आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरॉसिस

इनके द्वाराJoyce Lee, MD, MAS, University of Colorado School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अक्तू॰ २०२३

आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरॉसिस एक दुर्लभ विकार है, जिसमें फेफड़े में बार-बार खून आ जाता है, जिसकी वजह से फेफड़े में आयरन का जमाव (हेमोसिडेरॉसिस) हो जाता है।

आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरॉसिस एक दुर्लभ विकार है, जिसमें फेफड़े में बार-बार खून आ जाता है (डिफ़्यूज़ ऐल्वीअलर हैमरेज)। जो लाल रक्त कोशिकाएं फेफड़ों में चले गए हैं वे टूट जाते हैं और उनमें से आयरन निकलने लगता है, जो फेफड़ों में जमा हो जाता है और उन्हें खराब कर देता है (हेमोसिडेरोसिस भी देखें)। आइडियोपैथिक का मतलब है कि पता लगाने योग्य कोई छिपा हुआ विकार नहीं है। मुख्य रूप से यह 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होता है लेकिन मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करने वाली फेफड़े की कोशिकाओं में किसी छिपी हुई समस्या की वजह से होता है, संभवतः किसी ऑटोइम्यून विकार की वजह से। कुछ प्रभावित मरीज़ों में सीलिएक बीमारी भी हो सकती है।

इम्यून सिस्टम का खास काम संक्रमण से लड़ना होता है। ऐसा करने के लिए, प्रतिरक्षा प्रणाली किसी व्यक्ति में माइक्रोऑर्गेनिज़्म की पहचान बाहरी तत्व के रूप में करती है और ऐसे प्रोटीन (एंटीबॉडीज) बनाती है, जो माइक्रोऑर्गेनिज़्म से जुड़ जाते हैं, ताकि उन्हें शरीर से बाहर निकाला जा सके। ऑटोइम्यून विकारों में, शरीर, व्यक्ति के स्वयं के ऊतकों को बाहरी तत्व समझकर गलती से उनके खिलाफ प्रतिक्रिया देने लगता है। फेफड़े से संबंधी ऑटोइम्यून विकारों में, इम्यून सिस्टम फेफड़े के ऊतक पर आक्रमण करता है और उसे नष्ट कर देता है। फेफड़ों को प्रभावित करने वाले ऑटोइम्यून विकारों में शरीर के दूसरे अंगों पर भी, खासतौर से किडनी पर असर पड़ता है।

आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरोसिस के लक्षण

बच्चों में आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरोसिस के लक्षणों में बार-बार सांस लेने में तकलीफ़ और खांसी होना शामिल है। आमतौर पर शुरूआत में सूखी खांसी होती है। बाद में, पीड़ित को खांसी में खून आ सकता है। आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरॉसिस वाले बच्चों में इसके बजाय वृद्धि रुकना और आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है। जिन बच्चों में वृद्धि रुक जाती है, उनका वज़न बहुत कम हो जाता है। आयरन की कमी से एनीमिया की वजह से थकान, पीलापन और कमज़ोरी आ जाती है।

वयस्कों में सबसे आम लक्षण है, गतिविधि के दौरान सांस की तकलीफ़ और आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के लक्षण।

आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरोसिस का निदान करना

  • छाती की इमेजिंग

  • रक्त की जाँच

  • ब्रोंकोएल्विओलर लैवेज

जिन लोगों में ये लक्षण होते हैं, उनमें एनीमिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर खून की जांचें करते हैं।

आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरॉसिस का पता ब्रोंकोएल्विओलर लैवेज के ज़रिए लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में, डॉक्टर फेफड़े के छोटे छिद्रों में ब्रोंकोस्कोप डालते हैं और किसी उपकरण से खारा पानी डालते हैं। फिर डॉक्टर पानी को बाहर निकालते हैं और उसे जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजते हैं। अगर जांच में आयरन की अधिक मात्रा होने के प्रमाण मिलते हैं और कोई विकार नहीं मिलता है, तो इसकी पुष्टि हो जाती है।

अगर निदान के बाद भी कुछ स्पष्ट पता नहीं चलता है, तो डॉक्टर आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरॉसिस का निदान करने के लिए फेफड़े की बायोप्सी कर सकते हैं।

आइडियोपैथिक पल्मोनरी हेमोसिडेरोसिस का इलाज

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स

एक बार भी खून आने पर पीड़ित को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है और ऑक्सीजन चढ़ानी पड़ सकती है या सांस लेने में मदद करनी पड़ सकती है। पीड़ित व्यक्ति को बहुत अधिक खून आने की स्थिति में ब्लड ट्रांसफ़्यूजन करना पड़ सकता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए लोगों को कॉर्टिकोस्टेरॉइड या अन्य दवाएँ दी जाती हैं।

अगर पीड़ित को सीलिएक रोग भी है, तो उसे ग्लूटेन-रहित भोजन लेना चाहिए।

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