहीं करते हैं।
संपर्क के बाद, लोगों को त्वचा को तुरंत ही साबुन व पानी से धोना चाहिए, ताकि तेल का अवशोषण न होने पाए। अधिक शक्तिशाली सॉल्वेंट, जैसे एसिटोन, अल्कोहल और विभिन्न प्रकार के वाणिज्यिक उत्पाद, साबुन व पानी से अधिक प्रभावी संभवतः नहीं होते हैं। संपर्क में आए कपड़ों को अलग से गर्म पानी और डिटर्जेंट से धोना चाहिए।
पॉइज़न आइवी डर्माटाईटिस का इलाज
त्वचा पर लगाई जाने वाली या मुंह से ली जाने वाली कॉर्टिकोस्टेरॉइड
लक्षणों से राहत के उपाय
कॉर्टिकोस्टेरॉइड से इलाज सर्वाधिक प्रभावी इलाज है। दाने के छोटे-छोटे स्थानों का इलाज त्वचा पर लगाई जाने वाली शक्तिशाली कॉर्टिकोस्टेरॉइड, जैसे ट्राइएमसिनोलोन, क्लोबेटासोल या डाइफ़्लोरासोन से किया जाता है। हालांकि, अगर चेहरा और जननांग प्रभावित हुए हों तो शक्तिशाली कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है या उनका इस्तेमाल केवल बहुत कम समय के लिए किया जाना चाहिए, क्योंकि वे वहां की नाज़ुक त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिन लोगों को बड़े भाग में दाने हों या चेहरे पर अच्छी-खासी सूजन हो उन्हें मुंह से कॉर्टिकोस्टेरॉइड दी जाती हैं।
बड़े, फफोलेदार स्थानों पर पानी या एल्युमिनियम एसिटेट से भीगी ठंडी पट्टियाँ इस्तेमाल की जा सकती हैं।
मुंह से ली जाने वाली एंटीहिस्टामाइन से खुजली में राहत मिल सकती है। कैलेमाइन लोशन या मेंन्थॉल और कैम्फ़र आदि से युक्त कूलिंग एजेंट वाले लोशन, जो खुजली पर नियंत्रण में मदद दे सकते हैं।
अधिक जानकारी
निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।
U.S. Food and Drug Administration (FDA): पॉइज़न आइवी और अन्य ज़हरीले पौधों को पहचानने के लिए युक्तियाँ और संपर्क को रोकने और लक्षणों के उपचार के बारे में अन्य युक्तियाँ