डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज एक सिंड्रोम है, जिसमें फेफड़े में बार-बार या लगातार खून आता है, अक्सर यह एक ऑटोइम्यून विकार की वजह से होता है।
इसके आम लक्षण हैं सांस लेने में तकलीफ़ और खांसी आना, अक्सर खांसी में खून आ जाता है।
लोग आमतौर पर चेस्ट इमेजिंग, खून की जांच और कभी-कभी देखने की लचीली ट्यूब (ब्रोंकोस्कोपी) के साथ श्वसन मार्ग की जांच कराते हैं।
ऑटोइम्यून वजहों के इलाज में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और अक्सर साइक्लोफ़ॉस्फ़ामाइड (एक कीमोथेरेपी दवाई) या रिटक्सीमैब (एक तरह की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर बनाने वाली दवाई) के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करना शामिल है।
इम्यून सिस्टम का खास काम संक्रमण से लड़ना होता है। ऐसा करने के लिए, प्रतिरक्षा प्रणाली किसी व्यक्ति में माइक्रोऑर्गेनिज़्म की पहचान बाहरी तत्व के रूप में करती है और ऐसे प्रोटीन (एंटीबॉडीज) बनाती है, जो माइक्रोऑर्गेनिज़्म से जुड़ जाते हैं, ताकि उन्हें शरीर से बाहर निकाला जा सके। ऑटोइम्यून विकारों में, शरीर, व्यक्ति के स्वयं के ऊतकों को बाहरी तत्व समझकर गलती से उनके खिलाफ प्रतिक्रिया देने लगता है। फेफड़े से संबंधी ऑटोइम्यून विकारों में, इम्यून सिस्टम फेफड़े के ऊतक पर आक्रमण करता है और उसे नष्ट कर देता है। फेफड़ों को प्रभावित करने वाले ऑटोइम्यून विकार किडनी जैसे दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
डिफ़्यूज ऐल्वीअलर हैमरेज एक सिंड्रोम है, ना कि कोई विशेष विकार। कोई सिंड्रोम कई लक्षणों और दूसरी अन्य असामान्यताओं का एक समूह होता है, जो किसी व्यक्ति में एक साथ होते हैं, लेकिन वे कई अलग-अलग विकारों की वजह से हो सकते हैं। डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज में फेफड़े में आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाएं नष्ट हो जाती हैं, इसकी वजह से खून, फेफड़े में छोटी-छोटी वायु थैलियों (एल्विओलाई) में जमा हो जाता है। रक्त वाहिकाओं के इस तरह से नष्ट होने से कई विकार हो सकते हैं।
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज के कारण
कई विकारों की वजह से डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज हो सकता है।
सबसे आम कारण हैं
ऑटोइम्यून विकार (उदाहरण के लिए वैस्कुलाइटिस और गुडपास्चर सिंड्रोम)
अन्य विकार जिनकी वजह से डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज हो सकता है, वे हैं
विकारों या एंटीकोग्युलेन्ट दवाओं की वजह से होने वाली डिफ़ेक्टिव ब्लड क्लॉटिंग
हृदय संबंधी विकार (उदाहरण के लिए, मिट्रल स्टेनोसिस)
आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरॉसिस (यह एक दुर्लभ विकार है, जो संभवतः ऑटोइम्यून क्षति की वजह से होता है, इसकी वजह से केवल डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज होता है और आमतौर पर यह 10 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है)
आइसोलेटेड पाउसी-इम्यून पल्मोनरी कैपिलरीटीज़ (यह एक इम्यून विकार है, जो 18 और 35 आयु वर्ग के बीच के लोगों को प्रभावित करता है और इसमें फेफड़े की छोटी रक्त वाहिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जिसकी वजह से रक्त फेफड़ों में आ जाता है, हालांकि इससे दूसरी कोई समस्या नहीं होती है)
फेफड़ों में संक्रमण (उदाहरण के लिए, हंतावायरस संक्रमण)
दवाएँ (उदाहरण के लिए, एमीओडारोन, ब्लियोमाइसिन, इन्फ़्लिक्सीमेब, मीथोट्रेक्सेट, मॉन्टेल्यूकास्ट, नाइट्रोफ़्यूरन्टाइन और प्रोपिलथायोयूरेसिल)
विष (उदाहरण के लिए, आइसोसाइनेट, क्रैक कोकीन, ट्राइमेलिटिक एनहाइड्राइड, कुछ पीड़कनाशी और वेपिंग)
अंगों या बोन मैरो का ट्रांसप्लांटेशन
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज के लक्षण
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज सिंड्रोम हो सकता है
खांसी
सांस लेने में कठिनाई
बुखार
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज वाले कुल लोगों में से दो तिहाई को खांसी में खून आ जाता है। जब विकार गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है, तो सांस लेने में बहुत ज़्यादा तकलीफ़ होती है। लोग हांफ़ सकते हैं और उनकी त्वचा नीली या पीली और भूरी होकर बदरंग (सायनोसिस) हो सकती है। कुछ लोगों की मृत्यु हो जाती है।
लोगों में विकार के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जिसकी वजह से डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज हो सकता है।
जिन लोगों के फेफड़ों में बार-बार खून आ जाता है, उन्हें एनीमिया (कम रक्त की मात्रा, अक्सर थकान के कारण) और फेफड़े में घाव हो सकता है, जिसकी वजह से पल्मोनरी फ़ाइब्रोसिस हो जाता है।
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज का निदान
छाती का कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी स्कैन
कभी-कभी फ़्लूड वॉश आउट (ब्रोंकोएल्विओलर लैवेज) से फेफड़े में लचीली व्यूइंग ट्यूब डालना (ब्रोंकोस्कोपी)
डॉक्टर किसी व्यक्ति के लक्षणों और छाती की इमेजिंग से मिलने वाले नतीजों के आधार पर डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज का निदान कर सकते हैं। अगर लक्षणों और छाती की इमेजिंग के नतीजों के आधार पर पता नहीं लग पाता है, तो (उदाहरण के लिए, अगर खांसी में खून नहीं आया हो), डॉक्टर को खून की जांच करने के लिए फेफड़े में फ़्लेक्सिबल व्यूइंग ट्यूब डालना पड़ सकती है (ब्रोंकोस्कोपी) और फ़्लूड से फेफड़ों को साफ़ करना (ब्रोंकोएल्विओलर लैवेज) पड़ सकता है।
एनीमिया की जांच करने के लिए खून में लाल कोशिकाओं का स्तर मापा जाता है।
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज का निदान होने के बाद, कारण निर्धारित किया जाना चाहिए। विकारों के संभावित कारणों के आधार पर विभिन्न प्रकार के रक्त परीक्षण किए जा सकते हैं। व्यक्ति की किडनी को कोई नुकसान हुआ है या नहीं इसका पता लगाने के लिए यूरिनेलिसिस किया जा सकता है, जो कि पल्मोनरी-रीनल सिंड्रोम का लक्षण है। कभी-कभी, जब इन टेस्ट के बाद भी वजह साफ़ नहीं होती या रोग तेज़ी से बढ़ने लगता है, तो फेफड़ों या किडनी की बायोप्सी करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज का उपचार
विकार के खास कारण का उपचार
कभी-कभी कॉर्टिकोस्टेरॉइड, साइक्लोफ़ॉस्फ़ामाइड या रिटक्सीमैब
सहायक उपाय
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज पैदा करने वाले विकार का इलाज किया जाता है।
आमतौर पर ऑटोइम्यून विकारों के उपचार के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड (जैसे प्रेडनिसोन) का उपयोग किया जाता है, इसके लिए कभी-कभी साइक्लोफ़ॉस्फ़ामाइड (एक कीमोथेरेपी दवा) या अन्य दवाएँ (जैसे रिटक्सीमैब) भी उपयोग में लाई जाती हैं, जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करती हैं।
डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ़ हो सकती है और थक्का जमने संबंधी विकार हो सकते हैं, इसका इलाज किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, लोगों को ऑक्सीजन देनी पड़ सकती है या उन्हें कुछ समय के लिए मेकैनिकल वेंटिलेटर पर रखना पड़ सकता है।
ब्लड ट्रांसफ़्यूजन, प्लाज़्मा एक्सचेंज, या अन्य उपायों की ज़रूरत पड़ सकती है।